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आस्ट्रियाई साहित्य और जर्मन भाषा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आस्ट्रियाई साहित्य और जर्मन भाषा के बीच अंतर

आस्ट्रियाई साहित्य vs. जर्मन भाषा

जर्मन साहित्य से मूल का नाता होते हुए भी आस्ट्रियन साहित्य की निजी जातिगत विशेषताएँ हैं; जिनके निरूपण में आस्ट्रिया की भौगोलिक तथा ऐतिहासिक परिस्थितियों के अतिरिक्त काउंटर रिफ़ार्मेशन (16वीं शताब्दी के प्रोटेस्टेंट ईसाइयों के सुधारवादी आंदोलन के विरुद्ध यूरोप में ईसाई धर्म के कैथॉलिक संप्रदाय के पुररुत्थान के लिए हुआ आंदोलन) और पड़ासी देशों से घनिष्ठ, किंतु विद्वेषपूर्ण संबंधों का भी हाथ रहा। इसके साथ-साथ आस्ट्रिया पर इतालीय तथा स्पेनी संस्कृतियों का भी गहरा प्रभाव पड़ा। फलस्वरूप यह देश एक अति अलंकृत साहित्य एवं संस्कृति का केंद्र बन गया। काउंटर रिफ़र्मेशन काल में वीनीज़ जनता का राष्ट्रीय स्वभाव एवं मनोवृत्तियाँ सजग होकर निखर आई थीं। इस चेतना ने आस्ट्रियाई साहित्य के जर्मन चोले को उतार फेंका। भावुक, हास्यप्रिय एवं सौंदर्यप्रेमी वोनीज़ जनता प्रकृतिस, संगीत तथा सभी प्रकार की दर्शनीय भव्यता की पुजारी है। उसकी कलादृष्टि बहुत पैनी है। जीवन की दु:खदायी परिस्थितियों से वह दूर भागती है। उसके आकर्षण और तन्मयता के केंद्र हैं जीवन के सुखद राग रंग। आत्मा परमात्मा, जीवन मरण, लोक परलोक के गंभीर दार्शनिक विवेचन में वह विरक्त है। फिर भी वह अतिशयोक्ति से दूर रहकर समन्वय और संतुलन में आस्था रखती है। प्रथम महायुद्ध के पूर्व और उपरांत जीवन के प्रति यह घोर आसक्ति आस्ट्रिया के साहित्य में प्रवाहित थी, किंतु द्वितीय महायुद्ध ने उसे बहुत कुछ चकित और कुंठित कर दिया है। फिर भी आस्ट्रियाई साहित्य आज तक भी उदारमना और मानवतावादी है। मध्ययुग में आस्ट्रिया के कैरिंथिया और स्टायर प्रदेशों में भजन और वीरकाव्य साहित्य में प्रमुख रहे। वीरकाव्य को विएना के राजदरबार में प्रश्रय मिला। किंतु काव्य दरबारी नहीं हुआ। मध्यकालीन राष्ट्रीय महाकाव्यों के निर्माण में आस्ट्रिया प्रमुख के साथ-साथ स्टायर तथा टीरोल प्रदेशों ने भी विशेष योग दिया। वाल्तेयर फ्ऱॉन डेयर फ़ोगलवीड और नीथार्ट इस युग के महारथी महाकाव्यकार हुए। मध्ययुगीन महाकाव्य के काल को सम्राट् माक्सीमिलियन प्रथम (मृत्यु सन्‌ 1519 ई.) ने अनावश्यक रूप से विलंबित किया, यद्यपि साहित्य में मानवतावाद की चेतना जगाने का श्रेय भी उसी को है। मध्ययुग का अंत होते न होते आस्ट्रियाई साहित्य पर यथार्थवाद और व्यंग्य का भी रंग चढ़ने लगा था। निरंतर धार्मिक संघर्षों, आंतरिक तथा विदेशी राजनीतिक कठिनाइयों के कारण आस्ट्रियाई साहित्य में निष्क्रियता के एक दीर्घयुग का सूत्रपात हुआ। तत्पश्चात्‌ अलंकृत शैली के युग ने जन्म लिया जो दक्षिण जर्मनी की देन