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अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली

सूची अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली

अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली (संक्षेप में SI; फ्रेंच Le Système International d'unités का संक्षिप्त रूप), मीटरी पद्धति का आधुनिक रूप है। इसे सामान्य रूप में दशमलव एवं दस के गुणांकों में बनाया गया है। यह विज्ञान एवं वाणिज्य के क्षेत्र में विश्व की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली प्रणाली है। पुरानी मेट्रिक प्रणाली में कई इकाइयों के समूह प्रयोग किए जाते थे। SI को 1960 में पुरानी मीटर-किलोग्राम-सैकण्ड यानी (MKS) प्रणाली से विकसित किया गया था, बजाय सेंटीमीटर-ग्राम-सैकण्ड प्रणाली की, जिसमें कई कठिनाइयाँ थीं। SI प्रणाली स्थिर नहीं रहती, वरन इसमें निरंतर विकास होते रहते हैं, परंतु इकाइयां अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों के द्वारा ही बनाई और बदली जाती हैं। यह प्रणाली लगभग विश्वव्यापक स्तर पर लागू है और अधिकांश देश इसके अलावा अन्य इकाइयों की आधिकारिक परिभाषाएं भी नहीं समझते हैं। परंतु इसके अपवाद संयुक्त राज्य अमरीका और ब्रिटेन हैं, जहाँ अभी भी गैर-SI इकाइयों उनकी पुरानी प्रणालियाँ लागू हैं।भारत मॆं यह प्रणाली 1 अप्रैल, 1957 मॆं लागू हुई। इसके साथ ही यहां नया पैसा भी लागू हुआ, जो कि स्वयं दशमलव प्रणाली पर आधारित था। इस प्रणाली में कई नई नामकरण की गई इकाइयाँ लागू हुई। इस प्रणाली में सात मूल इकाइयाँ (मीटर, किलोग्राम, सैकण्ड, एम्पीयर, कैल्विन, मोल, कैन्डेला, कूलम्ब) और अन्य कई व्युत्पन्न इकाइयाँ हैं। कुछ वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में एस आई प्रणाली के साथ अन्य इकाइयाँ भी प्रयोग में लाई जाती हैं। SI उपसर्गों के माध्यम से बहुत छोटी और बहुत बड़ी मात्राओं को व्यक्त करने में सरलता होती है। तीन राष्ट्रों ने आधिकारिक रूप से इस प्रणाली को अपनी पूर्ण या प्राथमिक मापन प्रणाली स्वीकार्य नहीं किया है। ये राष्ट्र हैं: लाइबेरिया, म्याँमार और संयुक्त राज्य अमरीका। .

96 संबंधों: ऊँचाई, ऊष्मागतिक तापक्रम, एम्पियर, एसआई में उल्लिखीत गैर-एसआई इकाइयाँ, दशमलव पद्धति, दाब, दीप्त तीव्रता, नॉट (इकाई), पदार्थ की मात्रा, परमाण्विक भार इकाई, परिमाण की कोटि, पारसैक, पास्कल (इकाई), प्रकाश-वर्ष, फ़्रान्स, फ़्रान्सीसी भाषा, फुट (लम्बाई की इकाई), ब्रिटेन, ब्लेज़ पास्कल, भार, भार एवं मापन पर सामान्य सम्मेलन, भार एवं मापन अन्तर्राष्ट्रीय समिति, भारत, भौतिक शास्त्र, मापन इकाइयाँ, मापन का इतिहास, मापिकी, म्यान्मार, मूल इकाइयाँ, मोल (इकाई), मीटर, मीटरी पद्धति, यूनान, यूरोपीय संघ, रसायन विज्ञान, रक्त शर्करा, रक्तचाप, लम्बाई, लक्स, लीटर, सन्दर्भ वस्तु एवं मापन संस्थान, समन्वित सार्वत्रिक समय, समय, समुद्री मील, साइमन्स (इकाई), संयुक्त राज्य, सेन्टीमीटर, सेल्सियस, सेकेंड, हर्ट्ज़, ..., हेनरी (इकाई), जापान, वाणिज्य, विद्युत ऊर्जा, विद्युत धारा, विद्युत प्रतिरोध, विज्ञान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के आंकड़ों पर समिति, व्युत्पन्न इकाइयाँ, वॉट घंटा, खगोलीय दूरी, खगोलीय इकाई, ग्राम, ओम (प्रतिरोध की इकाई), आइएसओ १०००, आइएसओ ३१, इलेक्ट्रॉन वोल्ट, कन्वेंशन ड्यू मेत्रे, कर्विमान, किलोग्राम, कैंडिला, कूलम्ब, केल्विन, कॅन्डेला, अन्तरराष्ट्रीय नागर विमानन सम्मेलन, अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली, अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन/अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततक्नीकी आयोग 80000, अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततकनीकी आयोग, अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन, १ अप्रैल, १ अगस्त, १० दिसम्बर, ११ सितंबर, १७९३, १७९५, १७९९, १९४८, १९५७, १९६०, १९७९, १९९९, २००७, २००९, ३१ दिसम्बर, ७ अप्रैल, SI उपसर्ग सूचकांक विस्तार (46 अधिक) »

ऊँचाई

ऊँचाई (अंग्रेज़ी: Elavation) वह माप है जो किसी धरातलीय बिंदु की (स्थान की) किसी सन्दर्भ तल से ऊर्ध्वाधर दूरी या ऊँचाई बताती है; जिसमें सन्दर्भ तल बहुधा समुद्र तल अथवा ज्योइड (Geoid) होता है। ज्योइड एक तरह की काल्पनिक आकृति है जो समुद्री जल की औसत सतह से निर्मित मानी जाती है और साथ ही महाद्वीपीय भागों में भी इस सतह के विस्तार को प्रकल्पित कर लिया जाता है। चूँकि अलग-अलग जगहों पर गुरुत्वाकर्षण बल में भूपर्पटी की चट्टानों की सघनता में भिन्नता के कारण कुछ-न-कुछ अंतर पाया जाता है, प्रत्येक जगह पर इस ज्योइडल सतह या समुद्र तल की पृथ्वी के केन्द्र से दूरी एक सामान नहीं होती। इसी लिये प्रत्येक देश अपने सर्वेक्षणों के लिये किसी एक निश्चित जगह के समुद्र तट पर स्थित बिंदु के समुद्र तल को सन्दर्भ तल मान कर ऊंचाईयों की गणना करता है। भारत में ऊँचाइयाँ मद्रास (अब चेन्नई) के समुद्र तट से मापी जातीं रही हैं और यहीं से ग्रेट आर्क सर्वे आरम्भ हुआ था। अब भारत की ऊँचाइयाँ एवरेस्ट-1930 सन्दर्भ तल से मापी जाती हैं जिसका आधार बिंदु मध्य प्रदेश में कल्याणपुर के पास है। .

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ऊष्मागतिक तापक्रम

ऊष्मगतिक तापक्रम (Thermodynamic temperature) या 'परम ताप' (absolute temperature)' तापमान का विशुद्ध माप है। यह ऊष्मगतिकी के मुख्य प्राचलों (पैरामीटर) में से एक है। ऊष्मागतिक तापक्रम ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम द्वारा परिभाषित है जिसमें सिद्धान्त रूप में न्यूनतम सम्भव ताप को 'शून्य बिन्दु' माना जाता है। इस ताप को 'परम शून्य' (absolute zero) भी कहते हैं। इस ताप पर पदार्थ के कण न्यूनतम गति की स्थिति में होते हैं तथा इससे कम ठण्डे नहीं हो सकते। क्वाण्टम यांत्रिकी की भाषा में, परम ताप पर पदार्थ अपनी निम्नतम अवस्था (ground state) में होता है जो इसकी न्यूनतम ऊर्जा की अवस्था है। इस कारण ही ऊष्मागतिक तापक्रम को 'परम ताप' भी कहा जाता है। एट्मॉस्फेयर दबाव में दर्शित है। इन सामान्य तापमान पर स्थित परमणुओं की एक औसत गति निश्चित होती है (यहां दो ट्रिलियन गुणा कम करी गयी है)। किसी दिये गये समय पर हीलियम परमाणु औसत से कहीं अधिक तेज गति पर हो सकता है, वहीं कोई दूसरा एकदम निष्क्रीय भी हो सकता है। गति दिखाने हेतु पाँच परमाणु लाल दर्शित हैं। .

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एम्पियर

विद्युत धारा को गैल्वैनोमीटर के द्वारा मापा जा सकता है। वैसे इसको मापने का सही उपकरण है एम्मीटर एम्पीयर, लघु रूप में amp, (चिन्ह: A) विद्युत धारा, या विद्युत आवेश की मात्रा प्रति सैकण्ड; की इकाई है। एम्पीयर SI मूल इकाई है और इसका नाम विद्युतचुम्बकत्व को खोजने वाले वैज्ञानिक आंद्रे-मैरी एम्पीयर के नाम पर्रखा गया है। .

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एसआई में उल्लिखीत गैर-एसआई इकाइयाँ

निम्न इकाइयाँ SI इकाइयाँ नहीं हैं, परंतु इनके साथ प्रयोगनीय हैं। .

