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प्रति-कण

सूची प्रति-कण

कण (बायें) और प्रति-कण (दायें) के आकार और विद्युत आवेश का चित्रण। ऊपर से नीचे इलेक्ट्रॉन/पोजीट्रॉन,प्रोटॉन/प्रतिप्रोटोन, न्यूट्रॉन/प्रतिन्यूट्रॉन. किसी भी कण से संबद्ध प्रतिकण भी होता है जिसका द्रव्यमान अभिन्न होता है लेकिन विद्युत आवेश विपरीत होता है। उदाहरण के लिये इलेक्ट्रॉन का प्रति-कण प्रति-इलेक्ट्रॉन एक धनावेशित कण जिसे पोजीट्रॉन कहते हैं, सामान्यतः इसे रेडियोधर्मी पदार्थों के क्षय से बनाया जाता है। प्रकृति के नियम कणों और प्रतिकणो के लिये लगभग सममितीय होते हैं। उदाहरण के लिये एक प्रतिप्रोटोन और पोजीट्रॉन से प्रति-हाइड्रोजन परमाणु का निर्माण होता है, जिसके गुणधर्म भी हाइड्रोजन परमाणु के समान ही हैं। .

16 संबंधों: ऊर्जा, न्यूट्रॉन, परमाणु, प्रतिन्यूट्रॉन, प्रतिप्रोटोन, प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त, प्रोटॉन, पोजीट्रॉन, समता (भौतिकी), संवेग, स्टीवन वैनबर्ग, हाइड्रोजन, विद्युत आवेश, ओवेन चेम्बर्लेन, इलेक्ट्रॉन, कण भौतिकी

ऊर्जा

दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .

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न्यूट्रॉन

न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन के साथ पाये जाते हैं। जेम्स चेडविक ने इनकी खोज की थी। इसे n प्रतीक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली श्रेणी:रसायन शास्त्र.

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परमाणु

एक परमाणु किसी भी साधारण से पदार्थ की सबसे छोटी घटक इकाई है जिसमे एक रासायनिक तत्व के गुण होते हैं। हर ठोस, तरल, गैस, और प्लाज्मा तटस्थ या आयनन परमाणुओं से बना है। परमाणुओं बहुत छोटे हैं; विशिष्ट आकार लगभग 100 pm (एक मीटर का एक दस अरबवें) हैं। हालांकि, परमाणुओं में अच्छी तरह परिभाषित सीमा नहीं होते है, और उनके आकार को परिभाषित करने के लिए अलग अलग तरीके होते हैं जोकि अलग लेकिन काफी करीब मूल्य देते हैं। परमाणुओं इतने छोटे है कि शास्त्रीय भौतिकी इसका काफ़ी गलत परिणाम देते हैं। हर परमाणु नाभिक से बना है और नाभिक एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन्स से सीमित है। नाभिक आम तौर पर एक या एक से अधिक न्यूट्रॉन और प्रोटॉन की एक समान संख्या से बना है। प्रोटान और न्यूट्रान न्यूक्लिऑन कहलाता है। परमाणु के द्रव्यमान का 99.94% से अधिक भाग नाभिक में होता है। प्रोटॉन पर सकारात्मक विद्युत आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन्स पर नकारात्मक विद्युत आवेश होता है और न्यूट्रान पर कोई भी विद्युत आवेश नहीं होता है। एक परमाणु के इलेक्ट्रॉन्स इस विद्युत चुम्बकीय बल द्वारा एक परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन की ओर आकर्षित होता है। नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन एक अलग बल, यानि परमाणु बल के द्वारा एक दूसरे को आकर्षित करते है, जोकि विद्युत चुम्बकीय बल जिसमे सकारात्मक आवेशित प्रोटॉन एक दूसरे से पीछे हट रहे हैं, की तुलना में आम तौर पर शक्तिशाली है। परमाणु के केन्द्र में नाभिक (न्यूक्लिअस) होता है जिसका घनत्व बहुत अधिक होता है। नाभिक के चारो ओर ऋणात्मक आवेश वाले एलेक्ट्रान चक्कर लगाते रहते हैं जिसको एलेक्ट्रान घन (एलेक्ट्रान क्लाउड) कहते हैं। नाभिक, धनात्मक आवेश वाले प्रोटानों एवं अनावेशित (न्यूट्रल) न्यूट्रानों से बना होता है। जब किसी परमाणु में एलेक्ट्रानों की संख्या उसके नाभिक में स्थित प्रोटानों की संख्या के समान होती है तब परमाणु वैद्युकीय दृष्टि से अनावेशित होता है; अन्यथा परमाणु धनावेशित या ऋणावेशित ऑयन के रूप में होता है। आधुनिक रसायनशास्त्र में शताधिक मूल भूत माने गए हैं, जिनमें से कुछ तो धातुएँ हैं जैसे ताँबा, सोना, लोहा, सीसा, चाँदी, राँगा, जस्ता; कुछ और खनिज हैं, जैसे, गंधक, फासफरस, पोटासियम, अंजन, पारा, हड़ताल, तथा कुछ गैस हैं, जैसे, आक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन आदि। इन्हीं मूल भूतों के अनुसार परमाणु आधुनिक रसायन में माने जाते हैं। पहले समझा जाता था कि ये अविभाज्य हैं। अब इनके भी टुकड़े कर दिए गए हैं। नाभिक में प्रोटॉन की संख्या किसी रासायनिक तत्व को परिभाषित करता है: जैसे सभी तांबा के परमाणु में 29 प्रोटॉन होते हैं। न्यूट्रॉन की संख्या तत्व के समस्थानिक को परिभाषित करता है। इलेक्ट्रॉनों की संख्या एक परमाणु के चुंबकीय गुण को प्रभावित करता है। परमाणु अणु के रूप में रासायनिक यौगिक बनाने के लिए रासायनिक आबंध द्वारा एक या अधिक अन्य परमाणुओं को संलग्न कर सकते हैं। परमाणु की संघटित और असंघटित करने की क्षमता प्रकृति में हुए बहुत से भौतिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है, और रसायन शास्त्र के अनुशासन का विषय है। .

