असहयोग आन्दोलन और चन्द्रशेखर आजाद के बीच समानता
असहयोग आन्दोलन और चन्द्रशेखर आजाद आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मोतीलाल नेहरू, अमृतसर, असहयोग आन्दोलन।
मोतीलाल नेहरू
मोतीलाल नेहरू (1861 – 1931) मोतीलाल नेहरू (जन्म: 6 मई 1861 – मृत्यु: 6 फ़रवरी 1931) इलाहाबाद के एक मशहूर वकील थे। वे भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे। वे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के आरम्भिक कार्यकर्ताओं में से थे। 1928 से लेकर 1929 तक पूरे दो वर्ष तक वे काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।I'm .
असहयोग आन्दोलन और मोतीलाल नेहरू · चन्द्रशेखर आजाद और मोतीलाल नेहरू ·
अमृतसर
अमृतसर (पंजाबी:ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) भारत के पंजाब राज्य का एक शहर है।http://amritsar.nic.in अमृतसर की आधिकारिक वैबसाईट अमृतसर पंजाब का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र शहर माना जाता है। पवित्र इसलिए माना जाता है क्योंकि सिक्खों का सबसे बड़ा गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर अमृतसर में ही है। ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को ही देखने आते हैं। स्वर्ण मंदिर अमृतसर का दिल माना जाता है। यह गुरू रामदास का डेरा हुआ करता था। अमृतसर का इतिहास गौरवमयी है। यह अपनी संस्कृति और लड़ाइयों के लिए बहुत प्रसिद्ध रहा है। अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार अमृतसर के जलियांवाला बाग में ही हुआ था। इसके बाद भारत पाकिस्तान के बीच जो बंटवारा हुआ उस समय भी अमृतसर में बड़ा हत्याकांड हुआ। यहीं नहीं अफगान और मुगल शासकों ने इसके ऊपर अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया। इसके बावजूद सिक्खों ने अपने दृढ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया। हालांकि अमृतसर में समय के साथ काफी बदलाव आए हैं लेकिन आज भी अमृतसर की गरिमा बरकरार है। .
अमृतसर और असहयोग आन्दोलन · अमृतसर और चन्द्रशेखर आजाद ·
असहयोग आन्दोलन
1914-18 के महान युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया था और बिना जाँच के कारावास की अनुमति दे दी थी। अब सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली एक समिति की संस्तुतियों के आधार पर इन कठोर उपायों को जारी रखा गया। इसके जवाब में गाँधी जी ने देशभर में 'रॉलेट एक्ट' के खिलाफ़ एक अभियान चलाया। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कस्बों में चारों तरफ़ बंद के समर्थन में दुकानों और स्कूलों के बंद होने के कारण जीवन लगभग ठहर सा गया था। पंजाब में, विशेष रूप से कड़ा विरोध हुआ, जहाँ के बहुत से लोगों ने युद्ध में अंग्रेजों के पक्ष में सेवा की थी और अब अपनी सेवा के बदले वे ईनाम की अपेक्षा कर रहे थे। लेकिन इसकी जगह उन्हें रॉलेट एक्ट दिया गया। पंजाब जाते समय गाँधी जी को कैद कर लिया गया। स्थानीय कांग्रेसजनों को गिरफ़तार कर लिया गया था। प्रांत की यह स्थिति धीरे-धीरे और तनावपूर्ण हो गई तथा अप्रैल 1919 में अमृतसर में यह खूनखराबे के चरमोत्कर्ष पर ही पहुँच गई। जब एक अंग्रेज ब्रिगेडियर ने एक राष्ट्रवादी सभा पर गोली चलाने का हुक्म दिया तब जालियाँवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाने गए इस हत्याकांड में लगभग 1,000 लोग मारे गए और 1600 घायल हुए। .
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संदर्भ
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