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भाप का इंजन

सूची भाप का इंजन

एक स्वयं-प्रगामी (self-propelled) वाष्पयान एक संरक्षित अपूर्ण पोर्टेबल वाष्पयान (टेन्टरफिल्ड एन एस डब्ल्यू) वाष्पयान या भाप का इंजन एक प्रकार का उष्मीय इंजन है जो कार्य करने के लिये जल-वाष्प का प्रयोग करता है। भाप के इंजन अधिकांशतः वाह्य दहन इंजन होते हैं जिसमें रैंकाइन चक्र (Rankine cycle) नामक उष्मा-चक्र (heat cycle) काम में लाया जाता है। कुछ वाष्पयान सौर उर्जा, नाभिकीय उर्जा या जिओथर्मल उर्जा से भी चलते हैंइसकी खोज १७६३ में हुई .

6 संबंधों: दक्षता, पृथ्वी का वायुमण्डल, बहिर्दहन इंजन, भाप टरबाइन, संघनित्र (उष्मा स्थानान्तरण), इंजन

दक्षता

दक्षता (Efficiency) का सामान्य अर्थ यह है कि किसी कार्य या उद्देश्य को पूरा करने में लगाया गया समय या श्रम या ऊर्जा कितनी अच्छी तरह काम में आती है। 'दक्षता' का विभिन्न क्षेत्रों एवं विषयों में उपयोग किया जाता है और विभिन्न सन्दर्भों में इसके अर्थ में भी काफी भिन्नता पायी जाती है। दक्षता एक मापने योग्य राशि है। ऊर्जा के रूपान्तरण की स्थिति में आउटपुट ऊर्जा और इनपुट उर्जा के अनुपात को दक्षता कहते हैं।;उदाहरण कोई ट्रांसफॉर्मर १००० किलोवाट विद्युत ऊर्जा लेकर अपने आउटपुट में जुड़े लोड को ९८० किलोवाट विद्युत ऊर्जा देता है, तो इसकी दक्षता श्रेणी:ऊर्जा श्रेणी:अर्थशास्त्र श्रेणी:ऊष्मा अंतरण श्रेणी:विचार की गुणवत्ताएँ.

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पृथ्वी का वायुमण्डल

अंतरिक्ष से पृथ्वी का दृश्य: वायुमंडल नीला दिख रहा है। पृथ्वी को घेरती हुई जितने स्थान में वायु रहती है उसे वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल के अतिरिक्त पृथ्वी का स्थलमंडल ठोस पदार्थों से बना और जलमंडल जल से बने हैं। वायुमंडल कितनी दूर तक फैला हुआ है, इसका ठीक ठीक पता हमें नहीं है, पर यह निश्चित है कि पृथ्वी के चतुर्दिक् कई सौ मीलों तक यह फैला हुआ है। वायुमंडल के निचले भाग को (जो प्राय: चार से आठ मील तक फैला हुआ है) क्षोभमंडल, उसके ऊपर के भाग को समतापमंडल और उसके और ऊपर के भाग को मध्य मण्डलऔर उसके ऊपर के भाग को आयनमंडल कहते हैं। क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच के बीच के भाग को "शांतमंडल" और समतापमंडल और आयनमंडल के बीच को स्ट्रैटोपॉज़ कहते हैं। साधारणतया ऊपर के तल बिलकुल शांत रहते हैं। प्राणियों और पादपों के जीवनपोषण के लिए वायु अत्यावश्यक है। पृथ्वीतल के अपक्षय पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। नाना प्रकार की भौतिक और रासायनिक क्रियाएँ वायुमंडल की वायु के कारण ही संपन्न होती हैं। वायुमंडल के अनेक दृश्य, जैसे इंद्रधनुष, बिजली का चमकना और कड़कना, उत्तर ध्रुवीय ज्योति, दक्षिण ध्रुवीय ज्योति, प्रभामंडल, किरीट, मरीचिका इत्यादि प्रकाश या विद्युत के कारण उत्पन्न होते हैं। वायुमंडल का घनत्व एक सा नहीं रहता। समुद्रतल पर वायु का दबाव 760 मिलीमीटर पारे के स्तंभ के दाब के बराबर होता है। ऊपर उठने से दबाव में कमी होती जाती है। ताप या स्थान के परिवर्तन से भी दबाव में अंतर आ जाता है। सूर्य की लघुतरंग विकिरण ऊर्जा से पृथ्वी गरम होती है। पृथ्वी से दीर्घतरंग भौमिक ऊर्जा का विकिरण वायुमंडल में अवशोषित होता है। इससे वायुमंडल का ताप - 68 डिग्री सेल्सियस से 55 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है। 100 किमी के ऊपर पराबैंगनी प्रकाश से आक्सीजन अणु आयनों में परिणत हो जाते हैं और परमाणु इलेक्ट्रॉनों में। इसी से इस मंडल को आयनमंडल कहते हैं। रात्रि में ये आयन या इलेक्ट्रॉन फिर परस्पर मिलकर अणु या परमाणु में परिणत हो जाते हैं जिससे रात्रि के प्रकाश के वर्णपट में हरी और लाल रेखाएँ दिखाई पड़ती हैं। .

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बहिर्दहन इंजन

न्यूकमेन का इंजन: यह वाह्यदहन इंजन है जो वाष्प-इंजन का पूर्ववर्ती है। ध्यान दें कि बॉयलर को नीचे से गरम किया जा रहा है। उन उष्मा इंजनों को वहिर्दहन इंजन (external combustion engine) कहते हैं जिनके कार्यकारी तरल को गरम करने के लिये किसी वाह्य स्रोत का सहारा लिया जाता है। यह तरल वहिर्दहन इंजन में फैलता है और उसकी मेकैनिज्म से अन्तरक्रिया करके गति एवं उपयोगी कार्य करता है। स्टीम टर्बाइन बहिर्दहन इंजन का एक अच्छा उदाहरण है। समान शक्ति वाला वहिर्दहन इंजन प्रायः अन्तर्दहन इंजन से अधिक बड़ा होता है। किन्तु चूँकि इसमें दहन का कार्य अलग से स्वतंत्र रूप से होता है, उसे अधिक दक्ष बनाया जा सकता है या कम हानिकारक गैसे आदि पैदा करने के हिसाब से डिजाइन किया जा सकता है। .

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भाप टरबाइन

आधुनिक भाप-टरबाइन और विद्युत-जनित्र प्रणाली भाप टरबाइन (steam turbine) वह यांत्रिक युक्ति है जो दाबित भाप से ऊष्मीय ऊर्जा निकालकर इसे यांत्रिक कार्य में बदलती है। आधुनिक रूप में इसका आविष्कार सर चार्ल्स पैर्सन्स ने 1884 में किया था। भाप टरबाइन (Steam Turbine) एक मूलचालक (prime mover) है, जिसमें भाप की उष्मा-ऊर्जा को गतिज उर्जा में परिवर्तित कर, उच्च गतिशील भाप को एक घूर्णक (rotor) पर बँधे हुए बहुत से फलकों पर टकराया जाता है, जिससे फलक परिभ्रमण करते हैं एवं इससे कार्य होता है। अन्योन्यगतिक (reciprocating) भाप इंजन में भाप की स्थैतिक (statical) दाब द्वारा पिस्टन पर कार्य किया जाता है। यद्यपि इंजन में भाप पिस्टन के साथ चलती है, फिर भी इंजन की क्रिया में भाप की गतिज उर्जा का प्रभाव नगणय है। भाप टरबाइन में भाप इंजन की अपेक्षा उच्चतर गति मिल सकती है और गतिसीमा भी बड़ी हा सकती है। टरबाइन के पुर्जों का संतुलन अच्छा रहता है। भाप की समान मात्रा एवं समान अवस्था में भाप टरबाइन भाप इंजन से अधिक शक्ति पैदा कर सकता है। भाप इंजन से कुछ वर्ष काम लेने के बाद भाप की खपत बढ़ जाती है, परंतु टरबाइन में ऐसी अवस्था नहीं आती पृथ्वी पर के सभी मूल चालकों में भाप टरबाइन सबसे अधिक टिकाऊ होता है। टरबाइन से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इससे घूर्णक गति सीधे प्राप्त होती है, जबकि भाप इंजन में अन्योन्यगति से घूर्णक गति प्राप्त करने के लिए अलग से उपादान का व्यवहर करना पड़ता है। वाष्पित्र (बॉयलर) में भाप का जनन उच्च दाब एवं अधिताप (superheat temperature) पर होता है। जब यह भाप टरबाइन के पास पहुँचती है, उस समय इसमें अधिक मात्रा में उष्मा ऊर्जा होती है और इसकी दाब भी इतनी अधिक होती है कि यह निम्नदाब तक प्रसारित हो सकती है। परंतु उस समय इसकी गतिज उर्जा नगण्य होती है। अत: भाप कुछ कार्य कर सके इसके पहले इसकी उष्मा ऊर्जा को गतिज उर्जा में परिवर्तित किया जाता है। यह परिवर्तन, अच्छी तरह अभिकल्पित उपकरण में, भाप को विस्तारित करने से होता है। भाप का प्रसार या तो एक ही क्रिया में पूर्ण किया जाता है, या विभिन्न क्रियाओं में। इसका अर्थ यह होता है कि उष्मा ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए बहुत से स्थिर उपकरण व्यवहार में लाए जाते हैं और प्राय: दो स्थिर उपकरणों के बीच एक गतिमान उपकरण लगा रहता है। स्थिर उपकरण में प्राप्त गतिज ऊर्जा को उसके बाद बँधे हुए गतिमान उपकरण के ऊपर कार्य करने के लिये लगाया जाता है। .

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संघनित्र (उष्मा स्थानान्तरण)

फ्रिज की संघनन कुण्डली संघनित्र (condenser) एक यांत्रिक युक्ति है जो गैस या वाष्प को ठण्डा करके द्रव में बदल देती है। संघनित्र कई जगह प्रयोग किये जाते हैं। उर्जा संयत्रों में इनका प्रयोग टर्बाइन से निकलने वाले भाप को संघनित करने के लिये किया जाता है। शीतलन संयंत्रों (refrigeration plants) में अमोनिया एवं फ्लोरीनेटड हाइड्रोकार्बनों जैसे शीतलक वाष्पों को संघनित करने के काम आता है। पेट्रोलियम एवं अन्य रासायनिक उद्योगों में हाइड्रोकार्बनों एवं अन्य रसायनों के वाष्पों को संघनित करने के लिये काम में लिया जाता है। .

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इंजन

चार-स्ट्रोक वाला आन्तरिक दहन इंजन आजकल अधिकांश कामों में इस्तेमाल होता है इंजन या मोटर उस यंत्र या मशीन (या उसके भाग) को कहते हैं जिसकी सहायता से किसी भी प्रकार की ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरण होता है। इंजन की इस यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग, कार्य करने के लिए किया जाता है। अर्थात् इंजन रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, गतिज ऊर्जा या ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलने का कार्य करता है। वर्तमान युग में अंतर्दहन इंजन तथा विद्युत मोटरों का अत्यन्त महत्व है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

भाप इंजन, वाष्प इंजन, वाष्प-इंजन, वाष्पयान

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