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प्रतिन्यूट्रॉन

प्रतिन्यूट्रॉन (Antineutron) न्यूट्रॉन का प्रतिकण है जिसका प्रतीक है। यह न्यूट्रॉन से केवल कुछ ही गुणों में मान समान एवं विपरित चिह्न के साथ रखता है। इसका द्रव्यमान न्यूट्रॉन के समान है और आवेश शून्य होने के कारण यह भी उदासीन होता है लेकिन बेरिऑन संख्या (न्यूट्रॉन के लिए +1, प्रतिन्यूट्रॉन के लिए −1) विपरीत होती है। इसका कारण प्रतिन्यूट्रॉन का प्रतिक्वार्क कणों से मिलकर बना होना है। विशेष रूप से यह एक अप प्रतिक्वार्क और दो डाउन प्रतिक्वार्कों से मिलकर बना कण है। चूँकि प्रतिनूट्रॉन विद्युतीय अनावेशित कण है, अतः इसे सीधे ही प्रेक्षित करना मुश्किल है। इसे प्रेक्षित करने के लिए इसका साधारण द्रव्य के साथ परिशून्यन करवाकर प्रेक्षित किया जाता है। सैद्धान्तिक भौतिकी के अनुसार एक प्रतिन्यूट्रॉन का क्षय प्रतिप्रोटोन, पोजीट्रॉन और न्यूट्रिनो में होता है जो मुक्त न्यूट्रॉन के बीटा क्षय के समान है। कुछ सैद्धान्तिक मतो के अनुसार न्यूट्रॉन-प्रतिन्यूट्रॉन दोलन भी पाये जते हैं जो केवल तब ही सम्भव है जब एक अज्ञात भौतिक प्रक्रिया (जिसका अभी तक आविष्कार नहीं हुआ और किसी भी प्रयोग में पायी नहीं गयी है) घटित हो जिसमें बेरिऑन संख्या संरक्षण के नियम का उल्लंघन हो। प्रतिन्यूट्रॉन का आविष्कार प्रतिप्रोटोन की खोज के एक वर्ष बाद 1956 में ब्रूस कॉर्क ने बेवाट्रॉन (लावरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेट्री) में प्रोटॉन.

