4 संबंधों: मौसम, रेडियो तरंग, लघु तरंग, उच्चावृत्ति (HF)।
मौसम
मौसम वातावरण की दशा को व्यक्त करने के लिये प्रयोग किया जाता है। अधिकांश मौसम को प्रभावित करने वाली घटनाएं क्षोभ मंडल (ट्रोपोस्फीयर) में होती है। मौसम दैनंदिन तापमान और वर्षा गतिविधि को संदर्भित करता है जबकि जलवायु लम्बी समयावधि में औसत वायुमंडलीय स्थितियों के लिए शब्द है। यह एक क्षणिक घटना है .
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रेडियो तरंग
रेडियो और टेलीविजन प्रसारण के लिए प्रयुक्त ऐण्टेना रेडियो तरंगें (radio waves) वे विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, जिनका तरंगदैर्घ्य १० सेण्टीमीटर से १०० किमी के बीच होता है। ये मानवनिर्मित भी होती हैं और प्राकृतिक भी। मानव की कोई इंद्रिय इन्हें पहचान नहीं सकती बल्कि ये किसी अन्य तकनीकी उपकरण (जैसे, रेडियो संग्राही) द्वारा पकड़ी एवं अनुभव की जातीं हैं। इनका प्रयोग मुख्यतः बिना तार के, वातावरण या बाहरी व्योम के द्वारा सूचना का आदान प्रदान या परिवहन में होता है। इन्हें अन्य विद्युत चुम्बकीय तरंगों से इनकी तरंग दैर्घ्य के अधार पर पृथक किया जाता है, जो अपेक्षाकृत अधिक लम्बी होती है। .
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लघु तरंग
एक लघु तरंग एनालॉग सॉलिड स्टेट अभिग्राही (रिसीवर) लघु तरंगरेडियो होतीं हैं 3 MHz (3,000 kHz) एवं 30 MHz (30,000 kHz) की आवृत्तियों के मध्य। इन्हें पूर्व काल में ऐसा कहा जाने लगा, क्योंकि इन आवृत्तियों से जुड़ी तरंग दैर्घ्य, उस समय प्रयोग होने वाली दीर्घ तरंग से छोटी होती थीं। एक वैकल्पिक नाम है उच्चावृत्ति रेडियो। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि, आवृत्ति एवं तरंग दैर्घ्य, विलोम अनुपात में होते हैं। .
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उच्चावृत्ति (HF)
उच्चावृत्ति (HF) वे रेडियो तरंग होती हैं, जो 3 से 30 MHz के मध्य होती हैं। इसे डैकामीटर पट्टी भी कहते हैं, क्रोंकि इनकी तरंग एक से दस डैकामीटर की दैर्घ्य की होती है। लघु तरंग (2.310 - 25.820 MHz) पट्टी इसे कुछ आच्छादित करती है, एवं HF से कुछ ही कम होती है। क्योंकि ये आयनोस्फेयर प्रायं इन्हें परावर्तित करता है, अतः ये लम्बी दूरी के पार्थिव/ कटिबंधीय संचार हेतु प्रयोग होती हैं। वर्णक्रम के इस भाग की अनुकूलता कई अन्य जटिल कारकों पर निर्भर करती है।.
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