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अधिनीतिशास्त्र

सूची अधिनीतिशास्त्र

अधिनीतिशास्त्र (meta-ethics) नीतिशास्त्र की वह शाखा है जो नीतियों के गुणों, दावों, मनोदृष्टि और निर्णयों को समझने का प्रयास करती है। दर्शनशास्त्री अक्सर नीतिशास्त्र की तीन शाखाओं का अध्ययन करते हैं: अधिनीतिशास्त्र, मानदण्डक नीतिशास्त्र (normative ethics) और अनुप्रयुक्त नीतिशास्त्र (applied ethics)। जहाँ मानदण्डक नीतिशास्त्र "मुझे क्या करना चाहिये?" जैसे प्रशनों का उत्तर देने की चेष्टा करते हुए कई विकल्पों में से एक चुनने में सहायता करने का प्रयास करता है, वहाँ अधिनीतिशात्र का प्रयास "अच्छाई क्या है?" और "हम अच्छे और बुरे में अंतर कैसे समझ सकते हैं?" जैसे गूढ़ प्रशनों से जूझता है। अधिनीतिशास्त्र पर बल देने वाले नीतिशास्त्री यह मानते हैं कि किसी नैतिक सिद्धांत को अच्छा या बुरा बताने से पहले यह तत्त्वमीमांसिक स्तर पर समझना आवश्यक है कि अच्छाई और बुराई की परिभाषा क्या है। इसके विपरीत अन्यों का मानना है कि विश्व में अच्छे और बुरे निर्णयों को देखकर हम यह समझ सकते हैं कि अच्छा नैतिक सिद्धांत क्या है और बुरा क्या है। .

5 संबंधों: तत्त्वमीमांसा, दर्शनशास्त्र, नीतिशास्त्र, मानदण्डक नीतिशास्त्र, अनुप्रयुक्त नीतिशास्त्र

तत्त्वमीमांसा

तत्त्वमीमांसा (Metaphysics), दर्शन की वह शाखा है जो किसी ज्ञान की शाखा के वास्तविकता (reality) का अध्ययन करती है। परम्परागत रूप से इसकी दो शाखाएँ हैं - ब्रह्माण्ड विद्या (Cosmology) तथा सत्तामीमांसा या आन्टोलॉजी (ontology)। तत्वमीमांसा में प्रमुख प्रश्न ये हैं-.

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दर्शनशास्त्र

दर्शनशास्त्र वह ज्ञान है जो परम् सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है। दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है। वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व, अर्थात प्रकृति तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है। दर्शनशास्त्र सामाजिक चेतना के रूपों में से एक है। दर्शन उस विद्या का नाम है जो सत्य एवं ज्ञान की खोज करता है। व्यापक अर्थ में दर्शन, तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला है। इसका जन्म अनुभव एवं परिस्थिति के अनुसार होता है। यही कारण है कि संसार के भिन्न-भिन्न व्यक्तियों ने समय-समय पर अपने-अपने अनुभवों एवं परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के जीवन-दर्शन को अपनाया। भारतीय दर्शन का इतिहास अत्यन्त पुराना है किन्तु फिलॉसफ़ी (Philosophy) के अर्थों में दर्शनशास्त्र पद का प्रयोग सर्वप्रथम पाइथागोरस ने किया था। विशिष्ट अनुशासन और विज्ञान के रूप में दर्शन को प्लेटो ने विकसित किया था। उसकी उत्पत्ति दास-स्वामी समाज में एक ऐसे विज्ञान के रूप में हुई जिसने वस्तुगत जगत तथा स्वयं अपने विषय में मनुष्य के ज्ञान के सकल योग को ऐक्यबद्ध किया था। यह मानव इतिहास के आरंभिक सोपानों में ज्ञान के विकास के निम्न स्तर के कारण सर्वथा स्वाभाविक था। सामाजिक उत्पादन के विकास और वैज्ञानिक ज्ञान के संचय की प्रक्रिया में भिन्न भिन्न विज्ञान दर्शनशास्त्र से पृथक होते गये और दर्शनशास्त्र एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में विकसित होने लगा। जगत के विषय में सामान्य दृष्टिकोण का विस्तार करने तथा सामान्य आधारों व नियमों का करने, यथार्थ के विषय में चिंतन की तर्कबुद्धिपरक, तर्क तथा संज्ञान के सिद्धांत विकसित करने की आवश्यकता से दर्शनशास्त्र का एक विशिष्ट अनुशासन के रूप में जन्म हुआ। पृथक विज्ञान के रूप में दर्शन का आधारभूत प्रश्न स्वत्व के साथ चिंतन के, भूतद्रव्य के साथ चेतना के संबंध की समस्या है। .

