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अंतरिक्ष अन्वेषण

सूची अंतरिक्ष अन्वेषण

सैटर्न V रॉकेट जिसका उपयोग अमेरिकी चंग्रमा अभियानों पर किया जाता है अंतरिक्ष यात्रा या अंतरिक्ष अन्वेषण ब्रह्माण्ड की खोज और उसका अन्वेषण अंतरिक्ष की तकनीकों का उपयोग करके करने को कहते हैं। अंतरिक्ष का शारीरिक तौर पर अन्वेषण मानवीय अंतरिक्ष उड़ानों व रोबोटिक अंतरिक्ष यानो द्वारा किया जाता है। हालाँकि खगोलविज्ञान के ज़रिए हम अंतरिक्ष में मौजूद वस्तुओं का निरिक्षण मानव इतिहास में लंबे समय से करते आ रहे हैं परन्तु २०वि सदी की शुरुआत में बड़े व कारगर रॉकेटों के कारण हमने अंतरिक्ष अन्वेषण को एक सत्य बना दिया है। अंतरिक्ष अन्वेषण में आधुकिन वैज्ञानिक अनुसन्धान, कई राष्ट्रों को एक जुट करना, मानवता का भविष्य में जीवित रहना पक्का करना और अन्य देशों के खिलाफ़ सैन्य व सैन्य तकनीकों का विकास करना शामिल है। कई बार अंतरिक्ष अन्वेषण पर अलग-अलग तरह से टिका की गई है। अंतरिक्ष अन्वेषण का उपयोग शीत युद्ध जैसे कालों में अपना कौशल व वर्चस्व सिद्ध करने के लिए अक्सर होता आया है। अंतरिक्ष अन्वेषण की शुरुआत सोवियत संघ और अमेरिका के बिच शुरू हुई "अंतरिक्ष होड़" से हुई जब सोवियत संघ ने ४ अक्टूबर १९५७ को मानव-निर्मित पहली वस्तु, स्पुतनिक 1 पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित किया था और इसके बाद अमेरिकी अपोलो ११ अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर २० जुलाई १९६९ को उतारा गया था। इन दोनों घटनाओं को अपने काल की बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जाता है। सोवित अंतरिक्ष कार्यक्रम ने कई शुरूआती उपलब्धियां हासिल की जिनमे १९५७ में पहले जीवित प्राणी को कक्षा में भेजना, १९६१ में पहली मानवीय अंतरिक्ष उड़ान (यूरी गगारिन वोस्तोक 1 में), १९६५ में पहला अंतरिक्ष में कदम (एलेक्सी लेओनोव द्वारा), १९६६ में किसी बाह्य अंतरिक्ष वस्तु पर पहली स्वयंचलित लैंडिंग और १९७१ में पहला अंतरिक्ष स्टेशन (सल्यूट 1) भेजना शामिल है। अन्वेषण व खोज के पहले २० वर्षों बाद एक-तरफा उड़ानों से ध्यान पुनः उपयोग में लाए जा सकने वाले स्रोतों की ओर मुड़ा जिनमे स्पेस शटल कार्यक्रम शामिल है और होड़ से मिलजुल कर काम करने पर केंद्रित हुआ जिसका परिणाम अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) है। २००० में पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना ने एक सफल मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके साथ ही युओपीय संघ, जापान और भारत ने भी भविष्य में मानवी अंतरिक्ष मिशनों की योजना बनाई है। चीन, रूस, जापान और भारत ने २१वि सदी में चंद्रमा पर मानव अभियानों की शुरुआत ककी है और युओपीय संघ ने चंद्रमा और मंगल, दोनों पर मानव अभियानों की शुरुआत करने का निर्णय लिया है। १९९० के बाद से कई निजी कंपनियों ने अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देना शुरू किया है और इसके बाद चंद्रमा का निजी अन्वेषण भी करने की मांग की है। श्रेणी:अंतरिक्ष.

