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आर्थिक नीति

सूची आर्थिक नीति

आर्थिक नीति (Economic policy) से आशय उन सरकारी नीतियों से होता है जिनके द्वारा किसी देश के आर्थिक क्रियाकलापों का नियमन होता है। आर्थिक नीति के अन्तर्गत करों के स्तर निर्धारित करना, सरकार का बजट, मुद्रा की आपूर्ति, ब्याज दर के साथ-साथ श्रम-बाजार, राष्ट्रीय स्वामित्व, तथा अर्थव्यवस्था में सरकार के हस्तक्षेप के अनेकानेक क्षेत्र आते हैं। आर्थिक नीति का सम्बन्ध आर्थिक मामलों से सम्बन्धित कुछ निर्धारित परिणामों की प्राप्ति हेतु अपनाई गई कार्यविधि से होता है। आर्थिक नीति एक व्यापक नीति है और इसमें अनेक नीतियों का समावेश किया जाता है। सामाजिक विज्ञान के विश्वकोष के अनुसार, ‘‘आर्थिक नीति शब्द का प्रयोग आर्थिक क्षेत्र में सरकार की उन सभी क्रियाओं में सम्मिलित किया जा सकता है, जिनका सम्बन्ध उत्पादन, वितरण एवं उपयोग में जानबूझकर अथवा अधिक सरकारी हस्तक्षेप से होता है।’’ इस प्रकार आर्थिक नीति किसी सरकार का वह आर्थिक दर्शन और व्यापक शब्द है जिसके अन्तर्गत विभिन्न नीतियाँ, जैसे - कृषि नीति, औद्योगिक नीति, वाणिज्य नीति, राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, नियोजन नीति, आय नीति, रोजगार नीति, परिवहन नीति एवं जनसंख्या नीति आदि सम्मिलित हैं, में समन्वय कर निर्धारित लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए वह कदम उठाती है। .

13 संबंधों: नयी आर्थिक नीति १९९१, निर्यात, बजट, ब्याज दर, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुद्रा (भाव भंगिमा), राजकोषीय नीति, सामाजिक विज्ञान, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, औद्योगिक नीति, आयात, कर, कृषि नीति

नयी आर्थिक नीति १९९१

१९९० के दशक में भारत सरकार ने आर्थिक संकट से बाहर आने के क्रम में अपने पिछले आर्थिक नीतियों से विचलित और निजीकरण की दिशा में सीखने का फैसला किया और अपनी नई आर्थिक नीतियों को एक के बाद एक घोषित करना शुरू कर दिया। आगे चलकर इन नीतियों के अच्छे परिणाम देखने को मिले और भारत के आर्थिक इतिहास में ये नीतियाँ मील के पत्थर सिद्ध हुईं। उस समय पी वी नरसिंह राव भारत के प्रधानमंत्री थे और मनमोहन सिंह वित्तमंत्री थे। इससे पहले देश एक गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा था और इसी संकट ने भारत के नीति निर्माताओं को नयी आर्थिक नीति को लागू के लिए मजबूर कर दिया था । संकट से उत्पन्न हुई स्थिति ने सरकार को मूल्य स्थिरीकरण और संरचनात्मक सुधार लाने के उद्देश्य से नीतियों का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया। स्थिरीकरण की नीतियों का उद्देश्य कमजोरियों को ठीक करना था, जिससे राजकोषीय घाटा और विपरीत भुगतान संतुलन को ठीक किया सके। नई आर्थिक नीति के ३ प्रमुख घटक या तत्व थे- उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण । .

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निर्यात

किसी भी तरह के उत्पादों या सेवओं को बाहर के किसी देश को बेंचनें निर्यात को कहते है। आयात का उल्टा होता है आयात। श्रेणी:अर्थशास्त्र.

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बजट

अर्थसंकल्प सामान्यतः बजट (फ्रांसीसी भाषा के शब्द bougette से व्युत्पन्न) धन (राजस्व) के आय और उसके व्यय की सूची को कहते हैं। व्यष्टि अर्थशास्त्र (microeconomics) में अर्थसंकल्प एक महत्वपूर्ण अवधारणा (कांसेप्ट) है। अर्थसंकल्प किसी देश का हो सकता है; किसी संस्था का हो सकता है या व्यक्तिगत अथवा पारिवारिक अर्थसंकल्प हो सकता है। .