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नीतिशास्त्र

नीतिशास्त्र (ethics) जिसे व्यवहारदर्शन, नीतिदर्शन, नीतिविज्ञान और आचारशास्त्र भी कहते हैं, दर्शन की एक शाखा हैं। यद्यपि आचारशास्त्र की परिभाषा तथा क्षेत्र प्रत्येक युग में मतभेद के विषय रहे हैं, फिर भी व्यापक रूप से यह कहा जा सकता है कि आचारशास्त्र में उन सामान्य सिद्धांतों का विवेचन होता है जिनके आधार पर मानवीय क्रियाओं और उद्देश्यों का मूल्याँकन संभव हो सके। अधिकतर लेखक और विचारक इस बात से भी सहमत हैं कि आचारशास्त्र का संबंध मुख्यत: मानंदडों और मूल्यों से है, न कि वस्तुस्थितियों के अध्ययन या खोज से और इन मानदंडों का प्रयोग न केवल व्यक्तिगत जीवन के विश्लेषण में किया जाना चाहिए वरन् सामाजिक जीवन के विश्लेषण में भी। अच्छा और बुरा, सही और गलत, गुण और दोष, न्याय और जुर्म जैसी अवधारणाओं को परिभाषित करके, नीतिशास्त्र मानवीय नैतिकता के प्रश्नों को सुलझाने का प्रयास करता हैं। बौद्धिक समीक्षा के क्षेत्र के रूप में, वह नैतिक दर्शन, वर्णात्मक नीतिशास्त्र, और मूल्य सिद्धांत के क्षेत्रों से भी संबंधित हैं। नीतिशास्त्र में अभ्यास के तीन प्रमुख क्षेत्र जिन्हें मान्यता प्राप्त हैं.

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मानदण्डक नीतिशास्त्र

मानदण्डक नीतिशास्त्र (Normative ethics) नीतिशास्त्रीय कार्य का अध्ययन हैं। यह दार्शनिक नीतिशास्त्र की शाखा हैं, जो उन प्रश्नों को जाँचती हैं, जिनका उद्गम यह सोचते वक़्त होता हैं कि नैतिक तौर पर किसी को कैसे कार्य करना चाहियें। इसकी व्युपत्ति मानदण्डक से हुई, जिसका सम्बन्ध किसी आदर्श मानक या मॉडल से हैं, या उस पर आधारित हैं, जो, कोई चीज़ करने का सामान्य या उचित तरीका माना जाता हो। मानदण्डक नीतिशास्त्र अधिनीतिशास्त्र (मेटा-ऍथिक्स, meta-ethics) से अलग हैं, क्योंकि वह कार्यों के सही या गलत होने के मानकों का परीक्षण करता हैं, जबकि मेटा-नीतिशास्त्र नैतिक भाषा और नैतिक तथ्यों के तत्वमीमांसा के अर्थ का अध्ययन करता हैं। मानदण्डक नीतिशास्त्र वर्णात्मक नीतिशास्त्र से भी भिन्न हैं, क्योंकि पश्चात्काथित लोगों की नैतिक आस्थाओं की अनुभवसिद्ध जाँच हैं। अन्य शब्दों में, वर्णात्मक नीतिशास्त्र का सम्बन्ध यह निर्धारित करने से हैं कि किस अनुपात के लोग मानते हैं कि हत्या सदैव गलत हैं, जबकि मानदण्डक नीतिशास्त्र का सम्बन्ध इस बात से हैं कि क्या यह मान्यता रखनी गलत हैं। अतः, कभी-कभी मानदण्डक नीतिशास्त्र को वर्णात्मक के बजाय निर्देशात्मक कहा जाता हैं। हालांकि, मेटा-नीतिशास्त्रीय दृष्टि के कुछ संस्करणों में जिन्हें नैतिक यथार्थवाद कहा जाता हैं, नैतिक तथ्य एक ही वक़्त पर, दोनों वर्णात्मक और निर्देशात्मक होते हैं। ज़्यादातर परम्परागत नैतिक सिद्धांत उन सिद्धान्तों पर आधारित हैं जो निर्धारित करते हैं कि कोई कार्य सही या गलत हैं या नहीं। इस शैली में, क्लासिकी सिद्धान्तों में उपयोगितावाद, काण्टीयवाद और कुछ संविदीयवाद के रूप शामिल हैं। यह सिद्धान्त मुश्किल नैतिक निर्णयों का समाधान करने हेतु मुख्यतः नैतिक सिद्धान्तों का व्यापक उपयोग प्रदान करते हैं। .

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अनुप्रयुक्त नीतिशास्त्र

अनुप्रयुक्त नीतिशास्त्र निजी और सार्वजनिक जीवन के विशिष्ट मुद्दों का, नैतिक दृष्टिकोण से, दार्शनिक परिक्षण हैं, जो नैतिक जजमेन्ट के मामले हैं। अतः, ये, रोजमर्रा के जीवन में अलग़-अलग़ क्षेत्रों में नैतिक रूप से सही कार्य-मार्ग पहचानने हेतु दार्शनिक पद्धतियों का उपयोग करने के प्रयास हैं। उदाहरणार्थ, जीव विज्ञान - जैसे कि यूथनेसिया, दुर्लभ स्वास्थ्य संसाधनों का आवंटन, अथवा संशोधन में मानवी भ्रूण का इस्तेमाल - इन में विधिक मुद्दों के लिए सही दृष्टिकोण को पहचानने से जैवनीतिशास्त्र समुदाय की चिन्ता हैं। श्रेणी:नीतिशास्त्र श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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