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अन्तर्वाह धारा

सूची अन्तर्वाह धारा

२३०वोल्ट, ६० वोल्ट-अम्पीयर के एक ट्रान्सफॉर्मर की अन्तर्वाह धारा का ग्राफ: यह धारा दस-पन्द्रह सायकिल तक बनी रहती है तथा इसमें डीसी कम्पोनेन्ट भी होता है। ट्रान्सफॉर्मर, स्विच मोड पॉवर सप्लाई, विद्युत मोटर, प्रकाश बल्ब आदि विद्युत उपकरण चालू करते ही जो धारा लेते हैं वह उनके द्वारा सामान्य अवस्था में ली जाने वाली धारा से बहुत अधिक (दस-बीस गुना) हो सकती है। इस अत्यधिक धारा को अन्तर्वाह धारा (inrush current) कहते हैं। यह धारा कुछ मिलीसेकेण्ड से लेकर कुछ सेकेण्ड तक बहती है जो अलग अलग लोड के लिए अलग अलग होती है। इस धारा को रोकने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं। इसके अलावा फ्यूज और परिपथ विच्छेदक इस प्रकार की रेटिंग के चुने जाते हैं ताकि उनसे होकर कुछ देर (जैसे, १ सेकेण्ड तक) बहुत अधिक धारा भी बहे (और फिर कम हो जाय) तो भी वे ट्रिप न हों। .

11 संबंधों: ट्राँसफार्मर, एसी, दिष्ट धारा, दिष्टधारा मोटर, परिपथ विच्छेदक, प्रदीप्त बत्ती, फ्यूज, संधारित्र, स्विच मोड पॉवर सप्लाई, विद्युत धारा, विद्युत मोटर

ट्राँसफार्मर

---- एक छोटे ट्रांसफॉर्मर का स्वरूप ट्रान्सफार्मर या परिणामित्र एक वैद्युत मशीन है जिसमें कोई चलने या घूमने वाला अवयव नहीं होता। विद्युत उपकरणों में सम्भवतः ट्रान्सफार्मर सर्वाधिक व्यापक रूप से प्रयुक्त विद्युत साषित्र (अप्लाएन्स) है। यह किसी एक विद्युत परिपथ (circuit) से अन्य परिपथ में विद्युत प्रेरण द्वारा परस्पर जुडे हुए चालकों के माध्यम से विद्युत उर्जा स्थान्तरित करता है। ट्रांसफार्मर केवल प्रत्यावर्ती धारा या विभवान्तर के साथ कार्य कर सकता है, एकदिश (direct) के साथ नहीं। ट्रांसफॉर्मर एक-फेजी, तीन-फेजी या बहु-फेजी हो सकते है। यह सभी विद्युत मशीनों में सर्वाधिक दक्ष (एफिसिएंट) मशीन है। आधुनिक युग में परिणामित्र वैद्युत् तथा इलेक्ट्रॉनी उद्योगों का अभिन्न अंग बन गया है। किसी ट्रान्सफार्मर में एक, दो या अधिक वाइन्डिंग हो सकती हैं। दो वाइंडिंग वाले ट्रान्सफार्मर के प्राथमिक (प्राइमरी) एवं द्वितियक (सेकेण्डरी) वाइण्डिंग के फेरों (टर्न्स) की संख्या एवं उनके विभवान्तरों में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है: \frac .

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एसी

कोई विवरण नहीं।

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दिष्ट धारा

दिष्ट धारा वह धारा हैं जो सदैव एक ही दिशा में बहती हैं व जिसकी ध्रुवीयता नियत रहती हैं। इसकी तुलना प्रत्यावर्ती धारा से की जा सकती है जो अपनी ध्रुवीयता (जो कि धारा की दिशा से संबंधित है) निश्चित कालक्रम में बदलती रहती है। इन दोनों ही धाराओं का परिमाण निश्चित रहता है। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली.

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दिष्टधारा मोटर

डीसी मोटर का कार्यसिद्धान्त दिष्टधारा मोटर (DC motor) विद्युत मशीन है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है। .