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दशमलव पद्धति

दशमलव पद्धति या दाशमिक संख्या पद्धति या दशाधारी संख्या पद्धति (decimal system, "base ten" or "denary") वह संख्या पद्धति है जिसमें गिनती/गणना के लिये कुल दस संख्याओं (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9) का सहारा लिया जाता है। यह मानव द्वारा सर्वाधिक प्रयुक्त संख्यापद्धति है। उदाहरण के लिये 645.7 दशमलव पद्धति में लिखी एक संख्या है। (गलतफहमी से बचने के लिये यहाँ दशमलव बिन्दु के स्थान पर 'कॉमा' का प्रयोग किया गया है।) इस पद्धति की सफलता के बहुत से कारण हैं-.

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दाब

दाब का मान प्रदर्शित करने के लिये पारा स्तंभ किसी सतह के इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले अभिलम्ब बल को दाब (Pressure) कहते हैं। इसकी इकाई 'न्यूटन प्रति वर्ग मीटर' होती है। दाब की और भी कई प्रचलित इकाइयाँ हैं। p .

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दीप्त तीव्रता

प्रकाशमिति में में, प्रकाश स्रोत से दिशा विशेष में, इकाई ठोस कोण में, निकलने वाली तरंग-दैर्घ्य-भारित शक्ति को दीप्त तीव्रता (ल्युमिनस इन्टेन्सिटी) कहते हैं। यह प्रकाशीय सूत्र (luminosity function) पर आधारित है, जो की एक मानवीय आँख की संवेदनशीलता का एक मानकीकृत प्रतिरूप है। इसकी SI इकाई कैंडिला (cd) है। श्रेणी:भौतिक मात्राएं श्रेणी:प्रकाश श्रेणी:फोटोमेट्री.

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नॉट (इकाई)

नॉट गति की इकाई है। यह एक नॉटिकल मील प्रति घंटा के बराबर होती है। .

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पदार्थ की मात्रा

किसी नमूने या प्रणाली के पदार्थ की मात्रा, n, एक भौतिक मात्रा है, जो कि उसमें स्थित मौलिक अस्तित्व कणों की संख्य के अनुपात में है। "मौलिक अस्तित्व कण" अणु, परमाणु, आयन, इलेक्ट्रान या कोई और कण भी हो सकते हैं, जिसका चुनाव सन्दर्भ आधारित है और नियत होना चाहिये.

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परमाण्विक भार इकाई

एकीकृत परमाण्विक भार इकाई (Unified Atomic Mass Unit; प्रतीक: u), या डाल्टन (Da) द्रव्यमान की अत्यन्त छोटी इकाई है। यह प्रायः परमाणु या अणु के स्तर के द्रव्यमान बताने के लिए प्रयोग की जाती है। इसे कभी-कभी युनिवर्सल मास युनिट भी कहते हैं। परिभाषा अनुसार, परमाण्विक द्रव्यमान इकाई के एक परमाणु के द्रव्यमान के बारहवें भाग के बराबर होती है। .

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परिमाण की कोटि

किसी राशि के परिमाण को निकटतम दस के घात के रूप में अभिव्यक्ति को उस राशि के परिमाण की कोटि कहते हैं। इस प्रकार कहते हैं कि धरती के द्रव्यमान के परिमाण की कोटि १०२२ टन है जबकि सूर्य के द्रव्यमान के परिमाण की कोटि १०२७ टन है। महत्ता के क्रमों का प्रयोग प्रायः बहुत लगभग के आंकलनों/तुलनाओं हेतु किया जाता है। यदि दो संख्याएं एक महत्ता के क्रम के अंतर पर हैं, तो एक संख्या दूसरी के लगभग दस गुणा के बराबर है। एसे ही यदि वे दो क्यमों का अंतर दिखाती हैं, तो वह सौ गुणा है। एक ही क्रम के दो नम्बरों में एक ही पैमाने पर स्थित होते हैं। बङी संख्या छोटी संख्या का अधिकतम दस गुणा हो सकती है। यही कारण है सार्थक संख्याओं के पीछे। जो राशि छोङ या पूर्णांकित की जाती है, वह कुल राशि के महत्ता से कुछ क्रम छोटी होती है, अतएव तुच्छ है। .

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पारसैक

एक पारसैक पॄथ्वी से किसी खगोलीय पिण्ड की दूरी होती है, जब वह पिण्ड एक आर्कसैकिण्ड के दिग्भेद कोण पर होता है। पारसैक (चिन्ह pc) लम्बाई की खगोलीय इकाई है। यह 30 ट्रिलियन किलोमीटर के लगभग होती है। पारसैक का प्रयोग खगोलशास्त्र में होता है। इसकी लम्बाई त्रिकोणमितीय दिग्भेद पर आधारित है, जो कि सितारों के बीच दूरी नापने का प्राचीन तरीका है। इसका नाम दिग्भेद के अंग्रेजी नाम पैरेलैक्स या "'''par'''allax और '''sec'''ond of arc" यानि आर्कसैकिण्ड, से बना है। एक पारसैक पॄथ्वी से किसी खगोलीय पिण्ड की दूरी होती है, जब वह पिण्ड एक आर्कसैकिण्ड के दिग्भेद कोण पर होता है। पारसैक की वास्तविक लम्बाई लगभग 30.86 पीटामीटर, 3.262 प्रकाश-वर्ष या के बराबर होती है .

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पास्कल (इकाई)

पास्कल दबाव की SI व्युत्पन्न इकाई है। इसके साथ ही स्ट्रेस, यंग्स माड्युलस और तनाव स्ट्रेस की भी यही इकाई है। यह लम्बवत बल प्रति इकाई क्षेत्र बराबर एक न्यूटन प्रति वर्ग मीटर, या जूल प्रति घन मीटर.

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प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

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फ़्रान्स

फ़्रान्स,या फ्रांस (आधिकारिक तौर पर फ़्रान्स गणराज्य; फ़्रान्सीसी: République française) पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश है किन्तु इसका कुछ भूभाग संसार के अन्य भागों में भी हैं। पेरिस इसकी राजधानी है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह यूरोप महाद्वीप का सबसे बड़ा देश है, जो उत्तर में बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, पूर्व में जर्मनी, स्विट्ज़रलैण्ड, इटली, दक्षिण-पश्चिम में स्पेन, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्यसागर तथा उत्तर पश्चिम में इंग्लिश चैनल द्वारा घिरा है। इस प्रकार यह तीन ओर सागरों से घिरा है। सुरक्षा की दृष्टि से इसकी स्थिति उत्तम नहीं है। लौह युग के दौरान, अभी के महानगरीय फ्रांस को कैटलिक से आये गॉल्स ने अपना निवास स्थान बनाया। रोम ने 51 ईसा पूर्व में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया गया। फ्रांस, गत मध्य युग में सौ वर्ष के युद्ध (1337 से 1453) में अपनी जीत के साथ राज्य निर्माण और राजनीतिक केंद्रीकरण को मजबूत करने के बाद एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में उभरा। पुनर्जागरण के दौरान, फ्रांसीसी संस्कृति विकसित हुई और एक वैश्विक औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित हुआ, जो 20 वीं सदी तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थी। 16 वीं शताब्दी में यहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट (ह्यूजेनॉट्स) के बीच धार्मिक नागरिक युद्धों का वर्चस्व रहा। फ्रांस, लुई चौदहवें के शासन में यूरोप की प्रमुख सांस्कृतिक, राजनीतिक और सैन्य शक्ति बन कर उभरा। 18 वीं शताब्दी के अंत में, फ्रेंच क्रांति ने पूर्ण राजशाही को उखाड़ दिया, और आधुनिक इतिहास के सबसे पुराने गणराज्यों में से एक को स्थापित किया, साथ ही मानव और नागरिकों के अधिकारों की घोषणा के प्रारूप का मसौदा तैयार किया, जोकि आज तक राष्ट्र के आदर्शों को व्यक्त करता है। 19वीं शताब्दी में नेपोलियन ने वहाँ की सत्ता हथियाँ कर पहले फ्रांसीसी साम्राज्य की स्थापना की, इसके बाद के नेपोलियन युद्धों ने ही वर्तमान यूरोप महाद्वीपीय के स्वरुप को आकार दिया। साम्राज्य के पतन के बाद, फ्रांस में 1870 में तृतीय फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई, हलाकि आने वाली सभी सरकार लचर अवस्था में ही रही। फ्रांस प्रथम विश्व युद्ध में एक प्रमुख भागीदार था, जहां वह विजयी हुआ, और द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र में से एक था, लेकिन 1940 में धुरी शक्तियों के कब्जे में आ गया। 1944 में अपनी मुक्ति के बाद, चौथे फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई जिसे बाद में अल्जीरिया युद्ध के दौरान पुनः भंग कर दिया गया। पांचवां फ्रांसीसी गणतंत्र, चार्ल्स डी गॉल के नेतृत्व में, 1958 में बनाई गई और आज भी यह कार्यरत है। अल्जीरिया और लगभग सभी अन्य उपनिवेश 1960 के दशक में स्वतंत्र हो गए पर फ्रांस के साथ इसके घनिष्ठ आर्थिक और सैन्य संबंध आज भी कायम हैं। फ्रांस लंबे समय से कला, विज्ञान और दर्शन का एक वैश्विक केंद्र रहा है। यहाँ पर यूरोप की चौथी सबसे ज्यादा सांस्कृतिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मौजूद है, और दुनिया में सबसे अधिक, सालाना लगभग 83 मिलियन विदेशी पर्यटकों की मेजबानी करता है। फ्रांस एक विकसित देश है जोकि जीडीपी में दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा क्रय शक्ति समता में नौवीं सबसे बड़ा है। कुल घरेलू संपदा के संदर्भ में, यह दुनिया में चौथे स्थान पर है। फ्रांस का शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, जीवन प्रत्याशा और मानव विकास की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन है। फ्रांस, विश्व की महाशक्तियों में से एक है, वीटो का अधिकार और एक आधिकारिक परमाणु हथियार संपन्न देश के साथ ही यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक है। यह यूरोपीय संघ और यूरोजोन का एक प्रमुख सदस्यीय राज्य है। यह समूह-8, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और ला फ्रैंकोफ़ोनी का भी सदस्य है। .

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फ़्रान्सीसी भाषा

फ़्रांसीसी भाषा (फ़्रांसीसी: français उच्चारण: फ़्रांसे) एक रोमांस भाषा है जो विश्वभर में लगभग ९ करोड़ लोगों द्वारा प्रथम भाषा के रूप में बोली जाती है। मूल रूप से इस भाषा को बोलने वाले अधिकांश लोग फ़्राँस में रहते हैं जहाँ इस भाषा का जन्म हुआ था। इस भाषा को बोलने वाले अन्य क्षेत्र ये हैं- अधिकांश कनाडा, बेल्जियम, स्विटज़रलैंड, अफ़्रीकी फ़्रेंकोफ़ोन, लक्ज़म्बर्ग और मोनाको। फ्रांसी भाषा १९ करोड़ लोगों द्वारा दूसरी भाषा के रूप में और अन्य २० करोड़ द्वारा अधिग्रहित भाषा के रूप में बोली जाती है। विश्व के ५४ देशों में इस भाषा को बोलने वालों की अच्छी भली संख्या है। फ़्रांसीसी रोमन साम्राज्य की लैटिन भाषा से निकली भाषा है, जैसे अन्य राष्ट्रीय भाषाएँ - पुर्तगाली, स्पैनिश, इटालियन, रोमानियन और अन्य अल्पसंख्यक भाषाएँ जैसे कैटेलान इत्यादि। इस भाषा के विकासक्रम में इसपर मूल रोमन गौल की कैल्टिक भाषाओं और बाद के रोमन फ़्रैकिश आक्रमणकारियों की जर्मनेक भाषा का प्रभाव पड़ा। यह २९ देशों में एक आधिकारिक भाषा है, जिनमें से अधिकांशतः ला फ़्रेंकोफ़ोनी नामक फ़्रांसीसी भाषी देशों के समुह से हैं। यह सयुंक्त राष्ट्र की सभी संस्थाओं की और अन्य बहुत से अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भी आधिकारिक भाषा है। यूरोपीय संघ के अनुसार, उसके २७ सदस्य राष्ट्रों के १२.९ करोड़ (४९,७१,९८,७४० का २६%) लोग फ़्रांसीसी बोल सकते हैं, किसमें से ६.५ करोड़ (१२%) मूलभाष्ई हैं और ६.९ करोड़ (१४%) इसे दूसरी भाषा के रूप में बोल सकते हैं, जो इसे अंग्रेज़ी और जर्मन के बाद संघ की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा बनाता है। इसके अतिरिक्त २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेज़ी के अधिरोहण से पहले, फ़्रांसीसी यूरोपीय और औपनिवेशिक शक्तियों के मध्य कूटनीति और संवाद की प्रमुख भाषा थी और साथ ही साथ यूरोप के शिक्षित वर्ग की बोलचाल की भाषा भी थी। .

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फुट (लम्बाई की इकाई)

फ़ुट (बहुवचन: फ़ीट; लघुरूप या चिन्ह: ft or, sometimes, ′) लम्बाई की एक गैर-SI इकाई है। यह मापन की अंग्रेजी प्रणाली और संयुक्त राज्य की प्रणाली में प्रयोग होती है। यह लगभग एक मीटर के एक तिहाई के बराबर होती है। तीन फ़ीट से एक गज बनता है और बारह इंच से एक फ़ुट बनता है। .

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ब्रिटेन

ब्रिटेन शब्द का प्रयोग हालाँकि आम तौर पर हिंदी में संयुक्त राजशाही अर्थात् यूनाइटेड किंगडम देश का बोध करने के लिए होता है, परंतु इसका उपयोग अन्य सन्दर्भों के लिए भी हो सकता है.

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ब्लेज़ पास्कल

ब्लेज़ पास्कल (फ्रांसीसी: Blaise Pascal), (19 जून १६२३, क्लेरमों-फर्रां – १९ अगस्त १६६२, पैरिस) फ्रांसीसी गणितज्ञ, भौतिकज्ञ और धार्मिक दार्शनिक थे। पास्कल ने व्यावहारिक विज्ञान पर काम करते हुए मशीनी गणक बनाए, द्रव्यों के गुणों को समझा और टॉरिसैली के काम को आगे बढ़ाते हुए दबाव और निर्वात की अवधारणाओं को स्पष्ट किया। इन्होंने वैज्ञानिक विधि के समर्थन में भी लेख लिखे। साथ ही धार्मिक दर्शन में भी इनकी कृतियों ने बहुत असर छोड़ा। ३ वर्ष की आयु में इनकी माँ चल बसीं और इन्हें इनके पिता ने ही पाला-पोसा। ये बचपन से ही बहुत मेधावी थे। इनकी प्रतिभा को देखकर इनके पिता ने इन्हें स्वयं पढ़ाने-लिखाने का निर्णय लिया। बारह वर्ष की आयु से ये प्रसिद्ध गणितज्ञों की सभाओं में बैठने लगे। पास्कल बहुत माने हुए गणितज्ञ थे। इन्होंने वैज्ञानिक शोध के दो मुख्य क्षेत्रों में सर्वप्रथम कार्य शुरु किया- प्रक्षेपण ज्यामिति, जिस पर इन्होंने १६ साल की आयु में आलेख लिखा और संभाव्यता सिद्धान्त, जिसपर आधुनिक अर्थशास्त्र और समाज विज्ञान आधारित हैं। गैलीलियो और टॉरिसैली की तरह ही इन्होंने अरस्तू के कथन "प्रकृति को निर्वात से घृणा है" का जमकर विरोध किया। इनके कई निष्कर्षों पर बहुत समय विवाद हुआ, लेकिन अन्त में स्वीकार कर लिए गए। १६४२ में इन्होंने अपने पिता का गणना का काम आसान करने के लिए एक मशीनी गणक बनाया, जिसे आज "पास्कल गणक" कहा जाता है। द्रव्य विज्ञान के जरिये इन्होंने हाइड्रॉलिक प्रेस और सिरिंज का आविष्कार किया। १६४६ में इन्होंने अपनी बहन के साथ कैथोलिक संप्रदाय की जैन्सनवाद धारा को अपना लिया। इनके पिता १६५१ में चल बसे। १६५४ में एक आध्यात्मिक अनुभूति हुई, जिसके बाद इन्होंने वैज्ञानिक शोध छोड़कर अपना ध्यान धर्मशास्त्र और दर्शन में लगाना शुरु किया। इनकी दो सबसे प्रसिद्ध कृतियाँ इस काल की हैं। लैथ्र प्रोविन्सियाल (Lettres provinciales, प्रांतीय पत्र) में पास्कल ने पाप के प्रति कैथोलिक चर्च के नरम रुख की जमकर निन्दा की। इन पत्रों की शैली से वॉल्टेयर और ज़ां ज़ाक रूसो जैसे लेखक प्रभावित हुए। प्रकाशन के शीघ्र बाद ही इस पर चर्च ने प्रतिबन्ध लगा दिया, लेकिन फिर पोप एलेक्सैण्डर ने इसमें दिये तर्कों को माना और खुद चर्च के नरम रुख की निन्दा की। दूसरी रचना थी पौंसे (Pensées, विचार), जिसे इनकी मृत्यु के पश्चात इनके बिखरे कागज़ों को इकट्ठा करके प्रकाशित किया गया। इस रचना में इन्होंने कई दार्शनिक विरोधाभासों पर विचार किया-असीमता और शून्यता, विश्वास और तर्क, आत्मा और पदार्थ, मृत्यु और जीवन, उद्देश्य और अभिमान-और अन्त में ऐसा प्रतीत होता है कि ये किसी ठोस परिणाम पर नहीं पहुँचते, बस नम्रता, अज्ञानता और कृपा को मिलाते हुए एक दार्शनिक निष्कर्ष निकालते हैं, जिसे आजकल "पास्कल का दांव" कहा जाता है। इसी दौरान इन्होंने त्रिकोणों के अंकगणित पर और ठोस वस्तुओं का घनफल निकालने के लिए चक्रज के उपयोग पर भी प्रपत्र लिखे। १८ साल की उम्र से ही पास्कल की सेहत खराब रहने लगी थी और ३९ वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो गई। दबाव की SI इकाई एवं एक कम्प्यूटर भाषा का नाम इनके सम्मान में पास्कल रखा गया है। .

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भार

भौतिकी में किसी वस्तु पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के माप को भार या वज़न कहते हैं। पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण लगभग समान होता है, इसलिए किसी वस्तु का भार उसके द्रव्यमान के अनुपाती होता है। श्रेणी:मापन vi:Tương tác hấp dẫn#Trọng lực.

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भार एवं मापन पर सामान्य सम्मेलन

भार एवं मापन पर सामान्य सम्मेलन हिन्दी नाम है एक सम्मेलन का.

