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अष्टप्रधान और राज्याभिषेक

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अष्टप्रधान और राज्याभिषेक के बीच अंतर

अष्टप्रधान vs. राज्याभिषेक

मराठा शासक शिवाजी के सलाहकार परिषद को अष्ट प्रधान कहा जाता था। शिवाजी महाराज थे उनके राज्याभिषेक में भी कई समस्याएं आईं। प्रथम पेशवा जो की स्वयं ब्राहमण था, ने शिवाजी के क्षत्रिय होने का सार्वजनिक रूप से विरोध किया। उसने शिवाजी से कहा उनका राज्याभिषेक एक क्षत्रिय के रूप में नहीं वरन शुद्र के रूप में हो सकता हे और कुछ ब्राहमण इसके लिए तैयार हे। ब्राहमणों ने शिवाजी के द्वारा किये गए जाने-अनजाने पापों की सूची बनाई जिसमे भूलवश युद्ध के दौरान गोवध भी शामिल था इसके आधार पर दंड निर्धारण किया गया और यह दंड उन को देना पड़ा। इस प्रकार 11000 ब्राहमणों को परिवार् सहित भोज्य वस्त्र और अन्यसामग्री 4 महीने तक दी गयी। उन्होंने इसे अपना अपमान समझा शिवाजी के राज तिलक के समय पर उन्हें स्वर्ण मुकुट पहनाया गया और बहुमूल्य रत्नों और स्वर्ण पुष्पों की वर्षा की गई। ब्राह्मणों को दिए गए उपहारों के कारण उन लोगो ने अपने विरोध को दबाये रखा। शिवाजी का शुद्धिकरण शुद्र से क्षत्रिय, गंगा भट्ट नामक ब्राहमण ने वैदिक मन्त्र सिखा कर किया। ब्राहमणों ने कहा इस समय सिर्फ ब्राहमण ही द्विजाति हे और कोई भी क्षत्री जाती वास्तविक नहीं हे अपनी समाज के इस मंतव्य पर गनगा भट्ट अपना आप खो बता और उसने एक अनुष्टान को छोड़ दिया। जिसे बाद में रायगढ़ में किया गया। गंगा भट्ट को एक लाख रुपया दिया गया। शिवाजी तिलक को सूरत में अंग्रेजी फैक्ट्री मुख्य हेनरी ओक्सेंदेंग ने अपनी आँखों से देखा। इस दोरान इस बात को भी बताया जाता हे की सिवाजी ने अपना हिरन्य गर्भ संस्कार कराया था जिससे वे शुद्ध क्षत्र्य बन जाये। इतना शक्तिशाली योधा भी जातिवाद का शिकार होकर क्षत्रियत्व को प्राप्त करने को प्रलोभित किया गया। उसने अपना राजकोष सिर्फ इस कार्य के लिए खली कर दिया और सैनिक तयारी पर कुछ भी खर्च नहीं किया । अंतत: बहुत सा धन देकर असंतुष्ट ब्राहमणों को प्रसन्न किया गया। कुल मिला कर 460 लाख रुपया खर्च हुआ। किन्तु पुणे के ब्राहमण लोग अभी भी संतुष्ट नहीं हुए और शिवाजी महारज को राजा मानने से इंकार कर दिया। तब अष्ट प्रधान मंडल की स्थापना की गयी। जिसमे सात सदस्य ब्राह्मण थे। इसका विवरण इस प्रकार है -. राम के राज्याभिषेक का दृष्य राज्याभिषेक एक वैदिक संस्कार है जो राजा बनने की विधिवत घोषणा है। इसी समय राज्य के अन्य अधिकारियों की भी घोषणा होती थी। .

अष्टप्रधान और राज्याभिषेक के बीच समानता

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संदर्भ

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