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अन्त:पुर

सूची अन्त:पुर

Mughal Interiors from the book of Le Costume Historique c. 1876 प्राचीन काल में हिंदू राजाओं का रनिवास अंतःपुर कहलाता था। यही मुगलों के जमाने में 'जनानखाना' या 'हरम' कहलाया। अंतःपुर के अन्य नाम भी थे जो साधारणतः उसके पर्याय की तरह प्रयुक्त होते थे, यथा- शुद्धांत और अवरोध। शुद्धांत शब्द से प्रकट है कि राजप्रासाद के उस भाग को, जिसमें नारियाँ रहती थीं, बड़ा पवित्र माना जाता था। दांपत्य वातावरण को आचरण की दृष्टि से नितांत शुद्ध रखने की परंपरा ने ही निःसंदेह अंतःपुर को यह विशिष्ट संज्ञा दी थी। उसके शुद्धांत नाम को सार्थक करने के लिए महल के उस भाग को बाहरी लोगों के प्रवेश से मुक्त रखते थे। उस भाग के अवरुद्ध होने के कारण अंतःपुर का यह तीसरा नाम अवरोध पड़ा था। अवरोध के अनेक रक्षक होते थे जिन्हें प्रतीहारी या प्रतीहाररक्षक कहते थे। नाटकों में राजा के अवरोध का अधिकारी अधिकतर वृद्ध ही होता था जिससे अंतःपुर शुद्धांत बना रहे और उसकी पवित्रता में कोई विकार न आने पाए। मुगल और चीनी सम्राटों के हरम या अंतःपुर में मर्द नहीं जा सकते थे और उनकी जगह खोजे या क्लीब रखे जाते थे। इन खोजों की शक्ति चीनी महलों में इतनी बढ़ गई थी कि वे रोमन सम्राटों के प्रीतोरियन शरीर रक्षकों और तुर्की जनीसरी शरीर रक्षकों की तरह ही चीनी सम्राटों को बनाने-बिगाड़ने में समर्थ हो गए थे। वे चीनी महलों के सारे षड्यंत्रों के मूल में होते थे। चीनी सम्राटों के समूचे महल को अवरोध अथवा अवरुद्ध नगर कहते थे और उसमें रात में सिवा सम्राट के कोई पुरुष नहीं सो सकता था। क्लीबों की सत्ता गुप्त राजप्रासादों में भी पर्याप्त थी। जैसा संस्कृत नाटकों से प्रकट होता है, राजप्रासाद के अंतःपुर वाले भाग में एक नजरबाग भी होता था जिसे प्रमदवन कहते थे और जहाँ राजा अपनी अनेक पत्नियों के साथ विहार करता था। संगीतशाला, चित्रशाला आदि भी वहाँ होती थीं जहाँ राजकुल की नारियाँ ललित कलाएँ सीखती थीं। वहीं उनके लिए क्रीड़ा स्थल भी होता था। संस्कृत नाटकों में वर्णित अधिकतर प्रणय षड्यंत्र अंतःपुर में ही चलते थे। अन्त:पुर अन्त:पुर.

4 संबंधों: चीन का सम्राट, मुग़ल साम्राज्य, संस्कृत नाटक, हिन्दू धर्म

चीन का सम्राट

चीन का सम्राट (皇帝 huáng dì, हिंदी.

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मुग़ल साम्राज्य

मुग़ल साम्राज्य (फ़ारसी:, मुग़ल सलतनत-ए-हिंद; तुर्की: बाबर इम्परातोरलुग़ु), एक इस्लामी तुर्की-मंगोल साम्राज्य था जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ। मुग़ल सम्राट तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूरवंशी थे और इन्होंने अति परिष्कृत मिश्रित हिन्द-फारसी संस्कृति को विकसित किया। 1700 के आसपास, अपनी शक्ति की ऊँचाई पर, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया - इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बंगलादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कावेरी घाटी तक था। उस समय 40 लाख किमी² (15 लाख मील²) के क्षेत्र पर फैले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 11 और 13 करोड़ के बीच लगाया गया था। 1725 के बाद इसकी शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई। उत्तराधिकार के कलह, कृषि संकट की वजह से स्थानीय विद्रोह, धार्मिक असहिष्णुता का उत्कर्ष और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर ज़फ़र शाह था, जिसका शासन दिल्ली शहर तक सीमित रह गया था। अंग्रेजों ने उसे कैद में रखा और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यानमार निर्वासित कर दिया। 1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ, हालाँकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला। इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था। मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं। .

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संस्कृत नाटक

संस्कृत नाटक (कोडियट्टम) में सुग्रीव की भूमिका संस्कृत नाटक रसप्रधान होते हैं। इनमें समय और स्थान की अन्विति नही पाई जाती। अपनी रचना-प्रक्रिया में नाटक मूलतः काव्य का ही एक प्रकार है। सूसन के लैंगर के अनुसार भी नाटक रंगमंच का काव्य ही नहीं, रंगमंच में काव्य भी है। संस्कृत नाट्यपरम्परा में भी नाटक काव्य है और एक विशेष प्रकार का काव्य है,..दृश्यकाव्य। ‘काव्येषु नाटकं रम्यम्’ कहकर उसकी विशिष्टता ही रेखांकित की गयी है। लेखन से लेकर प्रस्तुतीकरण तक नाटक में कई कलाओं का संश्लिष्ट रूप होता है-तब कहीं वह अखण्ड सत्य और काव्यात्मक सौन्दर्य की विलक्षण सृष्टि कर पाता है। रंगमंच पर भी एक काव्य की सृष्टि होती है विभिन्न माध्यमों से, कलाओं से जिससे रंगमंच एक कार्य का, कृति का रूप लेता है। आस्वादन और सम्प्रेषण दोनों साथ-साथ चलते हैं। अनेक प्रकार के भावों, अवस्थाओं से युक्त, रस भाव, क्रियाओं के अभिनय, कर्म द्वारा संसार को सुख-शान्ति देने वाला यह नाट्य इसीलिए हमारे यहाँ विलक्षण कृति माना गया है। आचार्य भरत ने नाट्यशास्त्र के प्रथम अध्याय में नाट्य को तीनों लोकों के विशाल भावों का अनुकीर्तन कहा है तथा इसे सार्ववर्णिक पंचम वेद बतलाया है। भरत के अनुसार ऐसा कोई ज्ञान शिल्प, विद्या, योग एवं कर्म नहीं है जो नाटक में दिखाई न पड़े - .

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हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

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