इटली और संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्ताव ६८/२६२
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इटली और संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्ताव ६८/२६२ के बीच अंतर
इटली vs. संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्ताव ६८/२६२
इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। . संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्ताव ६८/२६२ यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता पर संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव है जो क्रीमिया के रूसी विलय के जवाब में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अड़सठवें सत्र द्वारा 27 मार्च, 2014 को अपनाया गया। प्रस्ताव में क्रीमिया की हैसियत में बदलाव को मान्यता नहीं देने की मांग की गई थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव पर मतदान हुआ जिसमें क्रीमिया के रूस में विलय को मान्यता नहीं दी गई। संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित प्रस्ताव के पक्ष में 100 वोट पड़े और 11 विरोध में, जबकि 58 सदस्य तटस्थ रहे। यह संकल्प कनाडा, कोस्टा रिका, जर्मनी, लिथुआनिया, पोलैंड और यूक्रेन द्वारा प्रस्तुत किया गया था। रूस ने इस प्रस्ताव को 'शीतयुद्ध कालीन प्रचार का हथकंडा' कहा जिसका इस्तेमाल 'यूक्रेन में गंभीर राजनीतिक संकट' को छिपाने के लिए किया गया था। रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बीच गहरा मतभेद है। बड़ी संख्या में सदस्य या तो तटस्थ रहे या मतदान से गैरहाजिर रहे। यह इस बात का सबूत है कि यूक्रेन की घटनाओं की एकतरफा व्याख्या को स्वीकार नहीं किया गया। क्रीमिया संकट से निपटने के लिए बुलाई गयी सात सत्रों की इस बैठक को केवल रूसी वीटो का सामना करना पड़ा। .
इटली और संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्ताव ६८/२६२ के बीच समानता
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