अंगज (अलंकार) और नाट्य शास्त्र के बीच समानता
अंगज (अलंकार) और नाट्य शास्त्र आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): काव्यशास्त्र, अलंकार।
काव्यशास्त्र
काव्यशास्त्र काव्य और साहित्य का दर्शन तथा विज्ञान है। यह काव्यकृतियों के विश्लेषण के आधार पर समय-समय पर उद्भावित सिद्धांतों की ज्ञानराशि है। युगानुरूप परिस्थितियों के अनुसार काव्य और साहित्य का कथ्य और शिल्प बदलता रहता है; फलत: काव्यशास्त्रीय सिद्धांतों में भी निरंतर परिवर्तन होता रहा है। भारत में भरत के सिद्धांतों से लेकर आज तक और पश्चिम में सुकरात और उसके शिष्य प्लेटो से लेकर अद्यतन "नवआलोचना' (नियो-क्रिटिसिज्म़) तक के सिद्धांतों के ऐतिहासिक अनुशीलन से यह बात साफ हो जाती है। भारत में काव्य नाटकादि कृतियों को 'लक्ष्य ग्रंथ' तथा सैद्धांतिक ग्रंथों को 'लक्षण ग्रंथ' कहा जाता है। ये लक्षण ग्रंथ सदा लक्ष्य ग्रंथ के पश्चाद्भावनी तथा अनुगामी है और महान् कवि इनकी लीक को चुनौती देते देखे जाते हैं। काव्यशास्त्र के लिए पुराने नाम 'साहित्यशास्त्र' तथा 'अलंकारशास्त्र' हैं और साहित्य के व्यापक रचनात्मक वाङमय को समेटने पर इसे 'समीक्षाशास्त्र' भी कहा जाने लगा। मूलत: काव्यशास्त्रीय चिंतन शब्दकाव्य (महाकाव्य एवं मुक्तक) तथा दृश्यकाव्य (नाटक) के ही सम्बंध में सिद्धांत स्थिर करता देखा जाता है। अरस्तू के "पोयटिक्स" में कामेडी, ट्रैजेडी, तथा एपिक की समीक्षात्मक कसौटी का आकलन है और भरत का नाट्यशास्त्र केवल रूपक या दृश्यकाव्य की ही समीक्षा के सिद्धांत प्रस्तुत करता है। भारत और पश्चिम में यह चिंतन ई.पू.
अंगज (अलंकार) और काव्यशास्त्र · काव्यशास्त्र और नाट्य शास्त्र ·
अलंकार
कोई विवरण नहीं।
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या अंगज (अलंकार) और नाट्य शास्त्र लगती में
- यह आम अंगज (अलंकार) और नाट्य शास्त्र में है क्या
- अंगज (अलंकार) और नाट्य शास्त्र के बीच समानता
अंगज (अलंकार) और नाट्य शास्त्र के बीच तुलना
अंगज (अलंकार) 9 संबंध है और नाट्य शास्त्र 26 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 5.71% है = 2 / (9 + 26)।
संदर्भ
यह लेख अंगज (अलंकार) और नाट्य शास्त्र के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: