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ईदिपस

सूची ईदिपस

गुस्ताव मोरियो (Gustave Moreau) की चित्रकला ''ईदिपस और स्फ़िंक्स'' (Oedipus and the Sphinx) प्राचीन ग्रीक लोककथाओं तथा सोफोक्लीज द्वारा लिखित ईदिपस रेक्स के अनुसार ईदिपस (Oedipus) थीबिज़ के राजा लेउस और रानी जोकास्ता का पुत्र था। ईदिपस के जन्म के पूर्व ही एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि यह अपने पिता का हत्यारा होगा। इसलिए जन्म लेते ही इसे राजा लेउस ने राज्य से निकाल दिया। ईदिपस का उद्धार पड़ोस के राजा के द्वारा हुआ जिसके यहाँ उसका राजकुमारों जैसा लालन पालन हुआ। बड़े होने पर इसने भी ज्योतिषी से परामर्श किया जिसने उसे यह चेतावनी दी कि वह अपनी मातृभूमि छोड़कर चला जाए क्योंकि उसके भाग्य में अपने पिता का हत्यारा और अपनी माता का पति होना लिखा है। ईदिपस राज्य छोड़ चल पड़ा। लेकिन मार्ग में ही उसे राजा लेउस मिला जिसे उसने एक हल्की मुठभेंड में ही मार डाला। वह थीबिज़ पहुँचा जहाँ उसने दैत्य स्फ़िंक्स पर विजय प्राप्त की जिसके आतंक से थीबिज़वासी पीड़ित थे। कृतज्ञ थीविज़वासियों ने उसे वहाँ का राजा निर्वाचित किया तथा जोकास्ता का हाथ उसके हाथों में दे दिया। बहुत वर्षो तक शांति और सम्मानपूर्वक राज्य करते हुए उसे जोकास्ता से दो पुत्र और दो पुत्रियाँ उत्पन्न हुई। कुछ समय उपरांत थीबिज़ में भीषण महामारी फैली। थीबिज़वासियों ने ज्योतिषी से परामर्श किया जिसने कहा कि जब तक लेउस के हत्यारे को थीबिज़ से निष्कासित नहीं किया जाएगा तब तक महामारी का प्रकोप शांत नहीं हो सकता। इधर ईदिपस को भी अपनी माता और पिता का रहस्य ज्ञात हो गया। पश्चात्तापवश उसने अपनी आँखें फोड़ लीं तथा उसके पुत्रों ने उसे थीबिज़ से निष्कासित कर दिया। जोकास्ता ने आत्मग्लानिवश फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। .

3 संबंधों: यूनान, ईदिपस, ईदिपस मनोग्रंथि

यूनान

यूनान यूरोप महाद्वीप में स्थित देश है। यहां के लोगों को यूनानी अथवा यवन कहते हैं। अंग्रेजी तथा अन्य पश्चिमी भाषाओं में इन्हें ग्रीक कहा जाता है। यह भूमध्य सागर के उत्तर पूर्व में स्थित द्वीपों का समूह है। प्राचीन यूनानी लोग इस द्वीप से अन्य कई क्षेत्रों में गए जहाँ वे आज भी अल्पसंख्यक के रूप में मौज़ूद है, जैसे - तुर्की, मिस्र, पश्चिमी यूरोप इत्यादि। यूनानी भाषा ने आधुनिक अंग्रेज़ी तथा अन्य यूरोपीय भाषाओं को कई शब्द दिये हैं। तकनीकी क्षेत्रों में इनकी श्रेष्ठता के कारण तकनीकी क्षेत्र के कई यूरोपीय शब्द ग्रीक भाषा के मूलों से बने हैं। इसके कारण ये अन्य भाषाओं में भी आ गए हैं।ग्रीस की महिलाएं देह व्यापार के धंधे में सबसे आगे है.

