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उत्तराखण्ड और टनकपुर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

उत्तराखण्ड और टनकपुर के बीच अंतर

उत्तराखण्ड vs. टनकपुर

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। . टनकपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख नगर है। चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित टनकपुर नेपाल की सीमा पर बसा हुआ है। टनकपुर, हिमालय पर्वत की तलहटी में फैले भाभर क्षेत्र में स्थित है। शारदा नदी टनकपुर से होकर बहती है। इस नगर का निर्माण १८९८ में नेपाल की ब्रह्मदेव मंडी के विकल्प के रूप में किया गया था, जो शारदा नदी की बाढ़ में बह गई थी। कुछ समय तक यह चम्पावत तहसील के उप-प्रभागीय मजिस्ट्रेट का शीतकालीन कार्यालय भी रहा। १९०१ में इसकी जनसंख्या ६९२ थी। सुनियोजित ढंग से निर्मित बाजार, चौड़ी खुली सड़कें, फैले हुए फुटपाथ, खुली हवादार कालोनियां इस नगर की विशेषताएं हैं। पूर्णागिरि मन्दिर के मुख्य द्वार के रूप में शारदा नदी के तट पर बसा हुआ यह नगर पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र है। .

उत्तराखण्ड और टनकपुर के बीच समानता

उत्तराखण्ड और टनकपुर आम में 17 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चम्पावत जिला, तिब्बत, देहरादून, नेपाल, पिथौरागढ़, पूर्णागिरी मेला, भाभर, भारत, रुद्रपुर, हिन्दू धर्म, हिमालय, खटीमा, कत्यूरी राजवंश, काली नदी, उत्तराखण्ड, अल्मोड़ा, अल्मोड़ा जिला, उत्तराखण्ड

चम्पावत जिला

चम्पावत भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। इसका मुख्यालय चंपावत में है। उत्तराखंड का ऐतिहासिक चंपावत जिला अपने आकर्षक मंदिरों और खूबसूरत वास्तुशिल्प के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियां अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहां पर है। समुद्र तल से 1615 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चंपावत कई सालों तक कुंमाऊं के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चंपावत में देखे जा सकते हैं। .

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तिब्बत

तिब्बत का भूक्षेत्र (पीले व नारंगी रंगों में) तिब्बत के खम प्रदेश में बच्चे तिब्बत का पठार तिब्बत (Tibet) एशिया का एक क्षेत्र है जिसकी भूमि मुख्यतः उच्च पठारी है। इसे पारम्परिक रूप से बोड या भोट भी कहा जाता है। इसके प्रायः सम्पूर्ण भाग पर चीनी जनवादी गणराज्य का अधिकार है जबकि तिब्बत सदियों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहाँ के लोगों का धर्म बौद्ध धर्म की तिब्बती बौद्ध शाखा है तथा इनकी भाषा तिब्बती है। चीन द्वारा तिब्बत पर चढ़ाई के समय (1955) वहाँ के राजनैतिक व धार्मिक नेता दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ली और वे अब तक भारत में सुरक्षित हैं। .

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देहरादून

यह लेख देहरादून नगर पर है। विस्तार हेतु देखें देहरादून जिला। देहरादून (Dehradun), देहरादून जिले का मुख्यालय है जो भारत की राजधानी दिल्ली से २३० किलोमीटर दूर दून घाटी में बसा हुआ है। ९ नवंबर, २००० को उत्तर प्रदेश राज्य को विभाजित कर जब उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था, उस समय इसे उत्तराखण्ड (तब उत्तरांचल) की अंतरिम राजधानी बनाया गया। देहरादून नगर पर्यटन, शिक्षा, स्थापत्य, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इसका विस्तृत पौराणिक इतिहास है। .

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नेपाल

नेपाल, (आधिकारिक रूप में, संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य नेपाल) भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित एक दक्षिण एशियाई स्थलरुद्ध हिमालयी राष्ट्र है। नेपाल के उत्तर मे चीन का स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है और दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में भारत अवस्थित है। नेपाल के ८१ प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हैं। नेपाल विश्व का प्रतिशत आधार पर सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र है। नेपाल की राजभाषा नेपाली है और नेपाल के लोगों को भी नेपाली कहा जाता है। एक छोटे से क्षेत्र के लिए नेपाल की भौगोलिक विविधता बहुत उल्लेखनीय है। यहाँ तराई के उष्ण फाँट से लेकर ठण्डे हिमालय की श्रृंखलाएं अवस्थित हैं। संसार का सबसे ऊँची १४ हिम श्रृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं जिसमें संसार का सर्वोच्च शिखर सागरमाथा एवरेस्ट (नेपाल और चीन की सीमा पर) भी एक है। नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा नगर काठमांडू है। काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगंज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगंज, वीरेन्द्रनगर, त्रिभुवननगर आदि है। वर्तमान नेपाली भूभाग अठारहवीं सदी में गोरखा के शाह वंशीय राजा पृथ्वी नारायण शाह द्वारा संगठित नेपाल राज्य का एक अंश है। अंग्रेज़ों के साथ हुई संधियों में नेपाल को उस समय (१८१४ में) एक तिहाई नेपाली क्षेत्र ब्रिटिश इंडिया को देने पड़े, जो आज भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा पश्चिम बंगाल में विलय हो गये हैं। बींसवीं सदी में प्रारंभ हुए जनतांत्रिक आन्दोलनों में कई बार विराम आया जब राजशाही ने जनता और उनके प्रतिनिधियों को अधिकाधिक अधिकार दिए। अंततः २००८ में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि माओवादी नेता प्रचण्ड के प्रधानमंत्री बनने से यह आन्दोलन समाप्त हुआ। लेकिन सेना अध्यक्ष के निष्कासन को लेकर राष्ट्रपति से हुए मतभेद और टीवी पर सेना में माओवादियों की नियुक्ति को लेकर वीडियो फुटेज के प्रसारण के बाद सरकार से सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रचण्ड को इस्तीफा देना पड़ा। गौरतलब है कि माओवादियों के सत्ता में आने से पहले सन् २००६ में राजा के अधिकारों को अत्यंत सीमित कर दिया गया था। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पांचवीं सबसे बड़ी सेना है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रही है। .

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पिथौरागढ़

पिथौरागढ़ भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख शहर है। पिथौरागढ़ का पुराना नाम सोरघाटी है। सोर शब्द का अर्थ होता है-- सरोवर। यहाँ पर माना जाता है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे। दिन-प्रतिदिन सरोवरों का पानी सूखता चला गया और यहाँपर पठारी भूमि का जन्म हुआ। पठारी भूमी होने के कारण इसका नाम पिथौरा गढ़ पड़ा। पर अधिकांश लोगों का मानना है कि यहाँ राय पिथौरा (पृथ्वीराज_चौहान) की राजधानी थी। उन्हीं के नाम से इस जगह का नाम पिथौरागढ़ पड़ा। राय पिथौरा ने नेपाल से कई बार टक्कर ली थी। यही राजा पृथ्वीशाह के नाम से प्रसिद्ध हुआ। .

