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हशीश तेल

सूची हशीश तेल

सुई के सिरे पर स्थित हशीश तेल की बूँद का पास से लिया गया फोटो हशीश तेल (Hash oil) ओलियोरेसिन है जो की मेरीजुआना और भांग के पौधों का बार-बार निष्कर्षण करके पाया जाता है। यह गहरे रंग का गाढ़ा द्रव होता है जो की हवा के प्रभाव में आने पर और भी गाढ़ा हो जाता है। हशीश तेल कैनाबिस की सबसे अधिक प्रभावी अवस्था होती है। यह अक्सर धूम्रपान, अंतर्ग्रहण और वेपराईसेशन के रूप में ग्रहण किया जाता है। हशीश तेल ग्रहण करने से मृत्यु भी हो सकती है और इससे जी मचलता है, सुस्ती आती है, तनाव बड़ता है। हशीश तेल को नसों से होकर ग्रहण करने से सुस्ती, दस्त, उलटी, बुखार, सिरदर्द आदि की समस्या देखने को मिलती है। हशीश तेल को बंद डब्बे में रखना चाहिए और इसे रोशनी के प्रभाव से दूर रखा जाता है। यह एक नारकोटिक औषधि है और इसका लगातार इस्तेमाल करने से शारीर में क्रियात्मक निर्भरता नहीं होती परन्तु मनोवैज्ञानिक निर्भरता आ जाती है। .

3 संबंधों: भांग का पौधा, स्वापक, कैनबिस (ड्रग)

भांग का पौधा

भांग का पौधा और उसके विभिन्न भाग भांग (वानस्पतिक नामः Cannabis indica) एक प्रकार का पौधा है जिसकी पत्तियों को पीस कर भांग तैयार की जाती है। उत्तर भारत में इसका प्रयोग बहुतायत से स्वास्थ्य, हल्के नशे तथा दवाओं के लिए किया जाता है। भारतवर्ष में भांग के अपने आप पैदा हुए पौधे सभी जगह पाये जाते हैं। भांग विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल में प्रचुरता से पाया जाता है। भांग के पौधे 3-8 फुट ऊंचे होते हैं। इसके पत्ते एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं। भांग के ऊपर की पत्तियां 1-3 खंडों से युक्त तथा निचली पत्तियां 3-8 खंडों से युक्त होती हैं। निचली पत्तियों में इसके पत्रवृन्त लम्बे होते हैं। भांग के नर पौधे के पत्तों को सुखाकर भांग तैयार की जाती है। भांग के मादा पौधों की रालीय पुष्प मंजरियों को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है। भांग की शाखाओं और पत्तों पर जमे राल के समान पदार्थ को चरस कहते हैं। भांग की खेती प्राचीन समय में 'पणि' कहे जानेवाले लोगों द्वारा की जाती थी। ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने कुमाऊँ में शासन स्थापित होने से पहले ही भांग के व्यवसाय को अपने हाथ में ले लिया था तथा काशीपुर के नजदीक डिपो की स्थापना कर ली थी। दानपुर, दसोली तथा गंगोली की कुछ जातियाँ भांग के रेशे से कुथले और कम्बल बनाती थीं। भांग के पौधे का घर गढ़वाल में चांदपुर कहा जा सकता है। इसके पौधे की छाल से रस्सियाँ बनती हैं। डंठल कहीं-कहीं मशाल का काम देता है। पर्वतीय क्षेत्र में भांग प्रचुरता से होती है, खाली पड़ी जमीन पर भांग के पौधे स्वभाविक रूप से पैदा हो जाते हैं। लेकिन उनके बीज खाने के उपयोग में नहीं आते हैं। टनकपुर, रामनगर, पिथौरागढ़, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोडा़, रानीखेत,बागेश्वर, गंगोलीहाट में बरसात के बाद भांग के पौधे सर्वत्र देखे जा सकते हैं। नम जगह भांग के लिए बहुत अनुकूल रहती है। पहाड़ की लोक कला में भांग से बनाए गए कपड़ों की कला बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन मशीनों द्वारा बुने गये बोरे, चटाई इत्यादि की पहुँच घर-घर में हो जाने तथा भांग की खेती पर प्रतिबन्ध के कारण इस लोक कला के समाप्त हो जाने का भय है। होली के अवसर पर मिठाई और ठंडाई के साथ इसका प्रयोग करने की परंपरा है। भांग का इस्तेमाल लंबे समय से लोग दर्द निवारक के रूप में करते रहे हैं। कई देशों में इसे दवा के रूप में भी उपलब्ध कराया जाता है। .