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भार एवं मापन अन्तर्राष्ट्रीय समिति

The International Committee for Weights and Measures is the English name of the Comité international des poids et mesures (CIPM, sometimes written in English Comité International des Poids et Mesures).

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

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मापन इकाइयाँ

यह पन्ना निर्माणाधीन है। अधिक जानकारी हेतु देखें:en:History of measurement.

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मापन का इतिहास

समय मापन की हिन्दू प्रणाली (लघुगणकीय पैमाने पर) मनुष्य जीवन के लिए नापतौल की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। यह कहना अत्यन्त कठिन है कि नापतौल पद्धति का आविष्कार कब और कैसे हुआ होगा किन्तु अनुमान लगाया जा सकता है कि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ ही साथ आपसी लेन-देन की परम्परा आरम्भ हुई होगी और इस लेन-देन के लिए उसे नापतौल की आवश्यकता पड़ी होगी। प्रगैतिहासिक काल से ही मनुष्य नापतौल पद्धतियों का प्रयोग करता रहा है। मापन के मात्रक शायद मानव द्वारा आविष्कृत सबसे पुरानी चीजों में से हैं क्योंकि आदिम समाज को भी विभिन्न कामों के लिये (कामचलाऊ) मापन की जरूरत पड़ती थी। .

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मापिकी

मापविद्या या मापविज्ञान (Metrology) में मापन के सभी सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। यह मापन एवं उसके अनुप्रयोगों का विज्ञान है। मापविज्ञान (Metrology) भौतिकी की वह शाखा है जिसमें शुद्ध माप के बारे में हमें ज्ञान होता है। मापविज्ञान में मूल रूप से हम तीन रशियों, अर्थात्‌ द्रव्यमान, लंबाई एवं समय के बारे में चर्चा करते हैं और इन्हीं तीन राशियों के ज्ञान से हम अन्य राशियों, जैसे घनत्व, आयतन, बल तथा शक्ति आदि को मापते हैं। मापविज्ञान द्वारा अपरिवर्तनीय मानकों (standards) का निर्देश ही नहीं मिलता, वरन्‌ इन्हें कायम भी रखा जाता है। इन्हीं मानकों द्वारा हम वस्तुओं के गुणों की माप तथा तुलना भी करते हैं। दूसरा पक्ष यह है कि किसी कार्यविशेष को दृष्टि में रखकर मापविज्ञान से ऐसे तरीके प्राप्त होते हैं जिनसे तुलनाएँ काफी उच्च स्तर की शुद्धता तक की जा सकें। आधुनिक विज्ञान तथा उद्योगों में उपर्युक्त मौलिक तुलनाओं (fundamental comparisons) का अत्यंत शुद्ध होना आवश्यक है। माप पूर्णतया ठीक नहीं होती और निश्चित रूप से उसमें कुछ न कुछ प्रायोगिक गलती सदा ही रहती है। आजकल मापविज्ञान की अधिक मौलिक क्रियाओं में यथार्थता की निम्नलिखित सन्निकटताएँ प्राप्त है: अंतरराष्ट्रीय आदिरूप (prototype) किलोग्राम के दो प्लैटिनम इरीडियम नमूनों की तुलना में: 10,00,00,000 में एक भाग। साधारण रासायनिक बाटों की तुलना में: 10,00,000 में एक भाग। सूक्ष्ममापी तुला द्वारा छोटे छोटे भारों की तुलना में: 10,00,00,000 में एक भाग। दो गजों या मानक मीटरों की तुलना में: 1,00,00,000 में एक भाग। अंत्य मानक (End standard) की रेखामानक (Line standard) से तुलना में: 10,00,000 में एक भाग। साधारण आयतन तथा घनत्व के निर्धारण में: 10,000 में एक भाग। अंत्य मानक के कुलक के अंशांकन (calibration), 1 इंच की लंबाई से कम नहीं में 10,00,000 में एक भाग। चिह्नांकित गज या धातु पैमानों के उपविभागों के अंशाकन की पूरी लंबाई के पदों (terms) में 0.000005 इंच, या 0.0001 मिलीमीटर। .

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म्यान्मार

म्यांमार यो ब्रह्मदेश दक्षिण एशिया का एक देश है। इसका आधुनिक बर्मी नाम 'मयन्मा' (မြန်မာ .

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मूल इकाइयाँ

अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली ने सात SI सात मूल इकाइयां बतायीं हैं: ये भौतिक इकाइयाँ हैं, जिनको प्रचालित परिभाषाओं द्वारा परिभाषित किया गया है। अन्य सभी भौतिक इकाइयाँ इन मूल इकाइयों द्वारा व्युत्पन्न की जा सकती हैं। इनको व्युत्पन्न इकाइयाँ कहा जायेगा.

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मोल (इकाई)

मोल (चिह्न: mol) एक SI मूल इकाई है, जो पदार्थ की मात्रा मापन करता है। यह एक गण्य इकाई है। एक मोल में एवोगाद्रो संख्या के बराबर (लगभग 6.02214) परमाणु, अणु, अन्य आरम्भिक कण होते हैं। एक मोल पदार्थ का ग्राम में भार, उस पदार्थ के एक परमाणु/अणु के AMU में भार की संख्या के बराबर होता है। उदाहरण के लिये, 1 mol ऑक्सीजन (O2) अणु का भार लगभग 32 ग्राम होता है, जबकि 1 अणु ऑक्सीजन बराबर होती है 32 AMU के। एक मोल होता है, जैसे एक दर्जन, जिसमें दोनों ही विशुद्ध संख्याएं हैं, जिनमें कोई भी इकाई नहीं है। यह किसी भी प्रकर के मूलभूत पदार्थ की व्याख्या कर सकता है, (पदार्थ जो परमाणु से बना हो)। मोल का प्रयोग केवल आण्विक्, परमाण्विक और अन्तर-आण्विक कणों के मापन तक ही सीमित है। इसका परिमाण और अन्य पारम्परिक प्रयोग इसे अन्य प्रयोगों हेतु अव्यवहारिक बना देते हैं। व्यवहार में हम पदार्थ की मात्रा को प्रायः ग्राम-मोल में मापते हैं, जो कि उस पदार्थ की उस मात्रा के बराबर है, जिसका भार ग्राम में उसके सूत्र भार के बराबर है। अतः एक ग्राम-मोल कार्बन का भार है 12 ग्राम्, जबकि एक ग्राम-मोल जल क भार है 18.016 ग्राम। इसमें गण्य अस्तित्व एक परमाणु कार्बन में, या एक अणु जल (H2O में, आण्विक सूत्र भार .

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मीटर

मान (मीटर) लम्बाई के नाप/माप की इकाई है। यह अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली में एवं मीट्रिक प्रणाली में भी, लम्बाई के मापन की SI मूल इकाई है। इसका प्रयोग विश्वव्यापी स्तर पर वैज्ञानिक और सामान्य प्रयोगों हेतु होता है। ऐतिहासिक रूप से, मान को फ़्रांसीसी विज्ञान अकादमी ने परिभाषित किया था। यह परिभाषा थी:.

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मीटरी पद्धति

विश्व में बहुत कम देश बचे हैं जहाँ अब भी मीटरी पद्धति लागू नहीं है। मीटरी पद्धति (metric unit system या metric system) भौतिक राशियों के मापन में प्रयुक्त मात्रकों की एक पद्धति है जिसमें मीटर लम्बाई की आधारभूत इकाई है। इस पद्धति की मुख्य विशेषता यह है कि किसी भौतिक राशि के छोटे-बड़े सभी मात्रकों का अनुपात १० या उसके किसी पूर्णांक घात (जैसे, १०-२, १०-५, १०७, १०९, १०८ आदि) होता है। उदाहरण के लिये, मीटर और सेन्टीमीटर दोनों लम्बाई (दूरी) के मात्रक हैं और एक मीटर १०० सेन्टीमीटर के बराबर होता है। इस प्रणाली का आरम्भ फ्रांस में सन १७९९ में हुआ। इसके पहले प्रचलित अधिकांश प्रणालियों में एक ही भौतिक राशि के विभिन्न मात्रकों में अनुपात १० या १० के किसी घात का होना जरूरी नहीं था। उदाहरण के लिये इंच और फुट दोनों लम्बाई के मात्रक हैं और १ फुट १२ इंच के बराबर होता है। इंच, फुट, सेर, मील आदि गैर-मीट्रिक इकाइयाँ थीं। इस प्रणाली का प्रयोग सर्वप्रथम फ्रांस की क्रांति के प्रारंभिक दिनों (१७९१) में हुआ था। पिछले लगभग दो सौ वर्षों में मीट्रिक पद्धति के कई रूप आये; जैसे मीटर-किलोग्राम-सेकेण्ड पद्धति और वर्तमान में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत एसआई पद्धति आदि। इन सभी में केवल मूल मात्रकों (फण्डामेंटल यूनिट्स) का अन्तर है किन्तु वस्तुत: वे सभी दशांश पद्धति का ही पालन करतीं हैं। मीट्रिक पद्धति का वैज्ञानिक एवं तकनीकी कार्यों के लिये बहुतायत में उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में केवल यूएसए, म्यांमार और लाइबेरिया को छोड़कर विश्व के सभी देशों ने आधिकारिक रूप से मीट्रिक प्रणाली को अपना लिया है। .

