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अनुराग और रत्नावली

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अनुराग और रत्नावली के बीच अंतर

अनुराग vs. रत्नावली

अनुराग शब्द का प्रयोग प्रेम की गहरी भावना को दर्शाने के लिये किया जाता है। प्रेमी और प्रेयसी के प्रेम के भाव को प्रकट करने के लिये भी इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। . रत्नावली एक विदुषी कन्या थी, जिनका जन्म सम्वत्- 1577 विक्रमी में जनपद- कासगंज के सोरों शूकरक्षेत्र अन्तर्वेदी भागीरथी गंगा के पश्चिमी तटस्थ बदरिया (बदरिका) नामक गाँव में हुआ था। विदुषी रत्नावली के पिता का नाम पं० दीनबंधु पाठक एवं माता दयावती थीं। विदुषी रत्नावली का पाणिग्रहण सम्वत्- 1589 विक्रमी में सोरों शूकरक्षेत्र निवासी पं० आत्माराम शुक्ल के पुत्र पं० तुलसीदास जी के साथ हुआ। सम्वत्- 1604 विक्रमी में जब रत्नावली मात्र 27 वर्ष की ही थी, तब तुलसीदास जी इनसे विरक्त होकर सोरों शूकरक्षेत्र त्यागकर चले गए। अंत में पूज्य पतिपरमेश्वर का स्मरण करती हुई सती साध्वी रत्नावली सम्वत्- 1651 विक्रमी में अपनी अलौकिक कान्ति चमकाती हुई सत्यलोक सिधार गई। श्रेणी:हर्षवर्धन श्रेणी:संस्कृत नाटक श्रेणी:संस्कृत ग्रंथ श्रेणी:नाटक.

अनुराग और रत्नावली के बीच समानता

अनुराग और रत्नावली आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

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अनुराग और रत्नावली के बीच तुलना

अनुराग 5 संबंध है और रत्नावली 2 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (5 + 2)।

संदर्भ

यह लेख अनुराग और रत्नावली के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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