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अभिवृद्धि चक्र

सूची अभिवृद्धि चक्र

खगोलशास्त्र में अभिवृद्धि चक्र (accretion disk) किसी बड़ी खगोलीय वस्तु के इर्द-गिर्द कक्षीय परिक्रमा कर रहे मलबे के चक्र को कहते हैं। ऐसा चक्र किसी तारे की परिक्रमा कर रहा हो तो उसे परितारकीय चक्र (circumstellar disk) कहा जाता है। जब मलबे के कण आपस में रगड़ते हैं और गुरुत्वाकर्षण से मलबे पर दबाव पड़ता है तो उसका तापमान बढ़ जाता है और उस से विद्युतचुंबकीय विकिरण उत्पन्न होता है। इस विकिरण की आवृत्ति (फ़्रीक्वेन्सी) केन्द्रीय वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करती है। नवजात तारों और आदितारों के अभिवृद्धि चक्र अवरक्त (इन्फ़्रारेड) विकिरण उत्पन्न करते हैं जबकि न्यूट्रॉन तारों और काले छिद्रों के अभिवृद्धि चक्रों से ऍक्स किरणों का उत्सर्जन होता है। .

16 संबंधों: ऍक्स किरण, तापमान, तारा, द्रव्यमान, न्यूट्रॉन तारा, परितारकीय चक्र, विद्युतचुंबकीय विकिरण, विकिरण, खगोल शास्त्र, खगोलीय वस्तु, गुरुत्वाकर्षण, आवृत्ति, कण, कक्षा (भौतिकी), कृष्ण विवर, अवरक्त

ऍक्स किरण

200px ''Hand mit Ringen'': रोएन्टजन की पहली 'मेडिकल' एक्स-किरण का प्रिन्ट - उनकी पत्नी का हाथ का प्रिन्ट जो २२ दिसम्बर सन् १८९५ को लिया गया था जल से शीतलित एक्स-किरण नलिका (सरलीकृत/कालातीत हो चुकी है।) एक्स-किरण या एक्स रे (X-Ray) एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय विकिरण है जिसकी तरंगदैर्घ्य 10 से 0.01 नैनोमीटर होती है। यह चिकित्सा में निदान (diagnostics) के लिये सर्वाधिक प्रयोग की जाती है। यह एक प्रकार का आयनकारी विकिरण है, इसलिए खतरनाक भी है। कई भाषाओं में इसे रॉण्टजन विकिरण भी कहते हैं, जो कि इसके अन्वेषक विल्हेल्म कॉनरॅड रॉण्टजन के नाम पर आधारित है। रॉण्टजन ईक्वेलेंट मानव (Röntgen equivalent man / REM) इसकी शास्त्रीय मापक इकाई है। .

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तापमान

आदर्श गैस के तापमान का सैद्धान्तिक आधार अणुगति सिद्धान्त से मिलता है। तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है। अर्थात्, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म। उदाहरणार्थ, यदि किसी एक वस्तु का तापमान 20 डिग्री है और एक दूसरी वस्तु का 40 डिग्री, तो यह कहा जा सकता है कि दूसरी वस्तु प्रथम वस्तु की अपेक्षा गर्म है। एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था। गैसों के अणुगति सिद्धान्त के विकास के आधार पर यह माना जाता है कि किसी वस्तु का ताप उसके सूक्ष्म कणों (इलेक्ट्रॉन, परमाणु तथा अणु) के यादृच्छ गति (रैण्डम मोशन) में निहित औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है। तापमान अत्यन्त महत्वपूर्ण भौतिक राशि है। प्राकृतिक विज्ञान के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों (भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, जीवविज्ञान, भूविज्ञान आदि) में इसका महत्व दृष्टिगोचर होता है। इसके अलावा दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर तापमान का महत्व है। .

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तारा

तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं। .

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द्रव्यमान

द्रव्यमान किसी पदार्थ का वह मूल गुण है, जो उस पदार्थ के त्वरण का विरोध करता है। सरल भाषा में द्रव्यमान से हमें किसी वस्तु का वज़न और गुरुत्वाकर्षण के प्रति उसके आकर्षण या शक्ति का पता चलता है। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली *.

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न्यूट्रॉन तारा

न्यूट्रॉन तारा किसी भारी तारे के महानोवा (सुपरनोवा) घटना (प्रकार- २, 1b एवं 1c) के बाद उसके गुरुत्वीय पतन से बना हुआ अवशेष होता है। यह तारे केवल न्यूट्रॉन के बने होते हैं। इनका आकार बहुत छोटा मगर द्रव्यमान बहुत ज्यादा होता है। .

