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विल्हेम वॉन हम्बोल्ट

सूची विल्हेम वॉन हम्बोल्ट

विल्हेम वॉन हम्बोल्ट (अंग्रेजी:Friedrich Wilhelm Christian Karl Ferdinand von Humboldt; २२ जून, १७६७ - ८ अप्रैल, १८३५) एक जर्मन दार्शनिक, भाषा विज्ञानी और तत्कालीन प्रशा की सरकार में प्रशासक थे। उनका योगदान तत्कालीन शिक्षा नीतियों को निर्मित करने में रहा था। हम्बोल्ट का सर्वाधिक प्रभाव भाषाई दर्शन और इसके चिंतकों पर पड़ा है जिनमें नॉम चौम्स्की और मार्टिन हाइडेगर जैसे प्रसिद्द दार्शनिक और भाषा विज्ञानी शामिल हैं। विल्हेम के छोटे भाई अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट एक प्रसिद्द भूगोलवेत्ता, जलवायु विज्ञानी और वनस्पति शास्त्री रहे हैं। .

16 संबंधों: दार्शनिक, नोआम चाम्सकी, पाश्चात्य दर्शन, प्रशिया, भाषा दर्शन, भाषाविज्ञान, भूगोल, मार्टिन हाइडेगर, जर्मन भाषा, जलवायु विज्ञान, जॉन स्टूवर्ट मिल, जोहान्न गोत्त्लिएब फिचते, वनस्पति विज्ञान, इमानुएल काण्ट, अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट, अंग्रेज़ी भाषा

दार्शनिक

जो दर्शन पर मनन करे वह दार्शनिक हुआ। .

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नोआम चाम्सकी

एवरम नोम चोम्स्की (हीब्रू: אברם נועם חומסקי) (जन्म 7 दिसंबर, 1928) एक प्रमुख भाषावैज्ञानिक, दार्शनिक, by Zoltán Gendler Szabó, in Dictionary of Modern American Philosophers, 1860–1960, ed.

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पाश्चात्य दर्शन

अध्ययन की दृष्टि से पश्चिमी दर्शन तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं- 1.

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प्रशिया

अपने चरम पर प्रशा प्रशिया, प्रुशिया या प्रशा, (Preußen), उत्तरी यूरोप का एक जर्मन ऐतिहासिक राज्य था। प्रशिया, अपनी राजधानी कोइनिजबर्ग और 1701 से बर्लिन के साथ, जर्मनी के इतिहास को निर्णायक रूप से आकार दिया है। 18वीं और 19वीं शताब्दियों में यह राज्य अपने चरम पर था। .

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भाषा दर्शन

भाषादर्शन (Philosophy of language) का सम्बन्ध इन चार केन्द्रीय समस्याओं से है- अर्थ की प्रकृति, भाषा प्रयोग, भाषा संज्ञान, तथा भाषा और वास्तविकता के बीच सम्बन्ध। किन्तु कुछ दार्शनिक भाषादर्शन को अलग विषय के रूप में न लेकर, इसे तर्कशास्त्र (लॉजिक) का ही एक अंग मानते हैं। .

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भाषाविज्ञान

भाषाविज्ञान भाषा के अध्ययन की वह शाखा है जिसमें भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप, विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान के अध्ययेता 'भाषाविज्ञानी' कहलाते हैं। भाषाविज्ञान, व्याकरण से भिन्न है। व्याकरण में किसी भाषा का कार्यात्मक अध्ययन (functional description) किया जाता है जबकि भाषाविज्ञानी इसके आगे जाकर भाषा का अत्यन्त व्यापक अध्ययन करता है। अध्ययन के अनेक विषयों में से आजकल भाषा-विज्ञान को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। .

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भूगोल

पृथ्वी का मानचित्र भूगोल (Geography) वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है। प्राकृतिक विज्ञानों के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का सार तत्व है। पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है। भूगोल शब्द दो शब्दों भू यानि पृथ्वी और गोल से मिलकर बना है। भूगोल एक ओर अन्य शृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक व्युत्पत्तिक धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी व्युत्पत्तिक धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है: सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी विद्वान इरैटोस्थनिज़ ने भूगोल को धरातल के एक विशिष्टविज्ञान के रूप में मान्यता दी। इसके बाद हिरोडोटस तथा रोमन विद्वान स्ट्रैबो तथा क्लाडियस टॉलमी ने भूगोल को सुनिइतिहासश्चित स्वरुप प्रदान किया। इस प्रकार भूगोल में 'कहाँ' 'कैसे 'कब' 'क्यों' व 'कितनें' प्रश्नों की उचित वयाख्या की जाती हैं। .

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मार्टिन हाइडेगर

मार्टिन हाइडेगर एक जर्मन दार्शनिक थे | वह 26 सितंबर, 1889 को पैदा हुआ था। वे 26 मई, 1976 को निधन हो गया। वे वर्तमान काल के प्रसिद्ध अस्तित्ववादी दार्शनिक है किन्तु वे अपने सिद्धांत को अस्तित्ववादी सिद्धांत कहलाने से इंकार करते है। वह जर्मनी के छोटे से कस्बे में पैदा हुआ था और रोमन कैथोलिक वातावरण मे पला था। उसने अपनी दार्शनिक शिक्षा पहले तो नव कांटवादी विल्हेम व रिकेट के निर्देशन में प्राप्त की बाद में वे हसरेल के संपर्क मे आये। .

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जर्मन भाषा

विश्व के जर्मन भाषी क्षेत्र जर्मन भाषा (डॉयट्श) संख्या के अनुसार यूरोप की सब से अधिक बोली जाने वाली भाषा है। ये जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड और ऑस्ट्रिया की मुख्य- और राजभाषा है। ये रोमन लिपि में लिखी जाती है (अतिरिक्त चिन्हों के साथ)। ये हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में जर्मनिक शाखा में आती है। अंग्रेज़ी से इसका करीबी रिश्ता है। लेकिन रोमन लिपि के अक्षरों का इसकी ध्वनियों के साथ मेल अंग्रेज़ी के मुक़ाबले कहीं बेहतर है। आधुनिक मानकीकृत जर्मन को उच्च जर्मन कहते हैं। जर्मन भाषा भारोपीय परिवार के जर्मेनिक वर्ग की भाषा, सामान्यत: उच्च जर्मन का वह रूप है जो जर्मनी में सरकारी, शिक्षा, प्रेस आदि का माध्यम है। यह आस्ट्रिया में भी बोली जाती है। इसका उच्चारण १८९८ ई. के एक कमीशन द्वारा निश्चित है। लिपि, फ्रेंच और अंग्रेजी से मिलती-जुलती है। वर्तमान जर्मन के शब्दादि में अघात होने पर काकल्यस्पर्श है। तान (टोन) अंग्रेजी जैसी है। उच्चारण अधिक सशक्त एवं शब्दक्रम अधिक निश्चित है। दार्शनिक एवं वैज्ञानिक शब्दावली से परिपूर्ण है। शब्दराशि अनेक स्रोतों से ली गई हैं। उच्च जर्मन, केंद्र, उत्तर एवं दक्षिण में बोली जानेवाली अपनी पश्चिमी शाखा (लो जर्मन-फ्रिजियन, अंग्रेजी) से लगभग छठी शताब्दी में अलग होने लगी थी। भाषा की दृष्टि से "प्राचीन हाई जर्मन" (७५०-१०५०), "मध्य हाई जर्मन" (१३५० ई. तक), "आधुनि हाई जर्मन" (१२०० ई. के आसपास से अब तक) तीन विकास चरण हैं। उच्च जर्मन की प्रमुख बोलियों में यिडिश, श्विज्टुन्श, आधुनिक प्रशन स्विस या उच्च अलेमैनिक, फ्रंकोनियन (पूर्वी और दक्षिणी), टिपृअरियन तथा साइलेसियन आदि हैं। .

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जलवायु विज्ञान

जलवायु विज्ञान भौतिक भूगोल की एक शाखा है जिसके अंतर्गत सम्पूर्ण पृथ्वी अथवा किसी स्थान विशेष की जलवायु का अध्ययन किया जाता है। यह मानव जीवन एवं पारितंत्र पर जलवायु के प्रभावों का अध्ययन भी करता है। .

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जॉन स्टूवर्ट मिल

जॉन स्टूवर्ट मिल (सन १८६५ में) जॉन स्टूवर्ट मिल (John Stuart Mill) (1806 - 1873) प्रसिद्ध आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, एवं दार्शनिक चिन्तक तथा प्रसिद्ध इतिहासवेत्ता और अर्थशास्त्री जेम्स मिल का पुत्र। .

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जोहान्न गोत्त्लिएब फिचते

' जोहान्न गोत्त्लिएब फिचते (१७६२ - १८१४) एक जर्मन दार्शनिक थे। .

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वनस्पति विज्ञान

बटरवर्थ का पुष्प जीव जंतुओं या किसी भी जीवित वस्तु के अध्ययन को जीवविज्ञान या बायोलोजी (Biology) कहते हैं। इस विज्ञान की मुख्यतः दो शाखाएँ हैं: (1) प्राणिविज्ञान (Zoology), जिसमें जंतुओं का अध्ययन होता है और (2) वनस्पतिविज्ञान (Botany) या पादपविज्ञान (Plant Science), जिसमें पादपों का अध्ययन होता है। .

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इमानुएल काण्ट

इमानुएल कांट (1724-1804) जर्मन वैज्ञानिक, नीतिशास्त्री एवं दार्शनिक थे। उसका वैज्ञानिक मत "कांट-लाप्लास परिकल्पना" (हाइपॉथेसिस) के नाम से विख्यात है। उक्त परिकल्पना के अनुसार संतप्त वाष्पराशि नेबुला से सौरमंडल उत्पन्न हुआ। कांट का नैतिक मत "नैतिक शुद्धता" (मॉरल प्योरिज्म) का सिद्धांत, "कर्तव्य के लिए कर्तव्य" का सिद्धांत अथवा "कठोरतावाद" (रिगॉरिज्म) कहा जाता है। उसका दार्शनिक मत "आलोचनात्मक दर्शन" (क्रिटिकल फ़िलॉसफ़ी) के नाम से प्रसिद्ध है। इमानुएल कांट अपने इस प्रचार से प्रसिद्ध हुये कि मनुष्य को ऐसे कर्म और कथन करने चाहियें जो अगर सभी करें तो वे मनुष्यता के लिये अच्छे हों। .

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अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट

अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट''' 1859 में 89 साल की उम्र में अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट (Alexander von Humboldt या Friedrich Wilhelm Heinrich Alexander von Humboldt; जन्म १७६९- मृत्यु १८५९ ई.) जर्मनी (तत्कालीन प्रशा) के भूगोलवेत्ता, प्रकृति विज्ञानी, और खोजकर्ता थे। उनका जन्म बर्लिन में तत्कालीन शाही परिवार में हुआ। हम्बोल्ट के बड़े भाई विल्हेम वॉन हम्बोल्ट एक प्रसिद्द भाषा विज्ञानी और प्रशा कि सरकार में मंत्री थे। हम्बोल्ट ने सर्वप्रथम वनस्पति विज्ञान में परिमाणात्मक विधियों का प्रयोग किया जिनसे जैव भूगोल की मजबूत आधारशिला का निर्माण हुआ। यह हम्बोल्ट ही थे जिनके द्वारा भूगोलीय घटनाओं की दीर्घावधिक मॉनिटरिंग वकालत की गयी और इस कार्य ने आधुनिक भूचुम्बकीय और मौसम वैज्ञानिक प्रेक्षणों का मार्ग प्रशस्त किया। हम्बोल्ट एक अनुभववादी विचारक थे और घटनाओं के प्रेक्षण और मापन में यकीन रखते थे। उन्होंने घर में बैठकर चिंतन करके लेखन करने की बजाय भ्रमण करके घटनाओं के प्रेक्षण के बाद उनके निरूपण की विधा पर कार्य किया। हम्बोल्ट ने अपने जीवन में लगबग साढ़े छह हजार किलोमीटर की यात्रायें कीं जिनमें सबसे प्रमुख उनकी दक्षिण अमेरिका की यात्रा है। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस महादीप की यात्रा और इसका वर्णन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से की। इस यात्रा के दौरान उन्होंने दूरबीन, तापमापी, साइनोमीटर, सेक्सटैंट, वायुदाबमापी इत्यादि उपकरणों से लैस होकर मापन कार्य किये और उनकी इस यात्रा के वर्णन का प्रकाशन २१ खण्डों में हुआ। हम्बोल्ट उन पहले लोगों में से थे जिन्होंने दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के कभी जुड़े हुए होने की बात कही थी। हम्बोल्ट कि सबसे प्रमुख कृति कॉसमॉस है जिसमें उन्होंने संश्लेषणात्मक विचारों के साथ ज्ञान की विभिन्न शाखाओं में सामंजस्य और एकता लाने का प्रयास किया है। इस कार्य में वे ब्रह्माण्ड को एक एकीकृत इकाई के रूप में भी पुरःस्थापित किया। वे अनेकता में एकता के सिद्धांत के पुरोधा थे। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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