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प्रतिप्रोटोन

प्रतिप्रोटोन, प्रोटॉन का प्रतिकण है। जिसे कभी-कभी (उच्चारण पी-बार) प्रोटॉन के प्रतिकण के रूप में जाना जाता है। प्रतिप्रोटोन स्थयी कण है लेकिन आम तौर पर किसी प्रोटॉन के साथ इसका विलोपन हो जाता है और निर्गत रूप में ऊर्जा प्राप्त होती है। .

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प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त

क्वांटम क्षेत्र सिद्धान्त (QFT) या प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धांत, क्वांटम यांत्रिकी के निर्माण के लिए एक सैद्धांतिक ढांचा प्रदान करता है जिसमें क्वांटम यांत्रिक प्रणालियों को अनंत स्वतंत्रता की डिग्री प्रदर्शित किया जाता है। प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त में कणों को आधारभूत भौतिक क्षेत्र की उत्तेजित अवस्था के रूप में काम में लिया जाता है अतः इसे क्षेत्र क्वांटा कहते हैं। उदाहरण के लिए प्रमात्रा विद्युतगतिकी में एक इलेक्ट्रॉन क्षेत्र एवं एक फोटोन क्षेत्र होते हैं; प्रमात्रा क्रोमोगतिकी में प्रत्येक क्वार्क के लिए एक क्षेत्र निर्धारित होता है और संघनित पदार्थ में परमाणवीय विस्थापन क्षेत्र से फोटोन कण की उत्पति होती है। एडवर्ड विटेन प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त को भौतिकी के "अब तक" के सबसे कठिन सिद्धान्तों में से एक मानते हैं। .

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प्रोटॉन

प्राणु संरचना प्राणु (प्रोटॉन) एक धनात्मक विध्युत आवेशयुक्त मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता हैं। इसे p प्रतिक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है। इस पर 1 दो अप-क्वार्क और एक डाउन-क्वार्क से मिलकर बना होता है। स्वतंत्र रूप से यह उदजन आयन H+ के रूप में पाया जाता है। .

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पोजीट्रॉन

पाजीट्रोन (e+) या पोजीटिव इलेक्ट्रोन (धन आवेश युक्त इलेक्ट्रोन) परमाणु में पाया जाने वाला एक मौलिक कण है। यह धन आवेश युक्त इलेक्ट्रोन है। इसके गुण इलेक्ट्रोन के समान होते किन्तु दोनो में अंतर यह है कि इलेक्ट्रोन ऋण आवेश युक्त कण है तथा पोजीट्रोन धन आवेश युक्त कण है। इसका द्रव्यमान इलेक्ट्रोन के द्रव्यमान के समान होता है। इसकी खोज सन १९३२ में कार्ल डी एंडरसन ने की थी। इसका विद्युत आवेश +1.602176487(40)×10−19 कूलाम्ब होता है। इसकी घूर्णन गति आधी होती है। पोजिट्रोन को β+ चिन्ह से भी दर्शाते है। जब पोजिट्रोन तथा इलेक्ट्रोन की टक्कर होती है तो दोनो नष्ट हो जाते हैं और दो गामा किरण फोटान उत्पन्न होती है। चिकित्सालय में उपयोग होने वाले एक्स किरण में न्यूट्रोन, गामा किरण, प्रोटोन, न्यूट्रिनो, के साथ पोजिट्रोन भी शामिल रहता है। .

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समता (भौतिकी)

समता (अंग्रेजी: Parity) एक भौतिक राशी है। समता रूपांतरण (अथवा समता व्युत्क्रमण) कार्तिय निर्देशाकों का चिह्न परिवर्तन है। त्रिविम में, सामान्यतः तीनों कार्तिय निर्देंशाकों के एक साथ चिह्न परिवर्तन से भी समझाया जाता है: यह घटना की काइरलता (इंगिता) को समझने का विचार है, जिसमें इसके वृहत चित्रण में काइरल घटना, समता व्युत्क्रम को निरूपित करती है। किसी अकाइरल वस्तु पर समता रूपांरतण को इकाई (तत्समक) रूपांतरण कहते हैं।.