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यूनान

यूनान यूरोप महाद्वीप में स्थित देश है। यहां के लोगों को यूनानी अथवा यवन कहते हैं। अंग्रेजी तथा अन्य पश्चिमी भाषाओं में इन्हें ग्रीक कहा जाता है। यह भूमध्य सागर के उत्तर पूर्व में स्थित द्वीपों का समूह है। प्राचीन यूनानी लोग इस द्वीप से अन्य कई क्षेत्रों में गए जहाँ वे आज भी अल्पसंख्यक के रूप में मौज़ूद है, जैसे - तुर्की, मिस्र, पश्चिमी यूरोप इत्यादि। यूनानी भाषा ने आधुनिक अंग्रेज़ी तथा अन्य यूरोपीय भाषाओं को कई शब्द दिये हैं। तकनीकी क्षेत्रों में इनकी श्रेष्ठता के कारण तकनीकी क्षेत्र के कई यूरोपीय शब्द ग्रीक भाषा के मूलों से बने हैं। इसके कारण ये अन्य भाषाओं में भी आ गए हैं।ग्रीस की महिलाएं देह व्यापार के धंधे में सबसे आगे है.

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यूरोपीय संघ

यूरोपियन संघ (यूरोपियन यूनियन) मुख्यत: यूरोप में स्थित 28 देशों का एक राजनैतिक एवं आर्थिक मंच है जिनमें आपस में प्रशासकीय साझेदारी होती है जो संघ के कई या सभी राष्ट्रो पर लागू होती है। इसका अभ्युदय 1957 में रोम की संधि द्वारा यूरोपिय आर्थिक परिषद के माध्यम से छह यूरोपिय देशों की आर्थिक भागीदारी से हुआ था। तब से इसमें सदस्य देशों की संख्या में लगातार बढोत्तरी होती रही और इसकी नीतियों में बहुत से परिवर्तन भी शामिल किये गये। 1993 में मास्त्रिख संधि द्वारा इसके आधुनिक वैधानिक स्वरूप की नींव रखी गयी। दिसम्बर 2007 में लिस्बन समझौता जिसके द्वारा इसमें और व्यापक सुधारों की प्रक्रिया 1 जनवरी 2008 से शुरु की गयी है। यूरोपिय संघ सदस्य राष्ट्रों को एकल बाजार के रूप में मान्यता देता है एवं इसके कानून सभी सदस्य राष्ट्रों पर लागू होता है जो सदस्य राष्ट्र के नागरिकों की चार तरह की स्वतंत्रताएँ सुनिश्चित करता है:- लोगों, सामान, सेवाएँ एवं पूँजी का स्वतंत्र आदान-प्रदान.

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रसायन विज्ञान

300pxरसायनशास्त्र विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान इनमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। इसका शाब्दिक विन्यास रस+अयन है जिसका शाब्दिक अर्थ रसों (द्रवों) का अध्ययन है। यह एक भौतिक विज्ञान है जिसमें पदार्थों के परमाणुओं, अणुओं, क्रिस्टलों (रवों) और रासायनिक प्रक्रिया के दौरान मुक्त हुए या प्रयुक्त हुए ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में रसायन विज्ञान रासायनिक पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन है। पदार्थों का संघटन परमाणु या उप-परमाण्विक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से हुआ है। रसायन विज्ञान को केंद्रीय विज्ञान या आधारभूत विज्ञान भी कहा जाता है क्योंकि यह दूसरे विज्ञानों जैसे, खगोलविज्ञान, भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, जीवविज्ञान और भूविज्ञान को जोड़ता है। .

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रक्त शर्करा

रक्त-शर्करा रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा को कहते हैं। रक्त वाहिनियों द्वारा यातायातित ग्लूकोज़, शरीर की कोशिकाओं की मुख्य ऊर्जा स्रोत है। इसके असंतुलन से ही मधुमेह की बीमारी हो जाती है। श्रेणी:मधुमेह.

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रक्तचाप

रक्तचापमापी या स्फाइगनोमैनोमीटर, रक्तचाप मापने के यंत्र को कहते हैं। ऊपर देखें एक मर्करी रक्तचापमापी रक्तचाप (अंग्रेज़ी:ब्लड प्रैशर) रक्तवाहिनियों में बहते रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर द्वारा डाले गये दबाव को कहते हैं। धमनियां वह नलिका है जो पंप करने वाले हृदय से रक्त को शरीर के सभी ऊतकों और इंद्रियों तक ले जाते हैं। हृदय, रक्त को धमनियों में पंप करके धमनियों में रक्त प्रवाह को विनियमित करता है और इसपर लगने वाले दबाव को ही रक्तचाप कहते हैं। किसी व्यक्ति का रक्तचाप, सिस्टोलिक/डायास्टोलिक रक्तचाप के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। जैसे कि १२०/८० सिस्टोलिक अर्थात ऊपर की संख्या धमनियों में दाब को दर्शाती है। इसमें हृदय की मांसपेशियां संकुचित होकर धमनियों में रक्त को पंप करती हैं। डायालोस्टिक रक्त चाप अर्थात नीचे वाली संख्या धमनियों में उस दाब को दर्शाती है जब संकुचन के बाद हृदय की मांसपेशियां शिथिल हो जाती है। रक्तचाप हमेशा उस समय अधिक होता है जब हृदय पंप कर रहा होता है बनिस्बत जब वह शिथिल होता है। एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति का सिस्टोलिक रक्तचाप पारा के 90 और १२० मिलिमीटर के बीच होता है। सामान्य डायालोस्टिक रक्तचाप पारा के ६० से ८० मि.मि.

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लम्बाई

लम्बाई किसी वस्तु की लम्बे आयाम को कहते हैं। किसी वस्तु की लम्बाई, उसके दोनों छोरों के बीच की दूरी को कहते हैं। इसे ऊंचाई से पृथक करने के लिये, ऊंचाई ऊर्ध्वाकार में कही जाती है। श्रेणी:लम्बाई de:Längenmaß.

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लक्स

एक लक्स मीटर लक्स (चिन्ह: lx) प्रदीपन की SI इकाई है। इसका प्रयोग फ़ोटोमेट्री में होता है।.

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लीटर

लीटर लीटर आयतन की इकाई है। इसके दो आधिकारिक चिह्न हैं -- (l) और (L)। यह SI इकाई नहीं है, परंतु इसे SI में स्वीकृत किया गया है। इसकी SI इकाई है घन मीटर यानि (m3).

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सन्दर्भ वस्तु एवं मापन संस्थान

IRMM चिन्ह् सन्दर्भ वस्तु एवं मापन संस्थान या IRMM, जील, बेल्जियम में स्थित है। यह संयुक्त शोध केन्द्रों (JRC), यूरोपियन आयोग के महानिदेशालय के सात संस्थानों में से एक है। IRMM यूरोपियन संघ की नीतियों के अनुसार, सार्वजनिक और विश्वसनीय यूरोपीय मापन प्रणाली का प्रवर्तन करता है। यह संस्थान गुणवत्ता आश्वासन साधन, जैसे सन्दर्भ वस्तुएं, सन्दर्भ मापन, अन्तर्प्रयोगशाला तुलनाएं, प्रशिक्षण और प्रमाणिकता प्रणालियों, इत्यादि के उत्पादन और प्रसारण का कार्य करता है। इस संस्थान की स्थापना 1957 में रोम की संधि में हुई थी और इसने 1960 में नाभिकीय मापन हेतु केन्द्रीय ब्यूरो (CBNM) के अन्तर्गत प्रचालन भी आरम्भ कर दिया था। सन 1993 में इसका नाम इसके ध्येय को ध्यान में रखते हुए बदला गया। IRMM के छः क्षमता के क्षेत्र हैं: * सन्दर्भ वस्तु * खाद्य विश्लेषण * जैव विश्लेषण * रासायनिक सन्दर्भ मापन * रेडियोन्यूक्लाइड मापन विद्या * न्यूट्रॉन भौतिकी .

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समन्वित सार्वत्रिक समय

सार्वत्रिय समय समन्वित सार्वत्रिक समय (ससस) (Coordinated Universal Time) विश्व के समय का प्राथमिक मानक है जिसके द्वारा विश्वभर में घड़ियाँ एवं समय नियंत्रित किये जाते हैं। यह ग्रीनविच माध्य समय (GMT) के बहुत सारे अनुवतियों (successors) में से एक है। साधारण कार्यों की दृष्टि से समन्वित सार्वत्रिक समय और ग्रीनविच माध्य समय एक ही हैं, किन्तु ग्रीनविच माध्य समय अब वैज्ञानिक समुदाय द्वारा परिशुद्धता पूर्वक (precisely) परिभाषित नहीं किया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय परमाण्विक समय(TAI) अनियमित अंतरालों पर जोड़े गये लोन सैकिण्ड सहित है। यह लोन सैकिण्ड पॄथ्वी की धीमी होती गति के कारण जोड़े जाते हैं। इनसे UTC की UT1 से समीपता बनी रहती है। UT1 औसत सौर समय है, जो कि ग्रीनविच की साही वेधशाला में देखा जाता है। UTC और UT1 के बीच का अन्तर 0.9 s से अधिक नहीं हो पाता, अतएव यदि उच्च परिशुद्धता आवश्यक ना हो, तो एक सामान्य टर्म विश्वव्यापी समय या युनिवर्सल टाइम, प्रयोग की जा सकती है। नैमित्तिक प्रयोगों हेतु, ग्रीनविच मानक समय (GMT) भी UTC और UT1 समान ही होता है। संशय मिटाने हेतु सामायतः सविस (UTC) ही प्रयोग होता है, GMT के प्रयोग से बचा जाता है। .