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पूर्णागिरी मेला

आं अन्नपूर्णा नैनीताल जनपद के पड़ोस में और चंपावत जनपद में अवस्थित पूर्णागिरी का मंदिर अन्नपूर्णा शिखर पर ५५०० फुट की ऊँचाई पर है। कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति की कन्या और शिव की अर्धांगिनी सती की नाभि का भाग यहाँ पर विष्णु चक्र से कट कर गिरा था। प्रतिवर्ष इस शक्ति पीठ की यात्रा करने आस्थावान श्रद्धालु कष्ट सहकर भी यहाँ आते हैं। यह स्थान टनकपुर से मात्र १७ कि॰मी॰ की दूरी पर है। अन्तिम १७ कि॰मी॰ का रास्ता श्रद्धालु अपूर्व आस्था के साथ पार करते हैं। लेकिन शरद ॠतु की नवरात्रियों के स्थान पर मेले का आनंद चैत्र की नवरात्रियों में ही अधिक लिया जा सकता है क्योंकि वीरान रास्ता व इसमें पड़ने वाले छोटे-छोटे गधेरे मार्ग की जगह-जगह दुरुह बना देते हैं। चैत्र की नवरात्रियों में लाखों की संख्या में भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहाँ आते हैं। अपूर्व भीड़ के कारण यहाँ दर्शनार्थियों का ऐसा ताँता लगता है कि दर्शन करने के लिए भी प्रतीक्षा करनी पड़ती है। मेला बैसाख माह के अन्त तक चलता है। ऊँची चोटी पर गाढ़े गये त्रिशुल आदि ही शक्ति के उस स्थान को इंगित करते हैं जहाँ सती का नाभि प्रवेश गिरा था। पूर्णगिरी क्षेत्र की महिमा और उसके सौन्दर्य से एटकिन्सन भी बहुत अधिक प्रभावित था उसने लिखा है - "पूर्णागिरी के मनोरम दृष्यों की विविधता एवं प्राकृतिक सौन्दर्य की महिमा अवर्णनीय है, प्रकृति ने जिस सर्व व्यापी वर सम्पदा के अधिर्वक्य में इस पर्वत शिखर पर स्वयं को अभिव्यक्त किया है, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का कोई भी क्षेत्र शायद ही इसकी समता कर सके किन्तु केवल मान्यता व आस्था के बल पर ही लोग इस दुर्गम घने जंगल में अपना पथ आलोकित कर सके हैं।" यह स्थान महाकाली की पीठ माना जाता है, नेपाल इसके बगल में है। जिस चोटी पर सती का नाभि प्रदेश गिरा था उस क्षेत्र के वृक्ष नहीं काटे जाते। टनकपुर के बाद ठुलीगाढ़ तक बस से तथा उसके बाद घासी की चढ़ाई चढ़ने के उपरान्त ही दर्शनार्थी यहाँ पहुँचते हैं। रास्ता अत्यन्त दुरुह और खतरनाक है। क्षणिक लापरवाही अनन्त गहराई में धकेलकर जीवन समाप्त कर सकती है। नीचे काली नदी का कल-कल करता रौख स्थान की दुरुहता से हृदय में कम्पन पैदा कर देता है। रास्ते में टुन्नास नामक स्थान पर देवराज इन्द्र ने तपस्या की, ऐसी भी जनश्रुती है। मेले के लिए विशेष बसों की व्यवस्था की जाती है जो टनकपुर से ठुलीगाढ़ तक निसपद पहुँचा देती है। भैरव पहाड़ और रामबाड़ा जैसे रमणीक स्थलों से गुजरने के बाद पैदल यात्री अपने विश्राम स्थल टुन्नास पर पहुँचते हैं जहाँ भोजन पानी इत्यादि की व्यवस्थायों हैं। यहाँ के बाद बाँस की चढ़ाई प्रारम्भ होती है जो अब सीढियाँ बनने तथा लोहे के पाइप लगने से सुगम हो गयी है। मार्ग में पड़ने वाले सिद्ध बाबा मंदिर के दर्शन जरुरी हैं। रास्ते में चाय इत्यादि के खोमचे मेले के दिनों में लग जाते हैं। नागा साधु भी स्थान-स्थान पर डेरा जमाये मिलते हैं। झूठा मंदिर के नाम से ताँबे का एक विशाल मंदिर भी मार्ग में कोतूहल पैदा करता है। प्राचीन बह्मादेवी मंदिर, भीम द्वारा रोपित चीड़ वृक्ष, पांडव रसोई आदि भी नजदीक ही हैं। ठूलीगाड़ पूर्णागिरी यात्रा का पहला पड़ाव है। झूठे मंदिर से कुछ आगे चलकर काली देवी तथा महाकाल भैंरों वाला का प्राचीन स्थान है जिसकी स्थापना पूर्व कूमार्ंचल नरेश राजा ज्ञानचंद के विद्वान दरबारी पंडित चंद्र त्रिपाठी ने की थी। मंदिर की पूजा का कार्य बिल्हागाँव के बल्हेडिया तथा तिहारी गाँव के त्रिपाठी सम्भालते हैं। वास्तव में पूर्णागिरी की यात्रा अपूर्व आस्था और रमणीक सौन्दर्य के कारण ही बार-बार श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी इस ओर आने को उत्साहित सा करती है। इस नैसर्गिक सौन्दर्य को जो एक बार देश लेता है वह अविस्मरणीय आनंद से विभोर होकर ही वापस जाता है। कुमाऊँ क्षेत्र के कुमैंये, पूरब निवासी पुरबिये, थरुवाट के थारु, नेपाल के गौरखे, गाँव शहर के दंभ छोड़े निष्कपट यात्रा करने वाले श्रद्धालु मेले की आभी को चतुर्दिक फैलायो रहते हैं श्रेणी:नैनीताल श्रेणी:उत्तराखंड के तीर्थ.

