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अनुकूलन

सूची अनुकूलन

अनुकूलन किसी विशेष वातावरण में सुगमता पूर्वक जीवन व्यतीत करने एवं वंशवृद्धि के लिए जीवों के शरीर में रचनात्मक एवं क्रियात्मक स्थायी परिवर्तन उत्पन्न होने की प्रक्रिया है। यह शरीर का अंग या स्थिति नहीं बल्कि एक प्रक्रिया है अनुकूलन द्वारा होने वाले स्थायी बदलावों को इस प्रक्रिया से भिन्न स्पष्ट करने के लिए उन्हें अनुकूलन जन्य लक्षण कहा जा सकता है। .

3 संबंधों: पर्यावरण, शरीर, जीवन

पर्यावरण

पर्यावरण प्रदूषण - कारखानों द्वारा धुएँ का उत्सर्जन पर्यावरण (Environment) शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिल कर हुआ है। "परि" जो हमारे चारों ओर है और "आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं के समुच्चय से निर्मित इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी के अन्दर सम्पादित होती है तथा हम मनुष्य अपनी समस्त क्रियाओं से इस पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं। इस प्रकार एक जीवधारी और उसके पर्यावरण के बीच अन्योन्याश्रय संबंध भी होता है। पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं और इसके साथ ही उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएँ और प्रक्रियाएँ भी। अजैविक संघटकों में जीवनरहित तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएँ आती हैं, जैसे: चट्टानें, पर्वत, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि। .

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शरीर

शरीर सामान्य अर्थों में किसी भी जीवधारी के समस्त अंग-प्रत्यंगों का समुच्चय। उर्दू से आया हुआ शब्द "चंचल" के अर्थों में प्रयुक्त। संबंधित लेख निम्नवत हैं.

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जीवन

हमारे जन्म से मृत्यु के बीच की अवधि ही जीवन कहलाती है। लेकिन हमारा जन्म क्या हमारी इच्छा से होता है? नहीं, यह तो मात्र नर और मादा के संभोग का परिणाम होता है जो प्रकृति के नियम के अंतर्गत है। इसके अतिरिक्त जीवन का मुख्य अंग एक चेतन तत्त्व है जो जीवन की सभी क्रियाओं का साक्षी होता है। .

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