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समय

समय मापने की प्राचीन (किन्तु मेधापूर्ण) तरीका: '''रेतघड़ी''' समय (time) एक भौतिक राशि है। जब समय बीतता है, तब घटनाएँ घटित होती हैं तथा चलबिंदु स्थानांतरित होते हैं। इसलिए दो लगातार घटनाओं के होने अथवा किसी गतिशील बिंदु के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने के अंतराल (प्रतीक्षानुभूति) को समय कहते हैं। समय नापने के यंत्र को घड़ी अथवा घटीयंत्र कहते हैं। इस प्रकार हम यह भी कह सकते हैं कि समय वह भौतिक तत्व है जिसे घटीयंत्र से नापा जाता है। सापेक्षवाद के अनुसार समय दिग्देश (स्पेस) के सापेक्ष है। अत: इस लेख में समयमापन पृथ्वी की सूर्य के सापेक्ष गति से उत्पन्न दिग्देश के सापेक्ष समय से लिया जाएगा। समय को नापने के लिए सुलभ घटीयंत्र पृथ्वी ही है, जो अपने अक्ष तथा कक्ष में घूमकर हमें समय का बोध कराती है; किंतु पृथ्वी की गति हमें दृश्य नहीं है। पृथ्वी की गति के सापेक्ष हमें सूर्य की दो प्रकार की गतियाँ दृश्य होती हैं, एक तो पूर्व से पश्चिम की तरफ पृथ्वी की परिक्रमा तथा दूसरी पूर्व बिंदु से उत्तर की ओर और उत्तर से दक्षिण की ओर जाकर, कक्षा का भ्रमण। अतएव व्यावहारिक दृष्टि से हम सूर्य से ही काल का ज्ञान प्राप्त करते हैं। .

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समुद्री मील

नॉटिकल मील या समुद्री मील लम्बाई की इकाई है। यह अक्षांश रेखा के एक मिनट के बराबर है। यह गैर-SI इकाई है, जो खासकर नौसंचालकों द्वारा नौसंचालन और वैमानिकी में प्रयोग की जाती है। in the International System of Units 8th ed.

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साइमन्स (इकाई)

साइमन्स (चिन्ह: S) विद्युत चालकता की SI व्युत्पन्न इकाई है। यह ओह्म का प्रतिलोम है। इसका नाम जर्मन वैज्ञानिक खोजक और उद्योगपति अर्न्स्ट वर्नर वान साइमन्स के नाम पर है। पूर्व में इसे ओह्म का उलटा यानि म्हो कहा जाता था। 1971 में 14वें CIPM में इसका SI व्युत्पन्न इकाई के रूप में प्रयोग अनुमोदित हुआ था। .

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संयुक्त राज्य

संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) (यू एस ए), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (United States) (यू एस) या अमेरिका कहा जाता हैं, एक देश हैं, जिसमें राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र सम्मिलित हैं। 48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबीयन सागर में बिखरें हुएँ हैं। 38 लाख वर्ग मील (98 लाख किमी2)"", U.S. Census Bureau, database as of August 2010, excluding the U.S. Minor Outlying Islands.

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सेन्टीमीटर

सेंटीमीटर यह लम्बाई मापन इकाई है। श्रेणी:परिमाण की कोटि (लम्बाई) श्रेणी:एस आई इकाइयाँ.

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सेल्सियस

सेल्सियस तापमान मापने का एक पैमाना है। इसे सेन्टीग्रेड पैमाना भी कहते हैं। इस पैमाने के अनुसार पानी, सामान्य दबाव पर 0 डिग्री सेल्सियस पर जमता है और 100 डिग्री सेल्सियस पर उबलता है। सेल्सिस विश्व में तापमान के लिये सबसे लोकप्रिय माप है। यह पैमाना दैनिक वातावरणीय तथा अन्य कामों मे काफी प्रयुक्त होता है। अमेरिका व अन्य कई राष्ट्र सेल्सियस की बजाय फ़ारेनहाइट का प्रयोग करते हैं। विश्वभर के लिये मानक इकाई केल्विन है जिसकी स्केल (पैमाना) सेल्सियस से मिलती है। .

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सेकेंड

सेकेंड (अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली चिन्ह: s), संकेताक्षर में sec., समय की अंतर्राष्ट्रीय मानक इकाई है। अंतर्राष्ट्रीय मानक में समय की अन्य इकाइयाँ सेकेंड की ही व्युत्पन्न हैं। ये इकाइयाँ दस के गुणकों में होती हैं। एक मिलिसेकेंड सेकेंड का एक हज़ारवाँ भाग होता है और 'एक नैनोसेकेंड' सेकेंड का एक अरबवाँ भाग होता है। समय की अधिक प्रयुक्त गैर अंतर्राष्ट्रीय मानक इकाइयाँ जैसे घंटा और मिनट भी सेकेंड पर ही आधारित हैं। मिनट, सेकण्ड.

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हर्ट्ज़

हर्ट्ज़ आवृत्ति की अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली (SI) की इकाई है। इस का अाधार है आवर्तन प्रति सैकिण्ड या साईकल प्रति सै.

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हेनरी (इकाई)

एक प्रेरण कुंडली. हेनरी (चिन्ह: H) प्रेरकत्व की SI इकाई है.

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जापान

जापान, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी 0.5% कोरियाई, 0.4 % चाइनीज़ तथा 0.6% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में 96% बौद्ध अनुयायी है। .

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वाणिज्य

धनप्राप्ति के उद्देश्य से वस्तुओं का क्रय-विक्रय करना ही वाणिज्य (कॉमर्स) है। किसी उत्पादन या व्यवसाय का वह भाग जो उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं की उनके उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के बीच विनिमय से सम्ब्न्ध रखता है, वाणिज्य कहलाता है। वाणिज्य के अन्तर्गत किसी आर्थिक महत्व की वस्तु, जैसे सामान, सेवा, सूचना या धन का दो या दो से अधिक व्यक्ति या संस्थाओं के बीच सौदा किया जाता है। वाणिज्य पूंजीवादी अर्थव्यवस्था एवं कुछ अन्य अर्थव्यवस्थाओं का मुख्य वाहक है। संसार में प्रत्येक व्यक्ति की कई आवश्यकताएँ होती हैं। उनको प्राप्त करने के लिए वह आवश्यक वस्तुएँ प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। इनमें से कुछ वस्तुएँ तो वह स्वयं बना लेता है और अधिकांश वस्तुएँ उसे बाजार से मोल खरीदनी पड़ती हैं। वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए उसे धन की आवश्यकता पड़ती है और इस धन को प्राप्त करने के लिए या तो वह दूसरों की सेवा करता है अथवा ऐसी वस्तुएँ तैयार करता है या क्रय-विक्रय करता है जो दूसरों के लिए उपयोगी हों। वस्तुओं का रूप बदलकर उनको अधिक उपयोगी बनाने का कार्य उद्योग माना जाता है। वाणिज्य में वे सब कार्य सम्मिलित रहते हैं जो वस्तुओं के क्रय-विक्रय में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं। जो व्यक्ति वाणिज्य संबंधी कोई कार्य करता है उसे वणिक् कहते हैं। .

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विद्युत ऊर्जा

विद्युत शक्ति एक प्रणाली के भीतर पारम्परिक आवेशित कणों के बीच कूलम्ब बल से जुडी़ स्थितिज ऊर्जा होती है। यहाँ अपरिमित स्थित कणों के बीच सन्दर्भित विभवीय ऊर्जा शून्य होती है। इसकी परिभाषा है: कार्य की मात्रा, जो आवेशित भार रहित कणों पर लगायी जाये, जिससे वे अपरिमित दूरी से किसी निश्चित दूरी तक लाये जा सकें। .

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विद्युत धारा

आवेशों के प्रवाह की दिशा से धारा की दिशा निर्धारित होती है। विद्युत आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करेण्ट) कहते हैं। इसकी SI इकाई एम्पीयर है। एक कूलांम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे। .

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विद्युत प्रतिरोध

आदर्श प्रतिरोधक का V-I वैशिष्ट्य। जिन प्रतिरोधकों का V-I वैशिष्ट्य रैखिक नहीं होता, उन्हें अनओमिक प्रतिरोधक (नॉन-ओमिक रेजिस्टर) कहते हैं। किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर तथा उससे प्रवाहित विद्युत धारा के अनुपात को उसका विद्युत प्रतिरोध (electrical resistannce) कहते हैं।इसे ओह्म में मापा जाता है। इसकी प्रतिलोमीय मात्रा है विद्युत चालकता, जिसकी इकाई है साइमन्स। जहां बहुत सारी वस्तुओं में, प्रतिरोध विद्युत धारा या विभवांतर पर निर्भर नहीं होता, यानी उनका प्रतिरोध स्थिर रहता है। right समान धारा घनत्व मानते हुए, किसी वस्तु का विद्युत प्रतिरोध, उसकी भौतिक ज्यामिति (लम्बाई, क्षेत्रफल आदि) और वस्तु जिस पदार्थ से बना है उसकी प्रतिरोधकता का फलन है। जहाँ इसकी खोज जार्ज ओह्म ने सन 1820 ई. में की।, विद्युत प्रतिरोध यांत्रिक घर्षण के कुछ कुछ समतुल्य है। इसकी SI इकाई है ओह्म (चिन्ह Ω).

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विज्ञान

संक्षेप में, प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान (Science) कहते हैं। विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। .

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के आंकड़ों पर समिति

CODATA (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के आंकड़ों पर समिति) को 1966 में विज्ञान की अन्तर्राष्ट्रीय परिषद (ICSU) के अन्तर्गत अन्तरानुशासनिक समिति के स्तर पर स्थापित किया गया था। इसे पूर्व में वैज्ञानिक संघों की अन्तर्राष्ट्रीय परिषद कहा जाता था। यह संकलन, विवेचनात्मक आकलन, भंडारण और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के आंकड़ों की पुनर्प्राप्ति का सुधार कार्य करती है। .

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व्युत्पन्न इकाइयाँ

SI व्युत्पन्न इकाइयाँ SI मापन प्रणाली का ही हिस्सा हैं। इन्हें मूल इकाइयों से व्युत्पन्न करके बनाया जाता है। .

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वॉट घंटा

घरेलू विद्युत-मापी; इसका अंशांकन 'किलोवॉट घंट' में है। वॉट घंटा या वॉट आवर (बड़ी ईकाई, किलोवॉट घंटा)Taylor, Barry N. (1995).

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खगोलीय दूरी

खगोलीय दूरियाँ बाहरी अंतरिक्ष की दूरियां होती हैं, जो पॄथ्वी के ऊपर की दूरियों के मुकाबले काफ़ी अधिक बडी़ होती हैं। जैसे कि हमारे सौर मंडल के निकटतम तारे, प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी पृथ्वी से लगभग 40,000,000,000,000 किलोमीटर है। इस कारण खगोलीय दूरियों के लिये प्रकाश वर्ष का प्रयोग होता है। अतएव किसी खगोलीय वस्तु की दूरी बताने हेतु प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय की जाने वाली दूरी की संख्या में बताते हैं। जैसे सूर्य पृथ्वी से 150,000,000 कि॰मी॰ दूर है, या 8 प्रकाश मिनट दूर है। अल्फा सेन्टॉरी .

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खगोलीय इकाई

खगोलीय इकाई (AU या au या a.u. या यद कदा ua) लम्बाई की इकाई है, जो लगभग 150 मिलियन किलोमीटर है और पृथ्वी से सूर्य की दूरी पर आधारित है। इसकी सही सही मान है 149,597,870,691 ± 30 मीटर (लगभग 150 मिलियन किलोमीटर या 93 मिलियन मील).

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ग्राम

ग्राम (ब्रिटिश अंग्रेज़ी में इसे gramme भी लिखा जाता है; एस आई इकाई चिह्न: g) (यूनानी/लातिनी मूल grámma) द्रव्यमान की मीट्रिक इकाई प्रणाली की एक इकाई है। .

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ओम (प्रतिरोध की इकाई)

ओम (Ohm; संकेत: Ω) विद्युत प्रतिरोध की इकाई है। प्रतिरोध की छोटी इकाइयाँ माइक्रो-ओम, मिली-ओम तथा बड़ी इकाइयाँ किलोओम तथा मेगाओम हैं। .

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आइएसओ १०००

अन्तर्राष्ट्रीय मानक ISO 1000 (SI इकाइयाँ और सिफ़ारिशें, उनके गुणकों ओर कई अन्य इकाइयों के प्रयोग हेतु) अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन, 1992) एक ISO मानक है, जो अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली (SI) को परिभाषित करता है। .

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आइएसओ ३१

आइएसओ ३१ अन्तर्राष्ट्रीय मानक ISO 31 (भौतिक मात्रा और इकाइयाँ, अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन, 1992) यह भौतिक इकाइयों के प्रयोग और मापन की इकाइयों की, एवं उनमें संलग्न सूत्रों की सर्वाधिक प्रशंसित शैली संदर्शिका है। यह वैज्ञानिक और शैक्षिक प्रलेखों में विश्वव्यापी प्रयुक्त होती है। अधिकतर देशों में गणित विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों एवं विश्वविद्यालयों में इसका पूर्ण पालन किया जाता है जो ISO 31 द्वारा मार्गदर्शित हैं। .

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इलेक्ट्रॉन वोल्ट

इलेक्ट्रॉन वोल्ट (चिन्ह eV) ऊर्जा की इकाई है। यह गतिज ऊर्जा की वह मात्रा है, जो एक इलेक्ट्रॉन द्वारा निर्वात में एक वोल्ट का विभवांतर पार करने पर प्राप्त की जाती है। सरल शब्दों में, यह 1 वोल्ट तथा 1 एलेक्ट्रानिक आवेश (e) के गुणनफल के बराबर होती है, जहाँ एक वोल्ट .

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कन्वेंशन ड्यू मेत्रे

कन्वेंशन ड्यू मेत या फ्रेंच में Convention du Mètre 20 मई, 1875 को हुई एन अन्तर्राष्ट्रीय संधि थी, जिसमें मीट्रिक मानकों पर नजर रखने हेतु तीन संगठनों की स्थापना की गयी थी। यह फ़्रेंच भाषा में लिखी गयी है और इसे अंग्रेजी भाषा में Metre Convention या मीटर सम्मेलन कहा जाता है। संयुक्त राज्य में इसे मीटर की संधि भी कहते हैं। इसे 1921 में छठी CGPM में पुनरावलोकित किया गया था। इस सम्मेलन में तीन संगठनों का प्रादुर्भाव हुआ थ। वे हैं.

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कर्विमान

कर्विमान (आंग्स्ट्रॉम) (चिन्ह Å) लम्बाई की गैर-SI इकाई है, जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त.

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किलोग्राम

एक किलोग्राम (साथ में क्रेडित कार्ड) यह चित्र, अन्तराष्ट्रीय मूलरूप किलोग्राम का एक कम्प्यूटर निर्मित चित्र है। इसके समीप रखा एक इंच का पैमाना है। इस भार को IPK भी कहते हैं। यह प्लैटिनम-इर्रीडियम मिश्रण का बना है और BIPM, सेवर्स, फ़्रांस में रखा है। किलोग्राम (चिन्ह: kg) भार की SI इकाई है। एक किलोग्राम की परिभाषानुसार,.

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कैंडिला

फ़ोटोप्टिक (कल) और स्कोप्टिकhttp://www.cvrl.org/database/text/lum/scvl.htm CIE Scotopic luminosity curve (1951) (हरा) ल्यूमिनॊसिटि फ़ंक्शन। फ़ोटोप्टिक में CIE 1931 मानकhttp://www.cvrl.org/database/text/cmfs/ciexyz31.htm CIE (1931) 2-deg color matching functions (ठोस), Judd-Vos 1978 सूधारा डाटाhttp://www.cvrl.org/database/text/lum/vljv.htm Judd-Vos modified CIE 2-deg photopic luminosity curve (1978) (डैश्ड) और शार्प, स्टॊक्मैन, जाग्ला & जाग्ले 2005 डाटाhttp://www.cvrl.org/database/text/lum/ssvl2.htm Sharpe, Stockman, Jagla & Jägle (2005) 2-deg V*(l) luminous efficiency function (डॊटेड). क्षैतिज अक्ष पर तरंग्दैर्घ्य है nm में। कैंडिला (/-ˈdiːlə/, प्रतीक: cd) दीप्त तीव्रता SI इकाई है। यह एक मूल इकाई भी है। या: .

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कूलम्ब

कूलाम्ब आवेश मापने का SI मात्रक है। इसे जिसे C से दर्शाते हैं। कूलाम्ब टॉर्सन संतुलक (तराजू) .

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केल्विन

कैल्विन (चिन्ह: K) तापमान की मापन इकाई है। यह सात मूल इकाईयों में से एक है। कैल्विन पैमाना ऊष्मगतिकीय तापमान पैमाना है, जहाँ, परिशुद्ध शून्य, पूर्ण ऊर्जा की सैद्धांतिक अनुपस्थिति है, जिसे शून्य कैल्विन भी कहते हैं। (0 K) कैल्विन पैमाना और कैल्विन के नाम ब्रिटिश भौतिक शास्त्री और अभियाँत्रिक विलियम थामसन, प्रथम बैरन कैल्विन (1824–1907) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने विशुद्ध तापमानमापक पैमाने की आअवश्यकत जतायी थी। .

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कॅन्डेला

फोटोपिक काला और स्कोटोपिकhttp://www.cvrl.org/database/text/lum/scvl.htm CIE Scotopic luminosity curve (1951) (green) luminosity functions. The photopic includes the CIE 1931 standardhttp://www.cvrl.org/database/text/cmfs/ciexyz31.htm CIE (1931) 2-deg रंग मैचिंग फंक्शन (solid), the Judd-Vos 1978 modified datahttp://www.cvrl.org/database/text/lum/vljv.htm Judd-Vos modified CIE 2-deg photopic luminosity curve (1978) (dashed), and the Sharpe, Stockman, Jagla & Jägle 2005 datahttp://www.cvrl.org/database/text/lum/ssvl2.htm Sharpe, Stockman, Jagla & Jägle (2005) 2-deg V*(l) luminous efficiency function (dotted). The horizontal axis is wavelength in nm. कॅन्डेला (/-ˈdiːlə/, चिन्ह: cd) प्रकाशीय तीव्रता की मूल इकाई है। प्रकाशीय तीव्रता प्रकाश स्रोत से खास दिशा में निकलती तरंग दैर्घ्य भारित शक्ति का माप होता है। यह प्रकाशीय सूत्र (luminosity function) पर आधारित है, जो की एक मानवीय आँख की संवेदनशीलता का एक मानकीकॄत प्रतिरूप है।). .

