अमात्य राक्षस और चाणक्य के बीच समानता
अमात्य राक्षस और चाणक्य आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चन्द्रगुप्त मौर्य, नंद वंश, मगध महाजनपद, मुद्राराक्षस।
चन्द्रगुप्त मौर्य
चन्द्रगुप्त मौर्य (जन्म ३४५ ई॰पु॰, राज ३२२-२९८ ई॰पु॰) में भारत के सम्राट थे। इनको कभी कभी चन्द्रगुप्त नाम से भी संबोधित किया जाता है। इन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। चन्द्रगुप्त पूरे भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफ़ल रहे। भारत राष्ट्र निर्माण मौर्य गणराज्य (चन्द्रगुप्त मौर्य) सम्राट् चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण की तिथि साधारणतया ३२२ ई.पू.
अमात्य राक्षस और चन्द्रगुप्त मौर्य · चन्द्रगुप्त मौर्य और चाणक्य ·
नंद वंश
३२३ ईसा पूर्व में धनानन्द के शासनकाल में नन्दवंश का साम्राज्य अपनी चरम अवस्था में था नंदवंश प्राचीन भारत का एक नाई राजवंश था जिसने पाँचवीं-चौथी शताब्दी ईसा पूर्व उत्तरी भारत के विशाल भाग पर शासन किया। .
अमात्य राक्षस और नंद वंश · चाणक्य और नंद वंश ·
मगध महाजनपद
मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। आधुनिक पटना तथा गया ज़िला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज (वर्तमान राजगीर) थी। भगवान बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे। अभी इस नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल। (२) सुमसुमार पर्वत के भाग, (३) केसपुत्र के कालाम, (४) रामग्राम के कोलिय, (५) कुशीमारा के मल्ल, (६) पावा के मल्ल, (७) पिप्पलिवन के मौर्य, (८) आयकल्प के बुलि, (९) वैशाली के लिच्छवि, (१०) मिथिला के विदेह। -- .
अमात्य राक्षस और मगध महाजनपद · चाणक्य और मगध महाजनपद ·
मुद्राराक्षस
मुद्राराक्षस संस्कृत का ऐतिहासिक नाटक है जिसके रचयिता विशाखदत्त हैं। इसकी रचना चौथी शताब्दी में हुई थी। इसमें चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य संबंधी ख्यात वृत्त के आधार पर चाणक्य की राजनीतिक सफलताओं का अपूर्व विश्लेषण मिलता है। इस कृति की रचना पूर्ववर्ती संस्कृत-नाट्य परंपरा से सर्वथा भिन्न रूप में हुई है- लेखक ने भावुकता, कल्पना आदि के स्थान पर जीवन-संघर्ष के यथार्थ अंकन पर बल दिया है। इस महत्वपूर्ण नाटक को हिंदी में सर्वप्रथम अनूदित करने का श्रेय भारतेंदु हरिश्चंद्र को है। यों उनके बाद कुछ अन्य लेखकों ने भी इस कृति का अनुवाद किया, किंतु जो ख्याति भारतेंदु हरिश्चंद्र के अनुवाद को प्राप्त हुई, वह किसी अन्य को नहीं मिल सकी। इसमें इतिहास और राजनीति का सुन्दर समन्वय प्रस्तुत किया गया है। इसमें नन्दवंश के नाश, चन्द्रगुप्त के राज्यारोहण, राक्षस के सक्रिय विरोध, चाणक्य की राजनीति विषयक सजगता और अन्ततः राक्षस द्वारा चन्द्रगुप्त के प्रभुत्व की स्वीकृति का उल्लेख हुआ है। इसमें साहित्य और राजनीति के तत्त्वों का मणिकांचन योग मिलता है, जिसका कारण सम्भवतः यह है कि विशाखदत्त का जन्म राजकुल में हुआ था। वे सामन्त बटेश्वरदत्त के पौत्र और महाराज पृथु के पुत्र थे। ‘मुद्राराक्षस’ की कुछ प्रतियों के अनुसार वे महाराज भास्करदत्त के पुत्र थे। इस नाटक के रचना-काल के विषय में तीव्र मतभेद हैं, अधिकांश विद्धान इसे चौथी-पाँचवी शती की रचना मानते हैं, किन्तु कुछ ने इसे सातवीं-आठवीं शती की कृति माना है। संस्कृत की भाँति हिन्दी में भी ‘मुद्राराक्षस’ के कथानक को लोकप्रियता प्राप्त हुई है, जिसका श्रेय भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को है। .
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या अमात्य राक्षस और चाणक्य लगती में
- यह आम अमात्य राक्षस और चाणक्य में है क्या
- अमात्य राक्षस और चाणक्य के बीच समानता
अमात्य राक्षस और चाणक्य के बीच तुलना
अमात्य राक्षस 6 संबंध है और चाणक्य 41 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 8.51% है = 4 / (6 + 41)।
संदर्भ
यह लेख अमात्य राक्षस और चाणक्य के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: