आर्यभटीय और गोविन्दस्वामी (गणितज्ञ) के बीच समानता
आर्यभटीय और गोविन्दस्वामी (गणितज्ञ) आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): भाष्य, भास्कर प्रथम।
भाष्य
संस्कृत साहित्य की परम्परा में उन ग्रन्थों को भाष्य (शाब्दिक अर्थ - व्याख्या के योग्य), कहते हैं जो दूसरे ग्रन्थों के अर्थ की वृहद व्याख्या या टीका प्रस्तुत करते हैं। मुख्य रूप से सूत्र ग्रन्थों पर भाष्य लिखे गये हैं। भाष्य, मोक्ष की प्राप्ति हेतु अविद्या (ignorance) का नाश करने के साधन के रूप में जाने जाते हैं। पाणिनि के अष्टाध्यायी पर पतंजलि का व्याकरणमहाभाष्य और ब्रह्मसूत्रों पर शांकरभाष्य आदि कुछ प्रसिद्ध भाष्य हैं। .
आर्यभटीय और भाष्य · गोविन्दस्वामी (गणितज्ञ) और भाष्य ·
भास्कर प्रथम
भास्कर प्रथम (600 ई – 680 ईसवी) भारत के सातवीं शताब्दी के गणितज्ञ थे। संभवतः उन्होने ही सबसे पहले संख्याओं को हिन्दू दाशमिक पद्धति में लिखना आरम्भ किया। उन्होने आर्यभट्ट की कृतियों पर टीका लिखी और उसी सन्दर्भ में ज्या य (sin x) का परिमेय मान बताया जो अनन्य एवं अत्यन्त उल्लेखनीय है। आर्यभटीय पर उन्होने सन् ६२९ में आर्यभटीयभाष्य नामक टीका लिखी जो संस्कृत गद्य में लिखी गणित एवं खगोलशास्त्र की प्रथम पुस्तक है। आर्यभट की परिपाटी में ही उन्होने महाभास्करीय एवं लघुभास्करीय नामक दो खगोलशास्त्रीय ग्रंथ भी लिखे। .
आर्यभटीय और भास्कर प्रथम · गोविन्दस्वामी (गणितज्ञ) और भास्कर प्रथम ·
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आर्यभटीय और गोविन्दस्वामी (गणितज्ञ) के बीच तुलना
आर्यभटीय 38 संबंध है और गोविन्दस्वामी (गणितज्ञ) 12 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 4.00% है = 2 / (38 + 12)।
संदर्भ
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