अर्जुन और मित्र वरुण के बीच समानता
अर्जुन और मित्र वरुण आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): इन्द्र, उर्वशी।
इन्द्र
इन्द्र (या इंद्र) हिन्दू धर्म में सभी देवताओं के राजा का सबसे उच्च पद था जिसकी एक अलग ही चुनाव-पद्धति थी। इस चुनाव पद्धति के विषय में स्पष्ट वर्णन उपलब्ध नहीं है। वैदिक साहित्य में इन्द्र को सर्वोच्च महत्ता प्राप्त है लेकिन पौराणिक साहित्य में इनकी महत्ता निरन्तर क्षीण होती गयी और त्रिदेवों की श्रेष्ठता स्थापित हो गयी। .
अर्जुन और इन्द्र · इन्द्र और मित्र वरुण ·
उर्वशी
उर्वशी और पुरुरवा। साहित्य और पुराण में उर्वशी सौंदर्य की प्रतिमूर्ति रही है। स्वर्ग की इस अप्सरा की उत्पत्ति नारायण की जंघा से मानी जाती है। पद्मपुराण के अनुसार इनका जन्म कामदेव के उरु से हुआ था। श्रीमद्भागवत के अनुसार यह स्वर्ग की सर्वसुंदर अप्सरा थी। एक बार इंद्र की राजसभा में नाचते समय वह राजा पुरु के प्रति क्षण भर के लिए आकृष्ट हो गई। इस कारण उनके नृत्य का ताल बिगड़ गया। इस अपराध के कारण राजा इंद्र ने रुष्ट होकर उसे मर्त्यलोक में रहने का अभिशाप दे दिया। मर्त्य लोक में उसने पुरु को अपना पति चुना किंतु शर्त यह रखी कि वह पुरु को नग्न अवस्था में देख ले या पुरुरवा उसकी इच्क्षा के प्रतिकूल समागम करे अथवा उसके दो मेष स्थानांतरित कर दिए जाएं तो वह उनसे संबंध विच्छेद कर स्वर्ग जाने के लिए स्वतंत्र हो जाएगी। ऊर्वशी और पुरुरवा बहुत समय तक पति पत्नी के रूप में सात-साथ रहे। इनके नौ पुत्र आयु, अमावसु, श्रुतायु, दृढ़ायु, विश्वायु, शतायु आदि उत्पन्न हुए। दीर्घ अवधि बीतने पर गंधर्वों को ऊर्वशी की अनुपस्थिति अप्रीय प्रतीत होने लगी। गंधर्वों ने विश्वावसु को उसके मेष चुराने के लिए भेजा। उस समय पुरुरवा नग्नावस्था में थे। आहट पाकर वे उसी अवस्था में विश्वाबसु को पकड़ने दौड़े। अवसर का लाभ उठाकर गंधर्वों ने उसी समय प्रकाश कर दिया। जिससे उर्वशी ने पुरुरवा को नंगा देख लिया। आरोपित प्रतिबंधों के टूट जाने पर ऊर्वशी श्राप से मुक्त हो गई और पुरुरवा को छोड़कर स्वर्ग लोक चली गई। महाकवि कालीदास के संस्कृत महाकाव्य विक्रमोर्वशीय नाटक की कथा का आधार यही प्रसंग है। आधुनिक हिंदी साहित्य में रामधारी सिंह दिनकर ने इसी कथा को अपने काव्यकृति का आधार बनाया और उसका शीर्षक भी रखा ऊर्वशी। महाभारत की एक कथा के अनुसार एक बार जब अर्जुन इंद्र के पास अस्त्र विद्या की शिक्षा लेने गए तो उर्वशी उन्हें देखकर मुग्ध हो गई। अर्जुन ने ऊर्वशी को मातृवत देखा। अतः उसकी इच्छा पूर्ति न करने के कारण। इन्हें शापित होकर एक वर्ष तक पुंसत्व से वंचित रहना पड़ा। .
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अर्जुन और मित्र वरुण के बीच तुलना
अर्जुन 30 संबंध है और मित्र वरुण 29 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 3.39% है = 2 / (30 + 29)।
संदर्भ
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