13 संबंधों: चन्द्रमा, चीन, पृथ्वी, ब्रह्माण्ड, मंगल ग्रह, रॉकेट, शीतयुद्ध, संयुक्त राज्य, सोवियत संघ, जापान, खगोल शास्त्र, अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन, अपोलो ११

चन्द्रमा

कोई विवरण नहीं।

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चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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ब्रह्माण्ड

ब्रह्माण्ड सम्पूर्ण समय और अंतरिक्ष और उसकी अंतर्वस्तु को कहते हैं। ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह, तारे, गैलेक्सिया, गैलेक्सियों के बीच के अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु, अपरमाणविक कण, और सारा पदार्थ और सारी ऊर्जा शामिल है। अवलोकन योग्य ब्रह्माण्ड का व्यास वर्तमान में लगभग 28 अरब पारसैक (91 अरब प्रकाश-वर्ष) है। पूरे ब्रह्माण्ड का व्यास अज्ञात है, और ये अनंत हो सकता है। .

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मंगल ग्रह

मंगल सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है। पृथ्वी से इसकी आभा रक्तिम दिखती है, जिस वजह से इसे "लाल ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है। सौरमंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं - "स्थलीय ग्रह" जिनमें ज़मीन होती है और "गैसीय ग्रह" जिनमें अधिकतर गैस ही गैस है। पृथ्वी की तरह, मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है। इसका वातावरण विरल है। इसकी सतह देखने पर चंद्रमा के गर्त और पृथ्वी के ज्वालामुखियों, घाटियों, रेगिस्तान और ध्रुवीय बर्फीली चोटियों की याद दिलाती है। हमारे सौरमंडल का सबसे अधिक ऊँचा पर्वत, ओलम्पस मोन्स मंगल पर ही स्थित है। साथ ही विशालतम कैन्यन वैलेस मैरीनेरिस भी यहीं पर स्थित है। अपनी भौगोलिक विशेषताओं के अलावा, मंगल का घूर्णन काल और मौसमी चक्र पृथ्वी के समान हैं। इस गृह पर जीवन होने की संभावना है। 1965 में मेरिनर ४ के द्वारा की पहली मंगल उडान से पहले तक यह माना जाता था कि ग्रह की सतह पर तरल अवस्था में जल हो सकता है। यह हल्के और गहरे रंग के धब्बों की आवर्तिक सूचनाओं पर आधारित था विशेष तौर पर, ध्रुवीय अक्षांशों, जो लंबे होने पर समुद्र और महाद्वीपों की तरह दिखते हैं, काले striations की व्याख्या कुछ प्रेक्षकों द्वारा पानी की सिंचाई नहरों के रूप में की गयी है। इन् सीधी रेखाओं की मौजूदगी बाद में सिद्ध नहीं हो पायी और ये माना गया कि ये रेखायें मात्र प्रकाशीय भ्रम के अलावा कुछ और नहीं हैं। फिर भी, सौर मंडल के सभी ग्रहों में हमारी पृथ्वी के अलावा, मंगल ग्रह पर जीवन और पानी होने की संभावना सबसे अधिक है। वर्तमान में मंगल ग्रह की परिक्रमा तीन कार्यशील अंतरिक्ष यान मार्स ओडिसी, मार्स एक्सप्रेस और टोही मार्स ओर्बिटर है, यह सौर मंडल में पृथ्वी को छोड़कर किसी भी अन्य ग्रह से अधिक है। मंगल पर दो अन्वेषण रोवर्स (स्पिरिट और् ओप्रुच्युनिटी), लैंडर फ़ीनिक्स, के साथ ही कई निष्क्रिय रोवर्स और लैंडर हैं जो या तो असफल हो गये हैं या उनका अभियान पूरा हो गया है। इनके या इनके पूर्ववर्ती अभियानो द्वारा जुटाये गये भूवैज्ञानिक सबूत इस ओर इंगित करते हैं कि कभी मंगल ग्रह पर बडे़ पैमाने पर पानी की उपस्थिति थी साथ ही इन्होने ये संकेत भी दिये हैं कि हाल के वर्षों में छोटे गर्म पानी के फव्वारे यहाँ फूटे हैं। नासा के मार्स ग्लोबल सर्वेयर की खोजों द्वारा इस बात के प्रमाण मिले हैं कि दक्षिणी ध्रुवीय बर्फीली चोटियाँ घट रही हैं। मंगल के दो चन्द्रमा, फो़बोस और डिमोज़ हैं, जो छोटे और अनियमित आकार के हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह 5261 यूरेका के समान, क्षुद्रग्रह है जो मंगल के गुरुत्व के कारण यहाँ फंस गये हैं। मंगल को पृथ्वी से नंगी आँखों से देखा जा सकता है। इसका आभासी परिमाण -2.9, तक पहुँच सकता है और यह् चमक सिर्फ शुक्र, चन्द्रमा और सूर्य के द्वारा ही पार की जा सकती है, यद्यपि अधिकांश समय बृहस्पति, मंगल की तुलना में नंगी आँखों को अधिक उज्जवल दिखाई देता है। .

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रॉकेट

अपोलो १५ अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण रॉकेट एक प्रकार का वाहन है जिसके उड़ने का सिद्धान्त न्यूटन के गति के तीसरे नियम क्रिया तथा बराबर एवं विपरीत प्रतिक्रिया पर आधारित है। तेज गति से गर्म वायु को पीछे की ओर फेंकने पर रॉकेट को आगे की दिशा में समान अनुपात का बल मिलता है। इसी सिद्धांत पर कार्य करने वाले जेट विमान, अंतरिक्ष यान एवं प्रक्षेपास्त्र विभिन्न प्रकार के राकेटों के उदाहरण हैं। रॉकेट के भीतर एक कक्ष में ठोस या तरल ईंधन को आक्सीजन की उपस्थिति में जलाया जाता है जिससे उच्च दाब पर गैस उत्पन्न होती है। यह गैस पीछे की ओर एक संकरे मुँह से अत्यन्त वेग के साथ बाहर निकलती है। इसके फलस्वरूप जो प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है वह रॉकेट को तीव्र वेग से आगे की ओर ले जाती है। अंतरिक्ष यानों को वायुमंडल से ऊपर उड़ना होता है इसलिए वे अपना ईंधन एवं आक्सीजन लेकर उड़ते हैं। जेट विमान में केवल ईँधन रहता है। जब विमान चलना प्रारम्भ करता है तो विमान के सिरे पर बने छिद्र से बाहर की वायु इंजन में प्रवेश करती है। वायु के आक्सीजन के साथ मिलकर ईँधन अत्यधिक दबाव पर जलता है। जलने से उत्पन्न गैस का दाब बहुत अधिक होता है। यह गैस वायु के साथ मिलकर पीछे की ओर के जेट से तीव्र वेग से बाहर निकलती है। यद्यपि गैस का द्रव्यमान बहुत कम होता है किन्तु तीव्र वेग के कारण संवेग और प्रतिक्रिया बल बहुत अधिक होता है। इसलिए जेट विमान आगे की ओर तीव्र वेग से गतिमान होता है। रॉकेट का इतिहास १३वी सदी से प्रारंभ होता है। चीन में राकेट विद्या का विकास बहुत तेज़ी से हुआ और जल्दी ही इसका प्रयोग अस्त्र के रूप में किया जाने लगा। मंगोल लड़ाकों के द्वारा रॉकेट तकनीक यूरोप पहुँची और फिर विभिन्न शासकों द्वारा यूरोप और एशिया के अन्य भागों में प्रचलित हुई। सन १७९२ में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने अंग्रेज सेना के विरुद्ध लोहे के बने रॉकेटों का प्रयोग किया। इस युद्ध के बाद अंग्रेज सेना ने रॉकेट के महत्त्व को समझा और इसकी तकनीक को विकसित कर विश्व भर में इसका प्रचार किया। स्पेस टुडे पर--> .

