10 संबंधों: दुर्लभ मृदा तत्व, यूरेनियम, रासायनिक तत्व, रासायनिक यौगिक, लैन्थनाइड, स्कैण्डिनेवियाई देश, खण्ड (आवर्त सारणी), खनिज, आवर्त सारणी, इट्रियम।
दुर्लभ मृदा तत्व
विरल मृदा या 'दुर्लभ मृदा धातुएँ' (रेअर अर्थ एलिमेण्ट्स) धातुओं के उन क्षारक ऑक्साइडों को कहते हैं जिनके तत्वों के आवर्त सारणी के तृतीय समूह में आते हैं। इनमें 15 तत्व हैं, जिनकी परमाणुसंख्या 57 और 71 के बीच है। ये ऐसे खनिजों में पाए जाते हैं जो कहीं कहीं ही और वह भी बड़ी अल्पमात्रा में ही, पाए जाते हैं। ऐसे खनिज स्कैंडिनेविया, साइबेरिया, ग्रीनलैंड, ब्राज़िल, भारत, श्रीलंका, कैरोलिना, फ्लोरिडा, आइडाहो आदि देशों में मिलते हैं। खनिजों से विरल मृदा का पृथक्करण कठिन, परिश्रमसाध्य और व्ययसाध्य होता है। अत: ये बहुत महँगे बिकते हैं। इस कारण इनका अध्ययन विस्तार से नहीं हो सका है। 1887 ई. में क्रूक्स (Crookes) इस परिणग पर पहुँचे थे कि विरल मृदा के तत्व वस्तुत: कई तत्वों के मिश्रण हैं। एक्स-रे वर्णपट के अध्ययन से ही इनके संबंध में निश्चित ज्ञान प्राप्त किया जा सका है। इनके नाम में लगा 'दुर्लभ मृदा' अब गलत माना जाने लगा है क्योंकि अब ज्ञात हो चुका है कि ये न तो 'दुर्लभ' हैं और न ही ये 'मृदा' (earths) हैं। भूगर्भ में ये अपेक्षाकृत 'अच्छी-खासी' मात्रा में पाये जाते हैं। यहाँ तक कि सिरियम (Ceriun), जो इस समूह का ही सदस्य है, २५वाँ सर्वाधिक पाया जाने वाला तत्व है। अर्थात यह लगभग ताँबा के समान ही पर्याप्त मात्रा में भूगर्भ में मौजूद है। हाँ, एक बात सत्य है कि भूगर्भ में ये एक जगह पर अधिक मात्रा में नहीं पाये जाते बल्कि थोड़ी-थोडी मात्रा में 'बिखरे' पड़े हैं। इस कारण इनका खनन और प्राप्ति आर्थिक रूप से महंगा है। सबसे पहले गैडोलिनाइट (gadolinite) नामक खनिज में ये पाये गये थे जो सिरियम, यिट्रियम, लोहा, सिलिकन और अन्य तत्वों का यौगिक था। यह खनिज स्वीडेन के येट्टरबी (Ytterby) नामक गाँव की एक खान से निकाली गयी थी। अधिकांश दुर्लभ मृदा तत्वों के नाम इसी स्थान के नाम से व्युत्पन्न नाम हैं।; आवर्त सारणी में दुर्लभ मृदा धातुएँ .
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यूरेनियम
यूरेनियम आवर्त सारणी की एक अंतर्वर्ती श्रेणी, ऐक्टिनाइड श्रेणी (actinide series), का तृतीय तत्व है। इस श्रेणी में आंतरिक इलेक्ट्रॉनीय परिकक्षा (5 परिकक्षा) के इलेक्ट्रॉन स्थान लेते हैं। प्रकृति में पाए गए तत्वों में यह सबसे भारी तत्व है। कुछ समय पहले तक इस तत्व को छठे अंतर्वर्ती समूह का अंतिम तत्व माना जाता था। .
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रासायनिक तत्व
रासायनिक तत्वों की आवर्त सारणी रासायनिक तत्व (या केवल तत्व) ऐसे उन शुद्ध पदार्थों को कहते हैं जो केवल एक ही तरह के परमाणुओं से बने होते हैं। या जो ऐसे परमाणुओं से बने होते हैं जिनके नाभिक में समान संख्या में प्रोटॉन होते हैं। सभी रासायनिक पदार्थ तत्वों से ही मिलकर बने होते हैं। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, आक्सीजन, तथा सिलिकॉन आदि कुछ तत्व हैं। सन २००७ तक कुल ११७ तत्व खोजे या पाये जा चुके हैं जिसमें से ९४ तत्व धरती पर प्राकृतिक रूप से विद्यमान हैं। कृत्रिम नाभिकीय अभिक्रियाओं के परिणामस्वरूप उच्च परमाणु क्रमांक वाले तत्व समय-समय पर खोजे जाते रहे हैं। .
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रासायनिक यौगिक
दो या अधिक तत्व जब भार के अनुसार एक निश्चित अनुपात में रासायनिक बन्ध द्वारा जुड़कर जो पदार्थ बनाते हैं उसे रासायनिक यौगिक (chemical compound) कहते हैं। उदाहरण के लिये जल, साधारण नमक, गंधक का अम्ल आदि रासायनिक यौगिक हैं। .
