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अर्जुन और भौमासुर वध

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अर्जुन और भौमासुर वध के बीच अंतर

अर्जुन vs. भौमासुर वध

शिव अर्जुन को अस्त्र देते हुए। महाभारत के मुख्य पात्र हैं। महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। द्रौपदी, कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा, नाग कन्या उलूपी और मणिपुर नरेश की पुत्री चित्रांगदा इनकी पत्नियाँ थीं। इनके भाई क्रमशः युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव। . पाण्डवों के लाक्षागृह से कुशलतापूर्वक बच निकलने पर सात्यिकी आदि यदुवंशियों के साथ लेकर श्री कृष्ण उनसे मिलने के लिये इन्द्रप्रस्थ गये। युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी और कुन्ती ने उनका यथेष्ठ आदर सत्कार कर के उन्हें अपना अतिथि बना लिया। एक दिन अर्जुन को साथ लेकर श्री कृष्ण आखेट के लिये गये। जिस वन में वे शिकार के लिये गये थे वहाँ पर भगवान सूर्य की पुत्री कालिन्दी, श्री कृष्ण को पति रूप में पाने की कामना से तप कर रही थी। कालिन्दी की मनोरथ पूर्ण करने के लिये श्री कृष्ण ने उसके साथ विवाह कर लिया। फिर वे उज्जयिनी की राजकुमारी मित्रबिन्दा को स्वयंवर से वर लाये। उसके बाद कौशल के राजा नग्नजित के सात बैलों को एक साथ नाथ उनकी कन्या सत्या से पाणिग्रहण किया। तत्पश्चात् कैकेय की राजकुमारी भद्रा से श्री कृष्ण का विवाह हुआ। भद्रदेश की राजकुमारी लक्ष्मणा का मनोरथ भी श्री कृष्ण को पतिरूप में प्राप्त करने की थी अतः लक्ष्मणा को भी श्री कृष्ण अकेले ही हर कर ले आये। श्री कृष्ण अपनी आठों रानियों - रुक्मणी, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा - के साथ द्वारिका में सुखपूर्वक रहे थे कि एक दिन उनके पास देवराज इन्द्र ने आकर प्रार्थना की, "हे कृष्ण! प्रागज्योतिषपुर के दैत्यराज भौमासुर के अत्याचार से देवतागण त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। वह भौमासुर भयंकर क्रूर तथा महा अहंकारी है और वरुण का छत्र, अदिति के कुण्डल और देवताओं की मणि छीनकर वह त्रिलोक विजयी हो गया है। उसने पृथ्वी के समस्त राजाओं की अति सुन्दरी कन्यायें हरकर अपने यहाँ बन्दीगृह में डाल रखा है। उसका वध आपके सिवाय और कोई नहीं कर सकता। अतः आप तत्काल उससे युद्ध करके उसका वध करें।" इन्द्र की प्रार्थना स्वीकार कर के श्रीकृष्ण अपनी प्रिय पत्नी सत्यभामा को साथ ले कर गरुड़ पर सवार हो प्रागज्योतिषपुर पहुँचे। वहाँ पहुँच कर श्री कृष्ण ने अपने पाञ्चजन्य शंख को बजाया। उसकी भयंकर ध्वनि सुन मुर दैत्य श्री कृष्ण से युद्ध करने आ पहुँचा। उसने अपना त्रिशूल गरुड़ पर चलाया। श्री कृष्ण ने तत्काल दो बाण चला कर उस त्रिशूल के हवा में ही तीन टुकड़े दिया। इस पर उस दैत्य ने क्रोधित होकर अपनी गदा चलाई किन्तु श्री कृष्ण ने अपनी गदा से उसकी गदा तो भी तोड़ दिया। घोर युद्ध करते करते श्री कृष्ण ने मुर दैत्य सहित मुर दैत्य छः पुत्र - ताम्र, अन्तरिक्ष, श्रवण, विभावसु, नभश्वान और अरुण - का वध कर डाला। मुर दैत्य के वध हो जाने पर भौमासुर अपने अनेक सेनापतियों और दैत्यों की सेना को साथ लेकर युद्ध के लिये निकला। गरुड़ अपने पंजों और चोंच से दैत्यों का संहार करने लगे। श्री कृष्ण ने बाणों की वर्षा कर दी और अन्ततः अपने सुदर्शन चक्र से भौमासुर के सिर को काट डाला। इस प्रकार भौमासुर को मारकर श्री कृष्ण ने उसके पुत्र भगदत्त को अभयदान देकर प्रागज्योतिष का राजा बनाया। भौमासुर के द्वारा हर कर लाई गईं सोलह हजार एक सौ राजकन्यायों को श्री कृष्ण ने मुक्त कर दिया। उन सभी राज कन्याओं ने श्री कृष्ण को पति रूप में स्वीकार किया। उन सभी को श्री कृष्ण अपने साथ द्वारिका पुरी ले आये। .