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भाभर

भाभर निम्न हिमालय और शिवालिक की पहाड़ियों के दक्षिणी ओर बसा एक क्षेत्र है जहाँ पर जलोढ़ ग्रेड हिन्द-गंगा क्षेत्र के मैदानों में विलीन हो जाती है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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रुद्रपुर

रुद्रपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद का एक नगर है। जनसंख्या के आधार पर यह कुमाऊँ का दूसरा, जबकि उत्तराखण्ड का पांचवां सबसे बड़ा नगर है। इस नगर की स्थापना कुमाऊँ के राजा रुद्र चन्द ने सोलहवीं शताब्दी में की थी, और तब यह तराई क्षेत्र के लाट (अधिकारी) का निवास स्थल हुआ करता था। यह दिल्ली तथा देहरादून से २५० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रुद्रपुर उत्तराखण्ड का एक प्रमुख औद्योगिक और शैक्षणिक केंद्र होने के साथ साथ उधम सिंह नगर जनपद का मुख्यालय भी है। .

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हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

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हिमालय

हिमालय पर्वत की अवस्थिति का एक सरलीकृत निरूपण हिमालय एक पर्वत तन्त्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियों- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 कि॰मी॰ की लम्बाई में फैली हैं। इस चाप का उभार दक्षिण की ओर अर्थात उत्तरी भारत के मैदान की ओर है और केन्द्र तिब्बत के पठार की ओर। इन तीन मुख्य श्रेणियों के आलावा चौथी और सबसे उत्तरी श्रेणी को परा हिमालय या ट्रांस हिमालय कहा जाता है जिसमें कराकोरम तथा कैलाश श्रेणियाँ शामिल है। हिमालय पर्वत पाँच देशों की सीमाओं में फैला हैं। ये देश हैं- पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान और चीन। अन्तरिक्ष से लिया गया हिमालय का चित्र संसार की अधिकांश ऊँची पर्वत चोटियाँ हिमालय में ही स्थित हैं। विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में हिमालय की अनेक चोटियाँ हैं। विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय का ही एक शिखर है। हिमालय में 100 से ज्यादा पर्वत शिखर हैं जो 7200 मीटर से ऊँचे हैं। हिमालय के कुछ प्रमुख शिखरों में सबसे महत्वपूर्ण सागरमाथा हिमाल, अन्नपूर्णा, गणेय, लांगतंग, मानसलू, रॊलवालिंग, जुगल, गौरीशंकर, कुंभू, धौलागिरी और कंचनजंघा है। हिमालय श्रेणी में 15 हजार से ज्यादा हिमनद हैं जो 12 हजार वर्ग किलॊमीटर में फैले हुए हैं। 72 किलोमीटर लंबा सियाचिन हिमनद विश्व का दूसरा सबसे लंबा हिमनद है। हिमालय की कुछ प्रमुख नदियों में शामिल हैं - सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र और यांगतेज। भूनिर्माण के सिद्धांतों के अनुसार यह भारत-आस्ट्र प्लेटों के एशियाई प्लेट में टकराने से बना है। हिमालय के निर्माण में प्रथम उत्थान 650 लाख वर्ष पूर्व हुआ था और मध्य हिमालय का उत्थान 450 लाख वर्ष पूर्व हिमालय में कुछ महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है। इनमें हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गोमुख, देव प्रयाग, ऋषिकेश, कैलाश, मानसरोवर तथा अमरनाथ प्रमुख हैं। भारतीय ग्रंथ गीता में भी इसका उल्लेख मिलता है (गीता:10.25)। .

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खटीमा

खटीमा भारत के उत्तराखण्ड राज्य के ऊधमसिंह नगर जिले में स्थित एक नगर निगम बोर्ड है। .

