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उत्तरा और परीक्षित

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

उत्तरा और परीक्षित के बीच अंतर

उत्तरा vs. परीक्षित

सुमित्रानंदन पंत का कविता संग्रह. महाभारत के अनुसार परीक्षित अर्जुन के पौत्र, अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र तथा जनमेजय के पिता थे। जब ये गर्भ में थे तब उत्तरा के पुकारने पर विष्णु ने अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र से उनकी रक्षा की थी। इसलिए इनका नाम 'विष्णुरात' पड़ा। भागवत (१, १२, ३०) के अनुसार गर्भकाल में अपने रक्षक विष्णु को ढूँढ़ने के कारण उन्हें 'परीक्षित, (परिअ ईक्ष) कहा गया किंतु महाभारत (आश्व., ७०, १०) के अनुसार कुरुवंश के परिक्षीण होने पर जन्म होने से वे 'परिक्षित' कहलाए। महाभारत में इनके विषय में लिखा है कि जिस समय ये अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में थे, द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने गर्भ में ही इनकी हत्या कर पांडुकुल का नाश करने के अभिप्राय से ऐषीक नाम के अस्त्र को उत्तरा के गर्भ में प्रेरित किया जिसका फल यह हुआ कि उत्तरा के गर्भ से परीक्षित का झुलसा हुआ मृत पिंड बाहर निकला। श्रीकृष्ण को पांडुकुल का नामशेष हो जाना मंजूर न था, इसलिये उन्होंने अपने योगबल से मृत भ्रूण को जीवित कर दिया। परिक्षीण या विनष्ट होने से बचाए जाने के कारण इस बालक का नाम परीक्षित रखा गया। परीक्षित ने कृपाचार्य से अस्त्रविद्या सीखी थी जो महाभारत युद्ध में कुरुदल के प्रसिद्ध महारथी थे। युधिष्ठिर आदि पांडव संसार से भली भाँति उदासीन हो चुके थे और तपस्या के अभिलाषी थे। अतः वे शीघ्र ही परीक्षित को हस्तिनापुर के सिंहासन पर बिठा द्रौपदी समेत तपस्या करने चले गए। परीक्षित जब राजसिंहासन पर बैठे तो महाभारत युद्ध की समाप्ति हुए कुछ ही समय हुआ था, भगवान कृष्ण उस समय परमधाम सिधार चुके थे और युधिष्ठिर को राज्य किए ३६ वर्ष हुए थे। राज्यप्राप्ति के अनंतर गंगातट पर उन्होंने तीन अश्वमेघ यज्ञ किए जिनमें अंतिम बार देवताओं ने प्रत्यक्ष आकर बलि ग्रहण किया था। इनके विषय में सबसे मुख्य बात यह है के इन्हीं के राज्यकाल में द्वापर का अंत और कलियुग का आरंभ होना माना जाता है। इस संबंध में भागवत में यह कथा है— परीक्षित की मृत्यु के बाद, फिर कलियुग की रोक टोक करनेवाला कोई न रहा और वह उसी दिन से अकंटक भाव से शासन करने लगा। पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिये जनमेजय ने सर्पसत्र किया जिसमें सारे संसार के सर्प मंत्रबल से खिंच आए और यज्ञ की अग्नि में उनकी आहुति हुई। .

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संदर्भ

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