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लैन्थनाइड
लैन्थनाइड (Lanthanide) परमाणु क्रमांक ५७ से ७१ तक के १५ धातु रासायनिक तत्वों का एक समूह है। यह पन्द्रह और इनसे रासायनिक रूप से मिलते-जुलते स्कैण्डियम और इत्रियम तत्व मिलाकर दुर्लभ मृदा तत्व (rare earth elements) बुलाये जाते हैं। .
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स्कैण्डिनेवियाई देश
स्केंडिनेविया प्रायद्वीप में उत्तरी यूरोप के आने वाले देशों को स्कैंडिनेवियाई देश कहते हैं इनमें नॉर्वे, स्वीडन व डेनमार्क आते हैं। इनके अलावा फिनलैंड, आइसलैंड एवं फैरो द्वीपसमूह के संग ये नॉर्डिक देश भी कहलाते हैं। .
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खण्ड (आवर्त सारणी)
आवर्त सारणी के खण्ड आवर्त सारणी (पीरियोडिक टेबल) में रासायनिक तत्वों के कुछ समूहों को कहते हैं। इस शब्द को प्रथम बार फ़्रेंच में चार्ल्स जैनेट ने प्रयोग किया था। एक खण्ड के सर्वोच्च-ऊर्जा प्रतिनिधि इलेक्ट्रॉन समान परमाणु ऑर्बिटल से होते हैं। अतः प्रत्येक खण्ड को उसके विशिष्ट ऑर्बिटल के नाम पर कहा जाता है.
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खनिज
विभिन्न प्रकार के खनिज खनिज ऐसे भौतिक पदार्थ हैं जो खान से खोद कर निकाले जाते हैं। कुछ उपयोगी खनिज पदार्थों के नाम हैं - लोहा, अभ्रक, कोयला, बॉक्साइट (जिससे अलुमिनियम बनता है), नमक (पाकिस्तान व भारत के अनेक क्षेत्रों में खान से नमक निकाला जाता है!), जस्ता, चूना पत्थर इत्यादि। .
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आवर्त सारणी
आवर्त सारणी (अथवा, तत्वों की आवर्त सारणी) रासायनिक तत्वों को उनकी संगत विशेषताओं के साथ एक सारणी के रूप में दर्शाने की एक व्यवस्था है। आवर्त सारणी में रासायनिक तत्त्व परमाणु क्रमांक के बढ़ते क्रम में सजाये गये हैं तथा आवर्त (पिरियड), प्राथमिक समूह, द्वितीयक समूह में वर्गीकृत किया गया है। वर्तमान आवर्त सारणी मैं ११८ ज्ञात तत्व सम्मिलित हैं। सबसे पहले रूसी रसायन-शास्त्री मेंडलीफ (सही उच्चारण- मेन्देलेयेव) ने सन १८६९ में आवर्त नियम प्रस्तुत किया और तत्वों को एक सारणी के रूप में प्रस्तुत किया। इसके कुछ महीनों बाद जर्मन वैज्ञानिक लोथर मेयर (1830-1895) ने भी स्वतन्त्र रूप से आवर्त सारणी का निर्माण किया। मेन्देलेयेव की सारणी से अल्फ्रेड वर्नर (Alfred Werner) ने आवर्त सारणी का वर्तमान स्वरूप निर्मित किया। सन १९५२ में कोस्टा रिका के वैज्ञानिक गिल चावेरी (scientist Gil Chaverri) ने आवर्त सारणी का एक नया रूप प्रस्तुत किया जो तत्वों के इलेक्ट्रानिक संरचना पर आधारित था। रसायन शास्त्रियों के लिये आवर्त सारणी अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है। इसके कारण कम तत्वों के गुणधर्मों को ही याद रखने से काम चल जाता है क्योंकि आवर्त सारणी में किसी समूह (उर्ध्वाधर पंक्ति) या किसी आवर्त (क्षैतिज पंक्ति) में गुणधर्म एक निश्चित क्रम से एवं तर्कसम्मत तरीके से बदलते हैं। नीचे आवर्त सारणी का आधुनिक रूप दिखाया गया है जिसमें १८ वर्ग तथा ७ आवर्त हैं- .
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इट्रियम
इट्रियम एक रासायनिक तत्व है। यह एक चाँदी-जैसे रंग की संक्रमण धातु है जिसके गुण लैन्थनाइड समूह से मिलते-जुलते होने के कारण इसे भी कभी-कभी उसी दुर्लभ मृदा तत्व (rare earth element) समूह का भाग माना जाता है। प्रकृति में भी इट्रियम हमेशा उन्हीं के साथ खनिजों में पाया जाता है। यह प्रकृति में कभी भी शुद्ध रूप में नहीं मिलता। इट्रियम को फ़ोस्फ़र (phosphor) बनाने के काम में लाया जाता है, विशेषकर कैथोड किरण नलिका (सी आर टी) और प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एल ई डी) में डलने वाले लाल फ़ोस्फ़र के लिये। इट्रियम के यौगिक मानव-शरीर के लिये हानिकारक होते हैं और उनसे शारीरिक सम्पर्क से श्वसन तंत्र के रोग हो जाते हैं। .
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