थी और जो साहित्य, स्थापत्य, मूर्ति, चित्र, संगीत आदि सभी ललित कलाओं पर छा गई। धार्मिक क्षेत्र में यह जेसुइट्स की प्रभुता का युग था और राजनीतिक क्षेत्र में सम्राटों के कट्टर स्वेच्छाचारी शासन का काल। यह स्थिति स्पेन के प्रभाव के परिणामस्वरूप हुई। नाटक पर इतालीय प्रभाव पड़ा जो 19 वीं शताब्दी तक रहा। इसी प्रभाव के कारण आस्ट्रियाई नाटक प्रथम बार अपने साहित्यिक रूप में उभरकर आया। 18वीं शताब्दी के मध्य में आफ़क्लेयरुंग (ज्ञानोदय) आंदोलन आस्ट्रिया में प्रविष्ट हुआ, जिसने उत्तरी और दक्षिणी जर्मनी के काउंटर रिफ़र्मेंशन से चले आए साहित्यिक मतभेदों को कम किया। इस समन्वयवादी प्रवृत्ति का ऐतिहासिक प्रतिनिधि ज़ोननफैल्स (सन्‌ 1733-1817 ई.) है, जिसके साहित्य में स्थायी तत्व का अभाव होते हुए भी उसकी सदाशयता महत्वपूर्ण है। इस आंदोलन का एक अन्य महत्वपूर्ण परिणाम सन्‌ 1776 ई. में 'बुर्ग थियेटर' की स्थापना है जिसका प्रसिद्ध नाटककार कॉलिन हुआ। आस्ट्रियाई साहित्य का स्वर्ण युग 'फ़ारम्येर्ज़' (रोमानी) आंदोलन से प्रारंभ हुआ जिसके प्रवर्तक श्लेगेल बंधु हैं। यह रोमानी आंदोलन अंगेजी तथा अन्यान्य यूरोपीय साहित्यों में बाद को शुरू हुआ। बानर्नफ़ेल्ड, रैमंड, नैस्ट्राय, ग्रुइन, लेनाफ़, स्टल्ज़हामर आदि इस युग के अन्य मान्य लेखक हैं। स्टिफ़लर (सन्‌ 1868 ई.) और विश्वविद्यालय ग्रिलपार्ज़र (सन्‌ 1872 ई.) रोमानी युग तथा आनेवाले स्वाभाविक उदारतावादी युग को मिलानेवाली कड़ी थे। आस्ट्रिया में प्रवसित जर्मन हैबल, लाउबे, बिलब्रांड तथा आस्ट्रियाई क्विन व्यर्गर, शीडलर, हामरलिंग, एबनेयर, ऐशिनबाख़, सार, रोज़ेग्येर, आज़िनग्रूबर आदि स्वाभाविक उदारतावादी प्रवृत्ति के प्रमुख लेखक हुए। आधुनिक आस्ट्रियाई साहित्य का प्रादुर्भाव नवरोमानी प्रवृत्ति को लेकर सन्‌ 1880 ई. में हुआ। इस नवीन प्रवृत्ति का प्राबल्य सन्‌ 1900 ई. तक ही रहा, किंतु इस युग ने सर्वतोमुखी प्रतिभासंपन्न महान्‌ लेखक हेयरमान ब्हार को जन्म दिया। सन्‌ 1900 से 1919 ई. तक यथार्थवाद तथा रोमांसवाद के समन्वय का युग रहा। सन्‌ 1919 ई. में अभिव्यक्तिवाद का प्रादुर्भाव हुआ। पूर्वोक्त तीनों प्रवृत्तियाँ समकालीन जर्मन साहित्य से प्रभावित थीं। किंतु आस्ट्रियाई यथार्थवाद सहज और सौम्य था, जर्मन यथार्थवादी होल्ज़ तथा श्लाफ़ के साहित्य की भांति उग्र नहीं है। आस्टिट्रयाई गीतिकाव्य के 'प्रौढ़ आधुनिक' कवियों में ह्यूगो हाफ़मांसठाल सर्वश्रेष्ठ गीतिकार हुए। यह राइनलैंडर स्टीफ़न ग्यार्ग (सन्‌ 1809-1902 ई.) प्रणीत उग्र यथार्थवाद के विरोधी स्कूल के प्रमुख कवि थे। आंग्ल कवि स्विनबर्न से इनकी तुलना की जा सकती है। दिन-प्रति-दिन के जीवन के प्रति आभिजात्यसुलभ उदासीनता, जटिल असामान्य आध्यात्मिक तत्वज्ञान की प्राप्ति के लिए व्याकुल अधीरता और सूक्ष्म सौंदर्य की खोज इनके काव्य की विशेषताएँ हैं। यह भव्य कल्पना एवं संपन्न भाषा के धनी थे। अपनी शैली के यह राजा थे। सम्यक्‌ दृष्टि से इनकी तुलना हिंदी के महान्‌ कवि श्री सुमित्रानंदन पंत से की जा सकती है। इनसे प्रभावित गीतिकारों में स्टीफ़ेन ज्विग, ब्लाडीमीर, हार्टलीब, हांस फ्लूलर, अल्फ्रडे गुडवाल्ड, ओटोहांसर, फ़ेलिक्स ब्राउन, पाउल व्यर्टहाइमर, मार्क्स मैल और भावोन्मादी कवि आंटोन वील्डगांस सुप्रसिद्ध हैं। अभिव्यक्तिवादी वर्ग के अल्बर्ट ऐहरेंस्टीन, फ्रांज व्यर्फ़ल, ग्योर्ग, ट्राक्ल कार्ल शासलाइटनर, फ्रेड्रिख श्वेफ़ोग्ल आदि कवियों ने जहां छंदों के बंधनों और तर्क की कारा को तोड़ा, वहां समस्त विश्व और मानवता के प्रति अपने काव्य में असीम प्रेम को अभिव्यक्त किया, वाल्ट ह्विटमैन तथा फ्रांसीसी सर्वस्वीकृतिवादियों की भांति प्रबल व्यंग्यकार कवि कार्ल क्राउस, चित्रकार कवि यूरिल बिर्नबाउम, श्रमिक कवि आलफ़ोन्ज़ पैट्शील्ड और पीटर आल्टेनब्यर्ग (जिसके लघु 'गीतगद्य' अनिर्वचनीय सौंदर्य तथा बालसुलभ बुद्धिमत्ता से ओतप्रोत हैं और जो अपने जीवन और कला में अत्यंत मौलिक भी हैं-'युगवाणी' के गीतगद्यकार पंत जी के समान ही) के काव्य वस्तुचिंतन में पूर्वोक्त कविसमूह से बहुत समानता मिलती है। पूर्वोक्त वादों से स्वतंत्र अस्तित्व रखनेवाले, किंतु पुराने रोमांसवादियों के अनुयायी कवियों में रिचर्ड क्रालिक, कार्ल फ़ान गिंज़के, रिचर्ड शाकल, धार्मिक कवयित्री ऐनरिका, हांडिल माज़ेटी, श्रीमती ऐरिका स्पान राइनिश और टिरोलीज़ कवि आर्थर वालपाख़, कार्ल डोलागो तथा हाइनरिश शूलर्न महत्वपूर्ण हैं। स्वाभाविकतावादी उपन्यासकारों में आर्थर श्नित्ज़लर (सन्‌ 1862-1931 ई.) तथा जैकब वासनमान (सन्‌ 1873-1934 ई.) अद्वितीय और अमर हैं। महानगरों का आधुनिक जीवन ही उनकी कथावस्तु है। किंतु जहां श्नित्ज़लर मात्र व्यक्तिगत समस्याओं का कलाकार था, वहां वासनमान सामाजिक प्रश्नों का भी चितेरा है। आस्ट्रियाई उपन्यास का दूसरा सन्‌ 1908 ई. श्नित्ज़लर के विरोध में 'केलयार्ड' आंदोलन के रूप में उठा। इस वर्ग के उपन्यासकारों ने नगरों से अपनी दृष्टि हटाकर कस्बों और ग्रामों में रहनेवाले जनसाधारण पर केंद्रित की। स्टायर प्रांत का निवासी रोडाल्फ़ हांस बार्ट्‌श इस नवीन दल का महान्‌ उपन्यासकार हुआ। कविश्रेष्ठ हाफ़मांसठाल के समान ही बार्ट्‌श भी प्रचुर कल्पना और भव्य शैली का स्वामी था, प्राकृतिक दृश्यों के शब्दचित्रांकन में तो यह उपन्यासकार आस्ट्रियाई साहित्य में अनुपम है। घोर स्वाभाविकतावादियों के कारण आस्ट्रिया में ऐतिहासिक उपन्यास अनाथ रहा। परंतु प्रथम महायुद्ध से किंचित्‌ पहले दार्शनिक लेखकद्वय, ईविन कोलबनहेयर तथा ऐमिल लूका ने इस विषय पर अपनी लेखनी उठाई। विचारों की गहराई, जगमगाती, चित्रात्मक शैली और कथावस्तु की कुशल संयोजना ने इनके ऐतिहासिक उपन्यासों को महान्‌ साहित्य की