अनुसंधान और तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि
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अनुसंधान और तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि के बीच अंतर
अनुसंधान vs. तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि
जर्मनी का 'सोन' (Sonne) नामक अनुसन्धान-जलयान व्यापक अर्थ में अनुसंधान (Research) किसी भी क्षेत्र में 'ज्ञान की खोज करना' या 'विधिवत गवेषणा' करना होता है। वैज्ञानिक अनुसंधान में वैज्ञानिक विधि का सहारा लेते हुए जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश की जाती है। नवीन वस्तुओं कि खोज और पुराने वस्तुओं एवं सिद्धान्तों का पुन: परीक्षण करना, जिससे की नए तथ्य प्राप्त हो सके, उसे शोध कहते हैं। गुणात्मक तथा मात्रात्मक शोध इसके प्रमुख प्रकारों में से एक है। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में उच्च शिक्षा की सहज उपलब्धता और उच्च शिक्षा संस्थानों को शोध से अनिवार्य रूप से जोड़ने की नीति ने शोध की महत्ता को बढ़ा दिया है। आज शैक्षिक शोध का क्षेत्र विस्तृत और सघन हुआ है। . तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि विख्यात संस्कृत साहित्यकार महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज द्वारा रचित एक शोध है जिसके लिये उन्हें सन् 1964 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
अनुसंधान और तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि के बीच समानता
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संदर्भ
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