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इराक़ और हख़ामनी साम्राज्य

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

इराक़ और हख़ामनी साम्राज्य के बीच अंतर

इराक़ vs. हख़ामनी साम्राज्य

इराक़ पश्चिमी एशिया में स्थित एक जनतांत्रिक देश है जहाँ के लोग मुख्यतः मुस्लिम हैं। इसके दक्षिण में सउदी अरब और कुवैत, पश्चिम में जोर्डन और सीरिया, उत्तर में तुर्की और पूर्व में ईरान अवस्थित है। दक्षिण पश्चिम की दिशा में यह फ़ारस की खाड़ी से भी जुड़ा है। दजला नदी और फरात इसकी दो प्रमुख नदियाँ हैं जो इसके इतिहास को ५००० साल पीछे ले जाती हैं। इसके दोआबे में ही मेसोपोटामिया की सभ्यता का उदय हुआ था। इराक़ के इतिहास में असीरिया के पतन के बाद विदेशी शक्तियों का प्रभुत्व रहा है। ईसापूर्व छठी सदी के बाद से फ़ारसी शासन में रहने के बाद (सातवीं सदी तक) इसपर अरबों का प्रभुत्व बना। अरब शासन के समय यहाँ इस्लाम धर्म आया और बगदाद अब्बासी खिलाफत की राजधानी रहा। तेरहवीं सदी में मंगोल आक्रमण से बगदाद का पतन हो गया और उसके बाद की अराजकता के सालों बाद तुर्कों (उस्मानी साम्राज्य) का प्रभुत्व यहाँ पर बन गया २००३ से दिसम्बर २०११ तक अमेरिका के नेतृत्व में नैटो की सेना की यहाँ उपस्थिति बनी हुई थी जिसके बाद से यहाँ एक जनतांत्रिक सरकार का शासन है। राजधानी बगदाद के अलावा करबला, बसरा, किर्कुक तथा नजफ़ अन्य प्रमुख शहर हैं। यहाँ की मुख्य बोलचाल की भाषा अरबी और कुर्दी भाषा है और दोनों को सांवैधानिक दर्जा मिला है। . अजमीढ़ साम्राज्य अपने चरम पर - ईसापूर्व सन् 500 के आसपास हख़ामनी वंश या अजमीढ़ साम्राज्य(अंग्रेज़ी तथा ग्रीक में एकेमेनिड, अजमीढ़ साम्राज्य (ईसापूर्व 550 - ईसापूर्व 330) प्राचीन ईरान (फ़ारस) का एक शासक वंश था। यह प्राचीन ईरान के ज्ञात इतिहास का पहला शासक वंश था जिसने आज के लगभग सम्पूर्ण ईरान पर अपनी प्रभुसत्ता हासिल की थी और इसके अलावा अपने चरमकाल में तो यह पश्मिम में यूनान से लेकर पूर्व में सिंधु नदी तक और उत्तर में कैस्पियन सागर से लेकर दक्षिण में अरब सागर तक फैल गया था। इतना बड़ा साम्राज्य इसके बाद बस सासानी शासक ही स्थापित कर पाए थे। इस वंश का पतन सिकन्दर के आक्रमण से सन ३३० ईसापूर्व में हुआ था, जिसके बाद इसके प्रदेशों पर यूनानी (मेसीडोन) प्रभुत्व स्थापित हो गया था। पश्चिम में इस साम्राज्य को मिस्र एवम बेबीलोन पर अधिकार, यूनान के साथ युद्ध तथा यहूदियों के मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए याद किया जाता है। कुरोश तथा दारुश को इतिहास में महान की संज्ञा से भी संबोधित किया जाता है। इस वंश को आधुनिक फ़ारसी भाषा बोलने वाले ईरानियों की संस्कृति का आधार कहा जाता है। इस्लाम के पूर्व प्राचीन ईरान के इस साम्राज्य को ईरानी अपने गौरवशाली अतीत की तरह देखते हैं, जो अरबों द्वारा ईरान पर शासन और प्रभाव स्थापित करने से पूर्व था। आज भी ईरानी अपने नाम इस काल के शासकों के नाम पर रखते हैं जो मुस्लिम नाम नहीं माने जाते हैं। ज़रदोश्त के प्रभाव से पारसी धर्म के शाही रूप का प्रतीक भी इसी वंश को माना जाता है। तीसरी सदी में स्थापित सासानी वंश के शासकों ने अपना मूल हख़ामनी वंश को ही बताया था। .

