लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

आशवरी

सूची आशवरी

आशवरी रागिनी, १६१० ई (रागमाला पेंटिंग्स) आसावरी (या, आसावरी) प्राचीन भारतीय संगीताचार्यों के अनुसार राग 'श्री' की एक प्रमुख रागिनी। ऋतु, समय और भावादि का वैज्ञानिक विश्लेषण करके प्रमुख 132 प्रकार के राग-रागिनियों की कल्पना की गई थी किंतु आधुनिक विद्वानों ने यह विभेद हटाकर सबको राग की ही संज्ञा दी है। आशावरी वियोगशृंगार की रागिनी (राग) है और इसके गायन का समय दिन का द्वितीय प्रहर है। इसका लक्षण 'रागप्रकाशिका' नामक ग्रंथ (सन्‌ 1899 ई.) में यों दिया है:;पीतम के बिरहा भरी, इत उत डोलत धाय।;ढूंढ़त भूतल शैल बन, कर मल मल पछिताय॥ अशावरी रागिनी के जो चित्र उपलब्ध हैं उनमें अपना जातीय परिधान पहने एक युवती बैठी सर्पों से खेल रही है और सामने दो बीनकार बैठे बीन बजा रहे हैं। .

3 संबंधों: बीन, राग, आरोह

बीन

बीन बजाता हुआ एक संपेरा बीन बीन या पुंगी एक वायु प्रवाह से काम करने वाला वाद्य यन्त्र है। भारतीय उपमहाद्वीप में संपेरे मुख्यतः इस आद्य यन्त्र को बजाते हैं। श्रेणी:वाद्य यंत्र.

नई!!: आशवरी और बीन · और देखें »

राग

'''वसन्त रागिनी''' वसन्त का राग है। इस चित्र में कृष्ण गोपियों के साथ नृत्य करते दिख रहे हैं। राग सुरों के आरोहण और अवतरण का ऐसा नियम है जिससे संगीत की रचना की जाती है। पाश्चात्य संगीत में "improvisation" इसी प्रकार की पद्धति है। .

नई!!: आशवरी और राग · और देखें »

आरोह

संगीत के नीचे के सुर से आरम्भ करके ऊपर के सुरों की ओर चढ़ते हुये जब आलाप लिया जाता है तो उसे आरोह कहते हैं। मुख्यतः आरोह शब्द संगीत से सम्बंधित है किन्तु उत्थान, विकास आदि का भाव दर्शाने के लिये इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। .

नई!!: आशवरी और आरोह · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

आसावरी

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »