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अभिगृहीत

सूची अभिगृहीत

तर्कशास्त्र (logic) में स्वयंसिद्ध या अभिगृहीत (axiom) ऐसे कथनों को कहते हैं जिन्हें सिद्ध नहीं किया जाता बल्कि उन्हें अति-स्पष्ट समझा जाता है। स्वयंसिद्धों को 'सत्यता' को बिना शंका के स्वीकार कर लिया जाता है। स्वयंसिद्ध अन्य 'सत्यों' को सिद्ध करने के लिये आधार का काम करते हैं। .

2 संबंधों: तर्कशास्त्र, स्वयंसिद्धों की सूची

तर्कशास्त्र

तर्कशास्त्र शब्द अंग्रेजी 'लॉजिक' का अनुवाद है। प्राचीन भारतीय दर्शन में इस प्रकार के नामवाला कोई शास्त्र प्रसिद्ध नहीं है। भारतीय दर्शन में तर्कशास्त्र का जन्म स्वतंत्र शास्त्र के रूप में नहीं हुआ। अक्षपाद! गौतम या गौतम (३०० ई०) का न्यायसूत्र पहला ग्रंथ है, जिसमें तथाकथित तर्कशास्त्र की समस्याओं पर व्यवस्थित ढंग से विचार किया गया है। उक्त सूत्रों का एक बड़ा भाग इन समस्याओं पर विचार करता है, फिर भी उक्त ग्रंथ में यह विषय दर्शनपद्धति के अंग के रूप में निरूपित हुआ है। न्यायदर्शन में सोलह परीक्षणीय पदार्थों का उल्लेख है। इनमें सर्वप्रथम प्रमाण नाम का विषय या पदार्थ है। वस्तुतः भारतीय दर्शन में आज के तर्कशास्त्र का स्थानापन्न 'प्रमाणशास्त्र' कहा जा सकता है। किंतु प्रमाणशास्त्र की विषयवस्तु तर्कशास्त्र की अपेक्षा अधिक विस्तृत है। .

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स्वयंसिद्धों की सूची

यहाँ पर सभी प्रकार के स्वयंसिद्धों (axioms) की सूची दी गयी है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

स्वयंसिद्ध

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