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स्वापक

वह पदार्थ जिसे मनुष्य द्वारा सेवन करने पर उसकी सामान्य कार्य प्रणाली पर प्रभाव पड़ता है, वह पदार्थ स्वापक या नारकोटिक औषधि कहलाते हैं। यह वह मनोसक्रिय औषधि (साईकोएक्टिव पदार्थ) है जो सेवन के बाद नींद उत्पन्न करते हैं। नारकोटिक औषधियां जैसे की गांजा, अफीम, चरस, भांग आदि पेड़-पौधों से प्राप्त किये जाते है और अपरिष्कृत एवम कच्ची होतीं हैं। कुछ नारकोटिक औषधियां मानव द्वारा भी निर्मित की गई है जो की शारीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करती है। यह औषधियां अर्ध संश्लेषित नारकोटिक औषधियां कहलाती है। इनमे आने वाली नारकोटिक औषधियां ब्राउन शुगर, हीरोइन, मॉर्फीन आदि है। कुछ ऐसी भी नारकोटिक औषधियां होती है जो की पूरी तरह मानव द्वारा निर्मित होती है। यह औषधियां प्रारंभिक तत्व जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन आदि जैसे रसायनों के उपयोग से बनायी जाती है। नारकोटिक औषधियां वह दवाई होती है जो की निद्रा अथवा मोर्चा उत्पन्न कर दर्द से राहत दिलाती हैं। गांजा, मॉर्फिन, हीरोइन, अफीम आदि यही सब कार्य कर शरीर को दर्द से राहत दिलाते है इसलिए यह सब नारकोटिक औषधियां कहलाते हैं। .

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कैनबिस (ड्रग)

कैनबिस का पौधा कैनबिस भांग के पौधे से तैयार किया जाता है जिसे एक प्सैकोएक्टिव ड्रग या औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। कैनबिस को मारिजुआना, गांजा और भांग के नामों से भी पुकारा जाता है। कैनबिस का मुख्य प्सैकोएक्टिव हिस्सा टेट्राहैड्राकैनबिनोल (टी.एछ.सी) होता है; यह ४८३ यौगिकों में से एक है, कम से कम 84 अन्य कैनाबिनोइड सहित, जैसे कैनाबिओल (सी.बी.डी), कैनबिनोल (सी.बी.एल), और टेट्राहैड्रोकैनबिवरिन (टी.एछ.सी.वी)। कैनबिस भांग अक्सर अपने मानसिक और शारीरिक प्रभाव के लिए लिया जाता है, जैसे बढा मनोदशा, विश्राम, और भूख बढना। अल्पकालिक स्मृति में कमी होना, शुष्क मुँह, बिगड़ा मोटर कौशल, लाल आँखें और व्यामोह की भावनाओं संभावित दुष्प्रभाव हैं। जब धुआं से लिया जाता है तो प्रभाव की शुरुआत बहुत जल्दी होता है। जब खाया जाता है, तब प्रभाव की शुरुआत तीस मिनट के बाद होता है। प्रभाव दो से छः घंटे रहता है। कैनबिस ज्यादातर विश्राम के लिए या एक औषधीय दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। यह धार्मिक या आध्यात्मिक संस्कार के हिस्से के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। २०१३ इस्वी में १२८०-२३२० लाख लोगों ने कैनबिस का इस्तेमाल किये। २०१५ इस्वी में, अमरीका के आधे जनसंख्या भांग का प्रयोग किया था। उसमें से %१२ पिछले वर्ष में, और %७.३ पिछले महीने में। कैनबिस का उपयोग २०१३ से बहुत बढ गया है। कैनबिस के उपयोग के बारे में सबसे पहला लिखा हुआ तारीख तीसरी सहस्राब्दी बी.सी में है। बीसवी सदी के शुरु से ही, भांग कानूनी प्रतिबंध के अधीन कर दिया गया है। भांग के कब्जे, उपयोग और बिक्री जिसमें प्सैकोएक्टिव कैनबिनोइड्स होता है, वह ज़्यादातर सब देशों में अवैध है। युनाइटड नेषन्स ने कहाँ है कि भांग दुनिया के सबसे ज़्यादा उपयोग किया गया अवैध ड्रग है। मेडिकल कैनबिस वह कैनबिस को पुकारा जाता है जो डॉक्टरों लिखके देते हैं। मेडिकल कैनबिस का इस्तेमाल केनडा, बेलजियम, औस्ट्रेलिया, नेधर्लेंड्स, स्पैन और अम्रीका के २३ स्टेटों में होता है। पिछले कुछ वषों से कैनबिस का प्रयोग और वैधीकरण के लिए समर्थन, दुनियाभर बढ रही है। .

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