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परितारकीय चक्र

SAO २०६४६२ नामक तारे के इर्द-गिर्द एक असाधारण परितारकीय चक्र है परितारकीय चक्र (Circumstellar disk) किसी तारे के इर्द-गिर्द परिक्रमा कर रहे धूल, गैस, शिशुग्रहों, क्षुद्रग्रहों व अन्य पदार्थों के बने चक्र को कहते हैं। इस चक्र का आकार टॉरस-नुमा, छल्ले-नुमा या रोटी-नुमा होता है। नवजात तारों में इस चक्र में अव्यवस्थित सामग्री होती है जिस से आगे चलकर शिशुग्रह आदि जन्म सकते हैं, जबकि कुछ उम्र वाले तारो में इस चक्र मे शिशुग्रह होते हैं जिनसे ग्रह बन सकते हैं। .

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विद्युतचुंबकीय विकिरण

विद्युतचुंबकीय तरंगों का दृष्यात्मक निरूपण विद्युत चुंबकीय विकिरण शून्य (स्पेस) एवं अन्य माध्यमों से स्वयं-प्रसारित तरंग होती है। इसे प्रकाश भी कहा जाता है किन्तु वास्तव में प्रकाश, विद्युतचुंबकीय विकिरण का एक छोटा सा भाग है। दृष्य प्रकाश, एक्स-किरण, गामा-किरण, रेडियो तरंगे आदि सभी विद्युतचुंबकीय तरंगे हैं। .

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विकिरण

भौतिकी में प्रयुक्त विकिरण ऊर्जा का एक रूप है जो तरंगों या किसी परमाणु या अन्य निकाय द्वारा उत्सर्जित गतिशील उपपरमाणुविक कणों के रूप में उच्च से निम्न ऊर्जा अवस्था की ओर चलती है। विकिरण को परमाणु पदार्थ पर उसके प्रभाव के आधार पर या विआयनीकारक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। विकिरण जो अणु या परमाणु का आयनीकरण करने मे सक्षम होता है उसमे उर्जा का स्तर विआयनीकारक विकिरण से अधिक होता है। रेडियोधर्मी पदार्थ वो भौतिक पदार्थ है जो कि आयनीकारक विकिरण उत्सर्जित करती है। तीन भिन्न प्रकार के विकिरण और उनका भेदन .

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खगोल शास्त्र

चन्द्र संबंधी खगोल शास्त्र: यह बडा क्रेटर है डेडलस। १९६९ में चन्द्रमा की प्रदक्षिणा करते समय अपोलो ११ के चालक-दल (क्रू) ने यह चित्र लिया था। यह क्रेटर पृथ्वी के चन्द्रमा के मध्य के नज़दीक है और इसका व्यास (diameter) लगभग ९३ किलोमीटर या ५८ मील है। खगोल शास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अंतर्गत पृथ्वी और उसके वायुमण्डल के बाहर होने वाली घटनाओं का अवलोकन, विश्लेषण तथा उसकी व्याख्या (explanation) की जाती है। यह वह अनुशासन है जो आकाश में अवलोकित की जा सकने वाली तथा उनका समावेश करने वाली क्रियाओं के आरंभ, बदलाव और भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन करता है। बीसवीं शताब्दी के दौरान, व्यावसायिक खगोल शास्त्र को अवलोकिक खगोल शास्त्र तथा काल्पनिक खगोल तथा भौतिक शास्त्र में बाँटने की कोशिश की गई है। बहुत कम ऐसे खगोल शास्त्री है जो दोनो करते है क्योंकि दोनो क्षेत्रों में अलग अलग प्रवीणताओं की आवश्यकता होती है, पर ज़्यादातर व्यावसायिक खगोलशास्त्री अपने आप को दोनो में से एक पक्ष में पाते है। खगोल शास्त्र ज्योतिष शास्त्र से अलग है। ज्योतिष शास्त्र एक छद्म-विज्ञान (Pseudoscience) है जो किसी का भविष्य ग्रहों के चाल से जोड़कर बताने कि कोशिश करता है। हालाँकि दोनों शास्त्रों का आरंभ बिंदु एक है फिर भी वे काफ़ी अलग है। खगोल शास्त्री जहाँ वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करते हैं जबकि ज्योतिषी केवल अनुमान आधारित गणनाओं का सहारा लेते हैं। .

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खगोलीय वस्तु

आकाशगंगा सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं - एन॰जी॰सी॰ ४४१४ हमारे सौर मण्डल से ६ करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर एक ५५,००० प्रकाश-वर्ष के व्यास की आकाशगंगा है खगोलीय वस्तु ऐसी वस्तु को कहा जाता है जो ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक रूप से पायी जाती है, यानि जिसकी रचना मनुष्यों ने नहीं की होती है। इसमें तारे, ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, गैलेक्सी आदि शामिल हैं। .