कोटि में ला रखा है। जर्मन 'गाईस्ट' (राष्ट्रीय आत्मा) के ऐतिहासिक विकास पर एक सफल उपन्यासमाला हालबाउम ने लिखी। प्रथम महायुद्ध तथा परवर्ती उपन्यासकार जीवन के प्रति क्लांत उदासीनता, उत्तेजक नकारात्मकता अथवा प्राणशक्ति की प्रबल स्वीकारोक्ति आदि विविध परस्पर विरोधी प्रवृत्तियों के पोषक हैं। धार्मिक, आध्यात्मिक तथा रहस्यवादी विषय पुन: उपन्यास की कथावस्तु बन गए। आतंक तथा वेल्सवाद (प्रसिद्ध आंग्ल उपन्यासकार एच.जी. वेल्स की समस्त दु:खदोषों से मुक्त अति आदर्श मानव समाज की परिकल्पना) से पूर्ण उपन्यास भी रचे जाने लगे। ओट्टो सोयका, फ्ऱाज, स्पुंडा, पाउल सूसोन आदि उपन्यासकार इसी वर्ग के हैं। किंतु युग में रूडोल्फ क्रेउत्ज़ भी हुआ जिसने युद्ध के नितांत विनाश तथा शांति का प्रतिपादन किया। इस दृष्टि से हम क्रेउत्ज़ को लियो ताल्स्ताय की परंपरा का अति आधुनिक उपन्यासकार कह सकते हैं। आस्ट्रियाई नाटक साहित्य में दो दल स्पष्ट रहे। प्रथम तो स्वाभाविकतावादी श्नित्ज़लर का था, जिसके प्रधान उपकरण नवरोमांसवाद अथवा हॉफ़मांसठाल की नवालंकृत शैली थे और जो उच्च तथा उच्च मध्यमवर्गीय समाज की श्रृंगारिक समस्याओं पर सुखद मनोरंजक नाटक रचते थे। ब्हार, साल्टिन, मलर, वर्टहाइमर, साइगफ्राइड, ट्रेबित्श और कुर्त फ्राइब्यर्गर इसी दल के प्रतिष्ठित नाटककार हुए। दूसरा दल आदिम शक्तिमत्ता में आस्था रखता था और अति यथार्थवादी नाटकों की रचना करता था। इसके नेता कार्ल शूनहेयर हुए। हाफ़मासठाल के नाटक 'प्रत्येक व्यक्ति' (सन्‌ 1912 ई.) प्रभावित होकर नाटककार म्यल और ग्योर्ग ने मध्ययुगीन 'नैतिकतावादी' नाटक को पुनर्जीवित करने का प्रयत्न किया। क्रूर स्वाभावकितावाद के विरोधी वाइल्डगांस के नाटक आनंदित अभिव्यक्तिवाद के जनक थे और यद्यपि युद्धपूर्वकाल में प्रारंभ हुए थे, तथापि आस्ट्रियन साम्राज्यवादी व्यवस्था का ह्रास होने के बाद भी युद्धोत्तरकाल में लोकप्रिय रहे। रचनाकार के अहं को उच्चासीन करके वाइल्डगांस ने आस्ट्रियाई नाटक को रूप-वस्तु-विषयक रूढ़ियों की श्रृंखला से मुक्त कर दिया। जिस 'बीन बुर्गथियेटर' ने जर्मन नाटकसाहित्य तथा मंच कला का नेतृत्व किया, उसका प्रबल प्रतिद्वंद्वी 'डेयर जोसफ़स्टाड' स्थित माक्स राइनहार्ड का थियेटर सिद्ध हुआ। राइनहार्ड के ही प्रयत्नों के फलस्वरूप आज साल्ज़बुर्ग में वार्षिक नाटकोत्सव होता है जो आस्ट्रियाई साहित्य तथा संस्कृत का गौरव है। . विश्व के जर्मन भाषी क्षेत्र जर्मन भाषा (डॉयट्श) संख्या के अनुसार यूरोप की सब से अधिक बोली जाने वाली भाषा है। ये जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड और ऑस्ट्रिया की मुख्य- और राजभाषा है। ये रोमन लिपि में लिखी जाती है (अतिरिक्त चिन्हों के साथ)। ये हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में जर्मनिक शाखा में आती है। अंग्रेज़ी से