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अभिकलनात्मक गणित

सूची अभिकलनात्मक गणित

अभिकलनात्मक गणित (Computational mathematics) ज्ञान के उन क्षेत्रों से संबन्धित है जहाँ अभिकलन की भूमिका बहुत महत्व की है। १९५० के दशक तक अभिकलनात्मक गणित, अनुप्रयुक्त गणित का अलग प्रभाग बन चुका था। इसमें अल्गोरिद्म, आंकिक विधियों (numerical methods) तथा प्रतीकात्मक विधियों (symbolic methods) का अध्ययन किया जाता है। सम्प्रति, अभिकलनात्मक गणित में निम्नांकित विषय शामिल हैं-.

3 संबंधों: व्यावहारिक गणित, अभिकलन, अल्गोरिद्म

व्यावहारिक गणित

वाहन को शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर कम से कम समय में ले जाने के लिए गणित का उपयोग करना पड़ सकता है। इसके लिए सांयोगिक इष्टतमीकरण (combinatorial optimization) तथा पूर्णांक प्रोग्रामन (integer programming) का उपयोग करना पड़ सकता है। व्यावहारिक गणित (अनुप्रयुक्त गणित या प्रायोगिक गणित), गणित की वह शाखा है जो ज्ञान की अन्य विधाओं की समस्याओं को गणित के जुगाड़ों (तकनीकों) के प्रयोग से हल करने से सम्बन्ध रखती है। ऐतिहास दृष्टि से देखें तो भौतिक विज्ञानों (physical sciences) की आवश्यकताओं ने गणित की विभिन्न शाखाओं के विकास में महती भूमिका निभायी। उदाहरण के लिये तरल यांत्रिकी में गणित का उपयोग करने से एक हल्का एवं कम ऊर्जा से की खपत करने वाला वायुयान की डिजाइन की जा सकती है। बहुत पुरातन काल से ही विषयों में गणित सर्वाधिक उपयोगी रहा है। यूनानी लोग गणित को न केवल संख्याओं और दिक् (स्पेस) का बल्कि खगोलविज्ञान और संगीत का भी अध्ययन मानते थे। गणितसारसंग्रह के 'संज्ञाधिकार' में मंगलाचरण के पश्चात महान प्राचीन भारतीय गणितज्ञ महावीराचार्य ने बड़े ही मार्मिक ढंग से गणित की प्रशंशा की है और गणित के अनेकानेक उपयोगों को गिनाया है- आज के 4000 वर्ष पहले बेबीलोन तथा मिस्र सभ्यताएँ गणित का इस्तेमाल पंचांग (कैलेंडर) बनाने के लिए किया करती थीं जिससे उन्हें पूर्व जानकारी रहती थी कि कब फसल की बुआई की जानी चाहिए या कब नील नदी में बाढ़ आएगी। अंकगणित का प्रयोग व्यापार में रुपयों-पैसों और वस्तुओं के विनिमय या हिसाब-किताब रखने के लिए किया जाता था। ज्यामिति का इस्तेमाल खेतों के चारों तरफ की सीमाओं के निर्धारण तथा पिरामिड जैसे स्मारकों के निर्माण में होता था। अपने दैनिक जीवन में रोजाना ही हम गणित का इस्तेमाल करते हैं-उस वक्त जब समय जानने के लिए हम घड़ी देखते हैं, अपने खरीदे गए सामान या खरीदारी के बाद बचने वाली रेजगारी का हिसाब जोड़ते हैं या फिर फुटबाल टेनिस या क्रिकेट खेलते समय बनने वाले स्कोर का लेखा-जोखा रखते हैं। व्यवसाय और उद्योगों से जुड़ी लेखा संबंधी संक्रियाएं गणित पर ही आधारित हैं। बीमा (इंश्योरेंस) संबंधी गणनाएं तो अधिकांशतया ब्याज की चक्रवृद्धि दर पर ही निर्भर है। जलयान या विमान का चालक मार्ग के दिशा-निर्धारण के लिए ज्यामिति का प्रयोग करता है। सर्वेक्षण का तो अधिकांश कार्य ही त्रिकोणमिति पर आधारित होता है। यहां तक कि किसी चित्रकार के आरेखण कार्य में भी गणित मददगार होता है, जैसे कि संदर्भ (पर्सपेक्टिव) में जिसमें कि चित्रकार को त्रिविमीय दुनिया में जिस तरह से इंसान और वस्तुएं असल में दिखाई पड़ते हैं, उन्हीं का तदनुरूप चित्रण वह समतल धरातल पर करता है। संगीत में स्वरग्राम तथा संनादी (हार्मोनी) और प्रतिबिंदु (काउंटरपाइंट) के सिद्धांत गणित पर ही आश्रित होते हैं। गणित का विज्ञान में इतना महत्व है तथा विज्ञान की इतनी शाखाओं में इसकी उपयोगिता है कि गणितज्ञ एरिक टेम्पल बेल ने इसे ‘विज्ञान की साम्राज्ञी और सेविका’ की संज्ञा दी है। किसी भौतिकविज्ञानी के लिए अनुमापन तथा गणित का विभिन्न तरीकों का बड़ा महत्व होता है। रसायनविज्ञानी किसी वस्तु की अम्लीयता को सूचित करने वाले पी एच (pH) मान के आकलन के लिए लघुगणक का इस्तेमाल करते हैं। कोणों और क्षेत्रफलों के अनुमापन द्वारा ही खगोलविज्ञानी सूर्य, तारों, चंद्र और ग्रहों आदि की गति की गणना करते हैं। प्राणीविज्ञान में कुछ जीव-जन्तुओं के वृद्धि-पैटर्नों के विश्लेषण के लिए विमीय विश्लेषण की मदद ली जाती है। जैसे-जैसे खगोलीय तथा काल मापन संबंधी गणनाओं की प्रामाणिकता में वृद्धि होती गई, वैसे-वैसे नौसंचालन भी आसान होता गया तथा क्रिस्टोफर कोलम्बस और उसके परवर्ती काल से मानव सुदूरगामी नए प्रदेशों की खोज में घर से निकल पड़ा। साथ ही, आगे के मार्ग का नक्शा भी वह बनाता गया। गणित का उपयोग बेहतर किस्म के समुद्री जहाज, रेल के इंजन, मोटर कारों से लेकर हवाई जहाजों के निर्माण तक में हुआ है। राडार प्रणालियों की अभिकल्पना तथा चांद और ग्रहों आदि तक अन्तरिक्ष यान भेजने में भी गणित से काम लिया गया है। .