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गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है। गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटेशन) एक पदार्थ द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। इससे पूर्व वराह मिहिर ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है। .

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आवृत्ति

विभिन्न आवृतियों की तरंगें कोई आवृत घटना (बार-बार दोहराई जाने वाली घटना), इकाई समय में जितनी बार घटित होती है उसे उस घटना की आवृत्ति (frequency) कहते हैं। आवृति को किसी साइनाकार (sinusoidal) तरंग के कला (phase) परिवर्तन की दर के रूप में भी समझ सकते हैं। आवृति की इकाई हर्त्ज (साकल्स प्रति सेकण्ड) होती है। एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे आवर्त काल (Time Period) कहते हैं। आवर्त काल .

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कण

भौतिकी में कण (particle) किसी पदार्थ के एक छोटे आकार के टुकड़े को कहते हैं। कणों का आकार ऐसा हो सकता है जो मानवों को दृष्टिगोचर हो (जैसे कि दैनिक जीवन में नमक या धूल के कण) अथवा इतना छोटा भी हो सकता है कि उसे देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी की अवश्यकता हो। .

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कक्षा (भौतिकी)

दिक् में एक बिंदु के इर्द-गिर्द अपनी अलग-अलग कक्षाओं में परिक्रमा करती दो अलग आकारों की वस्तुएँ भौतिकी में कक्षा या ऑर्बिट दिक् (स्पेस) में स्थित एक बिंदु के इर्द-गिर्द एक मार्ग को कहते हैं जिसपर चलकर कोई वस्तु उस बिंदु की परिक्रमा करती है। खगोलशास्त्र में अक्सर उस बिंदु पर कोई बड़ा तारा या ग्रह स्थित होता है जिसके इर्द-गिर्द कोई छोटा ग्रह या उपग्रह अपनी कक्षा में उसकी परिक्रमा करता है। यदि खगोलीय वस्तुओं की कक्षाओं को देखा जाए तो कई भिन्न तरह की कक्षाएँ देखी जाती हैं - कुछ गोलाकार हैं, कुछ अण्डाकार हैं और कुछ इन से अधिक पेचीदा हैं। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना * श्रेणी:ज्योतिष पक्ष.

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कृष्ण विवर

किसी कृष्ण विवर का सिमुलेट किया हुआ चित्र। इस विवर का द्रव्यमान 10 सूर्य के बराबर है, तथा 600 कि॰मी॰ की दरी से लिया गया चित्र प्रदर्शित है। इस दूरी पर स्gfgfhgथापित रहने के लिये कम से कम 600 मिलीयन g का त्वरण आवश्यक है।http://www.spacetimetravel.org/expeditionsl/expeditionsl.html "Step by Step into a Black Hole" कृष्ण विवर, श्याम विवर, कृष्ण गर्त या ब्लैक होल अन्तरिक्ष का वह हिस्सा होता है जहाँ गुरुत्वीय क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि इसमे से कुछ भी बाहर नहीं आ सकता; यहाँ तक कि विद्युतचुम्बकीय तरंगे (जैसे, प्रकाश) भी नही। इनकी उपस्थिति का ज्ञान इनका अन्य पदार्थों के साथ परस्पर क्रिया (इन्टरैक्शन) द्वारा किया जा सकता है हालांकि इतने शक्तिशाली गुरुत्वीय क्षेत्र का विचार १८ वी सदी का है परन्तु वर्त्तमान में काल-कोठरी अलबर्ट आइंस्टाइन के सापेक्षता के सिद्धांत पर ही समझाए जाते हैं। .

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अवरक्त

दो व्यक्तियों की मध्य अधोरक्त (तापीय) प्रकाश में छाया चित्र अवरक्त किरणें, अधोरक्त किरणें या इन्फ़्रारेड वह विद्युत चुम्बकीय विकिरण है जिसका तरंग दैर्घ्य (वेवलेन्थ) प्रत्यक्ष प्रकाश से बड़ा हो एवं सूक्ष्म तरंग से कम हो। इसका नाम 'अधोरक्त' इसलिए है क्योंकि विद्युत चुम्बकीय तरंग के वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) में यह मानव द्वारा दर्शन योग्य लाल वर्ण से नीचे (या अध) होती है। इसका तरंग दैर्घ्य 750 nm and 1 mm के बीच होता है। सामान्य शारिरिक तापमान पर मानव शरीर 10 माइक्रॉन की अधोरक्त तरंग प्रकाशित कर सकता है। .

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