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आँख और मानव नेत्र

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आँख और मानव नेत्र के बीच अंतर

आँख vs. मानव नेत्र

मानव आँख का पास से लिया गया चित्र मानव नेत्र का योजनात्मक आरेख आँख या नेत्र जीवधारियों का वह अंग है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील है। यह प्रकाश को संसूचित करके उसे तंत्रिका कोशिकाओ द्वारा विद्युत-रासायनिक संवेदों में बदल देता है। उच्चस्तरीय जन्तुओं की आँखें एक जटिल प्रकाशीय तंत्र की तरह होती हैं जो आसपास के वातावरण से प्रकाश एकत्र करता है; मध्यपट के द्वारा आंख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की तीव्रता का नियंत्रण करता है; इस प्रकाश को लेंसों की सहायता से सही स्थान पर केंद्रित करता है (जिससे प्रतिबिम्ब बनता है); इस प्रतिबिम्ब को विद्युत संकेतों में बदलता है; इन संकेतों को तंत्रिका कोशिकाओ के माध्यम से मस्तिष्क के पास भेजता है। . मानव नेत्र के आन्तरिक भाग मानव नेत्र शरीर का वह अंग है जो विभिन्न उद्देश्यों से प्रकाश के प्रति क्रिया करता है। आँख वह इंद्रिय है जिसकी सहायता से देखते हैं। मानव नेत्र लगभग १ करोड़ रंगों में अन्तर कर सकता है। नेत्र शरीर की प्रमुख ज्ञानेंद्रिय हैं जिससे रूप-रंग का दर्शन होता है। मनुष्य के दो नेत्र होते हैं। .

आँख और मानव नेत्र के बीच समानता

आँख और मानव नेत्र आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): नेत्रविज्ञान, नेत्रोद

नेत्रविज्ञान

नेत्र परीक्षण नेत्रविज्ञान (Ophthalmology), चिकित्साविज्ञान का वह अंग है जो आँख की रचना, कार्यप्रणाली, उसकी बीमारियों तथा चिकित्सा से संबधित है। नेत्रचिकित्सा, चिकित्सा व्यवसाय का एक प्रधान महत्वपूर्ण अंग समझा जाना चाहिए। नेत्र जीवन के लिए अनिवार्य तो नहीं, किंतु इसके बिना मानव शरीर के अस्तित्व का मूल्य कुछ नहीं रहता। ऐसे अंग की जीवन पर्यंत रक्षा का प्रबंध रखना रोगी, उसके परिचायक एवं चिकित्सक का पुनीत कर्तव्य होना चाहिए। यह बहुत ही पुराना विज्ञान है, जिसका वर्णन अथर्ववेद में भी मिलता है। सुश्रुतसंहिता, संस्कृत भाषा की अनुपम कृति है, जिसमें आँख की बीमारियों तथा उनी चिकित्सा का सबसे प्रारंभिक विवरण मिलता है। सुश्रुत, आयुर्वेद शास्त्र के प्रथम शल्यचिकित्सक थे, जिन्होंने विवरणपूर्वक और पूर्णत: आँख की उत्पत्ति, रचना, कार्यप्रणाली, बीमारियों तथा उनकी चिकित्सा के विषय में लिखा है, यह नेत्रविज्ञान के लेख "सुश्रुतसंहिता" के "उत्तरातांत्रा" के 1-19 तक अध्याय में सम्मिलित है। इसमें पलकें कजंक्टाइवा, स्वलेरा, कॉर्निया लेंस और कालापानी इत्यादि का विवरण मिलता है। मोतियाबिंद का सबसे पहले आपरेशन करने का श्रेय शल्य चिकित्सक सुश्रुत को प्राप्त है। .

आँख और नेत्रविज्ञान · नेत्रविज्ञान और मानव नेत्र · और देखें »

नेत्रोद

मानवनेत्र का योजनात्मक चित्र नेत्रोद (Aqueous Humour) एक तरल पदार्थ है, जो आँख के अग्रखंड (anterior segment) में भरा रहता है। यह रक्तनालिकाओं से निकल कर लेंस को चारों ओर से आच्छादित रखता हुआ, पुतली द्वारा होकर अग्रखंड में आता है और फिर अग्रखंड के कोण से इसका बहिष्करण रक्त में होता रहता है। नेत्र के अंदर यह एक विशेष दबाव (20, 25 मिमी. पारद) पर रहता है और इस प्रकार यह आँख की गोलाकार आकृति को स्थायी रूप में रखने में सहायता करता है। साथ ही आँख के उन आंतरिक अंगों को जिनमें रक्त नलिकाएँ नहीं जातीं, जैसे लैंस, कारनिआ आदि को, यह पोषण पहुँचाता है तथा उनके मल पदार्थ को निकालने में सहायता करता है। यह आवश्यक है कि सदैव नए नेत्रोद का निस्सरण होता रहे और अग्रखंड के कोण से बाहर निकलता रहे। यदि किसी कारणवश नेत्रोद का निर्माण अधिक मात्रा में हो, अथवा उत्सर्ग में बाधा पड़े, तो नेत्रांतरिक दबाव (intraocular pressure) अधिक हो जाता है, जिससे एक बीमारी ग्लॉकोमा (glauacoma) हो जाती है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

आँख और मानव नेत्र के बीच तुलना

आँख 10 संबंध है और मानव नेत्र 12 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 9.09% है = 2 / (10 + 12)।

संदर्भ

यह लेख आँख और मानव नेत्र के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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