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स्वीडिश भाषा

सूची स्वीडिश भाषा

स्वीडिश, मुख्य रूप से स्वीडन और फ़िनलैण्ड के कुछ हिस्सों में 90 लाख लोगो द्वारा स्वाभाविक रूप से बोली जाने वाली एक उत्तर जर्मन भाषा है। श्रेणी:जर्मैनी भाषाएँ श्रेणी:विश्व की प्रमुख भाषाएं.

5 संबंधों: फ़िनलैण्ड, भाषा, स्वीडन, स्कैंडिनेवियाई भाषाएँ, हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार

फ़िनलैण्ड

फ़िनलैंड, (फ़िनिश: Suomen tasavalta सुओमेन तासावाल्ता या Suomi सुओमी) आधिकारिक तौर पर फ़िनलैंड गणराज्य उत्तरी यूरोप के फेनोस्केनेडियन क्षेत्र में स्थित एक नॉर्डिक देश है। इसकी सीमा पश्चिम में स्वीडन, पूर्व में रूस और उत्तर में नॉर्वे स्थित है, जबकि फिनलैंड खाड़ी के पार दक्षिण में एस्टोनिया स्थित है। देश की राजधानी हेलसिंकी है। लगभग 53 लाख की आबादी वाले इस देश के ज्यादातर लोग दक्षिणी क्षेत्र में रहते हैं। क्षेत्रफल के हिसाब से यह यूरोप का आठवां सबसे बड़ा और जनघनत्व के आधार पर यूरोपीय संघ में सबसे कम आबादी वाला देश हैं। देश में रहने वाले बहुसंख्यक लोगों की मातृभाषा फ़िनिश है, वहीं देश की ५.५ प्रतिशत आबादी की मातृभाषा स्वीडिश है। फिनलैंड ऐतिहासिक रूप से स्वीडन का एक हिस्सा था और १८०९ से रूसी साम्राज्य के अंतर्गत एक स्वायत्त ग्रैंड डची था। रूस से गृहयुद्ध के बाद १९१७ में फ़िनलैंड ने स्वतंत्रता की घोषणा की। फिनलैंड १९५५ में संयुक्त राष्ट्र संघ में, १९६९ में ओईसीडी और १९९५ में यूरोपीय संघ और यूरोजोन में शामिल हुआ। एक सर्वेक्षण में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संकेतकों के आधार पर फिनलैंड को दुनिया का दूसरा सबसे अधिक स्थिर देश करार दिया गया है। .

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भाषा

भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त करते है और इसके लिये हम वाचिक ध्वनियों का उपयोग करते हैं। भाषा मुख से उच्चारित होनेवाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह है जिनके द्वारा मन की बात बतलाई जाती है। किसी भाषा की सभी ध्वनियों के प्रतिनिधि स्वन एक व्यवस्था में मिलकर एक सम्पूर्ण भाषा की अवधारणा बनाते हैं। व्यक्त नाद की वह समष्टि जिसकी सहायता से किसी एक समाज या देश के लोग अपने मनोगत भाव तथा विचार एक दूसरे पर प्रकट करते हैं। मुख से उच्चारित होनेवाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह जिनके द्वारा मन की बात बतलाई जाती है। बोली। जबान। वाणी। विशेष— इस समय सारे संसार में प्रायः हजारों प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं जो साधारणतः अपने भाषियों को छोड़ और लोगों की समझ में नहीं आतीं। अपने समाज या देश की भाषा तो लोग बचपन से ही अभ्यस्त होने के कारण अच्छी तरह जानते हैं, पर दूसरे देशों या समाजों की भाषा बिना अच्छी़ तरह नहीं आती। भाषाविज्ञान के ज्ञाताओं ने भाषाओं के आर्य, सेमेटिक, हेमेटिक आदि कई वर्ग स्थापित करके उनमें से प्रत्येक की अलग अलग शाखाएँ स्थापित की हैं और उन शाखाकों के भी अनेक वर्ग उपवर्ग बनाकर उनमें बड़ी बड़ी भाषाओं और उनके प्रांतीय भेदों, उपभाषाओं अथाव बोलियों को रखा है। जैसे हमारी हिंदी भाषा भाषाविज्ञान की दृष्टि से भाषाओं के आर्य वर्ग की भारतीय आर्य शाखा की एक भाषा है; और ब्रजभाषा, अवधी, बुंदेलखंडी आदि इसकी उपभाषाएँ या बोलियाँ हैं। पास पास बोली जानेवाली अनेक उपभाषाओं या बोलियों में बहुत कुछ साम्य होता है; और उसी साम्य के आधार पर उनके वर्ग या कुल स्थापित किए जाते हैं। यही बात बड़ी बड़ी भाषाओं में भी है जिनका पारस्परिक साम्य उतना अधिक तो नहीं, पर फिर भी बहुत कुछ होता है। संसार की सभी बातों की भाँति भाषा का भी मनुष्य की आदिम अवस्था के अव्यक्त नाद से अब तक बराबर विकास होता आया है; और इसी विकास के कारण भाषाओं में सदा परिवर्तन होता रहता है। भारतीय आर्यों की वैदिक भाषा से संस्कुत और प्राकृतों का, प्राकृतों से अपभ्रंशों का और अपभ्रंशों से आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास हुआ है। सामान्यतः भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। भाषा आभ्यंतर अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं वह हमारे आभ्यंतर के निर्माण, विकास, हमारी अस्मिता, सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का भी साधन है। भाषा के बिना मनुष्य सर्वथा अपूर्ण है और अपने इतिहास तथा परम्परा से विच्छिन्न है। इस समय सारे संसार में प्रायः हजारों प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं जो साधारणतः अपने भाषियों को छोड़ और लोगों की समझ में नहीं आतीं। अपने समाज या देश की भाषा तो लोग बचपन से ही अभ्यस्त होने के कारण अच्छी तरह जानते हैं, पर दूसरे देशों या समाजों की भाषा बिना अच्छी़ तरह सीखे नहीं आती। भाषाविज्ञान के ज्ञाताओं ने भाषाओं के आर्य, सेमेटिक, हेमेटिक आदि कई वर्ग स्थापित करके उनमें से प्रत्येक की अलग अलग शाखाएँ स्थापित की हैं और उन शाखाओं के भी अनेक वर्ग-उपवर्ग बनाकर उनमें बड़ी बड़ी भाषाओं और उनके प्रांतीय भेदों, उपभाषाओं अथाव बोलियों को रखा है। जैसे हिंदी भाषा भाषाविज्ञान की दृष्टि से भाषाओं के आर्य वर्ग की भारतीय आर्य शाखा की एक भाषा है; और ब्रजभाषा, अवधी, बुंदेलखंडी आदि इसकी उपभाषाएँ या बोलियाँ हैं। पास पास बोली जानेवाली अनेक उपभाषाओं या बोलियों में बहुत कुछ साम्य होता है; और उसी साम्य के आधार पर उनके वर्ग या कुल स्थापित किए जाते हैं। यही बात बड़ी बड़ी भाषाओं में भी है जिनका पारस्परिक साम्य उतना अधिक तो नहीं, पर फिर भी बहुत कुछ होता है। संसार की सभी बातों की भाँति भाषा का भी मनुष्य की आदिम अवस्था के अव्यक्त नाद से अब तक बराबर विकास होता आया है; और इसी विकास के कारण भाषाओं में सदा परिवर्तन होता रहता है। भारतीय आर्यों की वैदिक भाषा से संस्कृत और प्राकृतों का, प्राकृतों से अपभ्रंशों का और अपभ्रंशों से आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास हुआ है। प्रायः भाषा को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिये लिपियों की सहायता लेनी पड़ती है। भाषा और लिपि, भाव व्यक्तीकरण के दो अभिन्न पहलू हैं। एक भाषा कई लिपियों में लिखी जा सकती है और दो या अधिक भाषाओं की एक ही लिपि हो सकती है। उदाहरणार्थ पंजाबी, गुरूमुखी तथा शाहमुखी दोनो में लिखी जाती है जबकि हिन्दी, मराठी, संस्कृत, नेपाली इत्यादि सभी देवनागरी में लिखी जाती है। .

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स्वीडन

स्वीडन (स्वीडिश: Konungariket Sverige कूनुङारीकेत् स्वेरिये) यूरोपीय महाद्वीप में उत्तर में स्केंडिनेविया प्रायद्वीप में स्थित एक देश है। स्टॉकहोल्म इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। स्वीडिश भाषा इसकी मुख्य और राजभाषा है। यहाँ एक संवैधानिक और लोकतान्त्रिक राजतन्त्र है। स्वीडन के पश्चिम एवं उत्तर में नॉर्वे, पूर्व में फ़िनलैंड तथा दक्षिण में डेनमार्क स्थित हैं। स्वीडन का पूरा क्षेत्रफल 528447 वर्ग किलोमीटर का है, जिसमे से 407340 वर्ग किलोमीटर थल क्षेत्र, 40080 वर्ग किलोमीटर में नदियाँ और झील तथा 81027 वर्ग किलोमीटर समुद्र क्षेत्र है। इस तरह यह यूरोपियन यूनियन में तीसरा सबसे बड़ा देश है। यहाँ की जनसँख्या वर्तमान में लगभग एक करोड़ दस लाख है। .

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स्कैंडिनेवियाई भाषाएँ

अगर भारतीय भाषाओं के बारे में यह कहा जाता है कि वह भारोपीय भाषापरिवार के दक्षिणपूर्वी भाग में उत्पन्न हुई है तो नॉर्डिक या स्कैंडिनेवियाई भाषाओं के लिए यह कहना उचित होगा कि वह उसके विपरीत भाग अर्थात् उत्तरपश्चिम से आई हैं। नॉर्डिक भाषाएँ जर्मन भाषासमुदाय से संबंधित हैं और तदनुसार जर्मन उमलाउट इन भाषाओं में भी पाए जाते हैं। प्रथम शताब्दी में नॉर्डिक भाषाओं ने पृथक् होकर अपना नया समुदाय बनाया। पुराने 24 अक्षरों की वर्णमाला में लिखे हुए शिलालेख, फिनलैंड और लैपलैंड की भाषाओं में उधार लिए गए हुए और अनेक शताब्दियों तक बिना परिवर्तन के रक्षित शब्द, सीजर और टॅकिटस जैसे प्राचीन प्रसिद्ध लेखकों द्वारा दिए हुए निर्देश आदि, इन सबसे यह समझा जाता है कि उस वक्त संपूर्ण नॉर्डिक क्षेत्र में, अर्थात् डेन्मार्क और स्कैंडिनेविया के प्रायद्वीप में एक ही भाषा बोली जाती थी। यह भाषा तब पुरानी जर्मन भाषा के समान थी लेकिन छठी शताब्दी के बाद उसमें बहुत परिवर्तन हुआ और वह अंशत: पश्चिम जर्मन तथा कुछ अंश तक पूर्वी जर्मन - जिसमें चौथी शताब्दी में लिखे हुए साहित्य की भाषा गोथिक सबसे प्रधान है-भाषासमुदाय से अलग हुई। वाइकिंग लोगों के समय में (800-1000 ई.) नॉर्डिक भाषा के दो प्रधान विभाग किए गए - पश्चिमी नार्डिक (प्राचीन नॉर्वेजिअन और प्राचीन आइसलैंडिक) तथा पूर्वी नॉर्डिक (प्राचीन स्वीडिश और प्राचीन डेनिश)। बारहवीं शताब्दी में लिखे हुए साहित्य के अंश (लैटिन अक्षरों में लिखे हुए चर्मपत्र) आज प्राप्त हैं। किंतु पूर्वी नॉर्डिक साहित्य के अवशेष सौ साल बाद के हैं। प्राचीन आइसलैंडिक भाषा वह पश्चिमी नॉर्डिक भाषा है जिसे 870-930 ई. के मध्य आइसलैंड के पहले बसनेवाले अपने साथ वहाँ ले गए। यह भाषा बहुत मामूली परिवर्तन के बाद आज भी आइसलैंड के प्रजातंत्र राज्य के 1,80,000 लोगों की राष्ट्रीय भाषा बनी हुई है। इसके बाद पश्चिमी नॉर्वेजिअन प्रांतीय भाषा और फारो द्वीप की भाषा का स्थान है। पश्चिमी नॉर्डिक भाषा पहले से शेटलैंड द्वीप, ओर्कनी द्वीप, आइल ऑव मैन और आयरलैंड के कुछ भागों में बोली जाती थी। उसी प्रकार से प्राचीन डेनिश इंग्लैंड के डानलेगमन भाग में और नॉरमंडो में तथा प्राचीन स्वीडिश रूस के वाइकिंग लोगों में बोली जाती थी। वाइकिंग लोगों की और मध्युयग की भाषा आज हमको हजारों प्राप्त शिलालेखों के 76 अक्षरों की वर्णलिपि में देखने को मिलती है। प्राप्त शिलालेख साधारणतया मृत संबंधियों के स्मारकचिह्न हैं और इस कारण वे कुछ अंश में एक ही ढंग के हैं। लेकिन रुवे शिलालेख में पुराने काव्य ही सुरक्षित हैं। आधुनिक नॉर्डिक भाषाएँ बाद में मध्ययुग की प्राचीन भाषाओं से विस्तृत की गईं। आज नॉर्डिक भाषासमुदाय में उपर्युक्त आइसलैंडिक और फारो द्वीप की भाषाओं के अतिरिक्त डेनिश, स्वीडिश और नॉर्वेजिअन भाषाओं का समावेश मिलता है। नॉर्वेजिअन भाषा के 1929 ई. से दो विभाग अधिकारपूर्वक किए गए। वे हैं लिखने की भाषा (जिसको प्रमाणभाषा भी कहा जाता है), प्रांतिक और नई नॉर्वेजिअन (अर्थात् प्रांतिक भाषा)। .

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हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार

हिन्द - यूरोपीय भाषाओं देश बोल रही हूँ. गाढ़े हरे रंग के देश में जो बहुमत भाषा हिन्द - यूरोपीय परिवार हैं, लाइट ग्रीन एक देश वह जिसका आधिकारिक भाषा हिंद- यूरोपीय है, लेकिन अल्पसंख्यकों में है। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा-परिवार संसार का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बंधित भाषाओं का समूह) हैं। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं। आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं: हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि। ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है, उसे आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा का नाम दे सकता है। यह संस्कृत से बहुत मिलती-जुलती थी, जैसे कि वह सांस्कृत का ही आदिम रूप हो। .

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स्वीडिश, स्वीडी भाषा

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