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शीतयुद्ध

नाटो तथा वार्सा संधि के देश द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के काल में संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत रूस के बीच उत्पन्न तनाव की स्थिति को शीत युद्ध के नाम से जाना जाता है। कुछ इतिहासकारों द्वारा इसे 'शस्त्र सज्जित शान्ति' का नाम भी दिया गया है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने कंधे से कन्धा मिलाकर धूरी राष्ट्रों- जर्मनी, इटली और जापान के विरूद्ध संघर्ष किया था। किन्तु युद्ध समाप्त होते ही, एक ओर ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका तथा दूसरी ओर सोवियत संघ में तीव्र मतभेद उत्पन्न होने लगा। बहुत जल्द ही इन मतभेदों ने तनाव की भयंकर स्थिति उत्पन्न कर दी। रूस के नेतृत्व में साम्यवादी और अमेरिका के नेतृत्व में पूँजीवादी देश दो खेमों में बँट गये। इन दोनों पक्षों में आपसी टकराहट आमने सामने कभी नहीं हुई, पर ये दोनों गुट इस प्रकार का वातावरण बनाते रहे कि युद्ध का खतरा सदा सामने दिखाई पड़ता रहता था। बर्लिन संकट, कोरिया युद्ध, सोवियत रूस द्वारा आणविक परीक्षण, सैनिक संगठन, हिन्द चीन की समस्या, यू-2 विमान काण्ड, क्यूबा मिसाइल संकट कुछ ऐसी परिस्थितियाँ थीं जिन्होंने शीतयुद्ध की अग्नि को प्रज्वलित किया। सन् 1991 में सोवियत रूस के विघटन से उसकी शक्ति कम हो गयी और शीतयुद्ध की समाप्ति हो गयी। .

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संयुक्त राज्य

संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) (यू एस ए), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (United States) (यू एस) या अमेरिका कहा जाता हैं, एक देश हैं, जिसमें राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र सम्मिलित हैं। 48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबीयन सागर में बिखरें हुएँ हैं। 38 लाख वर्ग मील (98 लाख किमी2)"", U.S. Census Bureau, database as of August 2010, excluding the U.S. Minor Outlying Islands.

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सोवियत संघ

सोवियत संघ (रूसी भाषा: Сове́тский Сою́з, सोवेत्स्की सोयूज़; अंग्रेज़ी: Soviet Union), जिसका औपचारिक नाम सोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघ (Сою́з Сове́тских Социалисти́ческих Респу́блик, Union of Soviet Socialist Republics) था, यूरेशिया के बड़े भूभाग पर विस्तृत एक देश था जो १९२२ से १९९१ तक अस्तित्व में रहा। यह अपनी स्थापना से १९९० तक साम्यवादी पार्टी (कोम्युनिस्ट पार्टी) द्वारा शासित रहा। संवैधानिक रूप से सोवियत संघ १५ स्वशासित गणतंत्रों का संघ था लेकिन वास्तव में पूरे देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केन्द्रीय सरकार का कड़ा नियंत्रण रहा। रूसी सोवियत संघीय समाजवादी गणतंत्र (Russian Soviet Federative Socialist Republic) इस देश का सबसे बड़ा गणतंत्र और राजनैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र था, इसलिए पूरे देश का गहरा रूसीकरण हुआ। यही कारण रहा कि विदेश में भी सोवियत संघ को अक्सर गलती से 'रूस' बोल दिया जाता था। .

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जापान

जापान, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी 0.5% कोरियाई, 0.4 % चाइनीज़ तथा 0.6% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में 96% बौद्ध अनुयायी है। .

