अभियोगी और विधिक व्यक्तित्व
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अभियोगी और विधिक व्यक्तित्व के बीच अंतर
अभियोगी vs. विधिक व्यक्तित्व
न्यायशास्त्र में अभियोगी या मुद्दई (plaintiff) वह पक्ष (व्यक्ति या दल) होता है जो न्यायालय में मुकदमा लाकर किसी पर आरोप लगाता है। इसके विपरीत अभियुक्त (defendant) या बचाव पक्ष वह पक्ष होता है जिसपर आरोप लगया गया हो। . विधि या कानून जिन एककों को मुकादमा चलाने या जिनपर मुकदमा चलवाने की सुविधा देता है, उन्हें विधिक व्यक्तित्व (Legal personality) प्राप्त होता है। विविध संस्थाओं को बहुत समय पूर्व से ऐसा व्यक्तित्व प्राप्त था। विधिक व्यक्तित्व की प्रथा का उदय प्राचीन रोम में हुआ। वैसे ग्रीस (534 ई. पू.), फिनीशिया (900 ई. पू.) तथा बेवीलोनिया (2200 ई. पू.) में यह प्रचलित थी। विधिक व्यक्तित्व सब व्यक्तियों को प्राप्त नहीं होता, क्योंकि सब मुकदमा चलाने या चलवाने के योग्य नहीं होते। प्राचीन काल में विदेशियों को ऐसे कोई अधिकार नहीं दिए जाते थे और दासों को तो चल संपत्ति ही माना जाता था। शिशुओं और पागलों का तो अब भी सीमित व्यक्तित्व होता है। न्यूयॉर्क की विधि के अनुसार जन्म कैदवाला कैदी एक प्रकार से मत ही माना जाता है। दूसरी ओर कुछ समाजों में गर्भस्थ शिशु को भी विधिक व्यक्तित्व मिल जाता है। कुछ में मानवसमूह को या फर्म को या मूर्ति जैसे निर्जीव पदार्थ को भी यह व्यक्तित्व प्रदान कर दिया जाता है। मध्य युग तक तो पक्षी और पशु भी यूरोप में अपराधी के रूप में विधि द्वारा दंडित किए जाते थे। .
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संदर्भ
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