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अक्रम सिद्धान्त

सूची अक्रम सिद्धान्त

अक्रम सिद्धान्त (Chaos theory/चेओस थिअरी), गणित की एक शाखा है जो उन गतिक निकायों पर अपाना ध्यान केन्द्रित करती है जिनका व्यवहार उनके आरम्भिक दशा (initial conditions) पर बहुत अधिक निर्भर करता है। वास्तव में ऐसे बहुत से निकाय हैं जिनमें अव्यवस्था ही अव्यवस्था दिखती है (व्यवहार में कोई पैटर्न नहीं दिखता) किन्तु वे रैण्डम निकाय नहीं होते बल्कि अत्यधिक अरैखिक अक्रमी निकाय होते हैं। अक्रम सिद्धान्त श्रेणी:अरैखिक निकाय.

1 संबंध: गणित

गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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