आत्मकथा और हिंदी साहित्य
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
आत्मकथा और हिंदी साहित्य के बीच अंतर
आत्मकथा vs. हिंदी साहित्य
आत्मकथा हिंदी गद्य की एक विधा है जिसमें लेखक अपनी ही कथा स्मृतियों के आधार पर लिखता है। आत्मकथा में निष्पक्षता जरूरी है। इसे काल्पनिक बातों और घटनाओं से बचाना भी जरूरी है और रोचकता भी बनाए रखने की जरूरी है। . चंद्रकांता का मुखपृष्ठ हिन्दी भारत और विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। उसकी जड़ें प्राचीन भारत की संस्कृत भाषा में तलाशी जा सकती हैं। परंतु हिन्दी साहित्य की जड़ें मध्ययुगीन भारत की ब्रजभाषा, अवधी, मैथिली और मारवाड़ी जैसी भाषाओं के साहित्य में पाई जाती हैं। हिंदी में गद्य का विकास बहुत बाद में हुआ और इसने अपनी शुरुआत कविता के माध्यम से जो कि ज्यादातर लोकभाषा के साथ प्रयोग कर विकसित की गई।हिंदी का आरंभिक साहित्य अपभ्रंश में मिलता है। हिंदी में तीन प्रकार का साहित्य मिलता है। गद्य पद्य और चम्पू। हिंदी की पहली रचना कौन सी है इस विषय में विवाद है लेकिन ज़्यादातर साहित्यकार देवकीनन्दन खत्री द्वारा लिखे गये उपन्यास चंद्रकांता को हिन्दी की पहली प्रामाणिक गद्य रचना मानते हैं। .
आत्मकथा और हिंदी साहित्य के बीच समानता
आत्मकथा और हिंदी साहित्य आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): गद्य।
सामान्यत: मनुष्य की बोलने या लिखने पढ़ने की छंदरहित साधारण व्यवहार की भाषा को गद्य (prose) कहा जाता है। इसमें केवल आंशिक सत्य है क्योंकि इसमें गद्यकार के रचनात्मक बोध की अवहेलना है। साधारण व्यवहार की भाषा भी गद्य तभी कही जा सकती है जब यह व्यवस्थित और स्पष्ट हो। रचनात्मक प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए गद्य को मनुष्य की साधारण किंतु व्यस्थित भाषा या उसकी विशिष्ट अभिव्यक्ति कहना अधिक समीचीन होगा। .
आत्मकथा और गद्य · गद्य और हिंदी साहित्य · और देखें »
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या आत्मकथा और हिंदी साहित्य लगती में
- यह आम आत्मकथा और हिंदी साहित्य में है क्या
- आत्मकथा और हिंदी साहित्य के बीच समानता
आत्मकथा और हिंदी साहित्य के बीच तुलना
आत्मकथा 1 संबंध नहीं है और हिंदी साहित्य 89 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.11% है = 1 / (1 + 89)।
संदर्भ
यह लेख आत्मकथा और हिंदी साहित्य के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: