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बाबा गंगेश्वरनाथ धाम और बिसेन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

बाबा गंगेश्वरनाथ धाम और बिसेन के बीच अंतर

बाबा गंगेश्वरनाथ धाम vs. बिसेन

बाबा गंगेश्वर नाथ धाम मंदिर गंगा नदी से तीनो दिशाओं से घिरे कोनिया क्षेत्र के इटहरा गाँव में स्थित है यह भगवान शिव का मंदिर है, पश्चिम वाहिनी गंगा के सम्मुख होने के कारण इस मंदिर को बाबा गंगेश्वर नाथ कहा गया है। इस मंदिर का निर्माण कार्य बिसेन राजपूतो ने तत्कालीन काशी नरेश की सहायता से लगभग 2५० वर्ष पूर्व इ. सन १७५० में कराया था। शिवलाल सिंह इटहरा गाँव के निवासी थे, वे बिसेन राजपूतो से संबाधित थे। बहुत ही धार्मिक प्रवृति होने के कारण इस मंदिर का शिलान्यास शिवलाल सिंह के द्वारा कराया गया। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। यहाँ पर महाशिवरात्रि पर्व के दिन मेला लगता है और महाशिवरात्रि पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे। इस संबंध में एक पौराणिक कथा भी है। उसके अनुसार- भगवान विष्णु की नाभि से कमल निकला और उस पर ब्रह्माजी प्रकट हुए। ब्रह्माजी सृष्टि के सर्जक हैं और विष्णु पालक। दोनों में यह विवाद हुआ कि हम दोनों में श्रेष्ठ कौन है? उनका यह विवाद जब बढऩे लगा तो तभी वहां एक अद्भुत ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ। उस ज्योतिर्लिंग को वे समझ नहीं सके और उन्होंने उसके छोर का पता लगाने का प्रयास किया, परंतु सफल नहीं हो पाए। जब दोनों देवता निराश हो गए तब उस ज्योतिर्लिंग ने अपना परिचय देते हुए कहां कि मैं शिव हूं। मैं ही आप दोनों को उत्पन्न किया है। तब विष्णु तथा ब्रह्मा ने भगवान शिव की महत्ता को स्वीकार किया और उसी दिन से शिवलिंग की पूजा की जाने लगी। शिवलिंग का आकार दीपक की लौ की तरह लंबाकार है इसलिए इसे ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। एक मान्यता यह भी है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही शिव-पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। . वंश- विशेन विसेन वंश के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी बताता हूँ विशेन वंश के हम सभी श्री राम जी के अनुज लक्ष्मण जी के पुत्र व कर्नाटक के राजा चन्द्रकेतु के वंशज है हम। उत्तर भारत में हम मझौलीराज(देवरिया)जो पूर्व में (मल्लमहाजनपद के नाम से विख्यात था जिसके संस्थापक राजा पृथ्वीमल्ल जी जो इस वंश के सबसे ताकतवर राजा लगभग 1500 वर्ष पूर्व) हमारा गोत्र - वत्स कुलदेवी- दुर्गा वेद- सामवेद /यजुर्वेद यज्ञोपवीत -12 वर्ष की उम्र में करते है। और तलवारो की पूजा करते है। चौथी पॉचवी शताब्दी मे लगभग १०० वर्ष तक शासन किया। सन् ३५६ ई.मे राजा कुकुस्थ वर्मन के पौत्र तथा मयूर भट्ट द्वितीए के पुत्र विश्वसेन के वंशज विसेन या विशेन कहलाये। (पराक्रमी राजा बीरसेन जी के द्वारा दिया गया नाम) उत्तर प्रदेश में -विशेन वंश के चौरास्सीवें शासक भीम मल्ल (१३११-१३६६ई०.) ने सुकेत(बीरसेन जी संस्थापक) गोंडा (मझौली राज्य के शासक नृपल के छोटे पुत्र राजकुमार प्रताप मल्ल ने गोंडा राज्य की स्थापना की आगे चलकर गोंडा राज्य के शासक मान सिंह जी द्वितीय पुत्र भावनी सिहं ने भिनगा राज्य की स्थापना की। राजा भावनी सिहं की पॉचवी पीढी मे राजा शिव सिहं हुए जो उच्य कोटी के साहित्कार थे। राजा शिव सिहं ने अमर कोष और अदभूत रामायण का हिन्दी अनुवाद किया था। १८५७ ई० के स्वतन्त्रता संग्राम मे नरहरपुर के विशेन राजा हरि प्रसाद मल्ल ने अंग्रेजो के विरूद्ध जमकर संघर्ष किया प्रतापगढ से आकर बदलापुर मे बसे विशेन क्षत्रिय बन्धु लोक मल्ल,रूपमल्ल व हरीमल्ल के वंशज बाबू बहादुर जी ने आस पास के लोगो को एकत्र कर १८५७ के स्वतंत्रा