अर्जुन और भौमासुर वध के बीच समानता

अर्जुन और भौमासुर वध आम में 7 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): द्रौपदी, नकुल, भीम, युधिष्ठिर, सहदेव, इन्द्र, कुन्ती

द्रौपदी

द्रौपदी महाभारत के सबसे प्रसिद्ध पात्रों में से एक है। इस महाकाव्य के अनुसार द्रौपदी पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री है जो बाद में पांचों पाण्डवों की पत्नी बनी। द्रौपदी पंच-कन्याओं में से एक हैं जिन्हें चिर-कुमारी कहा जाता है। ये कृष्णा, यज्ञसेनी, महाभारती, सैरंध्री आदि अन्य नामो से भी विख्यात है। द्रौपदी का विवाह पाँचों पाण्डव भाईयों से हुआ था। पांडवों द्वारा इनसे जन्मे पांच पुत्र (क्रमशः प्रतिविंध्य, सुतसोम, श्रुतकीर्ती, शतानीक व श्रुतकर्मा) उप-पांडव नाम से विख्यात थे। .

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नकुल

नकुल महान हिन्दू काव्य महाभारत में पाँच पांडवो में से एक था। नकुल और सहदेव, दोनों माता माद्री के असमान जुड़वा पुत्र थे, जिनका जन्म दैवीय चिकित्सकों अश्विन के वरदान स्वरूप हुआ था, जो स्वयं भी समान जुड़वा बंधु थे। नकुल, का अर्थ है, परम विद्वता। महाभारत में नकुल का चित्रण एक बहुत ही रूपवान, प्रेम युक्त और बहुत सुंदर व्यक्ति के रूप में की गई है। अपनी सुंदरता के कारण नकुल की तुलना काम और प्रेम के देवता, "कामदेव" से की गई है। पांडवो के अंतिम और तेरहवें वर्ष के अज्ञातवास में नकुल ने अपने रूप को कौरवों से छिपाने के लिए अपने शरीर पर धूल लीप कर छिपाया। श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध करने के पश्चात नकुल द्वारा घुड़ प्रजनन और प्रशिक्षण में निपुण होने का महाभारत में अभिलेखाकरण है। वह एक योग्य पशु शल्य चिकित्सक था, जिसे घुड़ चिकित्सा में महारथ प्राप्त था। अज्ञातवास के समय में नकुल भेष बदल कर और अरिष्ठनेमि नाम के छद्मनाम से महाराज विराट की राजधानी उपपलव्य की घुड़शाला में शाही घोड़ों की देखभाल करने वाले सेवक के रूप में रहा था। वह अपनी तलवारबाज़ी और घुड़सवारी की कला के लिए भी विख्यात था। अनुश्रुति के अनुसार, वह बारिश में बिना जल को छुए घुड़सवारी कर सकता था। नकुल का विवाह द्रौपदी के अतिरिक्त जरासंध की पुत्री से भी हुआ था। नकुल नाम का अर्थ होता है जो प्रेम से परिपूर्ण हो और इस नाम की नौ पुरुष विशेषताएँ हैं: बुद्धिमत्ता, सकेन्द्रित, परिश्रमी, रूपवान, स्वास्थ्य, आकर्षकता, सफ़लता, आदर और शर्त रहित प्रेम। .