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अन्तरराष्ट्रीय नागर विमानन सम्मेलन

अन्तरराष्ट्रीय नागर विमानन सम्मेलन, इसे शिकागो सम्मेलन भी कहते हैं, ने अन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (ICAO) की स्थापना की। ICAO विश्वव्यापी हवाई यात्रा का नियंत्रण्, नियमन और स्मन्वयन करता है। यही इसके नियम इत्यादि भी बनाता है। .

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अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली

अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली (संक्षेप में SI; फ्रेंच Le Système International d'unités का संक्षिप्त रूप), मीटरी पद्धति का आधुनिक रूप है। इसे सामान्य रूप में दशमलव एवं दस के गुणांकों में बनाया गया है। यह विज्ञान एवं वाणिज्य के क्षेत्र में विश्व की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली प्रणाली है। पुरानी मेट्रिक प्रणाली में कई इकाइयों के समूह प्रयोग किए जाते थे। SI को 1960 में पुरानी मीटर-किलोग्राम-सैकण्ड यानी (MKS) प्रणाली से विकसित किया गया था, बजाय सेंटीमीटर-ग्राम-सैकण्ड प्रणाली की, जिसमें कई कठिनाइयाँ थीं। SI प्रणाली स्थिर नहीं रहती, वरन इसमें निरंतर विकास होते रहते हैं, परंतु इकाइयां अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों के द्वारा ही बनाई और बदली जाती हैं। यह प्रणाली लगभग विश्वव्यापक स्तर पर लागू है और अधिकांश देश इसके अलावा अन्य इकाइयों की आधिकारिक परिभाषाएं भी नहीं समझते हैं। परंतु इसके अपवाद संयुक्त राज्य अमरीका और ब्रिटेन हैं, जहाँ अभी भी गैर-SI इकाइयों उनकी पुरानी प्रणालियाँ लागू हैं।भारत मॆं यह प्रणाली 1 अप्रैल, 1957 मॆं लागू हुई। इसके साथ ही यहां नया पैसा भी लागू हुआ, जो कि स्वयं दशमलव प्रणाली पर आधारित था। इस प्रणाली में कई नई नामकरण की गई इकाइयाँ लागू हुई। इस प्रणाली में सात मूल इकाइयाँ (मीटर, किलोग्राम, सैकण्ड, एम्पीयर, कैल्विन, मोल, कैन्डेला, कूलम्ब) और अन्य कई व्युत्पन्न इकाइयाँ हैं। कुछ वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में एस आई प्रणाली के साथ अन्य इकाइयाँ भी प्रयोग में लाई जाती हैं। SI उपसर्गों के माध्यम से बहुत छोटी और बहुत बड़ी मात्राओं को व्यक्त करने में सरलता होती है। तीन राष्ट्रों ने आधिकारिक रूप से इस प्रणाली को अपनी पूर्ण या प्राथमिक मापन प्रणाली स्वीकार्य नहीं किया है। ये राष्ट्र हैं: लाइबेरिया, म्याँमार और संयुक्त राज्य अमरीका। .

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अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन/अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततक्नीकी आयोग 80000

अन्तर्राष्ट्रीय मानक ISO 80000 या IEC 80000 (यह इसपर निरभर करता है, कि मानक हेतु वस्तु विशेष जिस प्रभार के अन्तर्गत आती है, उसका अनुरक्षक कुन सी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन या अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततक्नीकी आयोग), ISO 31 और IEC 60027 का उत्तराधिकारी है। यह भौतिक इकाइयों के प्रयोग और मापन की इकाइयों की, एवं उनमें संलग्न सूत्रों की सर्वाधिक प्रशंसित शैली संदर्शिका है। यह वैज्ञानिक और शैक्षिक प्रलेखों में विश्वव्यापी प्रयुक्त होती है। अधिकतर देशों में गणित विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों एवं विश्वविद्यालयों में इसका पूर्ण पालन किया जाता है। ISO/IEC 80000 मानक समूह अभी प्रगतिशील ही है और इसके कुछ ही भाग अभी तक 2008 के संस्करण में प्रकाशित हुए हैं। यह भी प्रस्तावित है, कि SI के संग प्रयुक्त होने वाली मात्राएं और समीकरणों को अन्तर्राष्ट्रीय मात्रा प्रणाली कहा जाये.

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अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततकनीकी आयोग

अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततकनीकी आयोग या (IEC) एक लाभ निरपेक्ष, गैर-सरकारी अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन है। यह विद्युतीय, इलैक्ट्रानिकीय और संबंधित प्रौद्योगिकीयों – सामूहिक रूप से जिन्हें "विद्युतप्रौद्योगिकी" या "electrotechnology" कहते हैं, उनके लिये अन्तर्राष्ट्रीय मानक निर्मित एवं प्रकाशित करता है। IEC मानक प्रौद्योगिकियों की एक वृहत संख्या कवर करता है, जैसे कि ऊर्जा उत्पादन, प्रसारण और घरेलु उपकरणों, कार्यालयों, अर्ध-चालकों, फ़ाइबर-आप्टिक्स, बैटरियों, सौर-उर्जा, नैनोतकनीक और्मैरीन ऊर्जा, इत्यादि कई और भी.

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अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन

अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततकनीकी आयोग यह लेख या कुछ अंश अपनी मूल भाषा में है, जिससे कि इन तथ्यों की मौलिकता बनी रहे। कृपया इसे अनुवाद करने का प्रयास न करें, या पहले संवाद पृष्ठ पर चर्चा करके फिर सुधार करें। अन्तराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (फ्रेंच में Organisation internationale de normalisation), जिसे अधिकतर ISO कहा जाता है, विभिन्न राष्ट्रों के मानक संगठनों के प्रतिनिधियों से गठित एक अन्तर्राष्ट्रीय मानक-विन्यास संस्था है। इसकी स्थापना 23 फरवरी, 1947 को हुई थी, विश्वव्यापी औद्योगिक एवं वाणिज्यिक मानकों को घोषित करने हेतु। इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है। यद्यपि ISO स्वयं को एक गैर सरकारी संगठन कहता है, इसकी मानक स्थापित करने की क्षमता, जो कि प्राय्ः विधि बन जाते हैं, या तो समझौतों के द्वारा, या फिर राष्ट्रीय मान; यह इसको गैर सरकारी संगठनों से अधिक शक्तिशाली बनाता है। वैसे व्यवहार में यह एक संकाय या अल्पकालीन संगठन जैसे कार्यरत है, जिसकी सरकारों से मजबूत कङियाँ हैं।.

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१ अप्रैल

1 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 91वाँ (लीप वर्ष मे 92वाँ) दिन है। साल में अभी और 274 दिन बाकी हैं। .

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१ अगस्त

1 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 213वॉ (लीप वर्ष मे 214 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 152 दिन बाकी है। .

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१० दिसम्बर

10 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 344वाँ (लीप वर्ष में 345वाँ) दिन है। साल में अभी और 21 दिन बाकी हैं। .

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११ सितंबर

11 सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 254वॉ (लीप वर्ष में 255 वॉ) दिन है। साल में अभी और 111 दिन बाकी है। .

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१७९३

1793 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१७९५

1795 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१७९९

१७९९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९४८

1948 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .

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१९५७

1957 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९६०

1960 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। इसे अफ़्रीका का वर्ष भी कहा जाता है, क्योंकि इस साल कई प्रमुख घटनाएँ घटी ― विशेषकर सत्रह अफ़्रीकी राष्ट्रों की स्वतंत्रता ― जिससे विश्व का ध्यान इस महाद्वीप पर गया और पैन-अफ़्रीकीवाद की भावनाएँ और गहरी हुई। .

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१९७९

1979 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९९९

१९९९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२००७

वर्ष २००७ सोमवार से प्रारम्भ होने वाला ग्रेगोरी कैलंडर का सामान्य वर्ष है। .

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२००९

२००९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। वर्ष २००९ बृहस्पतिवार से प्रारम्भ होने वाला वर्ष है। संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को एवं आइएयू ने १६०९ में गैलीलियो गैलिली द्वारा खगोलीय प्रेक्षण आरंभ करने की घटना की ४००वीं जयंती के उपलक्ष्य में इसे अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष घोषित किया है। .

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३१ दिसम्बर

31 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 365वॉ (लीप वर्ष मे 366 वॉ) दिन है। यह साल का आखरी दिन है। .

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७ अप्रैल

7 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 97वॉ (लीप वर्ष में 98 वॉ) दिन है। साल में अभी और 268 दिन बाकी है। .

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SI उपसर्ग

श्रेणी:चित्र जोड़ें fi:Kansainvälinen yksikköjärjestelmä#Kerrannaisyksiköt.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

SI, SI इकाई, SI इकाइयाँ, एस आई, एसआई पद्धति, इकाई प्रणाली, अन्तरराष्ट्रीय इकाई प्रणाली, अन्तराष्ट्रीय इकाई प्रणाली, अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली, अंतर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली

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