इराक़ और हख़ामनी साम्राज्य के बीच समानता

इराक़ और हख़ामनी साम्राज्य आम में 7 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तुर्की, दारा तृतीय, बाबिल, सासानी साम्राज्य, सिकंदर, ईरान, अश्शूर

तुर्की

तुर्की (तुर्क भाषा: Türkiye उच्चारण: तुर्किया) यूरेशिया में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी अंकारा है। इसकी मुख्य- और राजभाषा तुर्की भाषा है। ये दुनिया का अकेला मुस्लिम बहुमत वाला देश है जो कि धर्मनिर्पेक्ष है। ये एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। इसके एशियाई हिस्से को अनातोलिया और यूरोपीय हिस्से को थ्रेस कहते हैं। स्थिति: 39 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 36 डिग्री पूर्वी देशान्तर। इसका कुछ भाग यूरोप में तथा अधिकांश भाग एशिया में पड़ता है अत: इसे यूरोप एवं एशिया के बीच का 'पुल' कहा जाता है। इजीयन सागर (Aegean sea) के पतले जलखंड के बीच में आ जाने से इस पुल के दो भाग हो जाते हैं, जिन्हें साधारणतया यूरोपीय टर्की तथा एशियाई टर्की कहते हैं। टर्की के ये दोनों भाग बॉसपोरस के जलडमरूमध्य, मारमारा सागर तथा डारडनेल्ज द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं। टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें हैं। पूर्व में रूस और ईरान, दक्षिण की ओर इराक, सीरिया तथा भूमध्यसागर, पश्चिम में ग्रीस और बुल्गारिया और उत्तर में कालासागर इसकी राजनीतिक सीमा निर्धारित करते हैं। यूरोपीय टर्की - त्रिभुजाकर प्रायद्वीपी प्रदेश है जिसका शीर्षक पूर्व में बॉसपोरस के मुहाने पर है। उसके उत्तर तथा दक्षिण दोनों ओर पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई हैं। मध्य में निचला मैदान मिलता है जिसमें होकर मारीत्सा और इरजिन नदियाँ बहती हैं। इसी भाग से होकर इस्तैस्म्यूल का संबंध पश्चिमी देशों से है। एशियाई टर्की - इसको हम तीन प्राकृतिक भागों में विभाजित कर सकते हैं: 1.

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दारा तृतीय

दारा तृतीय या डेरियस तृतीय(ई.पू. ३३६-३३० ई.पू.) महान हख़ामनी राजवंश का अंतिम प्रसिद्ध राजा हुआ। वह बहादुर और दूष्ट प्रकृति का सुयोग्य व्यक्ति था। लेकिन उसे शांति से राज्य करने और अपनी शासकीय योग्यता दिखाने का अवसर न मिल सका। उसके दुर्भाग्य से मैसीडोनिया और यूनान की राजशक्ति, सिकंदर के नेतृत्व में बहुत प्रबल हो चली थी। फलत: दारा तृतीय पारसी साम्राज्य के समस्त साधनों और शक्तियों को बटोरकर भी सिकंदर को आक्रमणों से अपने साम्राज्य को बचाने में समर्थ न हो सका। पारसीकों को अद्भुत यूरोपीय विजेता अलेक्जंडर ने ई.पू.

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बाबिल

बाबिल के इश्टर द्वार का चित्रण बाबिल आजकल के ईराक क्षेत्र की सुमेर के पश्चात दूसरी सभ्यता। इस की भाषा सुमेर की भाषा से भिन्न थी। इसे बेबीलोनियन सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। बाबिल नगर जो इसी नाम के साम्राज्य की राजधानी था, आजकल के बगदाद से ८० किलोमीटर दक्षिण में स्थित था। बेबीलोन प्राचीन मेसोपोटामिया का एक नगर था। यह बेबीलोनिया साम्राज्य का केन्द्र था। .