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संवेग

कोई विवरण नहीं।

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स्टीवन वैनबर्ग

स्टीवन वैनबर्ग संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 1979 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। .

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हाइड्रोजन

हाइड्रोजन पानी का एक महत्वपूर्ण अंग है शुद्ध हाइड्रोजन से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हाइड्रोजन (उदजन) (अंग्रेज़ी:Hydrogen) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी का सबसे पहला तत्व है जो सबसे हल्का भी है। ब्रह्मांड में (पृथ्वी पर नहीं) यह सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। तारों तथा सूर्य का अधिकांश द्रव्यमान हाइड्रोजन से बना है। इसके एक परमाणु में एक प्रोट्रॉन, एक इलेक्ट्रॉन होता है। इस प्रकार यह सबसे सरल परमाणु भी है। प्रकृति में यह द्विआण्विक गैस के रूप में पाया जाता है जो वायुमण्डल के बाह्य परत का मुख्य संघटक है। हाल में इसको वाहनों के ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकने के लिए शोध कार्य हो रहे हैं। यह एक गैसीय पदार्थ है जिसमें कोई गंध, स्वाद और रंग नहीं होता है। यह सबसे हल्का तत्व है (घनत्व 0.09 ग्राम प्रति लिटर)। इसकी परमाणु संख्या 1, संकेत (H) और परमाणु भार 1.008 है। यह आवर्त सारणी में प्रथम स्थान पर है। साधारणतया इससे दो परमाणु मिलकर एक अणु (H2) बनाते है। हाइड्रोजन बहुत निम्न ताप पर द्रव और ठोस होता है।।इण्डिया वॉटर पोर्टल।०८-३०-२०११।अभिगमन तिथि: १७-०६-२०१७ द्रव हाइड्रोजन - 253° से.

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विद्युत आवेश

विद्युत आवेश कुछ उपपरमाणवीय कणों में एक मूल गुण है जो विद्युतचुम्बकत्व का महत्व है। आवेशित पदार्थ को विद्युत क्षेत्र का असर पड़ता है और वह ख़ुद एक विद्युत क्षेत्र का स्रोत हो सकता है। आवेश पदार्थ का एक गुण है! पदार्थो को आपस में रगड़ दिया जाये तो उनमें परस्पर इलेक्ट्रोनों के आदान प्रदान के फलस्वरूप आकर्षण का गुण आ जाता है। .

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ओवेन चेम्बर्लेन

ओवेन चेम्बर्लेन एक भौतिक वैज्ञानिक हैं जिन्होंने १९५९ में भौतिक शास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीता था .