इसका करीबी रिश्ता है। लेकिन रोमन लिपि के अक्षरों का इसकी ध्वनियों के साथ मेल अंग्रेज़ी के मुक़ाबले कहीं बेहतर है। आधुनिक मानकीकृत जर्मन को उच्च जर्मन कहते हैं। जर्मन भाषा भारोपीय परिवार के जर्मेनिक वर्ग की भाषा, सामान्यत: उच्च जर्मन का वह रूप है जो जर्मनी में सरकारी, शिक्षा, प्रेस आदि का माध्यम है। यह आस्ट्रिया में भी बोली जाती है। इसका उच्चारण १८९८ ई. के एक कमीशन द्वारा निश्चित है। लिपि, फ्रेंच और अंग्रेजी से मिलती-जुलती है। वर्तमान जर्मन के शब्दादि में अघात होने पर काकल्यस्पर्श है। तान (टोन) अंग्रेजी जैसी है। उच्चारण अधिक सशक्त एवं शब्दक्रम अधिक निश्चित है। दार्शनिक एवं वैज्ञानिक शब्दावली से परिपूर्ण है। शब्दराशि अनेक स्रोतों से ली गई हैं। उच्च जर्मन, केंद्र, उत्तर एवं दक्षिण में बोली जानेवाली अपनी पश्चिमी शाखा (लो जर्मन-फ्रिजियन, अंग्रेजी) से लगभग छठी शताब्दी में अलग होने लगी थी। भाषा की दृष्टि से "प्राचीन हाई जर्मन" (७५०-१०५०), "मध्य हाई जर्मन" (१३५० ई. तक), "आधुनि हाई जर्मन" (१२०० ई. के आसपास से अब तक) तीन विकास चरण हैं। उच्च जर्मन की प्रमुख बोलियों में यिडिश, श्विज्टुन्श, आधुनिक प्रशन स्विस या उच्च अलेमैनिक, फ्रंकोनियन (पूर्वी और दक्षिणी), टिपृअरियन तथा साइलेसियन आदि हैं। .

आस्ट्रियाई साहित्य और जर्मन भाषा के बीच समानता

आस्ट्रियाई साहित्य और जर्मन भाषा आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): ऑस्ट्रिया

ऑस्ट्रिया

ऑस्ट्रिया (जर्मन: Österreich एओस्तेराइख़, अर्थात पूर्वी राज्य) मध्य यूरोप में स्थित एक स्थल रुद्ध देश है। इसकी राजधानी वियना है। इसकी (मुख्य- और राज-) भाषा जर्मन भाषा है। देश का ज़्यादातर हिस्सा ऐल्प्स पर्वतों से ढका हुआ है। यूरोपीय संघ के इस देश की मुद्रा यूरो है। इसकी सीमाएं उत्तर में जर्मनी और चेक गणराज्य से, पूर्व में स्लोवाकिया और हंगरी से, दक्षिण में स्लोवाकिया और इटली और पश्चिम में स्विटजरलैंड और लीश्टेनश्टाइन से मिलती है। इस देश का उद्भव नौवीं शताब्दी के दौरान ऊपरी और निचले हिस्से में आबादी के बढ़ने के साथ हुआ। Ostarrichi शब्द का पहले पहल इस्तेमाल 996 में प्रकाशित आधिकारिक लेख में किया गया, जो बाद में Österreich एओस्तेराइख़ में बदल गया। आस्ट्रिया में पूर्वी आल्प्स की श्रेणियाँ फैली हुई हैं। इस पर्वतीय देश का पश्चिमी भाग विशेष पहाड़ी है जिसमें ओट्जरस्टुवार्ड, जिलरतुल आल्प्स (१,२४६ फुट) आदि पहाड़ियाँ हैं। पूर्वी भाग की पहाड़ियां अधिक ऊँची नहीं हैं। देश के उत्तर पूर्वी भाग में डैन्यूब नदी पश्चिम से पूर्व को (३३० किमी लंबी) बहती है। ईन, द्रवा आदि देश की सारी नदियां डैन्यूब की सहायक हैं। उत्तरी पश्चिमी सीमा पर स्थित कांस्टैंस, दक्षिण पूर्व में स्थित न्यूडिलर तथा अतर अल्फ गैंग, आसे आदि झीलें देश की प्राकृतिक शोभा बढ़ाती हैं। आस्ट्रिया की जलवायु विषम है। यहां ग्रर्मियों में कुछ अधिक गर्मी तथा जाड़ों में अधिक ठंडक पड़ती है। यहां पछुआ तथा उत्तर पश्चिमी हवाओं से वर्षा होती है। आल्प्स की ढालों पर पर्याप्त तथा मध्यवर्ती भागों में कम पानी बरसता है। यहाँ की वनस्पति तथा पशु मध्ययूरोपीय जाति के हैं। यहाँ देश के ३८ प्रतिशत भाग में जंगल हैं जिनमें ७१ प्रतिशत चीड़ जाति के, १९ प्रतिशत पतझड़ वाले तथा १० प्रतिशल मिश्रित जंगल हैं। आल्प्स के भागों में स्प्रूस (एक प्रकार का चीड़) तथा देवदारु के वृक्ष तथा निचले भागों में चीड़, देवदारु तथा महोगनी आदि जंगली वृक्ष पाए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि आस्ट्रिया का प्रत्येक दूसरा वृक्ष सरो है। इन जंगलों में हिरन, खरगोश, रीछ आदि जंगली जानवर पाए जाते हैं। देश की संपूर्ण भूमि के २९ प्रतिशत पर कृषि होती है तथा ३० प्रतिशत पर चारागाह हैं। जंगल देश की बहुत बड़ी संपत्ति है, जो शेष भूमि को घेरे हुए है। लकड़ी निर्यात करनेवाले देशों में आस्ट्रिया का स्थान छठा है। ईजबर्ग पहाड़ के आसपास लोहे तथा कोयले की खानें हैं। शक्ति के साधनों में जलविद्युत ही प्रधान है। खनिज तैल भी निकाला जाता है। यहां नमक, ग्रैफाइट तथा मैगनेसाइट पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। मैगनेसाइट तथा ग्रैफाइट के उत्पादन में आस्ट्रिया का संसार में क्रमानुसार दूसरा तथा चौथा स्थान है। तांबा, जस्ता तथा सोना भी यहां पाया जाता है। इन खनिजों के अतिरिक्त अनुपम प्राकृतिक दृश्य भी देश की बहुत बड़ी संपत्ति हैं। आस्ट्रिया की खेती सीमित है, क्योंकि यहां केवल ४.५ प्रतिशत भूमि मैदानी है, शेष ९२.३ प्रतिशत पर्वतीय है। सबसे उपजाऊ क्षेत्र डैन्यूब की पार्श्ववर्ती भूमि (विना का दोआबा) तथा वर्जिनलैंड है। यहां की मुख्य फसलें राई, जई (ओट), गेहूँ, जौ तथा मक्का हैं। आलू तथा चुकंदर यहां के मैदानों में पर्याप्त पैदा होते हैं। नीचे भागों में तथा ढालों पर चारेवाली फसलें पैदा होती हैं। इनके अतिरिक्त देश के विभिन्न भागों में तीसी, तेलहन, सन तथा तंबाकू पैदा किया जाता है। पर्वतीय फल तथा अंगूर भी यहाँ होता है। पहाड़ी क्षेत्रों में पहाड़ों को काटकर सीढ़ीनुमा खेत बने हुए हैं। उत्तरी तथा पूर्वी भागों में पशुपालन होता है तथा यहाँ से वियना आदि शहरों में दूध, मक्खन तथा चीज़ पर्याप्त मात्रा में भेजा जाता है। जोरारलबर्ग देश का बहुत बड़ा संघीय पशुपालन केंद्र है। यहां बकरियां, भेड़ें तथा सुअर पर्याप्त पाले जाते हैं जिनसे मांस, दूध तथा ऊन प्राप्त होता है। आस्ट्रिया की औद्योगिक उन्नति महत्वपूर्ण है। लोहा, इस्पात तथा सूती कपड़ों के कारखाने देश में फैले हुए हैं। रासायनिक वस्तुएँ बनाने के बहुत से कारखाने हैं। यहाँ धातुओं के छोटे मोटे सामान, वियना में विविध प्रकार की मशीनें तथा कलपुर्जे बनाने के कारखाने हैं। लकड़ी के सामान, कागज की लुग्दी, कागज एवं वाद्यतंत्र बनाने के कारखाने यहां के अन्य बड़े धंधे हैं। जलविद्युत् का विकास खूब हुआ है। देश को पर्यटकों का भी पर्याप्त लाभ होता है। पहाड़ी देश होने पर भी यहाँं सड़कों (कुल सड़कें ४१,६४९ कि.