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परिपथ विच्छेदक

१२५० अम्पीयर का वायु परिपथ विच्छेदक परिपथ विच्छेदक के अन्दर का दृष्य VA47-29 नामक परिपथ विच्छेदक के अन्दर का दृष्य परिपथ विच्छेदक या 'परिपथ वियोजक' (सर्किट ब्रेकर / circuit breaker) स्वतःचालित वैद्युत स्विच है जो दोष (फाल्ट) आदि की दशा में कार्य करता है जिससे दोषी भाग स्वस्थ भाग से अलग कर दिया जाता है और दूसरे उपकरण खराब होने से बच जाते हैं। इसका मूल काम दोषपूर्ण स्थिति की पहचान करके दोषी भाग को जाने वाली विद्युत शक्ति को शीघ्रातिशीघ्र काट देना है। फ्यूज से यह इस मामले में अलग है कि इसे रिसेट करके पुनः विद्युत प्रदाय चालू किया जा सकता है। परिपथ विच्छेदक भिन्न-भिन्न आकार, क्षमता, एवं प्रकार के होते हैं। .

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प्रदीप्त बत्ती

जगमगाते हुए प्रदीप्त लैम्प तरह-तरह की प्रदीप्त बत्तियाँ प्रदीप्त बत्ती या प्रदीप्त नलिका या फ्लोरिसेण्ट लैम्प एक 'गैस-डिस्चार्ज बत्ती' (gas-discharge lamp) है जिसमें पारे के वाष्प को इक्साइट (excite) करने के लिये विद्युत विभव का उपयोग किया जाता है। यह समान मात्रा में प्रकाश पैदा करने के लिये साधारण बल्ब (इन्कैण्डिसेन्ट लैम्प) की तुलना में कम बिजली खाता है। किन्तु इन्का आकार बड़ा होता है, इन पर शुरुआत में अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है तथा इनमें पारा मर्करी की एक सूक्ष्म मात्रा भी होती है जो पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती है। .

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फ्यूज

80 kA ब्रेकिंग क्षमता वाला कोई औद्योगिक फ्यूज वैद्युत प्रौद्योगिकी एवं एलेक्ट्रॉनिकी फ्यूज (fuse), परिपथ का एक संरक्षात्मक (प्रोटेक्टिव) अवयव है जो एक नियत मात्रा से अधिक धारा बहने पर परिपथ को तोड देता है। इस प्रकार परिपथ में स्थित अन्य मूल्यवान अवयव अत्यधिक धारा के कारण खराब होने से बच जाते हैं। फ्यूज शब्द फ्यूजिबल लिंक का लघु रूप है। मोटे तौर पर एक धातु की तार या पट्टी इसका मुख्य भाग है जो अधिक धारा बहने की दशा में पिघल जाती है और इस प्रकार परिपथ टूट जाता है। एक सरल परिपथ में फ्यूज की स्थिति कुछ अलग-अलग प्रकार के फ्यूज मोटरगाड़ियों में लगाये जाने वाले फ्यूज विभिन्न प्रकार के फ्यूज-होल्डर .

