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अनेकांतवाद और द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अनेकांतवाद और द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति के बीच अंतर

अनेकांतवाद vs. द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति

अनेकान्तवाद जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और मूलभूत सिद्धान्तों में से एक है। मौटे तौर पर यह विचारों की बहुलता का सिद्धान्त है। अनेकावान्त की मान्यता है कि भिन्न-भिन्न कोणों से देखने पर सत्य और वास्तविकता भी अलग-अलग समझ आती है। अतः एक ही दृष्टिकोण से देखने पर पूर्ण सत्य नहीं जाना जा सकता। . द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति (Dialectic या dialectics या dialectical method) असहमति को दूर करने के लिए प्रयुक्त तर्क करने की एक विधि है जो प्राचीनकाल से ही भारतीय और यूरोपीय दर्शन के केन्द्र में रही है। इसका विकास यूनान में हुआ तथा प्लेटो ने इसे प्रसिद्धि दिलायी। द्वन्दात्मक तर्कपद्धति दो या दो से अधिक लोगों के बीच चर्चा करने की विधि है जो किसी विषय पर अलग-अलग राय रखते हैं किन्तु तर्कपूर्ण चर्चा की सहायता से सत्य तक पहुँचने के इच्छुक हैं। .

अनेकांतवाद और द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति के बीच समानता

अनेकांतवाद और द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): स्यादवाद

स्यादवाद

स्यादवाद जैन दर्शन के अंतर्गत किसी वस्तु के गुण को समझने, समझाने और अभिव्यक्त करने का सापेक्षिक सिद्धांत है। .

अनेकांतवाद और स्यादवाद · द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति और स्यादवाद · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

अनेकांतवाद और द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति के बीच तुलना

अनेकांतवाद 6 संबंध है और द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति 14 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.00% है = 1 / (6 + 14)।

संदर्भ

यह लेख अनेकांतवाद और द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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