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अंधा युग

सूची अंधा युग

अंधा युग, धर्मवीर भारती द्वारा रचित हिंदी काव्य नाटक है। इसका कथानक महाभारत युद्ध के अंतिम दिन पर आधारित है। इसमें युद्ध और उसके बाद की समस्याओं और मानवीय महत्वकांक्षा को प्रस्तुत किया गया है। .

7 संबंधों: धर्मवीर भारती, महाभारत, महाराज कृष्ण रैना, रतन थियम, राम गोपाल बजाज, इब्राहीम अलकाजी, अरविन्द गौड़

धर्मवीर भारती

धर्मवीर भारती (२५ दिसंबर, १९२६- ४ सितंबर, १९९७) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को १९७२ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है।। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है। .

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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महाराज कृष्ण रैना

महाराज कृष्ण रैना, या आम प्रचलित एम॰ के॰ रैना भारतीय रंगमंच के प्रसिद्ध निर्देशक, अभिनेता एवं जाने-माने चलचित्र कलाकार हैं। १९७० में उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक किया और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में सम्मानित किए गए। इसके बाद १९७२ से वे स्वतंत्र रंगकर्मी के रूप में सक्रीय हैं। उन्होंने फ़िल्मों सहित भारत की विभिन्न भाषाओं के नाटकों और पारंपरिक नाट्य रूपों पर काम किया है। भारतीय संगीत नाट्य अकादमी ने १९९५ ई. में उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का पुरस्कार प्रदान किया। श्रेणी:भारतीय रंगकर्मी श्रेणी:रंगमंच श्रेणी:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार श्रेणी:रंग निर्देशक श्रेणी:1948 में जन्मे लोग श्रेणी:हिंदी रंगकर्मी श्रेणी:हिन्दी अभिनेता श्रेणी:भारतीय टेलिविज़न अभिनेता.

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रतन थियम

रतन थियम-भारतीय रंगमंच निदेशक और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पूर्व निदेशक है। ऊन्होने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के साथ कई नाटकों का निर्देशन किया। श्रेणी:भारतीय रंगकर्मी.

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राम गोपाल बजाज

राम गोपाल बजाज-भारतीय रंगमंच निदेशक, हिन्दी फिल्म अभिनेता और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पूर्व निदेशक है। राम गोपाल बजाज को 1996 में थिएटर में उनके योगदान के लिए पद्मश्री और 2003 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ऊन्होने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के साथ कई नाटकों का निर्देशन किया। सूर्य की अन्तिम किरण से, सूर्य की पहली किरण तक (1974), जयशंकर प्रसाद की स्कंदगुप्त(1977), केदे हेयात (1989),मोहन राकेश का आश़ाड् का एक दिन (1992) प्रमुख है। राम गोपाल बजाज ने गिरीश कर्नाड के रक्त् कल्याण (Taledanda) का हिन्दी अनुवाद भी किया है। जिसका निर्देशन इब्राहीम अलकाजी ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (१९९२) और अरविन्द गौड़ ने अस्मिता नाट्य संस्था (१९९५) के लिये किया। उन्होंने उत्सव (1984) और गोधूलि (1977) जैसी कला फिल्मों में एक सहायक निर्देशक के रूप मैं काम भी किया और बाद में मासूम (1983), मिर्च मसाला (1985), चांदनी (1989) परजानिया, गुरु जैसी फिल्मों मैं काम किया। वह वर्तमान में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, नई दिल्ली की अकादमिक परिषद के एक सदस्य है। .

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इब्राहीम अलकाजी

इब्राहीम अलकाजी-भारतीय रंगमंच निदेशक और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पूर्व निदेशक है। ऊन्होने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के साथ कई नाटकों का निर्देशन किया। प्रसिद्ध प्रस्तुतियों, गिरीश कर्नाड का तुगलक, मोहन राकेश का आश़ाड् का एक दिन और धर्मवीर भारती का अंधा युग .

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अरविन्द गौड़

अरविन्द गौड़, भारतीय रंगमंच निदेशक, सामाजिक और राजनीतिक प्रासंगिक रंगमंच में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। अरविंद गौड़ के नाटक समकालीन हैं। व्यापक सामाजिक राजनीतिक मुद्दों - सांप्रदायिकता, जातिवाद, सामंतवाद, घरेलू हिंसा, राज्य के अपराध, सत्ता की राजनीति, हिंसा, अन्याय, सामाजिक- भेदभाव और नस्लवाद उनके रंगमंच के प्रमुख विषय हैं। गौड़ एक अभिनेता प्रशिक्षक (ट्रेनर), सामाजिक कार्यकर्ता और एक अच्छे कथा -वाचक (स्टोरी टेलर) हैं। अरविन्द गौड़ ने भारत और विदेश के प्रमुख नाट्य महोत्सवो मैं भाग लिया है। ऊन्होने नाटक कार्यशालाओं का विभिन्न कॉलेजों, संस्थानों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों में आयोजन किया है। वह बच्चों के लिए भी नाटक (थिएटर) कार्यशालाओं का आयोजन करते हैं। अरविन्द ने विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक मुद्दों पर नुक्कड़ नाटकॉ के साथ- साथ दो दशकों में 60 से अधिक मंच नाटकों का निर्देशन किया है। अरविन्द गौड़ ने विदेशों में अमेरिका, रुस, फ्रांस, लंदन, ऑस्ट्रेलिया, एडिनबर्ग फेस्टिवल (ब्रिटेन), आर्मेनिया और संयुक्त अरब इमारात (यू ए ई) के साथ नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) महोत्सव (भारत रंग महोत्सव),संगीत नाटक अकादमी, साहित्य कला परिषद, दर्पणा अकादमी ऑफ आर्टस् (अहमदाबाद), नान्दिकार (कोलकाता), विवेचेना थिएटर महोत्सव (जबलपुर), ओल्ड वल्ड् थिएटर महोत्सव, टाइम्स महोत्सव, गजानन माधव 'मुक्तिबोध' नाट्य महोत्सव, वर्ल्ड सोशल फोरम और नेहरू सेंटर महोत्सव (मुम्बई) मे भी भाग लिया है। पद्मश्री हबीब तनवीर के नया थिएटर के प्रमुख नाटको के लिए अरविन्द ने प्रकाश व्यवस्था भी डिजाइन की। आजकल अरविन्द गौड़ अस्मिता थियेटर ग्रुप के निदेशक के रूप मैं कार्यरत है। कुछ प्रमुख सिनेमा अभिनेताओं - कंगना राणावत, दीपक डोबरियाल, शिल्पा शुक्ला(चक दे इंडिया (2007 फ़िल्म)), पीयूष मिश्र, लुशिन दुबे, बबल्रस सबरवाल, ऐशवरया निधि (सिडनी), तिलोत्त्त्त्मा शोम (मानसून वेडिंग), राशि बनि, रुथ शेअर्द् (ब्रिटिश अभिनेत्री),मनु ऋषि, सीमा आज़मी (चक दे इंडिया), सुसान बरार (फिल्म-समर 2007), चन्दन आनंद, जैमिनि कुमार, शक्ति आनंद आदि ने उसके साथ काम किया है। .

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अन्धा युग, अंधायुग

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