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ब्याज दर

जमा किये गये, उधार दिये गये, या उधार लिये गये किसी धन पर प्रत्येक अवधि (period) में जिस दर से ब्याज लिया/दिया जाता है उसे ब्याज दर (interest rate, या rate of interest) कहते हैं। उदाहरण के लिये, ब्याज दर ८ प्रतिशत वार्षिक हो तो इसका अर्थ है कि प्रत्येक १०० रूपये के जमा पर एक वर्ष में ८ रूपये ब्याज दिया जायेगा। किसी जमा किये/उधार लिये धन पर कुल ब्याज इन बातों पर निर्भर करता है- मूलधन, ब्याज की दर, चक्रवर्धन आवृत्ति (कम्पाउण्डिंग पिरियड), कुल अवधि जिसके लिये धन दिया/लिया गया है। आवर्धन अवधि एक वर्ष, आधा वर्ष, चौथाई वर्ष, एक माह आदि होता है। श्रेणी:वित्त.

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भारतीय रिज़र्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है। रिजर्व बैक भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है। इसकी स्थापना १ अप्रैल सन १९३५ को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ऐक्ट १९३४ के अनुसार हुई। बाबासाहेब डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में अहम भूमिका निभाई हैं, उनके द्वारा प्रदान किये गए दिशा-निर्देशों या निर्देशक सिद्धांत के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक बनाई गई थी। बैंक कि कार्यपद्धती या काम करने शैली और उसका दृष्टिकोण बाबासाहेब ने हिल्टन यंग कमीशन के सामने रखा था, जब 1926 में ये कमीशन भारत में रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फिनांस के नाम से आया था तब इसके सभी सदस्यों ने बाबासाहेब ने लिखे हुए ग्रंथ दी प्राब्लम ऑफ दी रुपी - इट्स ओरीजन एंड इट्स सोल्यूशन (रुपया की समस्या - इसके मूल और इसके समाधान) की जोरदार वकालात की, उसकी पृष्टि की। ब्रिटिशों की वैधानिक सभा (लेसिजलेटिव असेम्बली) ने इसे कानून का स्वरूप देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 का नाम दिया गया। प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन १९३७ में मुम्बई आ गया। पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन १९४९ से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है। उर्जित पटेल भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर हैं, जिन्होंने ४ सितम्बर २०१६ को पदभार ग्रहण किया। पूरे भारत में रिज़र्व बैंक के कुल 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांश राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। मुद्रा परिचालन एवं काले धन की दोषपूर्ण अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करने के लिये रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया ने ३१ मार्च २०१४ तक सन् २००५ से पूर्व जारी किये गये सभी सरकारी नोटों को वापस लेने का निर्णय लिया है। .

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मुद्रा (भाव भंगिमा)

---- एक मुद्रा (संस्कृत: मुद्रा, (अंग्रेजी में: "seal", "mark," या "gesture")) हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में एक प्रतीकात्मक या आनुष्ठानिक भाव या भाव-भंगिमा है। जबकि कुछ मुद्राओं में पूरा शरीर शामिल रहता है, लेकिन ज्यादातर मुद्राएं हाथों और उंगलियों से की जाती हैं। एक मुद्रा एक आध्यात्मिक भाव-भंगिमा है और भारतीय धर्म तथा धर्म और ताओवाद की परंपराओं के प्रतिमा शास्त्र व आध्यात्मिक कर्म में नियोजित प्रामाणिकता की एक ऊर्जावान छाप है। नियमित तांत्रिक अनुष्ठानों में एक सौ आठ मुद्राओं का प्रयोग होता है। योग में, आम तौर पर जब वज्रासन की मुद्रा में बैठा जाता है, तब सांस के साथ शामिल शरीर के विभिन्न भागों को संतुलित रखने के लिए और शरीर में प्राण के प्रवाह को प्रभावित करने के लिए मुद्राओं का प्रयोग प्राणायाम (सांस लेने के योगिक व्यायाम) के संयोजन के साथ किया जाता है। नवंबर 2009 में राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी में प्रकाशित एक शोध आलेख में दिखाया गया है कि हाथ की मुद्राएं मस्तिष्क के उसी क्षेत्र को उत्तेजित या प्रोत्साहित करती हैं जो भाषा की हैं। .

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राजकोषीय नीति

अर्थनीति के सन्दर्भ में, सरकार के राजस्व संग्रह (करारोपण) तथा व्यय के समुचित नियमन द्वारा अर्थव्यवस्था को वांछित दिशा देना राजकोषीय नीति (fiscal policy) कहलाता है। अतः राजकोषीय नीति के दो मुख्य औजार हैं - कर स्तर एवं ढांचे में परिवर्तन तथा विभिन्न मदों में सरकार द्वारा व्यय में परिवर्तन। .

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सामाजिक विज्ञान

सामाजिक विज्ञान (Social science) मानव समाज का अध्ययन करने वाली शैक्षिक विधा है। प्राकृतिक विज्ञानों के अतिरिक्त अन्य विषयों का एक सामूहिक नाम है 'सामाजिक विज्ञान'। इसमें नृविज्ञान, पुरातत्व, अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास, विधि, भाषाविज्ञान, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन और संचार आदि विषय सम्मिलित हैं। कभी-कभी मनोविज्ञान को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है। .

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सार्वजनिक वितरण प्रणाली

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) एक भारतीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली है। भारत में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन तथा भारत सरकार द्वारा स्थापित और राज्य सरकारों के साथ संयुक्त रूप भारत के गरीबों के लिए सब्सिडी वाले खाद्य और गैर खाद्य वस्तुओं वितरित करता है। यह योजना एक जून को भारत में लॉन्च की गयी थी। 1997 में वस्तुओं,मुख्य भोजन में अनाज, गेहूं, चावल, चीनी, और मिट्टी का तेल को उचित मूल्य की दुकानों(जिन्हें राशन की दुकानों के रूप में भी जाना जाता है) के एक नेटवर्क जो देश भर में कई राज्यों में स्थापित है के माध्यम से वितरित किया गया। भारतीय खाद्य निगम, जो एक सरकारी स्वामित्व वाली निगम है, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को संभालती है। कवरेज और सार्वजनिक व्यय में, यह सबसे महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा नेटवर्क माना जाता है। हालांकि, खाद्य राशन की दुकानों द्वारा जितना अनाज वितरित किया जाता है वह गरीबों की खपत जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं या घटिया गुणवत्ता का है। भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनाज की खपत का औसत स्तर प्रति व्यक्ति / माह केवल 1 किलो है। पीडीएस द्वारा शहरी पक्षपात और प्रभावी ढंग से आबादी के गरीब वर्गों की सेवा में अपनी विफलता के लिए आलोचना की गई है। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली महंगी है और इसकी जटिल प्रक्रिया में भ्रष्टाचार को जन्म देती है। आज भारत के पास चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा अनाज स्टॉक है, जिस पर सरकार 750 अरब रूपये (13.6 अरब $) प्रति वर्ष खर्च करती है। जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1 प्रतिशत है तब भी अभी तक 21% कुपोषित हैं। देश भर में गरीब लोगों को राज्य सरकारों द्वारा खाद्यान्न का वितरण किया जाता है के लिए। आज की तारीख में भारत में 5,00,000 उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) हैं। .

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औद्योगिक नीति

किसी देश की औद्योगिक नीति (industrial policy) वह नीति है जिसका उद्देश्य उस देश के निर्माण उद्योग का विकास करना एवं उसे वांछित दिशा देना होता है। औद्योगिक नीति का अर्थ सरकार के उन निर्णयों एवं घोषणाओं से है जिसमें उद्योगों के लिए अपनायी जाने वाली नीतियों (Policy) का उल्लेख होता है। सरकार द्वारा बनाई गई औद्योगिक नीति से उस देश के औद्योगिक विकास के निम्नलिखित तथ्यों का पता चलता हैः.

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आयात

किसी भी तरह के उत्पादों या सेवओं को बाहर के किसी देश से खरीदने को आयात कहते हैं। आयात का उल्टा होता है निर्यात। श्रेणी:अर्थशास्त्र.

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कर

किसी राज्य द्वारा व्यक्तियों या विविध संस्था से जो अधिभार या धन लिया जाता है उसे कर या टैक्स कहते हैं। राष्ट्र के अधीन आने वाली विविध संस्थाएँ भी तरह-तरह के कर लगातीं हैं। कर प्राय: धन (मनी) के रूप में लगाया जाता है किन्तु यह धन के तुल्य श्रम के रूप में भी लगाया जा सकता है। कर दो तरह के हो सकते हैं - प्रत्यक्ष कर (direct tax) या अप्रत्यक्ष कर (indirect tax)। एक तरफ इसे जनता पर बोझ के रूप में देखा जा सकता है वहीं इसे सरकार को चलाने के लिये आधारभूत आवश्यकता के रूप में भी समझा जा सकता है। भारत के प्राचीन ऋषि (समाजशास्त्री) कर के बारे में यह मानते थे कि वही कर-संग्रहण-प्रणाली आदर्श कही जाती है, जिससे करदाता व कर संग्रहणकर्ता दोनों को कठिनाई न हो। उन्होंने कहा कि कर-संग्रहण इस प्रकार से होना चाहिये जिस प्रकार मधुमक्खी द्वारा पराग संग्रहण किया जाता है। इस पराग संग्रहण में पुष्प भी पल्लवित रहते हैं और मधुमक्खी अपने लिये शहद भी जुटा लेती है। .

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कृषि नीति

किसी देश की घरेलू कृषि से समबन्धित कानूनों तथा विदेशी कृषि उत्पादों के आयात से सम्बन्धित कानूनों को उसकी कृषि नीति कहते हैं। .

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