आपस का मज़ाक और व्यंग्य
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आपस का मज़ाक और व्यंग्य के बीच अंतर
आपस का मज़ाक vs. व्यंग्य
आपस का मज़ाक ऐसे लतीफ़े या व्यंग्य को कहा जाता है जिसका व्यंग्य केवल उन्हीं लोगों को समझ आये जो किसी विशेष समुदाय, पेशे या अन्य गुट से सम्बन्ध रखते हैं। किसी अन्दर के लतीफ़े को समझने के लिए उस सन्दर्भ की आवश्यकता होती है जो उस समुदाय के पास हो। ऐसे चुटकुले इन समुदायों में जोड़ने में काम आते हैं लेकिन इनकी वजह से अन्य लोग अपने आप को इन समुदायों से बहिष्कृत अनुभव कर सकते हैं। . व्यंग्य साहित्य की एक विधा है जिसमें उपहास, मज़ाक (लुत्फ़) और इसी क्रम में आलोचना का प्रभाव रहता है। यूरोप में डिवाइन कॉमेडी, दांते की लैटिन में लिखी किताब को मध्यकालीन व्यंग्य का महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है, जिसमें तत्कालीन व्यवस्था का मज़ाक उड़ाया गया था। व्यंग को मुहावरे मे व्यंग्यबाण कहा गया है। हिन्दी में हरिशंकर परसाई और श्रीलाल शुक्ल इस विधा के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। .
आपस का मज़ाक और व्यंग्य के बीच समानता
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संदर्भ
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