मी.) तथा रेलवे लाइनों (५,९०८ कि.मी.) का जाल बिछा हुआ है। वियना यूरोप के प्राय: सभी नगरों से संबद्ध है। यहां छह हवाई अड्डे हैं जो वियना, लिंज, सैल्बर्ग, ग्रेज, क्लागेनफर्ट तथा इंसब्रुक में हैं। यहां से निर्यात होनेवाली वस्तुओं में इमारती लकड़ी का बना सामान, लोहा तथा इस्पात, रासायनिक वस्तुएं और कांच मुख्य हैं। विभिन्न विषयों की उच्चतम शिक्षा के लिए आस्ट्रिया का बहुत महत्व है। वियना, ग्रेज तथा इंसब्रुक में संसारप्रसिद्ध विश्वविद्यालय हैं। आस्ट्रिया में गणतंत्र राज्य है। यूरोप के ३६ राज्यों में, विस्तार के अनुसार, आस्ट्रिया का स्थान १९वाँ है। यह नौ प्रांतों में विभक्त है। वियना प्रांत में स्थित वियना नगर देश की राजधानी है। आस्ट्रिया की संपूर्ण जनसंख्या का १/४ भाग वियना में रहता है जो संसार का २२वाँ सबसे बड़ा नगर है। अन्य बड़े नगर ग्रेज, जिंज, सैल्जबर्ग, इंसब्रुक तथा क्लाजेनफर्ट हैं। अधिकांश आस्ट्रियावासी काकेशीय जाति के हैं। कुछ आलेमनों तथा बवेरियनों के वंशज भी हैं। देश सदा से एक शासक देश रहा है, अत: यहां के निवासी चरित्रवान् तथा मैत्रीपूर्ण व्यवहारवाले होते हैं। यहाँ की मुख्य भाषा जर्मन है। आस्ट्रिया का इतिहास बहुत पुराना है। लौहयुग में यहाँ इलिरियन लोग रहते थे। सम्राट् आगस्टस के युग में रोमन लोगों ने देश पर कब्जा कर लिया था। हूण आदि जातियों के बाद जर्मन लोगों ने देश पर कब्जा कर लिया था (४३५ ई.)। जर्मनों ने देश पर कई शताब्दियों तक शासन किया, फलस्वरूप आस्ट्रिया में जर्मन सभ्यता फैली जो आज भी वर्तमान है। १९१९ ई. में आस्ट्रिया वासियों की प्रथम सरकार हैप्सबर्ग राजसत्ता को समाप्त करके, समाजवादी नेता कार्ल रेनर के प्रतिनिधित्व में बनी। १९३८ ई. में हिटलर ने इसे महान् जर्मन राज्य का एक अंग बना लिया। द्वितीय विश्वयुद्ध में इंग्लैंड आदि देशों ने आस्ट्रिया को स्वतंत्र करने का निश्चय किया और १९४५ ई. में अमरीकी, ब्रितानी, फ्रांसीसी तथा रूसी सेनाओं ने इसे मुक्त करा लिया। इससे पूर्व अक्टूबर, १९४३ ई. की मास्को घोषणा के अंतर्गत ब्रिटेन, अमरीका तथा रूस आस्ट्रिया को पुन: एक स्वतंत्र तथा प्रभुसत्तासंपन्न राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित कराने का अपना निश्चय व्यक्त कर चुके थे। २७ अप्रैल, १९४५ को डा.

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आस्ट्रियाई साहित्य और जर्मन भाषा के बीच तुलना

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संदर्भ

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