संग्राम मे अंग्रेजो के विरूद्ध संघर्ष किया। १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में गोरखपुर जिले मे बरहज(वर्तमान में देवरियाजनपद) के पूर्व मे नदी किनारे बसे पैना गांव के विशेन क्षत्रियों की अलग ही पहचान बनीं। गांववासियों ने अंग्रेजो की रसद लूटी तथा अंग्रेजो को नदी मे डुबा डुबा कर मारडाला। ३१ जुलाई १८५७ को अंग्रेजों ने थल एंव जल दोनो प्रकार की सेना लेकर पैना गांव पर अाक्रमण किया लेकिन छ: सौ राजपुत वीरो ने अंग्रेज सेना को पीछे खदेड दिया। लेफटिनेन्ट पुल्लन बिगेडियर डगलस और कर्नल रूक्राफट के साथ गोरखा फौज के आ जाने पर गांव वाले मुकाबले मे टिक नही पाये। ठाकुर अजारायल सिहं,अयोध्या सिहं,परम दयाल सिहं के नेतृत्व मे हजारो गांववासी शहीद हो गये तथा क्षत्रिणियों ने नदी में कूद कर तथा अग्नि में भस्म होकर चित्तौड के जौहर को पैना गांव मे पनु: दोहरा दिया। उन्नाव (उनवंत सिंह विशेन जी 1830 के आसपास संस्थापक जिनके द्वारा उन्नाव बसाया गया था) सुल्तानपुर। मनकापुर बलरामपुर। गोंडा राज्य के शासक राम सिहं के द्वितीय पुत्र भवानी सिहं ने भिनगा (बहराइच) राज्य की स्थापना की आगे चल कर भिनगा मे महान राजा उदय प्रताप सिहं राजपरिवार का समाजिक विकास के अतरिक्त शैक्षणिक बिकास मे भी महत्वपूर्ण व सराहनीय योगदान रहा था उन्होने वाराणसी मे सन् १९०९ में हेवेत्त क्षत्रिय हाई स्कूल की स्थापना की १९२१ मे इंटरमीडिएट कॉलेज मे अपग्रेड हुआ जो बाद मे उदय प्रताप इंटरमीडिएट कॉलेज के नाम से जाना गया बाद मे १९४९ में डिग्री कॉलेज मे अपग्रेड हुआ जिसका नाम उदय प्रताप अॉटोनोमस कॉलेज हुआ राजा साहब ने अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा संगठन का निर्माण किया था लखीमपुर। कुंडा (प्रातपगढ़) और हिमांचल में सुकेत (मंडी) तथा बिहार के पुनक में विशेन वंश का राज रहा है। तथा मझौलीराज(देवरिया) उत्तर भारत का सबसे ताकतवर राजघराना जिसका अयोध्या से पाटलिपुत्र तक शासन रहा है। (आप इसे विशेन वंश वाटिका में देख सकते है) हम सभी विशेन जहाँ भी है मझौलीराज राजघराने से ही माइग्रेट हुए है। जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के देवरिया जिले में स्थित है। हम विशेन उत्तर प्रदेश में - देवरिया,कुशीनगर,गोरखपुर,महराजगंज,मऊ,उन्नाव,कानपुर,लखीमपुर,लखनऊ,प्रतापगढ़, फतेहपुर,बलिया जनपद में पाँच गाँव चौरा,कथरिया,पिपरा,दौलतपुर,इटही हैं तथा इसी जिले में बावन 52 गाँव एक जगह हैं  ,गाजीपुर,वाराणसी,मिर्जापुर,गोंडा,सुल्तानपुर,कालाकांकर,भदोही(संत रविदास नगर),बस्ती,आजमगढ़,आंबेडकर नगर,जौनपुर,इलाहाबाद,बहराइच,,बलरामपुर,श्रावस्ती आदि जगहों में है। बिहार में -सीवान,गोपालगंज,छपरा (महरौडा),भोजपुर,बक्सर,मोतिहारी,पूर्णिया,कटिहार,बेगुसाराय,मधेपुरा,डुमरिया,पुनक आदि जगहों में मौजूद है। हिमांचल- सुकेत (मंडी)राजघराना,कांगड़ा- बरोह (बरोहड़) उत्तराखंड और हरियाणा तथा मध्य प्रदेश के - रीवा,सतना में भी मौजूद है। सतना जिला के खोहर गांव में विसेन राजपूत रहते हैं ए सब ठाकुर जगतधारी सिंह विसेन के परदादा के वंस है आज से लगभग 217 वर्ष पहले ठाकुर शारदा सिंह विसेन उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से खोहर आ गये थे सन्1801 में और इनकी संख्या सतना बहुत कम है लेकिन उत्तर प्रदेश में जादा है नेपाल की तराई में भी अच्छी तादाद में मौजूद है। .

बाबा गंगेश्वरनाथ धाम और बिसेन के बीच समानता

बाबा गंगेश्वरनाथ धाम और बिसेन आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

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बाबा गंगेश्वरनाथ धाम और बिसेन के बीच तुलना

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संदर्भ

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