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इलेक्ट्रॉन

इलेक्ट्रॉन या विद्युदणु (प्राचीन यूनानी भाषा: ἤλεκτρον, लैटिन, अंग्रेज़ी, फ्रेंच, स्पेनिश: Electron, जर्मन: Elektron) ऋणात्मक वैद्युत आवेश युक्त मूलभूत उपपरमाणविक कण है। यह परमाणु में नाभिक के चारो ओर चक्कर लगाता हैं। इसका द्रव्यमान सबसे छोटे परमाणु (हाइड्रोजन) से भी हजारगुना कम होता है। परम्परागत रूप से इसके आवेश को ऋणात्मक माना जाता है और इसका मान -१ परमाणु इकाई (e) निर्धारित किया गया है। इस पर 1.6E-19 कूलाम्ब परिमाण का ऋण आवेश होता है। इसका द्रव्यमान 9.11E−31 किग्रा होता है जो प्रोटॉन के द्रव्यमान का लगभग १८३७ वां भाग है। किसी उदासीन परमाणु में विद्युदणुओं की संख्या और प्रोटानों की संख्या समान होती है। इनकी आंतरिक संरचना ज्ञात नहीं है इसलिए इसे प्राय:मूलभूत कण माना जाता है। इनकी आंतरिक प्रचक्रण १/२ होती है, अतः यह फर्मीय होते हैं। इलेक्ट्रॉन का प्रतिकणपोजीट्रॉन कहलाता है। द्रव्यमान के अलावा पोजीट्रॉन के सारे गुण यथा आवेश इत्यादि इलेक्ट्रॉन के बिलकुल विपरीत होते हैं। जब इलेक्ट्रॉन और पोजीट्रॉन की टक्कर होती है तो दोंनो पूर्णतः नष्ट हो जाते हैं एवं दो फोटॉन उत्पन्न होती है। इलेक्ट्रॉन, लेप्टॉन परिवार के प्रथम पीढी का सदस्य है, जो कि गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकत्व एवं दुर्बल प्रभाव सभी में भूमिका निभाता है। इलेक्ट्रॉन कण एवं तरंग दोनो तरह के व्यवहार प्रदर्शित करता है। बीटा-क्षय के रूप में यह कण जैसा व्यवहार करता है, जबकि यंग का डबल स्लिट प्रयोग (Young's double slit experiment) में इसका किरण जैसा व्यवहार सिद्ध हुआ। चूंकि इसका सांख्यिकीय व्यवहार फर्मिऑन होता है और यह पॉली एक्सक्ल्युसन सिध्दांत का पालन करता है। आइरिस भौतिकविद जॉर्ज जॉनस्टोन स्टोनी (George Johnstone Stoney) ने १८९४ में एलेक्ट्रों नाम का सुझाव दिया था। विद्युदणु की कण के रूप में पहचान १८९७ में जे जे थॉमसन (J J Thomson) और उनकी विलायती भौतिकविद दल ने की थी। कइ भौतिकीय घटनाएं जैसे-विध्युत, चुम्बकत्व, उष्मा चालकता में विद्युदणु की अहम भूमिका होती है। जब विद्युदणु त्वरित होता है तो यह फोटान के रूप मेंऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन करता है।प्रोटॉन व न्यूट्रॉन के साथ मिलकर यह्परमाणु का निर्माण करता है।परमाणु के कुल द्रव्यमान में विद्युदणु का हिस्सा कम से कम् 0.0६ प्रतिशत होता है। विद्युदणु और प्रोटॉन के बीच लगने वाले कुलाम्ब बल (coulomb force) के कारण विद्युदणु परमाणु से बंधा होता है। दो या दो से अधिक परमाणुओं के विद्युदणुओं के आपसी आदान-प्रदान या साझेदारी के कारण रासायनिक बंध बनते हैं। ब्रह्माण्ड में अधिकतर विद्युदणुओं का निर्माण बिग-बैंग के दौरान हुआ है, इनका निर्माण रेडियोधर्मी समस्थानिक (radioactive isotope) से बीटा-क्षय और अंतरिक्षीय किरणो (cosmic ray) के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान उच्च ऊर्जा टक्कर के कारण भी होता है।.

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कण भौतिकी

कण भौतिकी, भौतिकी की एक शाखा है जिसमें मूलभूत उप परमाणविक कणो के पारस्परिक संबन्धो तथा उनके अस्तित्व का अध्ययन किया जाता है, जिनसे पदार्थ तथा विकिरण निर्मित हैं। हमारी अब तक कि समझ के अनुसार कण क्वांटम क्षेत्रों के उत्तेजन (excitations) हैं। दूसरे कणों के साथ इनकी अन्तःक्रिया की अपनी गतिकी है। कण भौतिकी के क्षेत्र में अधिकांश रुचि मूलभूत क्षेत्रों (fundamental fields) में है। मौलिक क्षेत्रों और उनकी गतिशीलताओ के सार को सिद्धान्त के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसिलिये कण भौतिकी में अधिकतर स्टैंडर्ड मॉडल (Standard Model) के मूल कणों तथा उनके सम्भावित विस्तार के बारे में अध्यन किया जाता है। .

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