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अरीठा और गुर्दा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अरीठा और गुर्दा के बीच अंतर

अरीठा vs. गुर्दा

अरीठा का वृक्ष अरीठा का फल और उसकी आन्तरिक रचना रीठा या अरीठा (soap nut) एक वृक्ष है जो लगभग हरजगह भारतवर्ष में पाया जाता है। इसके पत्ते गूलर के पत्तों से बड़े, छाल भूरी तथा फल गुच्छों में होते हैं। इसकी दो जातियाँ हैं। पहली सापीन्दूस् मूकोरोस्सी (Sapindus Mukorossi) और दूसरी सापीन्दूस् त्रीफ़ोल्यातूस् (Sapindus Trifoliatus)। सापीन्दूस् मूकोरोस्सी के जंगली पेड़ हिमालय के क्षेत्र में अधिक पाये जाते जाते हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर भारत में तथा आसाम आदि में लगाये हुए पेड़ बाग-बगीचों में या गांवों के आसपास पाये जाते हैं। इसके फलों को पानी में भिगोने और मथने से फेन उत्पन्न होता है और इससे सूती, ऊनी तथा रेशमी सब प्रकार के कपड़े तथा बाल धोए जा सकते हैं। आयुर्वेद के मत में यह फल त्रिदोषनाशक, गरम, भारी, गर्भपातक, वमनकारक, गर्भाशय को निश्चेष्ट करनेवाला तथा अनेक विषों का प्रभाव नष्ट करेनवाला है। संभवत: वमनकारक होने कारण ही यह विषनाशक भी है। वमन के लिए इसकी मात्रा दो से चार माशे तक बताई जाती है। फल के चूर्ण के गाढ़े घोल की बूंदोंको नाक में डालने से अधकपारी, मिर्गी और वातोन्माद में लाभ होना बताया गया है। सापीन्दूस् त्रीफ़ोल्यातूस् के पेड़ दक्षिण भारत में पाए जाते हैं, इसमें 3-3 फल एक साथ जुड़े होते हैं। इसके फलों की आकृति वृक्काकार होती है और अलग होने पर जुड़े हुए स्थान पर हृदयाकार चिन्ह पाया जाता है। ये पकने पर लालिमा लिए भूरे रंग के होते हैं। दूसरे प्रकार के वृक्ष से प्राप्त बीजों से तेल निकाला जाता है, जो औषधि के काम आता है। इस वृक्ष से गोंद भी मिलता है। . वृक्क या गुर्दे का जोड़ा एक मानव अंग हैं, जिनका प्रधान कार्य मूत्र उत्पादन (रक्त शोधन कर) करना है। गुर्दे बहुत से वर्टिब्रेट पशुओं में मिलते हैं। ये मूत्र-प्रणाली के अंग हैं। इनके द्वारा इलेक्त्रोलाइट, क्षार-अम्ल संतुलन और रक्तचाप का नियामन होता है। इनका मल स्वरुप मूत्र कहलाता है। इसमें मुख्यतः यूरिया और अमोनिया होते हैं। गुर्दे युग्मित अंग होते हैं, जो कई कार्य करते हैं। ये अनेक प्रकार के पशुओं में पाये जाते हैं, जिनमें कशेरुकी व कुछ अकशेरुकी जीव शामिल हैं। ये हमारी मूत्र-प्रणाली का एक आवश्यक भाग हैं और ये इलेक्ट्रोलाइट नियंत्रण, अम्ल-क्षार संतुलन, व रक्तचाप नियंत्रण आदि जैसे समस्थिति (homeostatic) कार्य भी करते है। ये शरीर में रक्त के प्राकृतिक शोधक के रूप में कार्य करते हैं और अपशिष्ट को हटाते हैं, जिसे मूत्राशय की ओर भेज दिया जाता है। मूत्र का उत्पादन करते समय, गुर्दे यूरिया और अमोनियम जैसे अपशिष्ट पदार्थ उत्सर्जित करते हैं; गुर्दे जल, ग्लूकोज़ और अमिनो अम्लों के पुनरवशोषण के लिये भी ज़िम्मेदार होते हैं। गुर्दे हार्मोन भी उत्पन्न करते हैं, जिनमें कैल्सिट्रिओल (calcitriol), रेनिन (renin) और एरिथ्रोपिटिन (erythropoietin) शामिल हैं। औदरिक गुहा के पिछले भाग में रेट्रोपेरिटोनियम (retroperitoneum) में स्थित गुर्दे वृक्कीय धमनियों के युग्म से रक्त प्राप्त करते हैं और इसे वृक्कीय शिराओं के एक जोड़े में प्रवाहित कर देते हैं। प्रत्येक गुर्दा मूत्र को एक मूत्रवाहिनी में उत्सर्जित करता है, जो कि स्वयं भी मूत्राशय में रिक्त होने वाली एक युग्मित संरचना होती है। गुर्दे की कार्यप्रणाली के अध्ययन को वृक्कीय शरीर विज्ञान कहा जाता है, जबकि गुर्दे की बीमारियों से संबंधित चिकित्सीय विधा मेघविज्ञान (nephrology) कहलाती है। गुर्दे की बीमारियां विविध प्रकार की हैं, लेकिन गुर्दे से जुड़ी बीमारियों के रोगियों में अक्सर विशिष्ट चिकित्सीय लक्षण दिखाई देते हैं। गुर्दे से जुड़ी आम चिकित्सीय स्थितियों में नेफ्राइटिक और नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम, वृक्कीय पुटी, गुर्दे में तीक्ष्ण घाव, गुर्दे की दीर्घकालिक बीमारियां, मूत्रवाहिनी में संक्रमण, वृक्कअश्मरी और मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न होना शामिल हैं। गुर्दे के कैंसर के अनेक प्रकार भी मौजूद हैं; सबसे आम वयस्क वृक्क कैंसर वृक्क कोशिका कर्कट (renal cell carcinoma) है। कैंसर, पुटी और गुर्दे की कुछ अन्य अवस्थाओं का प्रबंधन गुर्दे को निकाल देने, या वृक्कुच्छेदन (nephrectomy) के द्वारा किया जा सकता है। जब गुर्दे का कार्य, जिसे केशिकागुच्छीय शुद्धिकरण दर (glomerular filtration rate) के द्वारा नापा जाता है, लगातार बुरी हो, तो डायालिसिस और गुर्दे का प्रत्यारोपण इसके उपचार के विकल्प हो सकते हैं। हालांकि, पथरी बहुत अधिक हानिकारक नहीं होती, लेकिन यह भी दर्द और समस्या का कारण बन सकती है। पथरी को हटाने की प्रक्रिया में ध्वनि तरंगों द्वारा उपचार शामिल है, जिससे पत्थर को छोटे टुकड़ों में तोड़कर मूत्राशय के रास्ते बाहर निकाल दिया जाता है। कमर के पिछले भाग के मध्यवर्ती/पार्श्विक खण्डों में तीक्ष्ण दर्द पथरी का एक आम लक्षण है। .

अरीठा और गुर्दा के बीच समानता

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अरीठा और गुर्दा के बीच तुलना

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संदर्भ

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