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शून्य समता

सूची शून्य समता

तुला के दोनों वजनी धूपदानों में शून्य वस्तुएँ हैं जो बराबर समूहों में विभक्त करता है। शून्य एक सम संख्या है। अन्य शब्दों में इसकी समता—पूर्णांक का गुणधर्म जो उसका सम अथवा विषम होने का निर्धारण करता है—सम है। इसे सम संख्या सिद्ध करने का सबसे आसान तरिका यह है कि शून्य "सम" होने की परिभाषा में सटीक बैठता है: यह 2 का पूर्ण गुणज है, विशिष्ट रूप से 0 × 2 का मान शून्य प्राप्त होता है। परिणामस्वरूप शून्य में वो सभी गुणधर्म हैं जो एक सम संख्या में पाये जाते हैं: 0, 2 से विभाज्य है, 0 के दोनों ओर विषम संख्याएँ हैं, 0 एक पूर्णांक (0) का स्वयं के साथ योग है और 0 वस्तुओं के एक समुच्चय को दो बराबर समुच्चयों में विपाटित किया जा सकता है। .

7 संबंधों: प्रमेयिका, पूर्णांक, भाजक, शून्य, सम और विषम अंक, जोड़,

प्रमेयिका

गणित में प्रमेयिका (lemma) ऐसे कथन को कहते हैं जो सिद्ध किया जा चुका हो। प्रमेयिकाएँ अन्य 'बड़े परिणामों' की सिद्धि के लिये सीढ़ी का काम करतीं हैं। गणित के अनेकानेक परिणाम "प्रमेयिका" कहे जाते हैं। किन्तु प्रमेय और प्रमेयिका में कोई औपचारिक (formal) या प्रामाणिक अन्तर नहीं है बल्कि केवल परम्परा और प्रयोग के आधार पर ही कोई कथन प्रमेय या प्रमेयिका के नाम से प्रचलित हो जाता है। .

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पूर्णांक

right पूर्ण संख्या धनात्मक प्राकृतिक संख्या, ऋणात्मक प्राकृतिक संख्या तथा शून्य के समूह को कहते हैं जैसे -2,-1,0,1,2 श्रेणी:गणित पूर्णांक श्रेणी:बीजीय संख्या सिद्धान्त.

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भाजक

गणित में, पूर्णांक n का भाजक, जिसे n का अवयव या फ़ैक्टर भी कहते है, एक पूर्णांक m है जिसे किसी पूर्णांक से गुणा करके n ला सकते हैं। इस स्थिति में, n गुणज भी कहा जाता है m का। एक पूर्णांक n अन्य पूर्णांक m द्वारा विभाज्य होता है अगर पूर्णांक m पूर्णांक n का भाजक है; तदनुसार n को m से विभाजित करने पर कुछ शेष नही बचता।.

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शून्य

शून्य (0) एक अंक है जो संख्याओं के निरूपण के लिये प्रयुक्त आजकी सभी स्थानीय मान पद्धतियों का अपरिहार्य प्रतीक है। इसके अलावा यह एक संख्या भी है। दोनों रूपों में गणित में इसकी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। पूर्णांकों तथा वास्तविक संख्याओं के लिये यह योग का तत्समक अवयव (additive identity) है। .

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सम और विषम अंक

विश्व के कुछ शहरों में घरों को संख्यांक देने की यह परंपरा है कि सड़क की एक तरफ सम अंक होते हैं और सड़क की दूसरी तरफ विषम अंक। यदि किसी घर-ढूंढते हुए वाहनचालक को घर-संख्या मालूम हो तो उसे सड़क के केवल एक ही ओर देखने की आवश्यकता होती है गणित में सम (even) ऐसी संख्याओं को कहा जाता है जो २ द्वारा पूर्णतः विभाज्य (डिविज़िबल​) हों, जैसे कि ०, २, ४, ६, ८, इत्यादि। यही कहने का एक और तरीका है कि सभी सम अंक २ के गुणज (मल्टिपल) होते हैं। इस से विपरीत विषम (odd) अंक ऐसे अंकों को कहा जाता है, जो २ द्वारा विभाज्य नहीं होते, जैसे १, ३, ५, ७, ९, ११, आदि। यद्यपि मूल रूप से सम-विषम की अवधारणा अंको पर लगाई जाती थी, आधुनिक गणित में इसे अन्य चीज़ों पर भी लागू किया जाता है। किसी चीज़ की गणितीय समता (parity) उसका वह लक्षण होती है जो यह बतलाए कि वह सम है या विषम। .

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जोड़

जब किसी संख्या या अंक में एक या एक से अधिक संख्या या अंक को मिलाया जाता है तो उसे जोड़ या योग (en:Addition) कहते हैं। जोड़ को + चिह्न से प्रदर्शित किया जाता है। इस चिह्न को धन (en:Plus) चिह्न कहते हैं। उदाहरणः 14 + 6 .

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२ एक संख्या, संख्यांक और ग्लिफ़ है। यह एक प्राकृतिक संख्या है, जो १ के बाद आती है और ३ के पहले। श्रेणी:देवनागरी श्रेणी:संख्या als:0er#Johr 2.

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