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भीम

हिन्दू धर्म के महाकाव्य महाभारत के अनुसार भीम पाण्डवों में दूसरे स्थान पर थे। वे पवनदेव के वरदान स्वरूप कुन्ती से उत्पन्न हुए थे, लेकिन अन्य पाण्डवों के विपरीत भीम की प्रशंसा पाण्डु द्वारा की गई थी। सभी पाण्डवों में वे सर्वाधिक बलशाली और श्रेष्ठ कद-काठी के थे एवं युधिष्ठिर के सबसे प्रिय सहोदर थे। उनके पौराणिक बल का गुणगान पूरे काव्य में किया गया है। जैसे:- "सभी गदाधारियों में भीम के समान कोई नहीं है और ऐसा भी कोई को गज की सवारी करने में इतना योग्य हो और बल में तो वे दस हज़ार हाथियों के समान है। युद्ध कला में पारंगत और सक्रिय, जिन्हे यदि क्रोध दिलाया जाए जो कई धृतराष्ट्रों को वे समाप्त कर सकते हैं। सदैव रोषरत और बलवान, युद्ध में तो स्वयं इन्द्र भी उन्हें परास्त नहीं कर सकते।" वनवास काल में इन्होने अनेक राक्षसों का वध किया जिसमे बकासुर एवं हिडिंब आदि प्रमुख हैं एवं अज्ञातवास में विराट नरेश के साले कीचक का वध करके द्रौपदी की रक्षा की। यह गदा युद़्ध में बहुत ही प्रवीण थे एवं बलराम के शिष़्य थे। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में राजाओं की कमी होने पर उन्होने मगध के शासक जरासंघ को परास्त करके ८६ राजाओं को मुक्त कराया। द्रौपदी के चीरहरण का बदला लेने के लिए उन्होने दुःशासन की क्षाती फाड कर उसका रक्त पान किया। महाभारत के युद्ध में भीम ने ही सारे कौरव भाईयों का वध किया था। इन्ही के द्वारा दुर्योधन के वध के साथ ही महाभारत के युद्ध का अंत हो गया। .

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युधिष्ठिर

प्राचीन भारत के महाकाव्य महाभारत के अनुसार युधिष्ठिर पांच पाण्डवों में सबसे बड़े भाई थे। वह पांडु और कुंती के पहले पुत्र थे। युधिष्ठिर को धर्मराज (यमराज) पुत्र भी कहा जाता है। वो भाला चलाने में निपुण थे और वे कभी झूठ नहीं बोलते थे। महाभारत के अंतिम दिन उसने अपने मामा शलय का वध किया जो कौरवों की तरफ था। .

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सहदेव

सहदेव महाभारत में पाँच पांडवों में से एक और सबसे छोटा था। वह माता माद्री के असमान जुड़वा पुत्रों में से एक थे, जिनका जन्म देव चिकित्सक अश्विनों के वरदान स्वरूप हुआ था। जब नकुल और सहदेव का जन्म हुआ था तब यह आकाशवाणी हुई की, ‘शक्ति और रूप में ये जुड़वा बंधु स्वयं जुड़वा अश्विनों से भी बढ़कर होंगे।’ .

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इन्द्र

इन्द्र (या इंद्र) हिन्दू धर्म में सभी देवताओं के राजा का सबसे उच्च पद था जिसकी एक अलग ही चुनाव-पद्धति थी। इस चुनाव पद्धति के विषय में स्पष्ट वर्णन उपलब्ध नहीं है। वैदिक साहित्य में इन्द्र को सर्वोच्च महत्ता प्राप्त है लेकिन पौराणिक साहित्य में इनकी महत्ता निरन्तर क्षीण होती गयी और त्रिदेवों की श्रेष्ठता स्थापित हो गयी। .

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कुन्ती

Gandhari, blindfolded, supporting Dhrtarashtra and following Kunti when Dhrtarashtra became old and infirm and retired to the forest. A miniature painting from a sixteenth century manuscript of part of the Razmnama कुंती महाभारत में वर्णित पांडव जो कि पाँच थे, में से बङे तीन की माता थीं। कुन्ती पंच-कन्याओं में से एक हैं जिन्हें चिर-कुमारी कहा जाता है। कुन्ती वसुदेव जी की बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ थी। महाराज कुन्तिभोज ने कुन्ती को गोद लिया था। ये हस्तिनापुर के नरेश महाराज पांडु की पहली पत्नी थीं। कुंती को कुंआरेपन में महर्षि दुर्वासा ने एक वरदान दिया था जिसमें कुंती किसी भी देवता का आवाहन कर सकती थी और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी। पाण्डु एवं कुंती ने इस वरदान का प्रयोग किया एवं धर्मराज, वायु एवं इंद्र देवता का आवाहन किया। अर्जुन तीसरे पुत्र थे जो देवताओं के राजा इंद्र से हुए। कुंती का एक नाम पृथा भी था। उधिस्थिर यमराज और कुंती का पुत्र था। भीम वायु और कुंती का पुत्र था। अर्जुन इन्द्र और कुंती का पुत्र था। सहदेव और नकुल अश्विनीकुमार और माद्री का पुत्र था। और अश्विनीकुमार देवो के वेध है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

अर्जुन और भौमासुर वध के बीच तुलना

अर्जुन 30 संबंध है और भौमासुर वध 16 है। वे आम 7 में है, समानता सूचकांक 15.22% है = 7 / (30 + 16)।

संदर्भ

यह लेख अर्जुन और भौमासुर वध के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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