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कीट

सूची कीट

एक टिड्डा कीट अर्थोपोडा संघ का एक प्रमुख वर्ग है। इसके 10 लाख से अधिक जातियों का नामकरण हो चुका है। पृथ्वी पर पाये जाने वाले सजीवों में आधे से अधिक कीट हैं। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि कीट वर्ग के 3 करोड़ प्राणी ऐसे हैं जिनको चिन्हित ही नहीं किया गया है अतः इस ग्रह पर जीवन के विभिन्न रूपों में कीट वर्ग का योगदान 90% है। ये पृथ्वी पर सभी वातावरणों में पाए जाते हैं। सिर्फ समुद्रों में इनकी संख्या कुछ कम है। आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण कीट हैं: एपिस (मधुमक्खी) व बांबिक्स (रेशम कीट), लैसिफर (लाख कीट); रोग वाहक कीट, एनाफलीज, क्यूलेक्स तथा एडीज (मच्छर); यूथपीड़क टिड्डी (लोकस्टा); तथा जीवीत जीवाश्म लिमूलस (राज कर्कट किंग क्रेब) आदि। .

10 संबंधों: एडीज, एनोफ़िलीज़, मच्छर, मधुमक्खी, रेशम कीट, शिश्न, सन्धिपाद, कलापक्ष, क्यूलेक्स, केंचुल

एडीज

एडीज मच्छर एडीज, मच्छरो का एक वंश हैं। सभी मच्छरों की तरह ही इसके जीवन चक्र की चार अवस्थाएं हैं: अण्डा, लारवा, प्यूपा एंव व्यस्क.

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एनोफ़िलीज़

एनोफ़िलीज़, मच्छरों का एक वंश हैं। इसमें लगभग 400 जातियां हैं। जिनमें से 30 से 40 जितियां मलेरिया रोग का वहन करती हैं। सभी मच्छरों की तरह ही इसके जीवन चक्र की चार अवस्थाएं हैं: अण्डा, लारवा,प्यूपा एंव व्यस्क.

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मच्छर

मच्छर मच्छर एक हानिकारक कीट है। यह संसार के प्राय सभी भागो में पाया जाता है। यह विभिन्न प्रकार के रोंगो के जीवाणुओं को वहन करता है। मच्छर गड्ढ़े, तालाबों, नहरों तथा स्थिर जल के जलाशयों के निकट अंधेरी और नम जगहों पर रहता है। मच्छर एकलिंगी जन्तु हैं यानी नर और मादा मच्छर का शरीर अलग-अलग होते हैं। सिर्फ मादा मच्छर ही मनुष्य या अन्य जन्तुओं के रक्त चूसती है, जबकि नर मच्छर पेड़-पौधों का रस चूसते हैं। .

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मधुमक्खी

मधुमक्खी मधुमक्खी के छाते मधुमक्खी कीट वर्ग का प्राणी है। मधुमक्खी से मधु प्राप्त होता है जो अत्यन्त पौष्टिक भोजन है। यह संघ बनाकर रहती हैं। प्रत्येक संघ में एक रानी, कई सौ नर और शेष श्रमिक होते हैं। मधुमक्खियाँ छत्ते बनाकर रहती हैं। इनका यह घोसला (छत्ता) मोम से बनता है। इसके वंश एपिस में 7 जातियां एवं 44 उपजातियां हैं। .

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रेशम कीट

शहतूत की पत्तियों को खाते रेशम कीट रेशम कीट कीट वर्ग का प्राणी है। बाम्बिक्स वंश के लारवा से रेशम या सिल्क प्राप्त होता है। अतः इन्हें रेशम कीट कहते हैं। ये आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हैं तथा इनका पालन चीन में लगभग 5000 वर्षों से होता आया है। रेशम कीट एकलिंगी होता है। अर्थात नर और मादा कीट अलग-अलग होते हैं। यह शहतूत के पत्तों को खाता है। .

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शिश्न

शिश्न की संरचना: 1 — मूत्राशय, 2 — जघन संधान, 3 — पुरस्थ ग्रन्थि, 4 — कोर्पस कैवर्नोसा, 5 — शिश्नमुंड, 6 — अग्रत्वचा, 7 — कुहर (मूत्रमार्ग), 8 — वृषणकोष, 9 — वृषण, 10 — अधिवृषण, 11— शुक्रवाहिनी शिश्न (Penis) कशेरुकी और अकशेरुकी दोनो प्रकार के कुछ नर जीवों का एक बाह्य यौन अंग है। तकनीकी रूप से शिश्न मुख्यत: स्तनधारी जीवों में प्रजनन हेतु एक प्रवेशी अंग है, साथ ही यह मूत्र निष्कासन हेतु एक बाहरी अंग के रूप में भी कार्य करता है। शिश्न आमतौर स्तनधारी जीवों और सरीसृपों में पाया जाता है। हिन्दी में शिश्न को लिंग भी कहते हैं पर, इन दोनो शब्दों के प्रयोग में अंतर होता है, जहाँ शिश्न का प्रयोग वैज्ञानिक और चिकित्सीय संदर्भों में होता है वहीं लिंग का प्रयोग आध्यात्म और धार्मिक प्रयोगों से संबंद्ध है। दूसरे अर्थो में लिंग शब्द, किसी व्यक्ति के पुरुष (नर) या स्त्री (मादा) होने का बोध भी कराता है। हिन्दी में सभी संज्ञायें या तो पुल्लिंग या फिर स्त्रीलंग होती हैं। .

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सन्धिपाद

आर्थ्रोपोडा संघ के प्राणी सन्धिपाद (अर्थोपोडा) प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है। पृथ्वी पर सन्धिपाद की लगभग दो तिहाई जातियाँ हैं, इसमें कीट भी सम्मिलित हैं। इनका शरीर सिर, वक्ष और उदर में बँटा रहता है। शरीर के चारों ओर एक खोल जैसी रचना मिलती है। प्रायः सभी खंडों के पार्श्व की ओर एक संधियुक्त शाखांग होते हैं। सिर पर दो संयुक्त नेत्र होते हैं। ये जन्तु एकलिंगी होते हैं और जल तथा स्थल दोनों स्थानों पर मिलते हैं। तिलचट्टा, मच्छर, मक्खी, गोजर, झिंगा, केकड़ा आदि इस संघ के प्रमुख जन्तु हैं। .

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कलापक्ष

मधुमक्खी कलापक्ष या हायमेनोप्टेरा (Hymenoptera; हायमेन (hymen) .

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क्यूलेक्स

क्यूलेक्स क्यूलेक्स, मच्छरो का एक वंश हैं। सभी मच्छरों की तरह ही इसके जीवन चक्र की चार अवस्थाएं हैं: अण्डा, लारवा, प्यूपा एंव व्यस्क.

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केंचुल

अपना वाह्य आवरण त्यागते हुए एक जानवर केकड़े द्वारा आवरण का त्याग बहुत से जन्तु अपने शरीर का कोई भाग (प्राय: वाह्य आवरण) समय-समय पर निकालते रहते हैं। इस क्रिया को केचुलीकरण (Moulting) कहते हैं। पक्षियाँ आदि अपने पुराने पंख छोड़तीं है; कुछ स्तनधारी पुराने बाल त्यागते हैं; साँप एवं कई अन्य सरिसृप अपनी वाह्य त्वचा त्यागते हैं। केंचुल.

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कीट वर्ग, कीटों

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