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अर्जुन और आस्तिक (ऋषि)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अर्जुन और आस्तिक (ऋषि) के बीच अंतर

अर्जुन vs. आस्तिक (ऋषि)

शिव अर्जुन को अस्त्र देते हुए। महाभारत के मुख्य पात्र हैं। महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। द्रौपदी, कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा, नाग कन्या उलूपी और मणिपुर नरेश की पुत्री चित्रांगदा इनकी पत्नियाँ थीं। इनके भाई क्रमशः युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव। . तक्षक को यज्ञाग्नि में गिरने से रोअकते हुए '''आस्तिक ऋषि''' आस्तिक नाग लोक के महाबली थे। वे पिता जरत्कारू और माता मानसा के पुत्र थे। उनके मामा वासुकी जी थे। जनमेजय के सर्प यज्ञ के समय जब आस्तिक मुनि को नाग यज्ञ के बारे में पता चला तो वे यज्ञ स्थल पर आए और यज्ञ की स्तुति करने लगे। यह देखकर जनमेजय ने उन्हें वरदान देने के लिए बुलाया। तब आस्तिक मुनि राजा जनमेजय से सर्प यज्ञ बंद करने का निवेदन किया। पहले तो जनमेजय ने अस्वीकार किया लेकिन बाद में ऋषियों द्वारा समझाने पर वे मान गए। इस प्रकार आस्तिक मुनि ने धर्मात्मा सर्पों को भस्म होने से बचा लिया। धर्म ग्रंथों के अनुसार, सर्प भय के समय जो भी व्यक्ति आस्तिक मुनि का नाम लेता है, सांप उसे नहीं काटते। आस्तिक महाराजा तक्षक का सम्मान करता और उनका पूरा काम करता। उनके कहने पे वो कुछ भी कर सकता था। आस्तिक की दो सादी की पहली तो वो रजा तक्षक की पुत्री मोहिनी और पृथ्वी लोक की मनुष्य जाति कि प्रणाली से सादी की, उसको दो पुत्र हुए पहली मोहनी से संखचुर्ण और दूसरा प्रणाली से अर्जुन। आस्तिक काफी शक्तिसाली नाग था और उसने हजारों वर्षों तक तक्षक व नागलोक की सेवा की। श्रेणी:ऋषि मुनि.

अर्जुन और आस्तिक (ऋषि) के बीच समानता

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संदर्भ

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