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संधारित्र

विभिन्न प्रकार के आधुनिक संधारित्र समान्तर प्लेट संधारित्र का एक सरल रूप संधारित्र या कैपेसिटर (Capacitor), विद्युत परिपथ में प्रयुक्त होने वाला दो सिरों वाला एक प्रमुख अवयव है। यदि दो या दो से अधिक चालकों को एक विद्युत्रोधी माध्यम द्वारा अलग करके समीप रखा जाए, तो यह व्यवस्था संधारित्र कहलाती है। इन चालकों पर बराबर तथा विपरीत आवेश होते हैं। यदि संधारित्र को एक बैटरी से जोड़ा जाए, तो इसमें से धारा का प्रवाह नहीं होगा, परंतु इसकी प्लेटों पर बराबर मात्रा में घनात्मक एवं ऋणात्मक आवेश संचय हो जाएँगे। विद्युत् संधारित्र का उपयोग विद्युत् आवेश, अथवा स्थिर वैद्युत उर्जा, का संचय करने के लिए तथा वैद्युत फिल्टर, स्नबर (शक्ति इलेक्ट्रॉनिकी) आदि में होता है। संधारित्र में धातु की दो प्लेटें होतीं हैं जिनके बीच के स्थान में कोई कुचालक डाइएलेक्ट्रिक पदार्थ (जैसे कागज, पॉलीथीन, माइका आदि) भरा होता है। संधारित्र के प्लेटों के बीच धारा का प्रवाह तभी होता है जब इसके दोनों प्लेटों के बीच का विभवान्तर समय के साथ बदले। इस कारण नियत डीसी विभवान्तर लगाने पर स्थायी अवस्था में संधारित्र में कोई धारा नहीं बहती। किन्तु संधारित्र के दोनो सिरों के बीच प्रत्यावर्ती विभवान्तर लगाने पर उसके प्लेटों पर संचित आवेश कम या अधिक होता रहता है जिसके कारण वाह्य परिपथ में धारा बहती है। संधारित्र से होकर डीसी धारा नही बह सकती। संधारित्र की धारा और उसके प्लेटों के बीच में विभवान्तर का सम्बन्ध निम्नांकित समीकरण से दिया जाता है- जहाँ: .

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स्विच मोड पॉवर सप्लाई

एक '''एस एम पी एस''' के अन्दर का दृष्य स्विच मोड पॉवर सप्लाई (Switch-mode power supply) या एसएमपीएस उन शक्ति-परिवर्तकों (पावर कन्वर्टर्स) को कहते हैं जिनमें पॉवर-कन्वर्शन के लिये किसी स्विच (जैसे आईजीबीटी) को उच्च आवृत्ति पर चालू-बन्द (ON/OFF) किया जाता है। इनकी दक्षता उन कन्वर्टरों से बहुत अधिक होती है जिन्हें रेखीय शक्ति आपूर्ति (लिनियर पॉवर सप्लाईज) कहते हैं जिनमें किसी शक्ति को नियंत्रित करने वाली युक्ति न तो पूरी तरह चालू होती है न पूरी तरह बन्द (अर्थात वह युक्ति ऐक्टिव रीजन में काम करती है)। आजकल उच्च गुणवत्ता वाली स्विचों की उपलब्धता के कारण अधिकांश शक्ति आपूर्तियाँ एसएमपीएस प्रकार की ही निर्मित की जा रही हैं। उच्च दक्षता के अतिरिक्त इनका आकार (साइज) भी समान क्षमता के लिनियर पॉवर सप्लाई से छोटा होता है। .

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विद्युत धारा

आवेशों के प्रवाह की दिशा से धारा की दिशा निर्धारित होती है। विद्युत आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करेण्ट) कहते हैं। इसकी SI इकाई एम्पीयर है। एक कूलांम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे। .

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विद्युत मोटर

विभिन्न आकार-प्रकार की विद्युत मोटरें विद्युत मोटर (electric motor) एक विद्युतयांत्रिक मशीन है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है; अर्थात इसे उपयुक्त विद्युत स्रोत से जोड़ने पर यह घूमने लगती है जिससे इससे जुड़ी मशीन या यन्त्र भी घूमने लगती है। अर्थात यह विद्युत जनित्र का उल्टा काम करती है जो यांत्रिक ऊर्जा लेकर विद्युत उर्जा पैदा करता है। कुछ मोटरें अलग-अलग परिस्थितियों में मोटर या जनरेटर (जनित्र) दोनो की तरह भी काम करती हैं। विद्युत् मोटर विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिणत करने के साधन हैं। विद्युत् मोटर औद्योगिक प्रगति का महत्वपूर्ण सूचक है। यह एक बड़ी सरल तथा बड़ी उपयोगी मशीन है। उद्योगों में शायद ही कोई ऐसा प्रयोजन हो जिसके लिए उपयुक्त विद्युत मोटर का चयन न किया जा सके। .

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