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अभिकलन

रैण्डम ऐक्सेस स्मृति (RAM /Random Access Memory) संगणक तकनीक, कम्यूटर हार्डवेयर तथा कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के विकास करने से सम्बन्धित कार्यों या क्रियाओं को सम्मिलित रूप से अभिकलन कहा जाता है। यह सूचना तकनीक का वह भाग है जो कम्प्यूटर से सम्बन्ध रखता है। संगणक विज्ञान, सूचना एवं अभिकलन के सैद्धान्तिक पहलुओं के अध्ययन, उन्हें कार्य रूप में परिणित करने एवं उनको संगणक तंत्र में प्रयोग करने से सम्बधित है। .

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अल्गोरिद्म

महत्तम समापवर्तक (HCF) निकालने के लिए यूक्लिड के अल्गोरिद्म का फ्लोचार्ट गणित, संगणन तथा अन्य विधाओं में किसी कार्य को करने के लिये आवश्यक चरणों के समूह को कलन विधि (अल्गोरिद्म) कहते है। कलन विधि को किसी स्पष्ट रूप से पारिभाषित गणनात्मक समस्या का समाधान करने के औजार (tool) के रूप में भी समझा जा सकता है। उस समस्या का इनपुट और आउटपुट सामान्य भाषा में वर्णित किये गये रहते हैं; इसके समाधान के रूप में कलन विधि, क्रमवार ढंग से बताता है कि यह इन्पुट/आउटपुट सम्बन्ध किस प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है। कुछ उदाहरण: १) कुछ संख्यायें बिना किसी क्रम के दी हुई हैं; इन्हें आरोही क्रम (ascending order) में कैसे सजायेंगे? २) दो पूर्णांक संख्याएं दी हुई हैं; उनका महत्तम समापवर्तक (Highest Common Factor) कैसे निकालेंगे ? .

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