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सासानी साम्राज्य

सासानी साम्राज्य (गहरा हरा रंग); मध्यम हरे रंग में दिखाया गया क्षेत्र में पूर्वी रोमनों से युद्धरत सासानी (तीसरी सदी - 648) ईरान के इतिहास में सबसे प्रभावशाली शासकों में से एक हैं। इनका स्थान ईरान में हख़ामनी वंश के बाद सबसे सशक्त शासक वंशों में गिना जाता है। इनका उदय ईरान के दक्षिण में फ़ार्स में हुआ था - ये वही राज्य है जिसे हख़ामनी शासकों का मूल स्थान माना जाता है। अप्रैल 224 में एक अर्सासिद परिवार के लोग सशक्त हो गए। पर उनको क़ुज़ेस्तान में लड़े एक युद्ध में हरा कर अर्दाशिर नाम के एक व्यक्ति ने अपनी प्रभुता स्थापित की। उन्होंने अपने को हख़ामनी वंश (एकेमेनिड) के मूल का बताया। इसके बाद बने वंश को सासानी कहते हैं क्योंकि उनका पूर्ववर्ती सासान था। .

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सिकंदर

सिकंदर (Alexander) (356 ईपू से 323 ईपू) मकदूनियाँ, (मेसेडोनिया) का ग्रीक प्रशासक था। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में वह कुशल और यशस्वी सेनापतियों में से एक माना गया है। अपनी मृत्यु तक वह उन सभी भूमि मे से लगभग आधी भूमि जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी(सत्य ये है की वह पृथ्वी के मात्र 5 प्रतीशत हिस्से को ही जीत पाया था) और उसके विजय रथ को रोकने में सबसे मुख्य भूमिका भारत के महान राजा पुरु (जिन्हे युनानी इतिहासकारों नें पोरस से सम्बोधित किया है।)और भारत के क्षेत्रीय सरदारो की थी, जिन्होंने सिकंदर की सेना में अपने पराक्रम के दम पर भारत के प्रति खौफ पैदा कर उसके हौसले पस्त कर दिये और उसे भारत से लौटने पर मजबूर कर दिया।। उसने अपने कार्यकाल में इरान, सीरिया, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, बॅक्ट्रिया और भारत में पंजाब(जिसके राजा पुरु थे।) तक के प्रदेश पर विजय हासिल की थी परन्तु बाद में वो मगध की विशाल सेना से डर कर लौट गया ।।उल्लेखनीय है कि उपरोक्त क्षेत्र उस समय फ़ारसी साम्राज्य के अंग थे और फ़ारसी साम्राज्य सिकन्दर के अपने साम्राज्य से कोई 40 गुना बड़ा था। फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडोनिया का अलेक्ज़ेंडर, एस्कन्दर का अपभ्रंश सिकन्दर है) औऱ हिंदी में अलक्षेन्द्र कहा गया है। .

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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अश्शूर

अश्शूर प्राचीन मेसोपोटामिया में नव असीरियाई साम्राज्य की राजधानी थी। इस शहर के अवशेष इराक़ में दजला नदी के उपरी हिस्से में स्थित हैं। यह बीसवी सदी ईसापूर्व से लेकर सातवीं सदी ईसापूर्व तक अस्तित्व में था। इसके बाद फ़ारस के हख़ामनी वंश के शासकों के अधीन आ गया। यह शहर लगभग २६००-२५०० ईपू से १४०० ईसवी तक हराभरा व समृद्ध रहा। लेकिन जब तैमूरलंग ने अपने ही लोगों का नरसंहार शुरू करवा दिया तब से इस शहर का अस्तित्व खत्म होता रहा। अश्शूर इस शहर के प्रमुख देवता का भी नाम था। वह असीरिया में सबसे प्रमुख व शक्तिशाली देवता और असीरियाई साम्राज्य के संरक्षक माने जाते थे। वर्तमान में इस जगह को यूनेस्को विश्व धरोहर माना जाता है। २००३ में खाड़ी युद्ध शुरु होने के बाद इस जगह को खतरे में पडे विश्व धरोहरों में गिना जाने लगा। .

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इराक़ और हख़ामनी साम्राज्य के बीच तुलना

इराक़ 76 संबंध है और हख़ामनी साम्राज्य 19 है। वे आम 7 में है, समानता सूचकांक 7.37% है = 7 / (76 + 19)।

संदर्भ

यह लेख इराक़ और हख़ामनी साम्राज्य के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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