उच्च रक्तचाप और परिधीय संवहिनी रोग के बीच समानता
उच्च रक्तचाप और परिधीय संवहिनी रोग आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): धमनी, परिधीय संवहिनी रोग, फुल्लन, हृदय रोग, हृदयाघात।
धमनी
धमनियां वे रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो हृदय से रक्त को आगे पहुंचाती हैं। पल्मोनरी एवं आवलनाल धमनियों के अलावा सभी धमनियां ऑक्सीजन-युक्त रक्त लेजाती हैं। .
उच्च रक्तचाप और धमनी · धमनी और परिधीय संवहिनी रोग ·
परिधीय संवहिनी रोग
परिधीय संवहिनी रोग (अंग्रेज़ी:पेरिफेरल वैस्कुलर डिज़ीज़, लघु:पीवीडी (PVD), जिसे परिधीय धमनी रोग (पेरिफेरल आर्टरी डिज़ीज़, PAD) या पेरिफेरल आर्टरी ऑक्ल्यूसिव डिज़ीज़ (PAOD) भी कहते हैं, हाथों व पैरों में बड़ी धमनियों के संकरा होने से पैदा होने वाली रक्त के बहाव में रुकावट के कारण होने वाली सभी समस्याओं को कहते हैं। इसका परिणाम आर्थेरोस्क्लेरोसिस, सूजन आदि जिनसे स्टेनोसिस, एम्बोलिज़्म, या थ्रॉम्बस गठन हो सकती है।। हिन्दुस्तान लाइव। १३ अप्रैल २०१० इससे विकट या चिरकालिक एस्केमिया (रक्त आपूर्ति में कमी), विशेषकर पैरों में हो सकती है। यह रोग होने की संभावना उन लोगों में अधिक होती है, जो उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कॉलेस्ट्रॉल और निष्क्रिय जीवनशैली के रोगी होते हैं या उनके रक्त में वसा या लिपिड की मात्रा अधिक होती है। साथ ही धूम्रपान ज्यादा करने वालों को भी ये समस्या होती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ४ अगस्त २०१० इसके अलावा, रक्त का थक्का जमने के कारण रक्त-शिराएं अवरोधित हो जाती हैं। इस रोग में रक्त धमनियों की भीतरी दीवारों पर वसा जम जाती है। ये हाथ पाँवों के ऊतकों में रक्त के प्रवाह को रोकता है। रोग के प्राथमिक चरण में चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर पैरों और कूल्हों में थकान या दर्द महसूस होता है। इस समय रोगी इन लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं। समय के साथ-साथ इसके अलावा अन्य लक्षणों में दर्द, सुन्न होना, पैर की माँसपेशियों में भारीपन आते हैं। शारीरिक काम करते समय मांसपेशियों को अधिक रक्त प्रवाह चाहिए होता है। यदि नसें संकरी हो जाएं तो उन्हें पर्याप्त रक्त नहीं मिलता। आराम के समय रक्त प्रवाह की उतनी आवश्यकता नहीं होती इसलिए बैठ जाने से दर्द भी चला जाता है। .
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फुल्लन
अंगुली में सूजन (अन्तर देखिये) शरीर के किसी भाग का अस्थायी रूप से (transient) बढ़ जाना आयुर्विज्ञान में फुल्लन (स्वेलिंग) कहा जाता है। हिन्दी में इसे उत्सेध, फूलना और सूजन भी कहते हैं। ट्यूमर भी इसमें सम्मिलित है। सूजन, प्रदाह के पाँच लक्षणों में से एक है। (प्रदाह के अन्य लक्षण हैं - दर्द, गर्मी, लालिमा, कार्य का ह्रास) यह पूरे शरीर में हो सकती है, या एक विशिष्ट भाग या अंग प्रभावित हो सकता है| एक शरीर का अंग चोट, संक्रमण, या रोग के जवाब में और साथ ही एक अंतर्निहित गांठ की वजह से, प्रफुल्लित हो सकता है| .
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हृदय रोग
हृदय रोग हृदय शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। मानवों मेंयह छाती के मध्य में, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है और एक दिन में लगभग एक लाख बार एवं एक मिनट में 60-90 बार धड़कता है। यह हर धड़कन के साथ शरीर में रक्त को धकेलता करता है। हृदय को पोषण एवं ऑक्सीजन, रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनियों द्वारा प्रदान किया जाता है। यह अंग दो भागों में विभाजित होता है, दायां एवं बायां। हृदय के दाहिने एवं बाएं, प्रत्येक ओर दो चैम्बर (एट्रिअम एवं वेंट्रिकल नाम के) होते हैं। कुल मिलाकर हृदय में चार चैम्बर होते हैं। दाहिना भाग शरीर से दूषित रक्त प्राप्त करता है एवं उसे फेफडों में पम्प करता है और रक्त फेफडों में शोधित होकर ह्रदय के बाएं भाग में वापस लौटता है जहां से वह शरीर में वापस पम्प कर दिया जाता है। चार वॉल्व, दो बाईं ओर (मिट्रल एवं एओर्टिक) एवं दो हृदय की दाईं ओर (पल्मोनरी एवं ट्राइक्यूस्पिड) रक्त के बहाव को निर्देशित करने के लिए एक-दिशा के द्वार की तरह कार्य करते हैं। हृदय में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार से हैं.
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हृदयाघात
रोधगलन (MI) या तीव्र रोधगलन (AMI) को आमतौर पर हृदयाघात (हार्ट अटैक) या दिल के दौरे के रूप में जाना जाता है, जिसके तहत दिल के कुछ भागों में रक्त संचार में बाधा होती है, जिससे दिल की कोशिकाएं मर जाती हैं। यह आमतौर पर कमजोर धमनीकलाकाठिन्य पट्टिका के विदारण के बाद परिहृद्-धमनी के रोध (रूकावट) के कारण होता है, जो कि लिपिड (फैटी एसिड) का एक अस्थिर संग्रह और धमनी पट्टी में श्वेत रक्त कोशिका (विशेष रूप से बृहतभक्षककोशिका) होता है। स्थानिक-अरक्तता के परिणामस्वरूप (रक्त संचार में प्रतिबंध) और ऑक्सीजन की कमी होती है, अगर लम्बी अवधि तक इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो हृदय की मांसपेशी ऊतकों (मायोकार्डियम) की क्षति या मृत्यु (रोधगलन) हो सकती है। तीव्र रोधगलन के शास्त्रीय लक्षणों में अचानक छाती में दर्द, (आमतौर पर बाएं हाथ या गर्दन के बाएं ओर), सांस की तकलीफ, मिचली, उल्टी, घबराहट, पसीना और चिंता (अक्सर कयामत आसन्न भावना के रूप में वर्णित) शामिल हैं.
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उच्च रक्तचाप और परिधीय संवहिनी रोग के बीच तुलना
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संदर्भ
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