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कत्यूरी राजवंश

कत्यूरी राजवंश भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक मध्ययुगीन राजवंश था जिनके बारे में में माना जाता है कि वे अयोध्या के शालिवाहन शासक के वंशज हैं और इसलिए वे सूर्यवंशी हैं। तथापि, बहुत से इतिहासकार उन्हें कुनिन्दा शासकों से जोड़ते हैं और खस मूल से भी, जिनका कुमाऊँ क्षेत्र पर ६ठीं से ११वीं सदी तक शासन था। कत्यूरी राजाओं को गिरीराज चक्रचूड़ामणि की उपाधी प्राप्त थी। उनकी पहली राजधानी जोशीमठ में थी, जो जल्द ही कार्तिकेयपुर में स्थानांतरित कर दी गई थी। कत्यूरी राजवंश भी शक वंशावली के माने जाते हैं, जैसे राजा शालिवाहन, को भी शक वंश से माना जाता है। तथापि, बद्री दत्त पाण्डेय जैसे इतिहासकारों का मानना है कि कत्यूरी, अयोध्या से आए थे। उन्होंने अपने राज्य को 'कूर्मांचल' कहा, अर्थात 'कूर्म की भूमि', कूर्म भगवान विष्णु का दूसरा अवतार था, जिससे इस स्थान को इसका वर्तमान नाम, कुमाऊँ मिला। कत्युरी राजा का कुलदेवता स्वामी कार्तिकेय (मोहन्याल) नेपाल के बोगटान राज्य मे विराजमान है। .

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काली नदी, उत्तराखण्ड

काली नदी, जिसे महाकाली, कालीगंगा या शारदा के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बहने वाली एक नदी है। इस नदी का उद्गम स्थान वृहद्तर हिमालय में ३,६०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित कालापानी नामक स्थान पर है, जो उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में है। इस नदी का नाम काली माता के नाम पर पड़ा जिनका मंदिर कालापानी में लिपु-लीख दर्रे के निकट भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित है। अपने उपरी मार्ग पर यह नदी नेपाल के साथ भारत की निरंतर पूर्वी सीमा बनाती है, जहां इसे महाकाली कहा जाता है। यह नदी उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में पहुँचने पर शारदा नदी के नाम से भी जानी जाती है। काली नदी का झुकाव क्षेत्र लगभग १५,२६० वर्ग किलोमीटर है, जिसका एक बड़ा हिस्सा (लगभग ९,९४३ वर्ग किमी) उत्तराखण्ड में है, और शेष नेपाल में है। काली नदी उत्तराखण्ड राज्य की चार प्रमुख नदियों में एक है, और इस कारण इसे उत्तराखण्ड के राज्य-चिह्न पर भी दर्शाया गया है।यह नदी कालापानी में ३,६०० मीटर से उतरकर २०० मीटर ऊँचे तराई मैदानों में प्रवेश करती है, और इस कारण यह जल विद्युत उत्पादन के लिए अपार संभावना उपलब्ध कराती है। भारतीय नदियों को इंटर-लिंक करने की परियोजना के हिमालयी घटक में कई परियोजनाओं के लिए इस नदी को भी स्रोत के रूप में प्रस्तावित किया गया है। सरयू नदी काली की सबसे बड़ी सहायक नदी है। कूटी, धौलीगंगा, गोरी, चमेलिया, रामगुण, लढ़िया अन्य प्रमुख सहायक नदियां हैं। तवाघाट, धारचूला, जौलजीबी, झूलाघाट, पंचेश्वर, टनकपुर, बनबसा तथा महेन्द्रनगर इत्यादि नदी के तट पर बसे प्रमुख नगर हैं। .

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अल्मोड़ा

अल्मोड़ा भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है। अल्मोड़ा दिल्ली से ३६५ किलोमीटर और देहरादून से ४१५ किलोमीटर की दूरी पर, कुमाऊँ हिमालय श्रंखला की एक पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की कुल जनसंख्या ३५,५१३ है। अल्मोड़ा की स्थापना राजा बालो कल्याण चंद ने १५६८ में की थी। महाभारत (८ वीं और ९वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलते हैं। अल्मोड़ा, कुमाऊं राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में तथा शिक्षा, कला एवं संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है। .

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अल्मोड़ा जिला

अल्मोड़ा भारत के उत्तराखण्ड नामक राज्य में कुमांऊँ मण्डल के अन्तर्गत एक जिला है। इस जिले का मुख्यालय भी अल्मोड़ा में ही है। अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक विरासत, हस्तकला, खानपान और ठेठ पहाड़ी सभ्यता व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। .

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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उत्तराखण्ड और टनकपुर के बीच तुलना

उत्तराखण्ड 271 संबंध है और टनकपुर 37 है। वे आम 17 में है, समानता सूचकांक 5.52% है = 17 / (271 + 37)।

संदर्भ

यह लेख उत्तराखण्ड और टनकपुर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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