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ईदिपस

गुस्ताव मोरियो (Gustave Moreau) की चित्रकला ''ईदिपस और स्फ़िंक्स'' (Oedipus and the Sphinx) प्राचीन ग्रीक लोककथाओं तथा सोफोक्लीज द्वारा लिखित ईदिपस रेक्स के अनुसार ईदिपस (Oedipus) थीबिज़ के राजा लेउस और रानी जोकास्ता का पुत्र था। ईदिपस के जन्म के पूर्व ही एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि यह अपने पिता का हत्यारा होगा। इसलिए जन्म लेते ही इसे राजा लेउस ने राज्य से निकाल दिया। ईदिपस का उद्धार पड़ोस के राजा के द्वारा हुआ जिसके यहाँ उसका राजकुमारों जैसा लालन पालन हुआ। बड़े होने पर इसने भी ज्योतिषी से परामर्श किया जिसने उसे यह चेतावनी दी कि वह अपनी मातृभूमि छोड़कर चला जाए क्योंकि उसके भाग्य में अपने पिता का हत्यारा और अपनी माता का पति होना लिखा है। ईदिपस राज्य छोड़ चल पड़ा। लेकिन मार्ग में ही उसे राजा लेउस मिला जिसे उसने एक हल्की मुठभेंड में ही मार डाला। वह थीबिज़ पहुँचा जहाँ उसने दैत्य स्फ़िंक्स पर विजय प्राप्त की जिसके आतंक से थीबिज़वासी पीड़ित थे। कृतज्ञ थीविज़वासियों ने उसे वहाँ का राजा निर्वाचित किया तथा जोकास्ता का हाथ उसके हाथों में दे दिया। बहुत वर्षो तक शांति और सम्मानपूर्वक राज्य करते हुए उसे जोकास्ता से दो पुत्र और दो पुत्रियाँ उत्पन्न हुई। कुछ समय उपरांत थीबिज़ में भीषण महामारी फैली। थीबिज़वासियों ने ज्योतिषी से परामर्श किया जिसने कहा कि जब तक लेउस के हत्यारे को थीबिज़ से निष्कासित नहीं किया जाएगा तब तक महामारी का प्रकोप शांत नहीं हो सकता। इधर ईदिपस को भी अपनी माता और पिता का रहस्य ज्ञात हो गया। पश्चात्तापवश उसने अपनी आँखें फोड़ लीं तथा उसके पुत्रों ने उसे थीबिज़ से निष्कासित कर दिया। जोकास्ता ने आत्मग्लानिवश फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। .

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ईदिपस मनोग्रंथि

मनोविश्लेषण के जन्मदाता डाक्टर सिगमंड फ्रायड ने पुत्र की अपनी माता के प्रति कामवासना (सेक्स) की ग्रंथि को ईदिपस ग्रंथि (Oedipus complex) की संज्ञा दी। फ्रायड के अनुसार ईदिपस की यह कथा हर मनुष्य के अंतर में छिपी हुई कामवासना की एक ग्रंथि का सांकेतिक प्रतिनिधान करती है। मनुष्य की प्रथम कामवासना का लक्ष्य माता और प्रथम हिंसा और घृणा के भाव का लक्ष्य पिता होता है। इसी कामवासना की भावग्रंथि को इन्होंने ईदिपस ग्रंथि के नाम से संबोधित किया। मनुष्य के जीवन पर इसके प्रभावों की चर्चा करते हुए इन्होंने कहा कि यही ग्रंथि हमारे नैतिक, धार्मिक और सामाजिक नियमों तथा प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि में कार्यरत है। पाप और अपराध की भावना का जन्म इसी से हुआ। अपने को किसी प्रकार का स्वत: आघात पहुँचाने, आत्महत्या करने या अपने को स्वत: दंडित करने के भाव इसी के कारणवश उत्पन्न होते हैं। इनके अनुसार मनुष्य के विकास की जड़ में यह ग्रंथि ही है क्योंकि विकास के प्रारंभ में मनुष्यों ने सर्वप्रथम अपने ऊपर केवल दो प्रतिबंध लगाए। पहला, अपने जन्मदाता या पिता की हत्या न करना और दूसरा, अपनी जननी या माता से विवाह न करना। यही दो प्रथम नैतिक और धार्मिक नियम हैं। .

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