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खगोल शास्त्र

चन्द्र संबंधी खगोल शास्त्र: यह बडा क्रेटर है डेडलस। १९६९ में चन्द्रमा की प्रदक्षिणा करते समय अपोलो ११ के चालक-दल (क्रू) ने यह चित्र लिया था। यह क्रेटर पृथ्वी के चन्द्रमा के मध्य के नज़दीक है और इसका व्यास (diameter) लगभग ९३ किलोमीटर या ५८ मील है। खगोल शास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अंतर्गत पृथ्वी और उसके वायुमण्डल के बाहर होने वाली घटनाओं का अवलोकन, विश्लेषण तथा उसकी व्याख्या (explanation) की जाती है। यह वह अनुशासन है जो आकाश में अवलोकित की जा सकने वाली तथा उनका समावेश करने वाली क्रियाओं के आरंभ, बदलाव और भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन करता है। बीसवीं शताब्दी के दौरान, व्यावसायिक खगोल शास्त्र को अवलोकिक खगोल शास्त्र तथा काल्पनिक खगोल तथा भौतिक शास्त्र में बाँटने की कोशिश की गई है। बहुत कम ऐसे खगोल शास्त्री है जो दोनो करते है क्योंकि दोनो क्षेत्रों में अलग अलग प्रवीणताओं की आवश्यकता होती है, पर ज़्यादातर व्यावसायिक खगोलशास्त्री अपने आप को दोनो में से एक पक्ष में पाते है। खगोल शास्त्र ज्योतिष शास्त्र से अलग है। ज्योतिष शास्त्र एक छद्म-विज्ञान (Pseudoscience) है जो किसी का भविष्य ग्रहों के चाल से जोड़कर बताने कि कोशिश करता है। हालाँकि दोनों शास्त्रों का आरंभ बिंदु एक है फिर भी वे काफ़ी अलग है। खगोल शास्त्री जहाँ वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करते हैं जबकि ज्योतिषी केवल अनुमान आधारित गणनाओं का सहारा लेते हैं। .

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अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन या केन्द्र (संक्षेप में आईएसएस, अंग्रेज़ी: International Space Station इंटर्नॅशनल् स्पेस् स्टेशन्, ISS) बाहरी अन्तरिक्ष में अनुसंधान सुविधा या शोध स्थल है जिसे पृथ्वी की निकटवर्ती कक्षा में स्थापित किया है। इस परियोजना का आरंभ १९९८ में हुआ था और यह २०११ तक बन कर तैयार होगा। वर्तमान समय तक आईएसएस अब तक बनाया गया सबसे बड़ा मानव निर्मित उपग्रह होगा। आईएसएस कार्यक्रम विश्व की कई स्पेस एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम है। इसे बनाने में संयुक्त राज्य की नासा के साथ रूस की रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (आरकेए), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए), कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी (सीएसए) और यूरोपीय देशों की संयुक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ईएसए) काम कर रही हैं। इनके अतिरिक्त ब्राजीलियन स्पेस एजेंसी (एईबी) भी कुछ अनुबंधों के साथ नासा के साथ कार्यरत है। इसी तरह इटालियन स्पेस एजेंसी (एएसआई) भी कुछ अलग अनुबंधों के साथ कार्यरत है। पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होने के बाद आईएसएस को नंगी आंखों से देखा जा सकेगा। यह पृथ्वी से करीब ३५० किलोमीटर ऊपर औसतन २७,७२४ किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से परिक्रमा करेगा और प्रतिदिन १५.७ चक्कर पूरे करेगा। पिछले आईएसएस में, जिसे नवंबर २००० में कक्षा में स्थापित किया गया था, के बाद से उसमें लगातार मानवीय उपस्थिति बनी हुई है। वर्तमान समय में इसमें तीन व्यक्तियों का स्थान है। भविष्य में इसमें छह व्यक्तियों के रहने लायक जगह बनेगी। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में स्थित एक वेधशाला के तौर पर कार्य करता है। अन्य अंतरिक्ष यानों के मुकाबले इसके कई फायदे हैं जिसमें इसमें रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स को अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहकर काम करने का मौका मिलता है। चित्र:ISS after STS-116 in December 2006.jpg|अन्तरराष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन खींचने अन्तरिक्ष यान डिस्कवरी से, 19 दिसम्बर, 2006 पर File:ISS_on_20_August_2001.jpg|२००१ में आई। एस.एस File:MLM_-_ISS_module.jpg|बहु-उद्देशीय मॉड्यूल File:Good Morning From the International Space Station.jpg|अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन से अमरीका पर चन्द्रोदय का दृश्य। .

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अपोलो ११

अपोलो ११ का कर्मीदल्, बायीं ओर से, नील आर्मस्ट्रांग, कॉलिन्स और ऐल्ड्रिन अपोलो ११ (Apollo 11) वह अंतरिक्ष उड़ान थी जिसने चंद्रमा पर पहले इंसान, नील आर्मस्ट्रांग और ऐडविन "बज़" ऐल्ड्रिन.

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अंतरिक्ष यात्रा

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