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अश्वसेन और तीर्थंकर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अश्वसेन और तीर्थंकर के बीच अंतर

अश्वसेन vs. तीर्थंकर

अश्वसेन, तक्षक नाग का पुत्र। अर्जुन द्वारा खांडववन जलाए जाने के समय (महाभारत, आदि पर्व, 218.9; 220.40; 60.35) तक्षक की पत्नी तथा पुत्र अश्वसेन वहीं थे। जान बचाने के लिए तक्षक की पत्नी ने पुत्र को मुंह में दबाकर आकाशमार्ग से भाग निकलने का प्रयत्न किया। किंतु अर्जुन ने तक्षकभार्या का सिर काट डाला। तक्षक से मित्रता होने के कारण इंद्र ने अर्जुन के विरुद्ध वर्तन करके अश्वसेन की रक्षा की। पश्चात्‌ महाभारत (कर्ण पर्व 66) में कर्णर्जुन युद्ध के समय अश्वसेन ने कर्ण के बाण पर आरोहण किया। लेकिन कृष्ण तत्काल स्थिति समझ गए और उन्होंने रथ के अश्वों को घुटनों के बल बैठा दिया। बाण चूका और अर्जुन की ग्रीवा की बजाए उसके मुकुट को टुकड़े-टुकड़े करता हुआ निकल गया। अर्जुन ने अश्वसेन को मार डाला। श्रेणी:पौराणिक पात्र. जैन धर्म में तीर्थंकर (अरिहंत, जिनेन्द्र) उन २४ व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है, जो स्वयं तप के माध्यम से आत्मज्ञान (केवल ज्ञान) प्राप्त करते है। जो संसार सागर से पार लगाने वाले तीर्थ की रचना करते है, वह तीर्थंकर कहलाते हैं। तीर्थंकर वह व्यक्ति हैं जिन्होनें पूरी तरह से क्रोध, अभिमान, छल, इच्छा, आदि पर विजय प्राप्त की हो)। तीर्थंकर को इस नाम से कहा जाता है क्योंकि वे "तीर्थ" (पायाब), एक जैन समुदाय के संस्थापक हैं, जो "पायाब" के रूप में "मानव कष्ट की नदी" को पार कराता है। .

अश्वसेन और तीर्थंकर के बीच समानता

अश्वसेन और तीर्थंकर आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): महाभारत

महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

अश्वसेन और महाभारत · तीर्थंकर और महाभारत · और देखें »

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अश्वसेन और तीर्थंकर के बीच तुलना

अश्वसेन 3 संबंध है और तीर्थंकर 113 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 0.86% है = 1 / (3 + 113)।

संदर्भ

यह लेख अश्वसेन और तीर्थंकर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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