लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण और चुनाव में धांधली

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण और चुनाव में धांधली के बीच अंतर

उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण vs. चुनाव में धांधली

उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण (1975 AIR 865, 1975 SCR (3) 333) इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा निर्णीत एक केस था जिसमें भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनावी कदाचार का दोषी पाया गया था। यह केस सन १९७५ में राजनारायण द्वारा दायर किया गया था जो चुनाव में इंदिरा गांधी से हार गये थे। न्यायमूर्ति जगमोहनलाल सिन्हा ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में श्रीमती गांधी की जीत को अवैध करार दिया और उन्हें ६ वर्ष के लिये चुने हुए पद पर आसीन होने से रोक लगा दी। इस निर्नय से भारत में एक राजनीतिक संकट खड़ा हो गया और इन्दिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी जो १९७५ से १९७७ तक रहा। . चुनाव, लोकतंत्र की आत्मा है किन्तु उसमें भी तरह-तरह की धांधलियाँ की जाती हैं। .

उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण और चुनाव में धांधली के बीच समानता

उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण और चुनाव में धांधली आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण और चुनाव में धांधली के बीच तुलना

उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण 7 संबंध है और चुनाव में धांधली 2 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (7 + 2)।

संदर्भ

यह लेख उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण और चुनाव में धांधली के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »