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फार्मल्डिहाइड

सूची फार्मल्डिहाइड

फार्मल्डिहाइड (Formaldehyde) प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक कार्बनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र CH2O है। यह सबसे सरल एल्डिहाइड है, इसमें एक -CHO ग्रूप पाया जाता है। इसको 'मेथेनैल' भी कहते हैं। इसका 'फार्मल्डिहाइड' नाम इसके फॉर्मिक अम्ल के समान होने और इससे सम्बन्धित होने के कारण पड़ा है। हाइपरहाइड्रोसिस थेरेपी के लिए टॉपिकल एजेंटों में फार्मल्डिहाइड लोशन का उपयोग करते हैं। ये एजेंट केराटिन (प्रोटीन) को विकृतीकरण कर पसीने को कम करते हैं, जिससे स्वेद-ग्रन्थि/पसीना ग्रंथि (Eccrine Sweat Glands) के छिद्रों को बंद करता है। उनके पास एक अल्पकालिक प्रभाव पड़ता है। फार्मल्डिहाइड का उपयोग अन्य रासायनिक यौगिकों और पदार्थों के उत्पादन में होता है। वर्ष १९९६ में फार्मल्डिहाइड उत्पादन की स्थापित क्षमता 8.7 मिलियन टन प्रतिवर्ष आण्की गयी थी।Günther Reuss, Walter Disteldorf, Armin Otto Gamer, Albrecht Hilt "Formaldehyde" in Ullmann's Encyclopedia of Industrial Chemistry, 2002, Wiley-VCH, Weinheim.

9 संबंधों: एल्डिहाइड, प्रोटीन, फार्मल्डिहाइड, फॉर्मिक अम्ल, रासायनिक सूत्र, स्वेद-ग्रन्थि, हाइपरहाइड्रोसिस, विकृतीकरण (जैवरसायन), कार्बनिक यौगिक

एल्डिहाइड

एल्डिहाइड ग्रूप फॉर्मेल्डिहाइड, जो सबसे सरल ऐल्डिहाइड है गिसरेल्डिहाइड एल्केन में अंतिम कार्बन से जुड़े दो हाइड्रोजन परमाणुओं को एक ऑक्सीजन परमाणु द्वारा विस्थापित करने पर जो कार्बनिक यौगिक प्राप्त होता है उसे एल्डिहाइड (सुव्युद) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, जिन कार्बनिक यौगिकों में −CHO प्रकार्यात्मक समूह होता है उन्हें ऐडिहाइड (aldehyde) या एल्कानल (alkanal) कहते हैं। सामने के चित्र में -R समूह को छोड़कर जो शेष बचता है वह ऐल्डिहाइड समूह है, जिसे फॉर्मिल समूह (formyl group) भी कहते हैं। कार्बनिक रसायन में ऐल्डिहाइडों की बहुलता है। कई सुगंधित रसायन ऐल्डिहाइड ही होते हैं। किसी एल्डिहाइड में कम से कम एक -CHO ग्रूप पाया जाता है। फार्मल्डिहाइड (1 कार्बन परमाणु), एसिटल्डिहाइड (2 कार्बन परमाणु), प्रोपेनल्डिहाइड (3 कार्बन परमाणु) प्रमुख एल्डिहाइड हैं। इनका सामान्य सूत्र (R-CHO) होता है। जहाँ R का मतलब एल्केन अथवा एरील श्रृंखला से है, तथा CHO एल्डिहाइड समूह की उपस्थिति को दर्शाता है। एल्डिहाइड समूह दो प्रकार से देखा जा सकता है। प्रथम एल्केन श्रृंखला के किसी एक छोर पर CHO ग्रुप जिसे एल्केनएल्डिहाइड (साधारण नाम) अथवा बेंजीन के किसी भी छोर (mainly on ortho position) जुड़े एल्डिहाइड ग्रुप को बेंज़लडीहाईड के नाम से पहचाना जा सकता है। .

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प्रोटीन

रुधिरवर्णिका(हीमोग्लोबिन) की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। प्रोटीन या प्रोभूजिन एक जटिल भूयाति युक्त कार्बनिक पदार्थ है जिसका गठन कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों के अणुओं से मिलकर होता है। कुछ प्रोटीन में इन तत्वों के अतिरिक्त आंशिक रूप से गंधक, जस्ता, ताँबा तथा फास्फोरस भी उपस्थित होता है। ये जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के मुख्य अवयव हैं एवं शारीरिक वृद्धि तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं। रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। अमीनो अम्ल के पॉलीमराईजेशन से बनने वाले इस पदार्थ की अणु मात्रा १०,००० से अधिक होती है। प्राथमिक स्वरूप, द्वितीयक स्वरूप, तृतीयक स्वरूप और चतुष्क स्वरूप प्रोटीन के चार प्रमुख स्वरुप है। प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। जन्तुओं के शरीर के लिए कुछ आवश्यक प्रोटीन एन्जाइम, हार्मोन, ढोने वाला प्रोटीन, सिकुड़ने वाला प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन एवं सुरक्षात्मक प्रोटीन हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर की आधारभूत संरचना की स्थापना एवं इन्जाइम के रूप में शरीर की जैवरसायनिक क्रियाओं का संचालन करना है। आवश्यकतानुसार इससे ऊर्जा भी मिलती है। एक ग्राम प्रोटीन के प्रजारण से शरीर को ४.१ कैलीरी ऊष्मा प्राप्त होती है। प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। जे.

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फार्मल्डिहाइड

फार्मल्डिहाइड (Formaldehyde) प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक कार्बनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र CH2O है। यह सबसे सरल एल्डिहाइड है, इसमें एक -CHO ग्रूप पाया जाता है। इसको 'मेथेनैल' भी कहते हैं। इसका 'फार्मल्डिहाइड' नाम इसके फॉर्मिक अम्ल के समान होने और इससे सम्बन्धित होने के कारण पड़ा है। हाइपरहाइड्रोसिस थेरेपी के लिए टॉपिकल एजेंटों में फार्मल्डिहाइड लोशन का उपयोग करते हैं। ये एजेंट केराटिन (प्रोटीन) को विकृतीकरण कर पसीने को कम करते हैं, जिससे स्वेद-ग्रन्थि/पसीना ग्रंथि (Eccrine Sweat Glands) के छिद्रों को बंद करता है। उनके पास एक अल्पकालिक प्रभाव पड़ता है। फार्मल्डिहाइड का उपयोग अन्य रासायनिक यौगिकों और पदार्थों के उत्पादन में होता है। वर्ष १९९६ में फार्मल्डिहाइड उत्पादन की स्थापित क्षमता 8.7 मिलियन टन प्रतिवर्ष आण्की गयी थी।Günther Reuss, Walter Disteldorf, Armin Otto Gamer, Albrecht Hilt "Formaldehyde" in Ullmann's Encyclopedia of Industrial Chemistry, 2002, Wiley-VCH, Weinheim.

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फॉर्मिक अम्ल

फॉर्मिक अम्ल की संरचना फॉर्मिक अम्ल एक कार्बनिक यौगिक है। यह लाल चींटियों, शहद की मक्खियों, बिच्छू तथा बर्रों के डंकों में पाया जाता है। इन कीड़ों के काटने या डंक मारने पर थोड़ा अम्ल शरीर में प्रविष्ट हो जाता है, जिससे वह स्थान फूल जाता है और दर्द करने लगता है। पहले पहल लाल चींटयों (लैटिन नाम 'फॉर्मिका') को पानी के साथ गरम करके, उनका सत खींचने पर उसमें फार्मिक अम्ल मिला पाया गया। इसीलिए अम्ल का नाम 'फॉर्मिक' पड़ा। इसका उपयोग रबड़ जमाने, रँगाई, चमड़ा कमाई तथा कार्बनिक संश्लेषण में होता है। .

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रासायनिक सूत्र

रासायनिक सूत्र (chemical formula) किसी रासायनिक यौगिक को इस प्रकार निरूपित करता है जिससे पता चलता है कि वह यौगिक किन-किन तत्वों के कितने-कितने परमाणुओं से मिलकर बना है। सामान्य प्रयोग में प्रायः अणुसूत्र (molecular formula) के लिये भी 'रासायनिक सूत्र' का ही प्रयोग कर दिया जाता है। उदाहरण: मिथेन का अणुसूत्र प्रा.उ4 (CH4) है जो इंगित करता है कि मिथेन का अणु कार्बन एवं हाइड्रोजन के परमाणुओं से मिलकर बना है तथा मिथेन के एक अणु में कार्बन का एक परमाणु व हाइड्रोजन के चार परमाणु होते हैं। परन्तु इस सूत्र से यह पता नहीं चलता कि कार्बन का एक परमाणु व हाइड्रोजन के ये चार परमाणु किस प्रकार व्यवस्थित हैं। अर्थात ये एक ही समतल में हैं या त्रिबिम में हैं; इनके बंधों के बीच कितना कोण है; बन्धों की लम्बाई कितनी है, आदि का अणुसूत्र से कुछ भी ज्ञान नहीं होता। कई प्रकार के रासायनिक सूत्र उपयोग किये जाते हैं जिनकी अलग-अलग उपयोगिता है और अलग-अलग जटिलता भी। बढ़ते हुए जटिलता के क्रम में ये हैं - आनुभविक सूत्र, अणुसूत्र, संरचना सूत्र। .

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स्वेद-ग्रन्थि

स्वेद-ग्रन्थि के लम्ब काट का चित्र स्वेद ग्रन्थि स्तनधारियों के त्वचा में स्थित होते हैं। यह छिद्र द्वारा बाहर खुलती है। इसका कुंडलित भाग पसीना या स्वेद स्त्रावित करता है जिसमें जल, लवण एवं नाइट्रोजन युक्त वर्ज्य पदार्थ रहते हैं। यह शरीर में जल तथा लवण का संतुलन बनाने में सहायता करता है। पसीना हमारे शरीर में मौजूद पसीने की ग्रंथियों से निकलता है। इन्हें एक्राइन स्वेद-ग्रन्थि/पसीना ग्रंथि (Eccrine Sweat Glands) कहते हैं। इंसान के शरीर पर 20 लाख से 40 लाख तक पसीने की ग्रंथियां होती है। ये ग्रंथियां पैर के तलवों, हथेली, मस्तक, गाल और काँख Armpit में सबसे ज्यादा होती है। इसलिए इन जगहों पर स्वेटिंग ज्यादा होती है। पसीने में 99 % पानी और थोड़ी मात्रा में नमक, प्रोटीन और यूरिया होते है। पसीना गंध रहित पानी होता है। .

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हाइपरहाइड्रोसिस

हाइपरहाइड्रोसिस (English: Hyperhidrosis) एक ऐसी हालत/अवस्था है जो असामान्य रूप से अत्यधिक पसीना आती है, जो कि शरीर के तापमान के नियमन के लिए जरूरी है। हाइपरहाइड्रोसिस बीमारी की वजह से आती है हथेलियों और तलवों में अधिक पसीना। सामान्‍यतया शरीर से पसीना आने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। लेकिन यदि आप हाइपरहाइड्रोसिस नामक बीमारी से ग्रस्‍त हैं तो सर्दियों में भी आपकी हथेलियों और तलवों से पसीना आएगा। पसीना हमारे शरीर में मौजूद पसीने की ग्रंथियों से निकलता है। इन्हें एक्राइन स्वेद-ग्रन्थि/पसीना ग्रंथि (Eccrine Sweat Glands) कहते हैं। इंसान के शरीर पर 20 लाख से 40 लाख तक पसीने की ग्रंथियां होती है। ये ग्रंथियां पैर के तलवों, हथेली, मस्तक, गाल और काँख Armpit में सबसे ज्यादा होती है। इसलिए इन जगहों पर स्वेटिंग ज्यादा होती है। पसीने में 99 % पानी और थोड़ी मात्रा में नमक, प्रोटीन और यूरिया होते है। पसीना गंध रहित पानी होता है। .

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विकृतीकरण (जैवरसायन)

विकृतीकरण (Denaturation) एक प्रक्रिया है जिसमें प्रोटीन या न्युक्लिक अम्ल अपनी मूल अवस्था में उपस्थित चतुष्क संरचना (quaternary structure), तृतीयक संरचना एवं द्वितीयक संरचना को छोड़कर एक नयी संरचना प्राप्त करता है। विकृतिकरण के लिये कोई वाह्य स्ट्रेस या वाह्य यौगिक (जैसे सान्द्र अम्ल या क्षार, सान्द्र अकार्बनिक लवण, कार्बनिक विलायक (अल्कोहॉल या क्लोरोफॉर्म) या विकिरण या ऊष्मा का उपयोग किया जाता है। श्रेणी:न्युक्लिक अम्ल श्रेणी:प्रोटीन.

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कार्बनिक यौगिक

मिथेन सबसे सरल कार्बनिक यौगिक कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ हाइड्रोजन भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख हैं। सभी जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, आरएनए तथा डीएनए कार्बनिक यौगिक ही हैं। .

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