4 संबंधों: धार्मिक अल्पसंख्यक, भाषाई अल्पसंख्यक, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (भारत), संस्कृत भाषा।
धार्मिक अल्पसंख्यक
किसी देश, प्रान्त या क्षेत्र की जनसंख्या में जिस धर्म के मानने वालों की संख्या कम होती है उस धर्म को अल्पसंख्यक धर्म तथा उसके अनुयायियों को धार्मिक अल्पसंख्यक कहा जाता है। धार्मिक अल्पसंख्यकों से साथ भेदभाव होने की सम्भावना होती है। श्रेणी:धर्म.
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भाषाई अल्पसंख्यक
भाषाई अल्पसंख्यक- भाषाई अल्पसंख्यक लोगो का वह समूह है जिनकी मातृभाषा उस राज्य की मुख्य या प्रमुख भाषा से भिन्न हो।किसी भी समूह को भाषाई अल्पसंख्यक घोषित करने का अधिकार राज्य को है।भाषाई अल्पसंख्यक का दर्जा राज्य उनके सामाजिक एवं आर्थिक विकास हेतु देता है जो उस राज्य के संविधान द्वारा अपेक्षित होती है। अलग -अलग देशों में भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकार एवं सुरक्षा के लिए संस्था/इकाई/अधिकारी की व्यवस्था होती है।भारतीय संदर्भ - भारत मे भाषाई अल्पसंख्यकों के विकास के लिए संविधान द्वारा विशेष अधिकारी नियुक्त किये जाने का प्रावधान है। भारतीय संविधान द्वारा 1957 में विशेष अधिकारी हेतु कार्यालय की स्थापना की गई जिसे आयुक्त नाम दिया गया,आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। आयुक्त का कार्य एवं उद्देश्य भाषाई अल्पसंख्यकों के सुरक्षा एवं विकास संबंधी कार्यो का अनुसंधान एवं इन कार्यो का राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देना है। उसका लक्ष्य भाषायी अल्पसंख्यको को समाज के साथ समान अवसर प्रदान कर राष्ट्र की गतिशीलता में उनकी सहभागिता पुष्ट करना है। संवैधानिक उपबंध- भारतीय संविधान का भाग 17,अनुछेद 350खः जोड़ा गया है।.
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राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (भारत)
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना ससंद के द्वारा 1992 के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के नियमन के साथ हुई थी। .
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संस्कृत भाषा
संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .
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